प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ एक निर्णायक जंग छेड़ने का ऐलान किया। उन्होंने एक अलग ही अंदाज में देशवासियों का समर्थन मांगा है उससे कई तरह के संकेत मिल रहे हैं। मनी लॉन्ड्रिंग, करप्शन के खिलाफ ईडी और अन्य एजेंसियों की कार्रवाइयों के बीच पीएम मोदी का भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई और परिवारवाद के खिलाफ जनमन में ‘नफरत’ का आह्वान बहुत मायने रखता है। पीएम मोदी ने यह कई बार कहा है कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खा रहा है। पीएम मोदी ने देश की सत्ता संभालने के साथ ही भ्रष्टाचार और परिवारवाद को खत्म करने पर काम शुरू कर दिया था। यही वजह है कि काले धन को देश से खत्म करने के लिए उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) में योग्य और ईमानदार अफसरों को यह काम सौंपा।
Sanjay Kumar Mishra (Thread)
Who is Sanjay Kumar Mishra ?
– for whom Modi didnt accept Supreme Court Order
– for whom Govt changed the act
– For whom Govt changed all the rules
– for whom entire opposition and1/24 pic.twitter.com/I11xB518RI
— Agenda Buster (@Starboy2079) September 8, 2022
कौन हैं संजय कुमार मिश्रा? जिनके लिए मोदी ने नहीं माना सुप्रीम कोर्ट का आदेश। जिनके लिए सरकार ने एक्ट में बदलाव किया। किसके लिए सरकार ने बदले सारे नियम। जिसके खिलाफ था पूरा विपक्ष और जिसे हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे दुनिया के सबसे ताकतवर एनजीओ। किसने अकेले दम पर भारत में वामपंथी इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया। इन सभी सवालों को जानने के लिए पढ़िए यह स्टोरी जो कि ट्विटर यूजर Agenda Buster के ट्वीट्स पर आधारित है।
ED के निदेशक संजय कुमार मिश्रा यूपी से ताल्लुक रखते हैं और 1984 में आईआरएस में चयनित हुए थे। वह उस समय के सबसे कम उम्र के आईआरएस अधिकारी थे। उन्होंने अपना अधिकांश करियर आयकर विभाग में बिताया। वह अपने तेज दिमाग, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते हैं।
2014 में जब मोदी पीएम बने तो उन्होंने नए भारत के निर्माण पर काम करना शुरू कर दिया। वह जानते थे कि भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत विरोधी ताकतें, विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठन, भ्रष्ट भारतीय राजनेता और उनका काला धन है। वे मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एनजीओ, कॉरपोरेट्स, शेल कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं और उस पैसे का इस्तेमाल भारत के विकास को रोकने एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है।
Modi was very impressed with him n told him his vision n asked him to head ED in 2018.
He was first appointed as Principal Secretory of ED out of term and the Full time director of ED on Nov 19, 2018
That time ED was very little known dept. pic.twitter.com/4R4c4WrKhI
— Agenda Buster (@Starboy2079) September 8, 2022
अगर आपको पीएम मोदी के पहले 2-3 साल याद हैं, तो उन्होंने एनजीओ, शेल कंपनियों पर भारी कार्रवाई की, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि गठजोड़ बहुत बड़ा है और उन्हें इन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए समान रूप से सक्षम टीम बनानी होगी और फिर उनकी मुलाकात संजय कुमार मिश्रा से हुई। मोदी उनसे बहुत प्रभावित हुए, उन्होंने उन्हें अपना दृष्टिकोण बताया और उन्हें 2018 में ED का नेतृत्व करने के लिए कहा। उन्हें पहली बार ED के प्रधान सचिव और 19 नवंबर, 2018 को ईडी के पूर्णकालिक निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। उस समय ED बहुत कम ज्ञात विभाग था।
वे लोग जो ED के बारे में नहीं जानते हैं। उन्हें यह जानना चाहिए कि ईडी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की जांच करता है। मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब काले धन को सफेद धन में बदलना है। लॉन्ड्री मतलब होता है गंदे कपड़े साफ करना। इसी तरह मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब काले धन को वैध धन में बदलना। पीएम मोदी ने कहा था -‘जितने भी लोगों की भर्ती करने की जरूरत होगी, मैं करुंगा पर 70 सालों में जितना भी देश को लूटा है मैं सबका पता लगाकर रहूंगा।’
SK Mishra started to build ED
before him there was hardly 23 senior officers, now there r more than 100 senior officers.
ED has offices all over India.
ED has unlimited power. They can act anywhere, can arrest anyone n by using these powers SK Mishra started crackdown on corrupts pic.twitter.com/KcIH0jSQ3A— Agenda Buster (@Starboy2079) September 8, 2022
एसके मिश्रा ने ED को एक मजबूत विभाग बनाने का काम शुरू किया। उनसे पहले मुश्किल से 23 वरिष्ठ अधिकारी थे, अब 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी हैं। ED के कार्यालय पूरे भारत में हैं। ED के पास असीमित शक्ति है। वे कहीं भी कार्रवाई कर सकते हैं, किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं और इन शक्तियों का उपयोग करके एसके मिश्रा ने भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई शुरू की।
मोदी अप्रत्याशित हैं। उनका अगला कदम क्या होगा कोई नहीं जानता। किसी ने यह नहीं सोचा था कि सरकार भ्रष्टाचारियों पर इस तरह की कार्रवाई करेगी क्योंकि भारत में भ्रष्टाचार सामान्य बात हो गई थी। ED ने लोगों को गिरफ्तार करना शुरू किया। चिदंबरम, कार्ति चिदंबरम, चंदा कोचर और इस कड़ी में अनगिनत नाम जुड़ते गए।
एसके मिश्रा की सेवानिवृत्ति मार्च 2020 को होने वाली थी। लेकिन उनका 2 साल का कार्यकाल नवंबर 2020 तक था क्योंकि भारत में सीबीआई निदेशक एवं ईडी निदेशकों की नियुक्ति 2 साल के लिए या 60 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो के लिए की जाती है। एसके मिश्रा ने मार्च 2020 में अपने 60 साल पूरे किए लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें बहाल रखा।
Opposition kept waiting for his retirement n in Nov 2020 when his retirement was due
Govt went to President n modified Presidents Nov 2018 order of his appointment for 2 years to 3 years in retrograde pic.twitter.com/Z9hZa3Hsa2
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नवंबर 2020 में विपक्ष उनकी सेवानिवृत्ति का इंतजार करता रहा। सरकार इस बीच राष्ट्रपति के पास गई और राष्ट्रपति के नवंबर 2018 की उनकी नियुक्ति आदेश में एक साल का सेवा विस्तार कर दिया। अब उनकी नियुक्ति 2 साल की जगह 3 साल के लिए कर दी गई। और उनका कार्यकाल नवंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया।
N extended his tenure till Nov 2021
Now oppositions lost patience n went to Supreme Court via a NGO common cause that is part of their ecosystem Govt fought for SK Mishra in SC firmly n Opposition didn't get relief from Supreme Court also
SC said Govt has power pic.twitter.com/tEn9jV3Sel
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अब विपक्ष ने सब्र खो दिया और एक एनजीओ कॉमन कॉज के जरिए सुप्रीम कोर्ट गए जो उनके इकोसिस्टम का हिस्सा है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसके मिश्रा के लिए मजबूती से लड़ाई लड़ी और विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली।
to extend ED Director tenure from 2-3 years but only rare to rarest case n his tenure wont be extended after Nov 2021
Opposition thought to wait till Nov 2021 for the retirement of SK Mishra n as Nov 2021 came they faced one more blow pic.twitter.com/dUwNCOkA4L
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुर्लभ मामलों में सरकार के पास पावर है कि वह ईडी निदेशक का कार्यकाल 2-3 साल के लिए बढ़ा दे। लेकिन उनका कार्यकाल नवंबर 2021 के बाद नहीं बढ़ाया जाएगा। विपक्ष ने एसके मिश्रा की सेवानिवृत्ति के लिए नवंबर 2021 तक इंतजार करने की सोची और नवंबर 2021 में उन्हें एक और झटका लगा।
Govt brought an ordinance to amend CVC act n extended Sanjay Kumar Mishra's tenure from Nov 2021 to Nov 2023 (3 to 5 years)
Sanjay Kumar Mishra became first officer of Indian history for the beneficiary of this ordinance
Later Govt passed that amendment from Parliament pic.twitter.com/ss4Mt7B9lH— Agenda Buster (@Starboy2079) September 8, 2022
सरकार ने सीवीसी अधिनियम में संशोधन के लिए एक अध्यादेश लाया और संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल नवंबर 2021 से बढ़ाकर नवंबर 2023 (3 से 5 वर्ष) कर दिया। इस अध्यादेश के लाभार्थी संजय कुमार मिश्रा भारतीय इतिहास के पहले अधिकारी बने। बाद में सरकार ने संसद से उस संशोधन को पारित किया।
Now opposition parties, NGOs lost all the patience n flooded Supreme Court with petitions to remove him.
Case is still going on, Last hearing was on 3rd Sep. Govt said in reply to SC that all these petitioners r from political party who r accused of corruption pic.twitter.com/WfdeFuTClq
— Agenda Buster (@Starboy2079) September 8, 2022
अब विपक्षी दलों, गैर सरकारी संगठनों ने धैर्य खो दिया और उन्हें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं की बाढ़ आ गई। केस अभी चल रहा है, इस मामले में 3 सितंबर को सुनवाई हुई थी। सरकार ने SC को जवाब में कहा कि ये सभी याचिकाकर्ता राजनीतिक दल से हैं, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप है।
इस मामले में अगली सुनवाई 12 सितंबर 2022 को है, लेकिन जिस तरह से मोदी संजय मिश्रा के साथ मजबूती से खड़े हैं, उससे एक बात पक्की हो गई है कि जब तक भ्रष्टाचार करने वाले जेल नहीं जाएंगे, उन्हें संजय मिश्रा से छुटकारा नहीं मिल पाएगा। एसके मिश्रा की कार्रवाई जारी है। यहां उन मामलों का विवरण दिया गया है जिन पर वह काम कर रहे हैं-
मामले का नाम – आरोपी
आईएनएक्स मीडिया मामला – कार्ति और पी चिदंबरम
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक मामला – शरद पवार और अजीत पवार
मनी लॉन्ड्रिंग केस – डीके शिवकुमार
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ मामला – फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती
नेशनल हेराल्ड केस – सोनिया गांधी, राहुल गांधी
वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाला – रतुल पुरी (कमलनाथ परिजन)
पंचकूला भूमि आवंटन मामला – भूपेंद्र हुड्डा
आय से अधिक संपत्ति – आनंद कुमार (मायावती परिजन)
अवैध खनन मामला – अखिलेश यादव
जमीन सौदे का मामला – रॉबर्ट वाड्रा
एयरसेल मैक्सिस डील – राजा, कनिमोझी, दयानिधि मारन
मनी लॉन्ड्रिंग – संजय राउत
स्टर्लिंग बायोटेक मामला – अहमद पटेल के बेटे
भूमि घोटाला – जगन रेड्डी
एम्बुलेंस मामला – अशोक गहलोत
शारदा चिट फंड – ममता बनर्जी
मनी लॉन्ड्रिंग – सतेंद्र जैन
दिल्ली शराब घोटाला – मनीष सिसोदिया
व्यवसायी – चंदा कोचर (ICICI), वेणुगोपाल धूत (वीडियोकॉन), मलविंदर सिंह (रेलिगेयर), संजय चंद्र (यूनिटेक), नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसे के साथ ही कई अन्य मामले। ईडी जांच का सामना कर रहे एनजीओ – एमनेस्टी इंटरनेशनल। और भी कई मामले हैं। इन सभी मामलों का उल्लेख करना संभव नहीं है। लेकिन अब आप समझ सकते हैं कि विपक्ष और वामपंथी इकोसिस्टम एक आदमी के पीछे क्यों है और मोदी उनके साथ क्यों खड़े हैं?
Sanjay Kumar Mishra is unfazed from all this n keep strengthening ED n keep cracking on these corrupt.
People say he personally lead all cases n even work on Sunday also. He is very low profile n u wont find his too many photos also on net.
I cud find only this photo of him. pic.twitter.com/XHcSWvQMp0
— Agenda Buster (@Starboy2079) September 8, 2022
संजय कुमार मिश्रा इन सब से बेफिक्र हैं और ईडी को मजबूत करते रहे और इन भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसते रहे। लोग कहते हैं कि वह व्यक्तिगत रूप से सभी मामलों का नेतृत्व करते हैं और रविवार को भी काम करते हैं। वह बहुत लो प्रोफ़ाइल व्यक्ति हैं और आपको नेट पर उनकी बहुत कम ही तस्वीरें देखने को मिलेंगी।