प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार ने देश में कैश का चलन कम करने और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। जिससे यूपीआई ट्रांजेक्शन में तेजी आई है और यह हर महीने नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है। वित्तीय कंपनी रेजरपे ने ‘द एरा ऑफ राइजिंग फिनटेक’ रिपोर्ट के चौथे संस्करण में दावा किया है कि दिल्ली-एनसीआर में यूपीआई ट्रांजेक्शन 2018 और 2019 के बीच 442 प्रतिशत बढ़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में Google Pay 50% बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे पसंदीदा यूपीआई ऐप बना रहा, इसके बाद PhonePe (25%), BHIM (12%) और Paytm (9%) का स्थान था। उधर यूपीआई नेटबैंकिंग और वॉलेट्स जैसे भुगतान के साधनों पर भी हावी रहा। डिजिटल भुगतान में नेटबैंकिंग का योगदान 2018 में 22% से घटकर 2019 में 15% और वॉलेट्स का 2018 में 3% से घटकर 2019 में 2% हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल भुगतान अपनाने के मामले में कर्नाटक सबसे आगे रहा है। अगर डिजिटलाइज्ड शहरों की बात करें तो बेंगलुरु पहले, दिल्ली दूसरे और हैदराबाद तीसरे स्थान पर रहा है।
रेजरपे के सीईओ और को-फाउंडर श्री हर्षिल माथुर ने कहा, ‘पिछले साल दिल्ली में फिनटेक क्षेत्र के लिए काफी जोर रहा, नए डिजिटल भुगतान मोड को अपनाने के साथ, डिजिटल मुद्रा को मुख्यधारा में लाया गया है। और पिछले छह महीनों में क्षेत्र में डिजिटल भुगतान के व्यवसायों और उपभोक्ता वरीयताओं के उपभोग पैटर्न में जबरदस्त बदलाव देखा गया। दिल्ली-एनसीआर के लोग खाने-पीने के साथ ही यात्रा के लिए डिजिटल भुगतान का उपयोग तेजी से कर रहे हैं। हर्षिल माथुर ने कहा कि फिनटेक स्पेस में तेजी की वजह से दिल्ली में 350 से अधिक स्टार्टअप उभरे हैं।
यूपीआई से लेनदेन को बढ़ावा देने में कई कारकों ने अहम भूमिका निभाई है। एटीएम कार्ड और अन्य भुगतान कार्ड की तुलना में यूपीआई काफी सुविधाजनक है। इसे मोबाइल फोन के लिए तैयार किया गया है। जहां कार्ड से भुगतान करने में कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, CVV, OTP आदि दर्ज करना पड़ता है, वहीं यूपाई से भुगतान के लिए सिर्फ एक पिन की जरूरत होती है। इसके अलावा यूपीआई के कई ऐप इंसेंटिव और कैश बैक की पेशकश करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने डिजिटल पेमेंट के बढ़ावे और डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए कई प्रयास किए हैं। डालते हैं एक नजर-
अब UPI से ऑटोमैटिक रेकरिंग पेमेंट की सुविधा
रिजर्व बैंक ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के मद्देनजर अब यूपीआई के जरिए भी रेकरिंग भुगतान करने की सुविधा प्रदान कर दी है। इस सुविधा के तहत उपभोक्ता और मर्चेंट निकायों के बीच एक सहमति बनती है और महीने की तयशुदा तारीख पर निश्चित बकाया राशि का खुद भुगतान हो जाता है। हालांकि इसकी लिमिट फिलहाल 2000 रुपये ही रखी गई है।
सुरक्षित पैमेंट के लिए ई-मैंडेट को मिली मंजूरी
अभी तक यह सुविधा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, प्रीपेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट और वॉलेट के जरिए भुगतान पर उपलब्ध थी। रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा कि अब रेकरिंग भुगतान की सुविधा यूपीआई के लिए भी उपलब्ध होगी। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘यूपीआई के जरिए रेकरिंग भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिये ई-मैंडेट की मंजूरी दी जाती है।’
यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर शुल्क खत्म
मोदी सरकार ने आम आदमी को राहत देने के लिए रुपे कार्ड और यूपीआई ट्रांजेक्शंस पर एमडीआर शुल्क (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) को खत्म कर दिया है। इससे लोगों को यह फायदा होगा कि उन्हें ट्रांजेक्शन करते समय कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इसके साथ ही रुपे कार्ड पर 16 हजार रुपये कैश बैक पाने का नया ऑफर भी शुरू किया गया है। इस कार्ड पर ग्राहकों को मुफ्त में 10 लाख रुपये की कीमत का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कवर दिया जाता है।
विदेश यात्रा पर मिलेगा 16 हजार कैशबैक
देश में एनपीसीआई द्वारा रूपे कार्ड नेटवर्क का प्रबंधन किया जाता है। अब इस कार्ड से संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सिंगापुर, श्रीलंका, ब्रिटेन, अमेरिका, स्पेन, स्विट्जरलैंड और थाइलैंड की यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को रुपे इंटरनेशनल कार्ड को एक्टिवेट कराने पर मासिक 16,000 रुपये तक का कैशबैक मिलेगा। हालांकि इसके लिए ग्राहकों को न्यूनतम 1,000 रुपये का लेनदेन करना होगा।
विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में लगायी चार पायदान की छलांग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सभी क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। डिजिटल प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत ने चार पायदान की छलांग लगायी है। भारत अब 44 वें स्थान पर पहुंच गया है। आईएमडी की विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धात्मकता रैकिंग 2019 के अनुसार, भारत 2018 में 48वें स्थान से आगे बढ़कर 2019 में 44वें पर पहुंच गया है। भारत ने सभी कारकों ज्ञान, प्रौद्योगिकी और भविष्य की तैयारी के मामले में काफी सुधार दर्ज किया है। अमेरिका इस लिस्ट में पहले स्थान पर है।
वर्ष 2018-19 में पहली बार डेबिट कार्ड से अधिक हुआ यूपीआई ट्रांजेक्शन
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट ने डेबिट कार्ड से हुए लेनदेन को पीछे छोड़ दिया। वित्त वर्ष 2019 में देश में 5.35 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए, जबकि डेबिट कार्ड के जरिए सिर्फ 4.41 बिलियन लेनदेन हुए। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि यूपीआई ट्रांजेशक्शन के आंकडों ने डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है।
इससे यह साबित होता है कि देशवासियों में डिजिटल पेमेंट के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। मोदी सरकार ने तीन साल पहले यूपीआई ट्रांजेक्शन की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि वर्ष 2017-18 डेबिट कार्ड से 3.24 बिलियन लेनदेन हुए थे, जबकि यूपीआई ट्रांजेक्शन सिर्फ 915.2 मिलियन हुए थे।
RTGS और NEFT के माध्यम से लेनदेन पर अब नहीं लगेगा कोई चार्ज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बैंकिंग सिस्टम में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसी मुहिम के तहत मोदी सरकार ने एक जुलाई से नेट बैंकिंग में RTGS और NEFT के माध्यम से भुगतान करने पर या पैसों के लेनदेन पर शुल्क खत्म करने का फैसला किया।
मोदी सरकार के फैसले के बाद आरबीआई RTGS और NEFT पर बैंकों से अब प्रोसेसिंग और टाइम वैरिंग चार्ज नहीं वसूलेगा। हालांकि बैंक ग्राहकों से इस फीस से ज्यादा शुल्क वसूलते हैं। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के मुताबिक आरबीआई की प्रोसेसिंग फीस और टाइम वैरिंग चार्ज खत्म होने के बाद बैंक भी ग्राहकों से कम शुल्क लेंगे। RTGS से बड़ी धनराशि एक से दूसरे खाते में तत्काल स्थानांतरित करने की सुविधा है, वहीं NEFT के जरिये अधिकतम दो लाख रुपये तत्काल किसी भी खाते में डाले जा सकते हैं। इन दोनों पर इंटरनेट बैंकिंग और बैंक शाखा का शुल्क लगता है। स्टेट बैंक NEFT पर एक से पांच रुपये लेता है, वहीं RTGS पर 5 से 50 रुपये शुल्क वसूला जाता है।
अब छोटे सेविंग एकाउंट्स पर चेक जैसी सुविधाएं मुफ्त
मोदी सरकार ने छोटे खाताधारकों के हित में एक और बड़ा फैसला किया है। अब प्राथमिक बचत खाताधारकों यानी जीरो बैलेंस एकाउंट वालों को चेकबुक और अन्य सुविधाएं मुफ्त में मिलेंगी। पहले सामान्य बचत खातों को ही चेक जैसी सुविधाएं निशुल्क मिलती थीं और इन खातों में न्यूनतम राशि रखने की जरूरत होती है। छोटे खाताधारकों को बैंक अब रुपे कार्ड और अन्य सुविधाएं देने से भी इनकार नहीं कर सकते हैं।