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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की मिलीभगत से 2161 करोड़ रुपये का शराब घोटाला, नेता और नौकरशाह सिंडिकेट में शामिल

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छत्तीसगढ़ में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने राज्य में शराबबंदी करने का वादा किया था और अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था। लेकिन सरकार बनने के साढ़े चार साल बाद भी शराबबंदी नहीं हुई। लोगों को झुनझना थमाते हुए कांग्रेस सरकार ने एक कमिटी बनाई जो लगातार जिन राज्यों में शराबबंदी हुई है, वहां जाकर उनकी नीति समझने में और पर्यटन में लगी रही। अब जब 2023 में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है तब कांग्रेस सरकार को लग रहा है शराबबंदी का बड़ा फैसला आसान नहीं है। दरअसल उसकी नीयत में ही खोट थी। अब विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ शराब घोटाला ने कांग्रेस की पोल खोलकर रख दी है। इस घोटाले को नेताओं, वरिष्ठ नौकरशाहों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में यह सामने आया है कि शराब घोटाला के जरिये सरकारी खजाने को 2,161 करोड़ रुपये चूना लगाया गया। घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने विशेष अदालत में 16 हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया। ईडी के अनुसार सभी आरोपी एक सिंडिकेट चला रहे थे। इनकी भ्रष्ट गतिविधियों से 2019-23 के बीच सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

भूपेश बघेल ने गंगाजल लेकर भ्रष्टाचार नहीं करने की शपथ ली थी
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में लगभग 2161 करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ, जो राज्य के खजाने में जाना चाहिए था, उसे एक सिंडिकेट बनाकर लूट लिया गया। इस लूट का एक बड़ा हिस्सा वहां के सत्तासीन राजनीतिक लोगों को जाता था। ये वही भूपेश बघेल जी हैं, जो गंगा जल लेकर भ्रष्टाचार नहीं करने की शपथ ली थी।


शराब घोटाले में पांच आरोपियों के खिलाफ 16 हजार पन्नों की चार्जशीट
छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ के शराब घोटाले केस में ईडी ने 4 जुलाई 2023 को रायपुर कोर्ट में चार्जशीट पेश किया। पांच आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में 16 हजार पन्नों की चार्जशीट पेश की गई। इन दस्तावेजों के जरिए बताया गया है कि मामले के आरोपियों ने सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। 16000 पन्नों की चार्जशीट में कारोबारियों और अधिकारियों के बीच हुए वॉट्सएप चैट से लेकर शराब घोटाले के सिंडिकेट के बीच कामकाज का ब्यौरा है।

रायपुर मेयर के भाई सहित पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट
ईडी ने छापेमारी कर आबकारी विभाग में हुए दो हजार करोड़ रुपए घोटाले को उजागर किया था। मामले में ईडी ने रायपुर नगर निगम के मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित, पप्पू ढिल्लन, अरविंद सिंह और अरुण पति त्रिपाठी को आरोपी बनाया है। ईडी का दावा है कि साल 2019 से 2022 के बीच प्रदेश में बड़ा शराब घोटाला किया गया है, जिसमें 2 हजार करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के अहम सबूत भी मिले हैं।

शराब नीति को इच्छानुसार बदला और जमकर लाभ कमाया
ईडी ने कहा कि उत्पाद शुल्क विभाग की जिम्मेदारियां शराब की आपूर्ति को विनियमित करना, जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए गुणवत्तापूर्ण शराब की आपूर्ति सुनिश्चित करना व राज्य के लिए राजस्व अर्जित करना है, लेकिन आईएएस अफसर अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट ने इन उद्देश्यों को उलट दिया। टुटेजा हाल में सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने शराब नीति को इच्छानुसार बदला और जमकर लाभ कमाया।

मोटा कमीशन देने वालों से खरीदी गई शराब
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपपत्र में दावा किया है कि साजिश के तहत सिर्फ मोटा कमीशन देने वाले निर्माताओं से शराब खरीदी गई। छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लि. (सीएसएमसीएल) के एमडी अरुणपति त्रिपाठी केवल पसंदीदा निर्माताओं से शराब खरीदते थे, जबकि कमीशन नहीं देने वालों को दरकिनार कर देते थे। अनवर ढेबर यह कमीशन इकट्ठा करता था और उसमें से बड़ा हिस्सा सत्ता में मौजूद राजनीतिक दल के साथ साझा करता था। सिंडिकेट ने सीएसएमसीएल संचालित दुकानों के माध्यम से बेहिसाब अवैध शराब के निर्माण और बिक्री की साजिश रची।

शराब से अवैध कमाई विपक्षी सरकारों का महत्वपूर्ण औजार
शराब के माध्यम से अवैध कमाई आजकल विपक्षी सरकारों का महत्वपूर्ण औजार बन गया है। दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इसी मामले में जेल में हैं और 4 बार उनकी जमानत खारिज हो चुकी है, जबकि दिल्ली के मुख्यमत्री अरविंद केजरीवाल नैतिकता और ईमानदारी का दावा ठोकते नहीं थकते हैं। दरअसल विपक्ष का हॉलमार्क ही बन गया है कि अवैध पैसों की वसूली अवैध तरीके से हो।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मास्टर माइंड अनवर ढेबर
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मास्टर माइंड अनवर ढेबर हैं, जो कांग्रेस नेता और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई हैं। मेयर एजाज ढेबर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी हैं। अनवर ढेबर द्वारा शराब घोटाले का अपना शेयर रखकर शेष राशि सिस्टम में बांट दिया जाता था। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड शराब के होलसेल डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर रिटेल बिक्री तक का प्रबंधन करता है।

प्रति केस लिया जाता था 75 रुपए से 150 रुपए कमीशन
रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा आउट सोर्स के माध्यम से 800 सरकारी शराब की दुकानों पर अपने लोगों को बैठा दिया गया। अनवर ढेबर का ग्रुप शराब बिक्री के कमीशन की एक निश्चित राशि पहले ही रख लेता था। प्रति केस 75 रुपए से 150 रुपए कमीशन देना होता था। शराब के क्वालिटी के अनुसार उसके कमीशन निर्धारित की गई।

शराब बिक्री का 15 प्रतिशत कमीशन लेता था अनवर ढेबर
जांच एजेंसी के अनुसार अनवर ढेबर शराब बिक्री का 15 प्रतिशत कमीशन अपने पास रख लेता था और बाकी बची हुई राशि राजनेता और सिस्टम के पास चली जाती थी। इसकी वजह से छत्तीसगढ को 2,161 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है।

देशी शराब जाली हॉलोग्राम से सरकारी दुकानों से बेची गई
इस घोटाले में सबसे आश्चर्य बात यह है कि डुप्लीकेट हॉलोग्राम अर्थात जाली हॉलोग्राम से देशी शराब सरकारी दुकानों से बेची गई। शराब बिक्री में किसी बॉटल पर होलोग्राम लगता है, तो सरकार उसे ऑथराइज्ड करती है। अनअथॉराइज्ड व्यक्ति द्वारा होलोग्राम को आथराज्ड नहीं किया जाता है। होलोग्राम उस बोतल की विश्वसनीयता को दर्शाता है।

शराब घोटाले से जुड़े लोगों की 119 संपत्तियां जब्त
जांच एजेंसी ने अनवर ढेबर और कारपोरेशन अधिकारी अरूण त्रिपाठी और अनिल तुतेजा की 119 संपत्तियां जब्त की हैं, जो 121.87 करोड़ रुपये की है। अनवर ढेबर के नाम से 53 एकड़ जमीन रायपुर, भिलाई और मुम्बई में है। कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी कुछ सरकारें एटीएम की तरह काम करती है, जिसमें छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार प्रथम स्थान पर है।

कांग्रेस के लिए एटीएम बन गया था राज्य का राजस्व
छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के वक्त कांग्रेस पार्टी ने ढाई-ढाई साल के लिए दो मुख्यमंत्री बनाने की बात की थी। दूसरे नेता को कांग्रेस ने क्यों मुख्यमंत्री नहीं बनाया, वो अब समझ में आ गया है। क्योंकि कांग्रेस के लिए एटीएम ज्यादा जरूरी था, जो एटीएम राज्य खजाने के राजस्व को चुराकर चलता था। छत्तीसगढ़ सरकार का शराब घोटाला कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार को उजागर करती है।

शराब सिंडिकेट ने लूट का बड़ा हिस्सा सत्तासीन लोगों को दिया
छत्तीसगढ़ में 800 सरकारी शराब की दुकानें हैं। वहां निजी दूकानों को शराब बेचने का लाईसेंस नहीं मिलता है। शराब सिंडिकेट चलाकर लूट का बड़ा हिस्सा सत्तासीन लोगों के पास जाता था। खास बात यह है कि शराब माफिया अनवर ढेबर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आशीर्वाद है। इतनी बड़ी लूट प्रदेश सरकार के आशीर्वाद के बिना हो नहीं सकता है।

कांग्रेस और AAP ने शराब को बनाया लूट का नया माध्यम
कांग्रेस पार्टी हो या आम आदमी पार्टी की सरकार शराब के माध्यम से गलत काम करना और रिवन्यू जेनरेट करना एक नया मॉडल बन गया है। शुचिता और नैतिकता की बात करने वाले एक उप मुख्यमंत्री जेल में हैं। चार बार से उन्हें बेल नहीं मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी और अन्य पार्टियों की नीतियों में अंतर समझना आवश्यक है। भारतीय जनता पार्टी का संकल्प है गरीब कल्याण।

बीजेपी ने लूटने वालों से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये बचाए
बीजेपी के नौ साल के शासनकाल में विभिन्न योजनाओं से जुड़ी लगभग 27.5 लाख करोड़ रुपये की राशि डायरेक्ट बेनीफिट के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में दिया गया। खास बात यह है कि बिचौलिया और लूटने वालों से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये बचाए गए। डिजिटल इंडिया के माध्यम से देश बदला और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा। वहीं दूसरी तरफ, अन्य राजनीतिक दलों की सरकारे सिर्फ लूट करने में लगी है। जनता की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही है।

छत्तीसगढ़ सरकार घोटाले के 2 हजार करोड़ से कितने गरीबों का भला होता
यदि छत्तीसगढ़ सरकार के पास शराब घोटाले के दो हजार करोड़ रुपये आये होते, तो उससे गरीबों के हित में काम होता। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल शोर मचाते हैं कि केन्द्र सरकार की ओर से उन्हें उचित फंड नहीं मिलता है। जब ये लोग फंड के उपयोग का उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजते ही नहीं हैं, तो आखिर फंड कहां से मिलेगी? दूसरी तरफ, 2161 करोड़ रूपये की लूट भी हो जाती है।

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