Home समाचार जानिए, 11 दिनों का वो अनुष्ठान, जिसका पालन करेंगे पीएम मोदी

जानिए, 11 दिनों का वो अनुष्ठान, जिसका पालन करेंगे पीएम मोदी

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अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर पूरी दुनिया के हिन्दुओं में उत्साह है। पूरा देश राममय हो चुका है। हर कोई 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। इसके लिए उन्होंने शुक्रवार (12 जनवरी, 2024) को नासिक धाम पंचवटी से 11 दिवसीय अनुष्ठान शुरू कर दिया। अब लोगों में जिज्ञासा बढ़ रही है कि प्रधानमंत्री मोदी इन 11 दिनों में कौन-कौन से कठोर व्रतों का पालन करेंगे। हालांकि इसके बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन साधु, संतों और शास्त्र के जानकारों के हवाले से बताया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी कई व्रतों का पालन कर सकते हैं।

अनुष्ठान के प्रमुख आचार्य काशी के विद्धान पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने शास्त्र और धर्मसम्मत जानकारी प्रदान की है। उन्होंने यजमानों के लिए यम-नियम की आचार संहिता जारी की है। इसके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी 11 दिनों तक एक समय सेंधा नमक युक्त सात्विक आहार ग्रहण करेंगे। दिन में फलाहार कर सकते हैं। अनुष्ठान पूर्ण होने तक चारपाई पर सोना या बैठना वर्जित है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी लकड़ी के तख्त का प्रयोग कर सकते हैं। आसन के रूप में कंबल होगा। बिस्तर पर सोना या बैठना, नियमित दाढ़ी बनाना व नाखून काटना वर्जित होगा। यथासंभव मितभाषी होने का अभ्यास कर सकते हैं। 

पं. गणवेश्वर शास्त्री द्रविड ने शास्त्र का हवाला देकर बताया कि अनुष्ठान के तहत नित्य सुबह स्नान करना होगा। बाहरी भोजन का त्याग करना होगा। क्रोध, लोभ, मद, मोह, अहंकार से मुक्त रहकर ध्यान-साधना के माध्यम से मन को एकाग्र रखना होगा। सत्यव्रत का पालन करना होगा। यथासंभव सिले हुए वस्त्र से दूर रहना होगा। रेशमी, ऊनी वस्त्र, कंबल, शाल, स्वेटर आदि धारण कर सकते हैं। सद्विचार, सत्चिंतन से युक्त रहना होगा। अनुष्ठान अवधि में हल्दी, तेल, राई, सरसों, लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, अंडा, तेल से बने भोज्य पदार्थ, गुड़, भुजिया चावल, चना आदि नहीं खाना है। दवा के लिए मनाही नहीं है, तांबुल भी ले सकते हैं। खाने-पीने के सभी पदार्थों को भगवान को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने अनुष्ठान शुरू करने से पहले एक ऑडियो मैसेज जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि वह 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें ईश्वर के यज्ञ के लिए,आराधना के लिए स्वयं में भी दैवीय चेतना जागृत करनी होती है। इसके लिए शास्त्रों में व्रत और कठोर नियम बताए गए हैं। जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा से पहले पालन करना होता है। इसलिए आध्यात्मिक यात्रा की कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे जो मार्गदर्शन मिला है उन्होंने जो यम नियम सुझाए है, उसके अनुसार। मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “शरीर के रूप में, तो मैं उस पवित्र पल का साक्षी बनूंगा ही, लेकिन मेरे मन में, मेरे हृदय के हर स्पंदन में, 140 करोड़ भारतीय मेरे साथ होंगे। आप मेरे साथ होंगे…हर रामभक्त मेरे साथ होगा। और वो चैतन्य पल, हम सबकी सांझी अनुभूति होगी। मैं अपने साथ राम मंदिर के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले अनगिनत व्यक्तित्वों की प्रेरणा लेकर जाउंगा। त्याग-तपस्या की वो मूर्तियां.. 500 साल का धैर्य… दीर्घ धैर्य का वो काल…अनगिनत त्याग और तपस्या की घटनाएं…दानियों की…बलिदानियों की गाथाएं…कितने ही लोग हैं जिनके नाम तक कोई नहीं जानता,लेकिन जिनके जीवन का एकमात्र ध्येय रहा है, भव्य राम मंदिर का निर्माण। ऐसे असंख्य लोगों की स्मृतियां मेरे साथ होंगी। जब 140 करोड़ देशवासी, उस पल में मन से मेरे साथ जुड़ जाएंगे।” 

गौरतलब है कि गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला है। उनके मुताबिक 22 जनवरी दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक शुभ मुहूर्त है। 84 सेकंड का समय ही बहुत खास है। गणेश्वर शास्त्री ने ही रामलला भूमि पूजन के समय शुभ मुहूर्त निकाला था। आचार्य गणेश्वर शास्त्री मूल रूप से दक्षिण भारत से काशी आए थे। उन्हें जगद्गुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

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