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बिहार में धोखा खाए शिक्षक अभ्यर्थियों का दर्द- नीतीश सरकार का ऐसा रवैया कि जीना मुश्किल, ना घर में नौकरी, ना बाहर चैन की रोटी, जाएं तो जाएं कहाँ?

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बिहार में तेजस्वी-नीतीश की सरकार ने नियोजित शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ क्रूर मजाक किया है। पिछले एक साल से नई शिक्षक नियमावली और सातवें चरण की नियुक्ति को लेकर युवाओं को बार-बार अश्वासन देकर गुमराह किया जाता रहा। शिक्षक अभ्यर्थी आश लगाए बैठे थे कि नई नियमावली आने के बाद उन्हें नियुक्ति पत्र मिलेगा, लेकिन सरकार ने उन्हें परीक्षा पत्र थमा दिया। इससे शिक्षक अभ्यर्थी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अब बिहार शिक्षक भर्ती नियमावली, 2023 का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। बिहार सरकार की वादाखिलाफी से आहत शिक्षक अभ्यर्थी अपना दर्द खुलकर बयां कर रहे हैं। वे सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं कि सरकार उन्हें नौकरी नहीं देना चाहती है। परीक्षा के चक्रव्यूह में फंसाकर उनका जीवन बर्बाद कर देना चाहती है।

बिहार मंत्रिमंडल की सोमवार (10 अप्रैल, 2023) को हुई बैठक में राज्य विद्यालय अध्यापक ( नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्यवाही और सेवा शर्त) नियमावली 2023 को स्वीकृति दी गई। इस नियमावली की खास बात यह है कि अब बिहार सरकार बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से सीधे शिक्षकों की नियुक्ति करेगी। शिक्षक अब राज्यकर्मी होंगे। लेकिन इस नियमावली में प्रावधान किया गया है कि राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए नियोजित शिक्षकों और CTET, BTET, STET पास शिक्षक अभ्यर्थियों को फिर एक परीक्षा पास करनी होगी। इससे शिक्षक अभ्यर्थियों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपना दुखड़ा सुनाने पहुंचे अभ्यर्थियों के आंसू थम नहीं रहे हैं। रोते हुए कह रहे हैं कि नीतीश सरकार का ऐसा रवैया कि अब जीना मुश्किल लग रहा है। हम डिप्रेशन में जी रहे हैं। ना घर में नौकरी, ना बाहर चैन की रोटी, जाएं तो जाएं कहाँ? 

बिहार में नई शिक्षक नियमावली का विरोध तीव्र हो गया है। पूरे बिहार में विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि नीतीश सरकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। परीक्षा लेनी ही थी तो पहले ही ले लेते। शिक्षक अभ्यर्थियों को झूठा आश्वासन देने की क्या जरूरत थी। उन्हें अंधकार में रखकर सरकार ने उनका बहुमूल्य समय बर्बाद कर दिया। बिहार की शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने की साजिश हो रही है। सारण के परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह ने नीतीश सरकार को चेतावनी दी कि अगर नियमावली में संशोधन या उसे वापस नहीं लिया गया तो पूरे राज्य में आंदोलन शुरू होगा।

लाखों बेसहारा और गरीब अभ्यर्थियों की उम्मीद थी कि चार साल के बाद आई नियमावली मे सब अच्छा होगा। लेकिन नीतीश सरकार ने एक झटके में उनके सपनों को तोड़ दिया है। 20 लाख नौकरी देने का वादा करने वाले नीतीश कुमार ने नियोजित शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ धोखा किया है। सरकार के झटके से उनमें काफी आक्रोश देखा जा रहा है। सूरज की तपिश बढ़ने के बावजूद नियोजित शिक्षक खुले आसमान के नीचे एकजुट होकर नई नियमावली का विरोध कर रहे हैं। अपनी बात सरकार तक पहुंचाने और अपना विरोध जताने के लिए पुतला दहन कर रहे हैं।

नियोजित शिक्षकों का आरोप है कि सरकार नई नियमावली के तहत परीक्षा में उनकी नौकरी खत्म करना चाहती है। जो नियोजित शिक्षक पिछले 20 सालों से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें अब परीक्षा देनी होगी। एक शिक्षिका ने सवाल उठाया कि 20 साल के बाद वो परीक्षा क्यों दें ? उन्हें तो स्थाई किया जाना चाहिए था। उनके अनुभव के आधार पर राज्यकर्मी का दर्जा ऐसे ही मिल जाना चाहिए था। इतना अनुनय-विनय करने का सवाल ही नहीं है। नियोजित शिक्षकों ने नीतीश सरकार पर छल करने का आरोप लगाया है। एक महिला नियोजित शिक्षक ने कहा, ” हम लोगों को इस नियमावली में बांध कर नहीं, और इस परीक्षा में बैठकर नहीं, हम लोग राज्यकर्मी का दर्जा पाने का वाजिब हकदार है। हम लोगों को हमारा हक मिलना चाहिए।”

शिक्षक अभ्यर्थी सवाल उठा रहे हैं कि महागठबंधन सरकार बने आठ महीने हो चुके हैं, तब से शिक्षक अभ्यर्थियों को यह कहा जाता रहा कि आपको कोई अतिरिक्त परीक्षा नहीं देनी होगी। अगर परीक्षा ही लेना था, तो अभ्यर्थियों को आठ महीने से भ्रम में क्यों रखा गया? अब शिक्षक अभ्यर्थी बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चेंद्रशेखर यादव को उनके पुराने ट्वीट की याद दिला रहे हैं। जिसमें उन्होंने लिखा था कि जल्द सातवां चरण की नियुक्ति होने जा रही है। वर्ष 2023 नियुक्ति का वर्ष होने वाला है। कोई अभ्यर्थी घबराएं नहीं, महीना भर के अंदर नियोजन नियमावली आपके बीच आ जाएगा। सारी मेधा सूची योग्यता और शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर बनेगी और जिला प्रशान के नेतृत्व में बहाली होगी। पहले 9000 इकाई थी, अब ये 38 ईकाई में नियुक्ति पत्र का बंटवारा होगा। किसी गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।

पूरे बिहार में नई बिहार शिक्षक भर्ती नियमावली, 2023 के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। नियोजित शिक्षक और अभ्यर्थी सड़क पर है। लेकिन नीतीश कुमार सियासी जोड़-तोड़ में व्यस्त है। उन्हें बिहार के युवाओं का भविष्य नहीं प्रधानमंत्री की कुर्सी दिखाई दे रही है। बिहार की जनता के विश्वास को ठोकर मारकर नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन कर लिया। आज नीतीश कुमार दिल्ली दौरे पर हैं। मंगलवार को दिल्ली पहुंचने के बाद सबसे पहले उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। इसके बाद वह विपक्ष को एकजुट करने के लिए अन्य नेताओं से भी मिलेंगे। सोशल मीडिया में लोगों ने लिखा, “कभी सुना था! जब रोम जल रहा था, तब नीरो बांसुरी बजा रहा था। आज देख भी लिया! बिहार जल रहा है, लाखों युवा अभ्यर्थी सड़कों पर हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनने की जुगत में हैं।”

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