दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल हमेशा मोदी सरकार पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का झूठा आरोप लगाते रहते हैं जबकि वह खुद ही ऐसी राजनीति कर वोटबैंक का खेल खेलते हैं।
भाजपा के मॉडल टाउन से उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल शाहीन बाग में बैठे लोगों के प्रति संवेदना दिखाते हैं, जो लोग बसों में तोड़फोड़ करते हैं, हिंसा करते हैं, उनके साथ खड़े होते हैं। देश के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले उमर खालिद और कन्हैया कुमार के खिलाफ मामला चलाने में सहयोग नहीं करते हैं।
देश का हिंदू चुपचाप खड़ा देख रहा है : कपिल मिश्रा
विशेष समुदाय की राजनीति करने पर कपिल मिश्रा नो केजरीवाल को घेरते हुए कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति बीजेपी नहीं कर रही बल्कि केजरीवाल कर रहे हैं।
केजरीवाल एक खास समुदाय के लोगों को तो मुआवजा भी देते हैं और उनके साथ भी खड़े होते हैं जबकि देश का हिंदू चुपचाप खड़ा देख रहा है। उसको सब समझ में भी आ रहा है कि कौन कर रहा है ध्रुवीकरण की राजनीति।
कोरे दावे करते हैं केजरीवाल
कपिल मिश्रा ने केजरीवाल के विकास के नारे को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच सालों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार पर काम न करने देने का आरोप लगाए हैं।
केजरीवाल अब जिन बातों को विकास के तौर पर पेश कर रहे हैं, वह सिर्फ कोरे दावे हैं, क्योंकि पिछले पांच सालों के दौरान एक भी नया स्कूल, एक भी नया अस्पताल, एक भी नया फ्लाईओवर नहीं तैयार किया गया। केजरीवाल ने जनता के पैसे का इस्तेमाल कर खुद की छवि चमकाने के लिए प्रचार में किया।
इसके अलावा कई ऐसे मौके आए जब केजरीवाल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए हिन्दू और देश विरोधी राजनीति की है। आइए एक नजर डालते हैं-
मुस्लिम वोट बैंक के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार
केजरीवाल की नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है। इस वोट बैंक को पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। उनका हमेशा प्रयास रहा है कि मुस्लिम वोट नहीं बंटे और पूरे वोट उसे ही मिले। लोकसभा चुनाव-2019 के दौरान केजरीवाल ने सिविल लाइन स्थित अपने निवास पर ऑल इंडिया शिया सुन्नी फ्रंट के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा कि मुस्लिम वोट बैंक नहीं बंटे इसके लिए हम कांग्रेस से गठबंधन करना चाहते थे। गठबंधन के लिए हर संभव प्रयास किए। मगर कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया। अब अगर मोदी जी दोबारा से सत्ता में आते हैं तो इसके लिए राहुल गांधी जिम्मेदार होंगे।
चुनाव के समय खेला ‘जाति कार्ड’
पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आने वाले आशुतोष ने भी आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया। आशुतोष ने ट्वीट कर ये आरोप लगाया कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी नेताओं ने उनसे उनकी जाति का इस्तेमाल करने को कहा था। उन्होंने लिखा, ’23 साल के पत्रकारिता करियर में मुझे कभी अपनी जाति का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा, लेकिन जब मैं आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा, तब मुझे जाति का इस्तेमाल करने को कहा गया।’ साफ है आशुतोष को पता चल गया था कि आम आदमी पार्टी जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देती है। फिर भी वो चार साल तक पार्टी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहे, लेकिन फैसला तब जाकर किया जब राज्यसभा सांसद बनने के उनके अरमानों पर अरविंद केजरीवाल ने पानी फेर दिया।
In 23 years of my journalism, no one asked my caste, surname. Was known by my name. But as I was introduced to party workers as LOKSABHA candidate in 2014 my surname was promptly mentioned despite my protest. Later I was told – सर आप जीतोगे कैसे, आपकी जाति के यहाँ काफी वोट हैं ।
— ashutosh (@ashutosh83B) August 29, 2018
बच्चों की कसम के बावजूद कांग्रेस का लिया समर्थन
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित को हराने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से ही पहली बार सरकार बनायी। भाजपा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने पहले तो बड़े-बड़े दावे किए और अब सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए उन्होंने अपने बच्चों की भी परवाह नहीं की। वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि केजरीवाल ने विश्वसनीयता को त्याग कर कांग्रेस का समर्थन लिया और अपने बच्चों की कसम तोड़ी। 49 दिन तक सरकार में रहने के बाद केजरीवाल जब दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल लेकर आए तो कांग्रेस ने समर्थन नहीं किया। यह बिल पास नहीं हुआ। इसके बाद केजरीवाल ने सरकार से इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस के पीएम उम्मीदवार राहुल गांधी का किया समर्थन
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और केजरीवाल एक दूसरे को फूटी आंख देखने को तैयार नहीं थे। जब 2019 में आम चुनाव आया तो केजरीवाल ने बयान दिया कि भाजपा को छोड़कर केंद्र में जिसकी भी सरकार बनेगी आम आदमी पार्टी उसका समर्थन करेगी। केजरीवाल को कांग्रेस के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार यानी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर सपोर्ट करने से कोई गुरेज नहीं था।
Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal on post-poll alliance: We will support whoever will be forming the govt at the Centre except Modi ji & Amit Shah, on the promise that Delhi will be given statehood. #LokSabhaEelctions2019 pic.twitter.com/GJkBG8E3pB
— ANI (@ANI) May 10, 2019
केजरीवाल ने 1984 के हिंसा पीड़ितों को दिया धोखा
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हरविंदर सिंह फुल्का ने इस्तीफा दे दिया । पेशे से वकील फुल्का दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बढ़ती नजदीकी पर कई बार नाराजगी जता चुके थे। एचएस फुल्का ने कई बार यह जिक्र किया था कि केजरीवाल सरकार ने 1984 के हिंसा पीड़ितों के लिए उम्मीद के मुताबिक काम नहीं किया। ना पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलवाया ना नौकरी दी।
लोकपाल आंदोलन का मजाक उड़ाने वाले शरद यादव से मुलाकात
अक्टूबर 2018 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव से दिल्ली स्थित आंध्र प्रदेश भवन में मुलाकात की। इस दौरान तीनों नेताओं ने 2019 के आम चुनाव को लेकर चर्चा की। मुलाकात के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि देश की जनता और संविधान को बचाने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र में बैठी भाजपा सरकार से संविधान को खतरा है। इस मुलाकात पर सवाल उठाते हुए कुमार विश्वास ने ट्वीट किया कि जिस शरद यादव ने भरी संसद में लोकपाल आंदोलन का मज़ाक़ उड़ाकर थूका था,उनसे गले मिलकर लोकतंत्र बचाने निकले हैं।
जिन शरद यादव ने भरी संसद में लोकपाल आंदोलन का मज़ाक़ उड़ाकर थूका था,उनसे गले मिलकर लोकतंत्र बचाने निकले,पार्टी को प्राइवेट लि० कम्पनी बना लेने वाले आत्ममुग्ध बौने को दाद देनी चाहिए क्योंकि नीचता भरा अखंड-पाखंड व इतनी नारकीय बेशर्मी शायद इस दौर के किसी राजनैतिक लंपट में इतनी नहीं
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) February 13, 2019
CAA और NRC पर भी जनता को किया गुमराह
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल टाउन हॉल कार्यक्रम में ABP न्यूज़ से खास बातचीत की और लोगों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने सीएए और एनआरसी को अजीब और गैर-जरूरी कानून बताते हुए कहा कि यह लोगों को सिर्फ परेशान करने के लिए है। केजरीवाल ने सीएए और एनआरसी को लेकर कई झूठ बोला।
पहला झूठ : तीन देशों से जो आएंगे उन्हें नागरिकता दी जाएगी
केजरीवाल ने कहा कि ये कानून कहता है कि तीन देशों से जो आएंगे उन्हें नागरिकता दी जाएगी। जबकि सीएए या नागरिकता संशोधन कानून में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आ चुके हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों पर लागू होगा।
दूसरा झूठ : सब लोगों को नागरिकता साबित करना होगा
केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा, “एनआरसी कहता है कि सब लोगों को नागरिकता साबित करना होगा। आप क्रोनोलॉजी समझने की कोशिश कीजिए। सभी को कहा जाएगा कि नागरिकता साबित करें। आप कहेंगे कि आधार-पैन है तो वह कहेंगे यह काफी नहीं है, इसको नहीं मानते हैं।” जबकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह इस मामले में स्पष्ट कर चुके हैं कि एनआरसी को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी तक कोई नियम और प्रक्रियाएं तय नहीं की गई हैं।
तीसरा झूठ : हिन्दू-मुसलमानों से देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा
केजरीवाल ने आगे कहा, ”आपको कहा जाएगा कि सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र दिखाएं। आपको कहा जाएगा कि आप अपना और अपने माता-पिता का दस्तावेज दिखाएं। अगर आपने दिखा दिया तो आपको नागरिकता मिल जाएगी, चाहे आप हिंदू हों या मुसलमान हों। अगर आप अपना और माता पिता का दस्तावेज नहीं दिखा पाए तो अगर आप मुसलमान हैं तो आपको भारत छोड़ना होगा और अगर हिंदूं हैं तो आपसे पूछा जाएगा कि आप पाकिस्तान से आएं हैं तो आप अगर हां कहते हैं तो आपको नागरिकता मिल जाएगी। अगर आप कहेंगे कि हम पाकिस्तान से नहीं आए हैं तो आपको भी नागरिकता नहीं मिलेगी। आपको देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा। यह गलतफहमी है कि सिर्फ मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा। इसमें जिन हिंदूओं के पास कागज नहीं हैं उन्हें भी देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा।” इस मामले में भी मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीएए किसी की नागरिकता छीनता नहीं बल्कि नागरिकता देता है। इसका भारतीय नागरिकों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय नागरिकों को संविधान में जो मूल अधिकार मिले हैं, उस पर कोई खतरा नहीं है।
चौथा झूठ : सीएए को एनआरसी के लिए ही लाया गया है
अरविंद केजरीवाल ने कहा, “सीएए को एनआरसी के लिए ही लाया गया है। देश को इस तरह के कानून की जरूरत नहीं है। महंगाई बढ़ी हुई है। अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब है। बेरोजगारी काफी बढ़ी हुई है। प्रधानमंत्री से थोड़ा रह गया, वह कह देते कि एनआरसी नहीं आएगा।” इस मामले में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कई मंचों पर स्पष्ट तौर पर बता चुके हैं कि सीएए और एनआरसी दोनों अलग-अलग है। सीएए का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।
पांचवां झूठ : सीएए की ज़रूरत नहीं, विदेश से करीब 2 करोड़ लोग आ सकते हैं
केजरीवाल ने कहा, ”सीएए और एनआरसी की ज़रूरत नहीं, क्योंकि पहले से ही हमारे देश में करोड़ों बेरोजगार है। विदेश से करीब 2 करोड़ लोग आ सकते हैं। उन्हें कहां से सरकार नौकरी देगी। कहां से उन्हें सुविधाएं दी जाएगी।” इस मामले में केजरीवाल ने पूरी तरह झूठ बोला है। जब सीएए के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक आ चुके लोगों को नागरिकता मिलेगी, इसमें आने वाले नए लोगों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, तो विदेशों से आने वाले 2 करोड़ लोगों को कैसे नागरिकता मिल सकती है।
छठा झूठ : पाकिस्तान से हिन्दू बताकर जासूस भेजा जाएगा
केजरीवाल ने कहा कि अगर पाकिस्तान से हिन्दू बताकर जासूस भेज दिया गया तो आप क्या करेंगे ? केजरीवाल के इस सवाल से स्पष्ट होता है कि उन्हें पाकिस्तान में उत्पीड़न से परेशान भारत आए लोगों की पीड़ा की परवाह नहीं है। उन्हें तो बस अपने वोट बैंक की चिंता है। केजरीवाल पीड़ित हिन्दुओं को जासूस बताकर उनकी संवेदना से खेलने से बाज नहीं आए।