पश्चिमी मीडिया भारत की छवि खराब करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता है, फिर चाहे वह कोविड काल हो, किसान आंदोलन हो, चीन के साथ सीमा विवाद हो या फिर भारत में होने वाले कोई दंगे हों। अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स (NYT) भारत की छवि करने वाले मीडिया संगठनों में सबसे आगे है। इसका सबसे बड़ा सबूत 1 जुलाई 2021 को तब देखने को मिला जब NYT ने जॉब रिक्रूटमेंट पोस्ट निकाली। दिल्ली में साउथ एशिया बिजनेस संवाददाता के लिए नौकरी निकाली गई थी। इसमें नौकरी के लिए शर्तें बेहद आपत्तिजनक थी। पत्रकारों के लिए आवेदन में ‘एंटी इंडिया’ सोच होना, ‘हिंदू विरोधी’ सोच होना और ‘एंटी मोदी’ होना भी जरूरी था। अब इससे साफ हो जाता है कि NYT का भारत के प्रति नजरिया क्या है और किस एजेंडे को वह आगे बढ़ा रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स का भारत विरोध कोई नई बात नहीं है। वह पहले भी अपने लेख में कह चुका है कि पीएम नरेंद्र मोदी से भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को खतरा है। न्यूयॉर्क टाइम्स NRC के विरोध में रिपोर्ट छापता है, न्यूयॉर्क टाइम्स लेख लिखकर कहता है कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने के करीब पहुंच रहा है? अनुच्छेद 370 की समाप्ति को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स में रिपोर्ट छपती है कि कश्मीर में हजारों मुस्लिम हिरासत में हैं। ये वही न्यूयॉर्क टाइम्स है, जो भारत के मिशन मंगलयान का पहले मजाक उड़ाता है और फिर मिशन सफल होने पर माफी मांग चुका है। सोचिए ऐसा क्यों था कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले को न्यूयॉर्क टाइम्स ने आतंकवादी हमले की बजाए सिर्फ विस्फोट बताया था? न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया कि पुलवामा में आतंकवादी हमला नहीं, ब्लास्ट हुआ। न्यूयार्क टाइम्स के इस प्रोपेगेंडा के पीछे जहां एक अमेरिका के हित हैं वहीं दूसरी तरफ चीन के भी हित हैं। पिछले 4 सालों में न्यूयॉर्क टाइम्स को चीन की ओर से 50 हजार डॉलर से ज्यादा के विज्ञापन मिले हैं।
इसी कड़ी में टि्वटर यूजर Smita Barooah ने कहा है कि कुछ समय से NYT की भारत को लेकर की जा रही रिपोर्टिंग पर नजर रख रही हूं। इसे देखकर लगता है कि उनकी रिपोर्टिंग किसी एक पक्ष की ओर झुकी हुई है। वे जो कर रहे हैं वह पत्रकारिता नहीं, प्रोपेगेंडा है। उन्होंने NYT की कुछ रिपोर्टों को लेकर ट्वीट की श्रृंखला पोस्ट की है। यहां पेश है उनके ट्वीट्स पर आधारित उनका विश्लेषण-
Let’s start with NYT reporting on Russia-Ukraine war. Cherry-picked data is used to claim that India is financing the conflict when in fact Europe is the major buyer of energy from Russia. WHY make pre-determined argument against India? #NYTPropaganda 2/10https://t.co/c9FqTGKnTV
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
आइए रूस-यूक्रेन युद्ध पर NYT रिपोर्टिंग के साथ शुरुआत करें। वे कुछ चुने हुए डेटा, जो उनके हित साधते हैं, उसका उपयोग कर यह दावा करते है कि भारत संघर्ष का वित्तपोषण कर रहा है, जबकि वास्तव में यूरोप रूस से ऊर्जा का प्रमुख खरीदार है। भारत के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित यह तर्क क्यों? यह NYT की खबर नहीं, एक प्रचार है।
The West has failed to control Russia through sanctions & is now hurting due to high energy prices. This article tries to portray India as a ‘lucky’ beneficiary/ co-conspirator. WHY shift blame without any reason? #NYTPropaganda 3/10https://t.co/rYdhTwMTkv
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
पश्चिम प्रतिबंधों के माध्यम से रूस को नियंत्रित करने में विफल रहा है और अब ऊर्जा की उच्च कीमतों के कारण आहत हो रहा है। यह लेख भारत को एक ‘भाग्यशाली’ लाभार्थी के साथ ही सह-साजिशकर्ता के रूप में चित्रित करने का प्रयास करता है। बिना किसी कारण के दोष मढ़ने का क्या कारण? जबकि दोष तो पश्चिम का है।
Recall NYT covid reporting?“This Is a Catastrophe" screamed a headline.The gory, insensitive piece gave exaggerated,unscientific account of deaths in India & ignored numbers in many Western nations that exceeded India.WHY the imbalance? #NYTPropaganda 4/10https://t.co/xxOFkjVWjs
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
कोविड रिपोर्टिंग को याद कीजिए? “यह एक तबाही है” इस तरह का शीर्षक दिया गया था। इस असंवेदनशील लेख ने भारत में मौतों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया और अवैज्ञानिक विवरण दिया। जबकि कई पश्चिमी देशों में भारत से अधिक लोगों की मौत हुई जिसकी अनदेखी की गई। यह असंतुलन क्यों?
Read "Expanding Influence Abroad, Straining Democracy at Home”. It's a collection of random, fact free assertions by the reporter.There are no quotes by real people, just opportunistic use of the phrase ‘experts say’.WHY make things up? #NYTPropaganda 5/10https://t.co/Fg41M2bXZk
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
अब “विदेशों में प्रभाव का विस्तार, घर पर लोकतंत्र का तनाव” लेख को पढ़ें। यह रिपोर्टर द्वारा इधर-उधर से जुटाए गए तथा बिना तथ्य के दावों का एक संग्रह है। इसमें किसी भी व्यक्ति से बात नहीं की गई है, केवल ‘विशेषज्ञों का कहना है’ वाक्यांश का अवसरवादी उपयोग किया गया है। इस तरह की कहानी क्यों बनाते हैं?
This is about a nationwide strike in India.Strike was a dud!Few stray organisations created some noise but life in all parts of India went on normally.NYT readers were made to believe tht India had ground to a halt.WHY peddle falsehood? #NYTPropaganda 6/10https://t.co/7Ay8UKShz0
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
यह खबर भारत में एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बारे में है। हड़ताल एक बकवास थी! कुछ कम ज्ञात संगठनों ने हंगामा मचाने की कोशिश की। लेकिन भारत के सभी हिस्सों में जीवन सामान्य रूप से चलता रहा। जबकि NYT के पाठकों को यह विश्वास दिलाया गया कि भारत में ठहराव आ गया है। इस तरह का झूठ क्यों फैलाना है?
Here NYT rails against the arrest of Teesta Setalvad. They paint her as a messiah of the victims, justify her anti-institution war & mention the actual charges against her- of falsifying evidence -in passing. WHY shill for an accused? #NYTPropaganda 7/10https://t.co/durcWinMGA
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
यहां NYT तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी के खिलाफ है। रिपोर्ट में उसे पीड़ितों का मसीहा के रूप में चित्रित किया जाता है, उसके संस्था विरोधी स्टैंड को सही ठहराया जाता है और उसके खिलाफ आरोपों का उल्लेख किया जाता है और सबूतों झूठा होने की बात कही जाती है। एक आरोपी के लिए शर्मिंदगी क्यों?
This article on the “blasphemy” protests focuses more on the fact that Nupur Sharma was a BJP spokesperson & less on what she said & why? WHY hide context & sequence of events and only present a one sided, dubious narrative? #NYTPropaganda 8/10https://t.co/r3sSNNLKXq
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
“ईशनिंदा” विरोध पर यह लेख इस तथ्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है कि नूपुर शर्मा भाजपा की प्रवक्ता थीं। इसके साथ ही यह बताया जाता है कि उन्होंने क्या कहा। लेकिन उन्होंने यह क्यों कहा इसका संदर्भ नहीं दिया जाता। घटनाओं के संदर्भ और क्रम को छिपा दिया गया और केवल एकतरफा, संदिग्ध कथा प्रस्तुत किया गया। क्यों?
Hate Speech in India seems to be of great interest to NYT but their report somehow leaves out the judicial processes put in place to curb such incidents. WHY such lack of objectivity? #NYTPropaganda 9/10https://t.co/EQLtLgWtTN
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
भारत में हेट स्पीच NYT को बहुत रुचिकर खबर लगती है लेकिन उनकी रिपोर्ट में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए लागू न्यायिक प्रक्रियाओं को छोड़ देती है। निष्पक्षता का इतना अभाव क्यों?
These are just some examples of how #NYTpropaganda against India runs. Be it coverage of domestic issues or geopolitics, there's a pattern of obfuscation,omission & misreporting. News from India is always negative for NYT & her growth story is tempered with ifs & buts. WHY? 10/10
— Smita Barooah (@smitabarooah) October 11, 2022
ये कुछ उदाहरण हैं कि कैसे NYT भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाता है। घरेलू मुद्दों या भू-राजनीति का कवरेज हो, इसमें अस्पष्टता, चूक और गलत रिपोर्टिंग का एक पैटर्न है। NYT में भारत से समाचार हमेशा नकारात्मक होते हैं और उसकी विकास कहानी अगर, मगर और किंतु-परंतु के साथ होती है।
It is known already after their posting for india went viral. https://t.co/6lAQOhDYPg
— Abhay (@AbhayTL) October 11, 2022
न्यूयॉर्क टाइम्स के भारत विरोधी एजेंडे में अमेरिका और चीन का हित
न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका का अखबार है तो उसमें अमेरिका का हित तो निहित ही है। अमेरिका की हाथियार बनाने की कंपनियों की बिक्री हाल-फिलहाल में काफी गिर गई है, इसीलिए अमेरिका कई देशों को युद्ध की आग में झोंकना चाहता है जिससे उसके हथियार बिक सके। जब अमेरिकी कंपनियां लाभ में होंगी तभी न्यूयार्क टाइम्स को भी विज्ञापन मिलेगा। यानी न्यूयॉर्क टाइम्स के भारत विरोधी एजेंडे में अमेरिका का हित सबसे पहले है। वहीं इसमें चीन का हित भी जुड़ा हुआ है। इसके लिए हमें भारत से चीन के तनावपूर्ण रिश्ते और चीन से न्यूयॉर्क टाइम्स के मधुर रिश्तों की तह में जाना होगा। दरअसल, गलवान विवाद के बाद भारत चीन के व्यापार में कमी आई है। भारत ने चीन के कई Apps पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे उन Apps कंपनियों को अरबों का नुकसान हुआ। 2020 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार में 5.64% की कमी आई। चीन की कई कंपनियों को भारत में टेंडर छिन गया। गलवान विवाद के बाद नुकसान चीन का हुआ, और दर्द शायद न्यूयॉर्क टाइम्स को हुआ। इस दर्द की पीछे की कहानी यह है कि पिछले 4 सालों में न्यूयॉर्क टाइम्स को चीन की ओर से 50 हजार डॉलर से ज्यादा के विज्ञापन मिले हैं।
NYT is open about their anti-India bias. https://t.co/nRpFMM82Kz
— Traveler ???????????? (@travelerax) October 11, 2022
एजेंडाधारी पत्रकारों को भारत विरोध का एक मौका चाहिए
कोरोना की दूसरी लहर का संकट देश के एजेंडा पत्रकारों और भारत विरोधी विदेशी मीडिया के लिए अवसर लेकर आया था। एजेंडा पत्रकारों का उद्देश है कि चाहे देश की दुनियाभर में बदनामी हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीचा दिखाने का यह अवसर हाथ से नहीं निकलना चाहिए। इसके लिए श्मशानों से लाइव रिपोर्टिंग के साथ जलती चिताओं की तस्वीरें छापकर यह बताने की कोशिश की गई कि हालात काफी खराब है और सरकार इसको नियंत्रित करने में नाकाम रही है। उधर देश के बाहर भी मोदी और भारत विरोधी काफी सक्रिय हैं। अमेरिकी मीडिया में भारत के श्मशान घाटों की फोटो पहले पन्ने पर छपी। हालात को ऐसे पेश किया गया मानो कोरोना से संक्रमित होने वाला हर मरीज मर रहा है। जबकि कोरोना से ठीक होकर घर जाने वालों के आंकड़े और सरकार के प्रयास को किसी ने कवर नहीं किया।