प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुलंद भारत की और बुलंद तस्वीर बनाने के लिए हर क्षेत्र पर फोकस कर रहे हैं। आज सारी दुनिया उम्मीद भरी नजरों से भारत की ओर देख रही है तो उसकी सबसे बड़ी वजह, सबसे बड़ा भरोसा पीएम नरेन्द्र मोदी ही हैं। पीएम पिछले माह ही अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा से वापस आए हैं, जिसकी उपलब्धियों की चहुंओर तारीफ हो रही है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी की 13 जुलाई से शुरू हो रही दो दिन की फ्रांस यात्रा के दौरान 96 हजार करोड़ रुपए के रक्षा सौदे होने की संभावना है। रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इन सौदों को मंजूरी मिल सकती है। आइएनएस विक्रांत के लिए 26 रफाल-एम लड़ाकू विमान खरीदने के साथ ही पीएम मोदी के फ्रांस दौरे में तीन स्कॉर्पिन सबमरीन को ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के तहत निर्माण को लेकर बातचीत हो सकती है।पीएम मोदी की यात्रा रणनीतिक साझेदारी के ‘नये युग’ की शुरुआत
इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि पीएम मोदी की यात्रा रणनीतिक साझेदारी के ‘नये युग’ की शुरुआत करेगी। फ्रांस के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु सहयोग के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों पर केंद्रित है। इसरो व फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनईएस) कई संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम चला रही हैं। 1974 में भारत के शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट परीक्षणों के बाद, जहां अमरीका व कनाडा ने भारत से परमाणु अनुबंध समाप्त कर दिए, वहीं फ्रांस ने तारापुर परमाणु संयंत्र के लिए ईंधन की आपूर्ति की।पीएम की फ्रांस यात्रा से भारत और फ्रांस में रक्षा सौदों के लिए रोडमैप तैयार
2014 में पीएम बनने के बाद मोदी की यह छठी फ्रांस यात्रा होगी। रणनीतिक सहयोग, वैज्ञानिक प्रगति, सांस्कृति आदान-प्रदान व आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी पर जोर देने की उम्मीद है। दोनों देशों ने वैश्विक भू-राजनीतिक भूलभुलैया में अपनी अनूठी ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ बनाई है। जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, हिंद- प्रशांत में स्थिरता व सुरक्षा को बढ़ावा जैसे कई वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों में एकरूपता है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और फ्रांस रक्षा सौदों के लिए एक रोडमैप तैयार कर सकते हैं। भारत की कोशिश रहेगी कि वह फ्रांस की कंपनियों की मदद से भारत में ही इंजन और बाकी चीजों का निर्माण करे।
बैस्टिल डे परेड में भारत की तीनों सेनाओं की टुकड़ी होंगी शामिल
पीएम मोदी 14 जुलाई को चैंप्स एलिसी मैदान पर होने वाली बैस्टिल डे परेड के गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे। परेड में भारत की तीनों सेनाओं की 269 सदस्यीय टुकड़ी पहुंच गई है। इसमें वायुसेना के चार रफाल और 72 जवान भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक रक्षा बलों की ओर से राफेल लड़ाकू विमान और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के समक्ष रखा गया है। भारतीय नौसेना को चार ट्रेनर विमानों के साथ 22 सिंगल सीटेड राफेल सीप्लेन मिल सकते हैं। नौसेना का मानना है कि इन लड़ाकू विमानों और पनडुब्बियों की तत्काल हो, क्योंकि देश भर में सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर इनकी कमी है। बता दें कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और विक्रांत मिग-29 को लड़ाकू विमान राफेल की जरूरत है।
दोनों देशों में कंपनियों के परस्पर काम करने से व्यापार को बढ़ावा
पीएम मोदी की दूरदर्शी नीतियों का ही सुपरिणाम है कि आज लगभग 150 भारतीय कंपनियां फ्रांस में जबकि 1,000 से अधिक फ्रांसीसी कंपनियां भारत में काम करती हैं। जिनका कुल अनुमानित कारोबार 20 अरब डॉलर है। पीएम मोदी के साथ शीर्ष सीईओ का एक प्रतिनिधिमंडल भी दोनों देशों के बिजनेस में निवेश सहयोग पर मंथन करने जा रहा है। कई मोर्चों पर सहयोग की व्यापक संभावनाओं के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों में अभी और काम किया जा सकता है। पहले की तुलना में अब शैक्षणिक व वैज्ञानिक आदान- प्रदान और विद्यार्थी गतिशीलता की कहीं अधिक सुविधाएं है।
रफाल एम पहली खेप में 3 साल लगेंगे, नौसेना के भी काम आएंगे
INS विक्रांत के समुद्री परीक्षण भी शुरू हो चुके हैं। उसके डैक से फाइटर ऑपरेशन परखे जाने बाकी हैं। सौदे पर मुहर लगने के कम से कम एक साल तक तकनीकी और लागत संबंधी औपचारिकताएं पूरी होंगी। एक्सपर्ट का कहना है कि नौसेना के लिए रफाल इसलिए भी उपयुक्त है, क्योंकि वायुसेना रफाल के रखरखाव से जुड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर चुकी है। यही नौसेना के भी काम आएगा। इससे काफी पैसा बच जाएगा। सूत्रों का कहना है कि रफाल एम की पहली खेप आने में 3 साल लग सकते हैं। वायु सेना के लिए 36 रफाल का सौदा 2016 में हुआ था और डिलीवरी पूरी होने में 7 साल लग गए थे।
‘रफाल एम’ वायुसेना को मिले रफाल से ज्यादा ताकतवर
रफाल का ‘एम’ वर्जन भारत में मौजूद रफाल फाइटर जेट्स से एडवांस्ड है। INS विक्रांत से उड़ान भरने के लिए स्की जंप करते हुए ज्यादा ताकतवर इंजन वाला फाइटर जेट है। इसे ‘शॉर्ट टेक ऑफ बट एरेस्टर लैंडिंग’ कहते हैं। बहुत कम जगह पर लैंड भी कर सकता है।
रफाल एम समुद्री एरिया में हवाई हमले के लिए विशेष तौर पर डिजाइंड है
• यह 15.27 मी. लंबा, 10.80 मी. चौड़ा, 5.34 मी. ऊंचा है। इसका वजन 10,600 किलो है।
• इसकी रफ्तार 1,912 KMPH है। इसकी 3700 किमी की रेंज है। यह 50 हजार फीट ऊंचाई तक उड़ता है।
• यह एंटीशिप स्ट्राइक के लिए सबसे उम्दा माना जा रहा है। इसे न्यूक्लियर प्लांट पर हमले के नजरिए से भी डिजाइन किया गया है।
स्वदेशी विमान 2030 तक, इसलिए रफाल मंगवाए जाएंगे
इंडिया एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनाती के लिए अपने LCA-नेवी विमान तैयार कर रहा है, लेकिन इसका पहला विमान 2030 तक बन पाएगा। तब तक के लिए नौसेना 26 रफाल एम खरीदना चाहती है। रफाल एम फाइटर जेट समुद्री एरिया में हवाई हमले के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए हैं। इन्हें सबसे पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। अभी INS विक्रांत पर रूसी मिग-29 तैनात हैं, जो धीरे-धीरे सेवा से बाहर किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा से ठीक पहले ‘रक्षा खरीद परिषद’ सौदे को औपचारिक मंजूरी देने के लिए बैठक करेगी। सूत्रों ने बताया कि रफाल एम पर विशेषज्ञों की सहमति बन चुकी है।
अमेरिकी F-A-18 सुपर हॉर्नेट भी दौड़ में था, तकनीक में पिछड़ गया
भारत सरकार पिछले 4 साल से INS विक्रांत के लिए नए फाइटर जेट खरीदने की योजना पर काम कर रही थी। दो साल पहले अमेरिकी बोइंग F-A-18 सुपर हॉर्नेट और फ्रांसीसी रफाल एम में से किसी एक को चुनने की प्रक्रिया पर काम शुरू हुआ। नौसेना ने पिछले साल गोवा में सुपर हॉर्नेट और रफाल एम को टेस्ट किया। दोनों फाइटर जेट्स की खूबियों और कमियों को लेकर ब्रीफ रिपोर्ट तैयार की गई। इंडियन डिफेंस एक्सपर्ट ने रफाल एम को INS विक्रांत की जरूरतों के हिसाब से फिट पाया, जबकि बोइंग F-A-18 को लेकर इंडियन एक्सपर्ट एकमत नहीं हुए। इसलिए रफाल एम का आना तय माना जा रहा है।
इमैनुएल मैक्रों कर चुके में तारीफ- सभी देशों को एकजुट करेंगे पीएम मोदी’
भारत को G-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट की थी और उन्होंने पीएम मोदी की खूब तारीफ की थी। मैक्रों ने लिखा कि “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” भारत ने जी20इंडिया की अध्यक्षता संभाली है। मैं अपने मित्र नरेंद्र मोदी पर भरोसा करता हूं कि वे हमें शांति और अधिक टिकाऊ दुनिया बनाने के लिए साथ लाएंगे। बता दें कि इससे पहले कई अन्य देशों ने भी उम्मीद जताई है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में होने वाला G20 समिट निर्णायक साबित होगा। भारत का G20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख है। दुनिया आज जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, उन्हें एक साथ काम करके कैसे हल किया जा सकता है।