रूस के साथ युद्ध के कारण यूक्रेन इस समय गंभीर आर्थिक संकट और भयानक महंगाई का सामना कर रहा है। लोगों को रोज इस्तेमाल होने वाली जरूरत की चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में यूक्रेन के राष्ट्रपति राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर संकटमोचक के रूप में नजर आ रहे हैं। जेलेंस्की और यूक्रेन की जनता, दोनों मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर देख रहे हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अब पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी से मदद की गुहार लगाई है।
I was glad to pass @M_Lekhi a letter from #Ukraine‘s President @ZelenskyyUa to 🇮🇳 Prime Minister@narendramodi. As our countries 🇮🇳&🇺🇦 have mutual interests & visions, intensified dialogue on the highest level will be fruitful for our people and security in the world. pic.twitter.com/U6NQe7K5KI
— Emine Dzheppar (@EmineDzheppar) April 11, 2023
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री मोदी से मदद मांगते हुए भारत से मानवीय सहायता भेजने को कहा है। इस बारे में विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है। भारत के दौरे पर आईं यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन जापरोवा ने 11 अप्रैल को राज्य विदेश मंत्री मीनाक्षी लेखी को यह पत्र सौंपा है।
India statement on Ukraine Deputy foreign minister visit:
-Ukraine will allow foreign medical students to take Unified State Qualification Exam in their country of domicile
-Ukraine proposed rebuilding infrastructure in the country could be an opportunity for Indian companies pic.twitter.com/MNKx1yt1gj— Sidhant Sibal (@sidhant) April 12, 2023
यूक्रेन ने भारत से दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के साथ अतिरिक्त मानवीय मदद का अनुरोध किया है। एमिन जापरोवा ने यह भी प्रस्ताव दिया कि यूक्रेन में बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण भारतीय कंपनियों के लिए एक अवसर हो सकता है। इसके साथ ही यूक्रेन ने कहा है कि वह भारत के उन मेडिकल छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति देगा जिन्हें युद्ध शुरू होने के बाद भारत आना पड़ा था। मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता बढ़ाने का आश्वासन दिया है। रूस- यूक्रेन संकट में भारत का शुरू से कहना है कि यह युद्ध का समय नहीं है और इसे कूटनीति तथा बातचीत से ही हल किया जाना चाहिए।
Not a time for War- PM @narendramodi
Pleased to meet Ukrainian First Dy FM @EmineDzheppar. Exchanged views on bilateral & global issues of mutual interest. Cultural ties & women empowerment also figured in the discussion. Ukraine was assured of enhanced humanitarian assistance. pic.twitter.com/YmzQ6o7LbG
— Meenakashi Lekhi (@M_Lekhi) April 11, 2023
उप विदेश मंत्री जापरोवा ने एक दिन पहले ही कहा था कि कीव चाहता है कि भारत रूस के साथ चल युद्ध को सुलझाने में मदद करे। उन्होंने कहा कि हम भारत को विश्व-गुरु के तौर पर देखते हैं। कुछ देश होते हैं जो दोस्ती और शांति के बदले जंग में भरोसा करते हैं, लेकिन भारत विश्व-गुरु के तौर पर अहम रोल अदा कर सकता है। हम जंग खत्म कराने की कोशिशों का स्वागत करते हैं।
“I am here with one very important message that #Ukraine really wants #India & Ukraine to come closer.. It’s time to, in a good sense, restart 🇮🇳🇺🇦relationship,” said @EmineDzheppar, First Deputy Foreign Minister of Ukraine at the talk on “#Russia‘s War In Ukraine: Why The #World… pic.twitter.com/KD3Daf3nYj
— ICWA (@ICWA_NewDelhi) April 11, 2023
अगर मेरे राष्ट्रपति की बात प्रधानमंत्री मोदी से होती है तो वे उनको यूक्रेने आने का न्योता जरूर देंगे। मुझे लगता है कि एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में भारत वास्तव में दुनिया का विश्वगुरु है और मूल्यों और न्याय के लिए लड़ते हुए हमने यूक्रेन में यही महसूस किया है: यूक्रेन की उप-विदेश… pic.twitter.com/RsEMK8kaGE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 10, 2023
जेलेंस्की को उम्मीद- प्रधानमंत्री मोदी खत्म करा सकते हैं जंग
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी रूस के साथ जंग को खत्म करा सकते हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ताजा पत्र से पहसे प्रधानमंत्री मोदी से चार बार फोन पर भी बात कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ अच्छी दोस्ती है और राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते हैं कि प्रधानमंत्री युद्ध समाप्त कराने में अहम भूमिका निभाएं। राष्ट्रपति जेलेंस्की को यकीन है कि भारत के रूस से काफी करीबी रिश्ते हैं और सिर्फ वही इस युद्ध को रोक सकता है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने एक टीवी संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोन पर हुई बात का जिक्र करते हुए कहा कि भारत आक्रामकता को खत्म करने में और ज्यादा सक्रिय हो सकता है।
In a televised address, Ukraine Prez Zelenskyy says, ‘India can be more active in efforts to end aggression’ as he mentions about his telephonic conversation with PM Modi on Monday. pic.twitter.com/Egx4LelWXQ
— Sidhant Sibal (@sidhant) December 27, 2022
संकट शुरू होने के बाद से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी कई बार प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपनी बातचीत में हर बार रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति को आगे बढ़ाने के अपने आह्वान को दोहराया है। 16 सितंबर,2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO समिट से अलग हुई मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है।
रूस-यूक्रेन संकट का हल भारत की पहल से निकलने की उम्मीद जताई जा रही है। इसका संकेत पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान से भी मिला जिसमें उन्होंने कहा है कि रूस, यूक्रेन के साथ युद्ध को खत्म करना चाहता है। इसके पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी से मुलकात के बाद कहा था कि भारत एक महत्वपूर्ण देश है। वो रूस-यूक्रेन विवाद में मध्यस्थता कर सकता है। अगर भारत ऐसी भूमिका निभा सकता है जिसमें वो तार्किक रहते हुए अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुलझाने के सुझाव दे सके तो हमें भारत की यह भूमिका मंजूर होगी।
संकट में भारत बन सकता है शांति दूत
रूस-यूक्रेन संकट के बीच राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ ही दुनिया के तमाम बड़े नेताओं की नजर प्रधानमंत्री मोदी पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस को भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी इस संकट का कोई समाधान निकाल लेंगे। युद्ध शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने कई यूरोपीय नेताओं से भी बात की है। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों, पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा, स्लोवाक गणराज्य के प्रधानमंत्री एडुअर्ड हेगर, रोमानिया के प्रधानमंत्री निकोलाई जोनेल च्युका और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ अन्य राष्ट्र प्रमुखों से बातचीत की है। दुनिया भर के तमाम बड़े नेताओं का मानना है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी बात बढ़ाते हैं तो कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा।
संकटमोचक भारत युद्ध की शुरुआत में भी भेज चुका है मदद
ऐसे में राष्ट्रपति जेलेंस्की की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को अतिरिक्त मानवीय सहायता का अनुरोध करते हुए लिखा गया पत्र विश्व में भारत के संकटमोचक छवि को और मजबूती देता है। भारत यूक्रेन को पहले भी मानवीय मदद भेज चुका है। युद्ध की शुरुआत में जब लोगों के पास खाने पीने का सामान खत्म हो गए थे। तब जंग से बिगड़ते हालातों को देखते हुए भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी थी। जिसमें टेंट, कंबल, सर्जिकल दस्ताने, सुरक्षात्मक आई गियर, पानी के भंडारण टैंक, स्लीपिंग मैट, तिरपाल और दवाएं शामिल थीं। 02 मार्च, 2022 की सुबह भारतीय वायु सेना के दो C-17 विमान राहत सामग्री के साथ रोमानिया और हंगरी पहुंचे थे। गौरतलब है कि इससे पहले भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने भारत से राहत सामग्री भेजने की अपील की थी।
दुनिया के लिए संकटमोचक बने पीएम मोदी
दुनिया के किसी भी देश में कोई संकट हो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत वहां मदद के लिए पहुंच जाता है। पिछले साल 2022 के मध्यम में श्रीलंका गंभीर आर्थिक और राजीतिक संकट में फंसा हुआ था। देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति थी। ईंधन, दवाओं और खाद्य पदार्थों की कमी थी। कर्ज और भ्रष्टाचार चरम पर था। ऐसे हालात में प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दिल दिखाते हुए अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की पूरी मदद की। इसी तरह अफगानिस्तान में 22 जून, 2022 को आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई। चारों तरफ बर्बादी और तबाही का मंजर दिखाई दे रहे थे। ऐसी मुश्किल घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक रूप में सामने आए थे।
आइए एक नजर डालते हैं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने किस तरह दूसरे देशों की मदद की…
पीएम मोदी ने पूरा किया वादा, अफगानिस्तान भेजा गया 50000 टन गेहूं
भारत ने खाद्य संकट का सामना कर रहे अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं देने का वादा किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के सिख-हिंदू प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान भी कहा था कि वे भविष्य में भी अफगानी लोगों की कठिनाइयों और मुद्दों को हल करने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे। 21 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने अपना वादा पूरा कर दिया। 2500 टन गेहूं की पहली खेप अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए अफगानिस्तान रवाना की गई। अमृतसर में आयोजित एक समारोह में भारत के विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला, अफगान राजदूत फरीद ममुंडजे और भारत के विश्व खाद्य कार्यक्रम के निदेशक बिशॉ परजुली मौजूद थे। कागजी काम पूरा होने के बाद 2500 टन गेहूं से लदे 50 ट्रकों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान अफगानी राजदूत ने गंभीर खाद्य समस्या का सामना कर रहे अफगानों की मदद के लिए भारतीय सरकार का आभार वयक्त किया। उन्होंने बताया कि एक महीने के दौरान करीब 50 हजार टन गेहूं अफगानिस्तान पहुंचाया जाएगा।
सुनामी से प्रभावित टोंगा को 2 लाख डॉलर की सहायता
भारत ने सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित टोंगा को तत्काल राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 2 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता दी। विदेश मंत्रालय ने टोंगा में सुनामी के कारण हुए नुकसान और विनाश के लिए सरकार और लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। संकट की घड़ी में वहां के लोगों के साथ खड़ा हो कर मोदी सरकार ने फिर अपनी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। 2018 में चक्रवात गीता से हुई तबाही के समय भी भारत टोंगा के साथ मजबूती से खड़ा था। गौरतलब है कि 15 जनवरी, 2022 को टोंगा साम्राज्य ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी की चपेट में आ गया था। इससे देश की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को भी नुकसान पहुंचा था।
अफगानिस्तान संकट: तालिबान के कारण देश छोड़ने वालों को मिली मदद
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे बाद वहां भारी अफरातफरी का माहौल बन गया था। हवाई अड्डे पर लोगों की भारी भीड़ के कारण लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। ऐसे में मोदी सरकार संकटमोचक बनकर अफगानिस्तान में फंसे अपने देश के नागरिकों को वहां से सुरक्षिक निकाल आई। वीजा नीति में बदलाव किया गया। e-Emergency X-Misc Visa कैटेगरी की शुरुआत की गई। इससे तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए वहां से तुरंत निकलने की कोशिश में लगे लोगों को काफी मदद मिली।
चीन के कर्ज के जाल से मालदीव को निकाला
भारत ने संकट की घड़ी में मालदीव की मदद की। चीन ने पहले तो मालदीव को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिस कर्ज की वापसी के लिए नोटिस थमा दिया। ऐसे में भारत ने मालदीव को आर्थिक संकट से उबरने के लिए 25 करोड़ डॉलर (1840 करोड़ रपये) की आर्थिक सहायता दी। इस आर्थिक मदद पर वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालिह ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। राष्ट्रपति सालिह ने ट्वीट कर कहा कि जब भी मालदीव को किसी मित्र की जरूरत पड़ी, भारत हमेशा इस अवसर पर आगे आया है। वित्तीय सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरकार और जनता को मेरी ओर से दिल से धन्यवाद।
तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई।
इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
अक्तूबर 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया था। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजे थें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई थी। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई थी।
भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।
मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।
नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।
अफगानिस्तान में भूकंप में राहत
अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।
बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी राहत
सितंबर 2017 में भारत ने बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। बांग्लादेश के मदद मांगने पर बिना देर किए भारत ने चावल, गेहूं, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, नूड्ल्स, बिस्किट, मच्छरदानी वगैरह की पहली खेप के साथ वायु सेना का विमान भेज दिया। विदेश मंत्रालय की निगरानी में ‘ऑपरेशन इंसानियत’ नाम से वहां राहत कार्यक्रम चलाया गया।
श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना था श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-
6 पड़ोसियों सहित 100 से अधिक देशों को वैक्सीन सप्लाई
कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक बन कर सामने आए हैं। भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत 20 जनवरी, 2021 से कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति शुरू क थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 1.5 लाख डोज वाली पहली खेप भूटान के लिए रवाना हुई। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भूटान की राजधानी थिम्पू के लिए वैक्सीन की पहली खेप रवाना हुई। इसके बाद 100 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की 6 करोड़ से अधिक की डोज भेजी गई।
पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की
अफ्रीकी देशों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के सामने आने के बाद कई देशों में यहां आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी। ऐसे में भारत ने आगे आकर अफ्रीकी देशों की मदद की। इसी को लेकर अफ्रीकी मूल के पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। इससे पहले केविन पीटरसन ने फरवरी, 2021 में अफ्रीका को वैक्सीन भेजने पर भारत की तारीफ करते हुए लिखा था कि भारत की उदारता और दयालुता लगातार बढ़ती जा रही है। प्यारा देश। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत अफ्रीकी देशों में मेड इन इंडिया वैक्सीन, जरूरी दवाइयां, टेस्ट किट, पीपीई किट्स और वेंटिलेटर सहित दूसरे मेडिकल सामान सप्लाई करने को तैयार है। भारत ने अभी तक अफ्रीका में 41 देशों को 2.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की सप्लाई की है। जिसमें करीब 16 देशों को 1 करोड़ डोज मदद के रूप में और 33 देशों को कोवैक्स के जरिए 1.6 करोड़ डोज शामिल है।
वैक्सीन भेजने पर बारबाडोस की पीएम ने की पीएम मोदी की तारीफ
बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने कोरोना वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। मिया मोटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मैत्री के तहत कोविशिल्ड का पहला डोज भेजकर उदारता का वास्तविक प्रदर्शन किया है। आपके कारण बारबाडोस में 40 हजार और अन्य जगहों पर हजारों लोगों का टीकाकरण संभव हो पाया है। धन्यवाद के साथ हम आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा- आपकी वजह से 60 देशों में टीकाकरण
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भारत की भूमिका को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन इक्विटी को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि COVAX के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और कोरोना वैक्सीन की खुराक को साझा करने से 60 से अधिक देशों को अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य प्राथमिकता समूह का टीकाकरण शुरू करने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि बाकी देश भी आपके इस उदाहरण को फॉलो करेंगे।
यूएन ने भारत को बताया ग्लोबल लीडर
कोरोना संकट काल में दुनिया भर को वैक्सीन उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभाने पर संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत की जमकर तारीफ की। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोरोना संकटकाल में भारत एक ग्लोबल लीडर के तौर पर सामने आया है। भारतीय नेतृत्व के मानवीय दृष्टिकोण और वैक्सीन की सहायता पर आभार जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा कि कोरोना की जंग में भारत ने ग्लोबल लीडर की भूमिका निभाई है।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने की प्रभु हनुमान से की पीएम मोदी की तुलना
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर एम बोल्सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने लिखा कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। निर्यात पर ढील देने के बाद अमेरिका को अब यह दवा मिल सकेगी।
नेपाल ने दवाएं भेजने के लिए कहा शुक्रिया
भारत ने कोरोना से मुकाबले के लिए अप्रैल में नेपाल को मदद के तौर पर 23 टन आवश्यक दवाएं दी। दवा की यह खेप भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्र ने नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री भानुभक्त धाकल को सौंपी। इसमें कोरोना के खिलाफ अहम मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के अलावा पैरासिटामॉल व अन्य दवाएं शामिल हैं। संकट के समय भारत सरकार की इस मदद पर नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच इस महीने टेलीफोन पर बात हुई थी। इससे पहले कोरोना के खिलाफ मिलकर प्रयास करने की पीएम मोदी की अपील पर 15 मार्च को सार्क देशों की बैठक में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी।
मॉरीशस के पीएम ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार
कोरोना संकट के बीच भारत से मिली मदद के लिए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि मैं एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से कल बुधवार15 अप्रैल को मॉरिशस पहुंची भारत सरकार की चिकित्सा मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत आभारी हूं। यह भारत और मॉरिशस के बीच के धनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।