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मोदी राज में नौकरियों की बहार: अप्रैल में हायरिंग एक्टिविटी 15 प्रतिशत बढ़ी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में कोरोना संकट काल में भी रिकॉर्ड रोजगार सृजित हुए हैं। कोरोना महामारी का असर रोजगार के मोर्चे पर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर यह है कि इंडियन जॉब मार्केट ने वार्षिक आधार पर अप्रैल में हायरिंग डिमांड में 15 प्रतिशत और माह-दर-माह के आधार पर चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। मॉन्स्टर एम्प्लॉयमेंट इंडेक्स (एमईआई) की नई रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में हायरिंग एक्टिविटी बढ़ना रिकवरी का संकेत है। कोरोना महामारी के बाद भी हायरिंग एक्टिविटी में सुधार अच्छा संकेत है।

मॉन्स्टर एम्प्लॉयमेंट इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत के रिटेल सेक्टर में महामारी के प्रकोप के बाद पहली बार अप्रैल में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज करते हुए हायरिंग में तेजी देखी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल सेक्टर की हायरिंग में सालाना आधार पर 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर गई है। पॉजिटिव बिजनेस सेंसिमेंट ने भारत को अप्रैल में हायरिंग डिमांड में वार्षिक आधार पर 15 प्रतिशत और मासिक आधार पर 4 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर्ज करने में मदद की।

मॉन्स्टर एम्प्लॉयमेंट इंडेक्स के अनुसार आर्थिक गतिविधियों में उछाल के कारण अप्रैल में हायरिंग गतिविधि में निरंतर वृद्धि हुई। एमईआई के सर्वे में दिखाया गया है कि जॉब मार्केट में महामारी से प्रभावित कई क्षेत्रों में रिकवरी देखी गई, जो अप्रैल के महीने में सबसे अधिक ग्रोथ को दर्शाता है। एमईआई का यह सर्वे 1 से 30 अप्रैल के बीच किया गया है।

तीसरी तिमाही में नौकरियों की संख्या में चार लाख की वृद्धि
इसके पहले केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने 28 अप्रैल, 2022 को श्रम ब्यूरो द्वारा तैयार तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (QES) को जारी किया था। पिछले साल अक्तूबर से दिसंबर 2021 के दौरान नौ चयनित क्षेत्रों में कुल रोजगार की संख्या बढ़कर 3.14 करोड़ हो गई। यह जुलाई से सितंबर 2021 की तिमाही के मुकाबले चार लाख अधिक है। जुलाई से सितंबर 2021 में नौ चुनिंदा क्षेत्रों में कुल रोजगार 3.10 करोड़ था।

जिन नौ क्षेत्रों में रोजगार के ढेरों अवसर बने हैं, उनमें विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रेस्टोरेंट, आईटी / बीपीओ और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। मोदी सरकार के मुताबिक ये आंकड़े कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने से आर्थिक गतिविधियों में हुए सुधार को दर्शाते हैं। गौरतलब है कि श्रम मंत्रालय की यह तीसरी रिपोर्ट है। केंद्रीय श्रम मंत्री के मुताबिक इन अध्ययनों से सरकार को साक्ष्य आधारित नीति बनाने में मदद मिलगी।

महिलाओं की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी
रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करायी है। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर से दिसंबर 2021 की तीसरी तिमाही में कुल रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी 31.59 प्रतिशत हैं। श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ने पर देश की आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) को अधिक तेज रफ्तार मिलती है। विशेषज्ञों के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम और डिजिटल के बढ़ते उपयोग से महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिल रहे हैं।

85 प्रतिशत हुआ नियमित रोजगार
केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि समीक्षाधीन तिमाही में कुल रोजगार में 85.3 प्रतिशत हिस्सेदारी नियमित रोजगार की रही है। इसमें ठेके पर रखे जाने वाले श्रम बल की हिस्सेदारी 8.9 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार 10 या उससे अधिक कामगारों वाले संगठित क्षेत्र के चुनिंदा नौ सेक्टरों में रोजगार के बढ़ने का रुझान है। ‘विनिर्माण’ रोजगार देने वाला सबसे बड़ा सेक्टर है, जहां कुल कामगारों में से लगभग 39 प्रतिशत कामगार काम करते हैं। इसके बाद शिक्षा सेक्टर आता है, जहां कुल कामगारों में से 22 प्रतिशत कामगार कार्यरत हैं।

EPFO ने 14.12 लाख नए सब्सक्राइबर्स जोड़े
मोदी सरकार की नीतियों के कारण देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। देश में रोजगार की स्थिति बेहतर हुई है और महामारी के दौरान भी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। ईपीएफओ की ओर से जारी पेरोल डेटा के अनुसार ईपीएफओ ने फरवरी 2022 के दौरान कुल 14.12 लाख नए ग्राहक बनाए हैं। पेरोल डेटा के अनुसार जनवरी, 2022 के पिछले महीने की तुलना में फरवरी, 2022 में 31,826 नए ग्राहक जुड़े हैं। साल-दर-साल विवरण के अनुसार फरवरी 2022 के दौरान फरवरी 2021 की तुलना में कुल 1,74,314 नए ग्राहक बनाए गए। अक्टूबर 2021 से नए ग्राहकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।

पेरोल डेटा के अनुसार फरवरी 2022 के दौरान 22-25 वर्ष आयु- वर्ग के सबसे अधिक 3.70 लाख नए ग्राहक बने, इसके बाद 2.98 नए ग्राहकों के साथ 29-35 वर्ष के आयु- वर्ग का दूसरा स्थान है। 18-25 वर्ष आयु- वर्ग के नए ग्राहकों की संख्या माह के दौरान बनाए गए कुल ग्राहकों का 45 प्रतिशत है। यह दिखाता है कि संगठित क्षेत्र के कार्यबल में रोजगार के इच्छुक बहुत से लोग पहली बार बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।

पेरोल के आंकड़ों की राज्य-वार डेटा में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली राज्यों के प्रतिष्ठान महीने के दौरान लगभग 9.52 लाख नए ग्राहक बनाकर सबसे आगे हैं, जो कि सभी आयु समूह में कुल नए पेरोल का लगभग 67.49 प्रतिशत है।

फरवरी माह के दौरान लगभग 3.10 लाख नए महिला पेरोल जोड़े गए। फरवरी, 2022 के दौरान महिला नामांकन का हिस्सा कुल ग्राहकों की संख्या का लगभग 21.95 प्रतिशत है, जो जनवरी, 2022 के पिछले महीने की तुलना में कुल 22,402 ज्यादा है। नौकरियों की तलाश में लगे युवाओं के लिए यह खबर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने वाली साबित हो सकती है। पहली बार नौकरी चाहने वाले बड़ी संख्या में संगठित क्षेत्र के वर्कफोर्स में शामिल हो रहे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में 1.49 करोड़, वित्त वर्ष 2019-20 में 1.51 करोड़ और वित्त वर्ष 2020-21 में 1.15 करोड़ नए सदस्य जुड़े हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन संगठित क्षेत्र में 15,000 रुपये से अधिक का मूल वेतन पाने वाले और कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) के तहत अनिवार्य रूप से नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं। एक अनुमान के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन बढ़ाने से संगठित क्षेत्र के 50 लाख और कर्मचारी ईपीएस-95 के दायरे में आ सकते हैं।

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