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मालदीव के चीनपरस्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू बाज नहीं आए, PM Modi के शपथ ग्रहण समारोह से लौटते ही चीन के जासूसी जहाज को दी मंजूरी, श्रीलंका ने किया था इनकार

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मालदीव के चीनपरस्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक बार फिर भारत विरोधी कदम उठाया है। राष्ट्रपति बनते ही वे भारत के खिलाफ लगातार मुखर हैं। हालांकि राष्ट्रपति मुइज्जू ने लोकसभा चुनाव में एनडीए की शानदार जीत पर बधाई दी और वे पिछले सप्ताह भारत में पीएम मोदी के तीसरे शपथ समारोह में शामिल हुए। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात की थी। लेकिन, भारत से लौटते ही मुइज्जू अपने असली रंग में आ गए और चीन-प्रेम एक बार फिर उजागर हो गया है। ताजा मामले में मुइज्जू ने चीनी जासूसी जहाज को अपने देश में रुकने के लिए मंजूरी दे दी है। चीन ने मालदीव से अपने खोजी जहाज को डॉक करने के लिए मालदीव से मंजूरी मांगी है। हैरान करने वाली बात ये है कि श्रीलंका की सरकार द्वारा मना करने के बाद चीन के इस जासूसी जहाज को मालदीव ने अपने पोर्ट पर खड़े रहने की अनुमति दी है। हालंकि अभी यह साफ नहीं है कि यह जहाज मालदीव के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) के समुद्र में खोज करेगा या नहीं! लेकिन चीन की समुद्री खनिज भंडारों पर निगाह जगजाहिर है। इसी बीच चीन की पीपुल्स पोलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस के वाइस चैयरमेन तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मालदीव पहुंचे हैं।सर्वे की आड़ में हिंद महासागर में जासूसी करता है चीनी जहाज, मालदीव बना टूल
विशेषज्ञों के अनुसार चीन अपने जासूसी जहाज के जरिए हिंद महासागर में सर्वे करने की कवायदों में जुटा रहता है। कहने को तो चीन अपने जहाज को रिसर्च शिप कहता है, लेकिन रिसर्च के बहाने वह भारत के आसपास हिंद महासागर में जासूसी करता है। माना जा रहा है कि चीन भविष्‍य में हिंद महासागर में सैन्‍य अभियान चला सकता है,  और इसके लिए वह जासूसी जहाज से सर्वे कर रहा है। चीन का यह कदम भारत की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट ने सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर यह जानकारी दी है। ये चीनी जहाज इतने शक्तिशाली रेडॉर से लैस हैं कि वे उड़ीसा में भारतीय मिसाइलों के परीक्षण तक निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।पाक को कर्ज में डुबोने के बाद अब मालदीव बना चीन का नया गुलाम
चीन के इन जासूसी जहाजों का भारत के साथ ही अमेरिका ने भी कड़ा विरोध किया है। इसके बावजूद मालदीव की मंजूरी साफ तौर पर मुइज्जू के चीनपरस्त रुख को स्पष्ट करती है। भारत ने श्रीलंका और मालदीव दोनों से ही चीन को अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था। भारत के सख्‍त रुख के बाद जहां श्रीलंका ने चीन से किनारा कर लिया है, वहीं अब चीन का नया गुलाम मालदीव बन गया है। चीन ने भारत के पड़ौसी दुश्मन पाकिस्तान के पहले ही अपने कर्ज के जाल में फांस रखा है। श्रीलंका के इनकार के बाद अब मालदीव में चीनी जासूसी जहाज को रुकने की मंजूरी दे दी है। यही नहीं, चीनी जासूसी जहाज हिंद महासागर में पहुंच गया है। इस जहाज का नाम शियांग यांग होंग है, जो मालदीव की राजधानी माले के आसपास रह सकता है।हिंद महासागर में मौजूद खनिजों के भंडार पर भी है चीन की निगाह
कोलंबो स्थित थिंक टैंक फैक्टम की लीड इंटरनेशनल एनालिस्ट उदिथा देवप्रिया का कहना है कि पिछले एक दशक से चीन हिंद महासार में डीप सी माइनिंग (डीएसएन) अभियान का लीडर है। आने वाले समय में चीन ज्यादा से ज्यादा खोजी जहाजों को हिंद महासागर में उतारेगा, क्योंकि यहां पर कोबाल्ट, निकल, मैगनीज और कॉपर के बड़े भंडार हैं। साथ ही, जो देश इन भंडारों का खनन करना चाहता है उसे पहले इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) से अनुमति लेनी पड़ती है। चीन पहले ही हिंद महासागर में दो स्थानों पर खोज के लिए 15 साल का लाइसेंस प्राप्त कर चुका है। मौजूदा खनिजों के भंडार पर निगाह गढ़ाने के साथ-साथ चीन की नजर मालदीव का उपयोग सामरिक दृष्टि से भी करने पर है।श्रीलंका ने एक साल के लिए चीनी जहाजों पर बैन लगाया
चीन के जासूसी जहाज अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लेकर दक्षिणी हिंद महासागर तक गहरे समुद्र में मैपिंग कर रहे हैं। इससे पहले श्रीलंका ने चीन को बड़ा झटका देते हुए अगले 1 साल तक के लिए ड्रैगन के जासूसी जहाजों को अपने यहां रुकने की मंजूरी देने से इंकार कर दिया था। भारत ने पहले भी 2022 में श्रीलंका सहित अपने तटों के पास ऐसे जासूसी जहाजों की उपस्थिति पर कड़ा एतराज जाहिर किया था। इससे बाद श्रीलंका चीन के जहाजों को अपने पोर्ट पर खड़े रहने के लिए मना कर चुका है। 2023 में श्रीलंका ने विदेशी खोजी जहाजों को अपने यहां खड़े होने की मंजूरी देने से एक साल तक के लिए मना कर दिया है। हाल में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पीएम मोदी के शपथ समारोह में शामिल हुए थे। उन्होंने पीएम मोदी को श्रीलंका यात्रा का न्यौता दिया।मालदीव से रिश्तों को लगातार मजबूत करने में जुटा हुआ है चीन
मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने चीन के जासूसी जहाज को अपने देश में आने की मंजूरी दी है। इसके बाद चीनी जहाज मालदीव की ओर जा रहा है। एक भारतीय सैन्य अधिकारी और शोधकर्ता ने ये जानकारी दी है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कुछ समय पहले चीन यात्रा के समय दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करने की बात कही थी। मुइज्जू की यात्रा के बाद चीन के कुछ नेताओं ने भी मालदीव की यात्रा की है। जिसके बाद चीनी जहाज को माले आने की इजाजत दी गई है। ये मालदीव की मौजूदा सरकार के भारत विरोध और चीन की तरफ लगाव के रुख को भी दिखाता है। भारत के लिए चीन के जहाज का माले की तरफ जाना चिंता पैदा करता है। इसी बीच चीन की पीपुल्स पोलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस के वाइस चैयरमेन 3 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मालदीव पहुंच गए है।

एडलैब रिपोर्ट : छोटे देशों को कर्ज के बोझ तले फंसाने की है चीन की साजिश
दरअसल, चीन के सत्ताधीश छोटे देशों को कर्ज के मर्ज में फंसाकर अपने रणनीतिक और कूटनीतिक हित साधते रहे हैं। सूदखोर चीन भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्‍तान, श्रीलंका, मालदीव आदि देशों पर 1.1 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है। चीन के मकड़जाल का खुलासा हाल ही में अमेरिकी शोध संस्‍था एडलैब की एक रिपोर्ट में किया है। पाकिस्तान तो चीन का पैसा चुकाने के लिए अमेरिका से लेकर सऊदी अरब तक से कर्ज की भीख मांग रहा है। श्रीलंका मदद के लिए भारत से दोस्ती चाहता है। लेकिन चीन के टार्गेट पर मालदीव है। इसके लिए वह मालदीव के भारत विरोधी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से लगातार सांठगांठ कर कर रहा है। यह अलग बात है कि दुनिया के कुछ देश जहां बढ़ती आबादी को लेकर चिंतित हैं, वहीं चीन अब घटती आबादी से बुरी तरह परेशान है। लगातार दूसरे साल चीन की आबादी घटी है। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, जो खस्ताहाल हो रही है। पिछले साल चीन की इकोनॉमी 5.2 प्रतिशत पर आ गई। 2016 के बाद पहली बार निर्यात बुरी तरह गिरा है। विदेशी निवेशक व कंपनियां दूर हो रही हैं। एक्सपर्ट कहते हैं, आबादी घटती रही तो वर्कफोर्स घटेगी। इससे चीन की इकोनॉमी बड़े संकट में आ जाएगी।

राष्ट्रपति मुइज्जू के इन कदमों में स्पष्ट रूप से झलका भारत विरोधी रुख

यह पहली बार नहीं है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत विरोधी रुख उजागर हुआ हो। मुइज्जू राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत से लगातार बेरुखी दिखा रहे हैं। मुइज्जू ने तीन कदम उठाए हैं जो भारत के प्रति मालदीव की नकारात्मक रवैये को स्पष्ट तौर पर दर्शा रहे है। पहला तो मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ का अभियान चलाकर भारतीय सैनिकों की वापसी की घोषणा की है। दूसरा, मालदीव के राष्ट्रपति के तौर पर परम्परागत रूप से भारत आने की बजाय अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के लिए वो तुर्की और फिर चीन चले गए। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त हाइड्रोग्राफिक समझौते को नवीनीकृत न करने का निर्णय लिया है, जो भारत के खिलाफ है। इसके बीच पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद मालदीव के मंत्रियों के आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद हुए विवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास बढ़ाई है।

दूसरे देशों को कर्ज देकर बेहाल करने वाले खुद चीन की नीतियां हो रही विफल  
दिलचस्प तथ्य यह है कि करोड़ों डॉलर का कर्ज देकर दूसरे देशों को परेशान करने वाले चीन की खुद की हालत भी अब खराब होने की कगार पर है। दुनिया के कई देश जहां बढ़ती आबादी को लेकर परेशान हैं, वहीं, चीन अब घटती आबादी से तनाव में है। लगातार दूसरे साल चीन की आबादी घटी है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2023 के अंत तक चीन की कुल आबादी 140.97 करोड़ थी, जो 2022 की 141.18 करोड़ से 20 लाख कम है। 2023 में 90.02 लाख बच्चे पैदा हुए, जो 2022 के 95.6 लाख से कम हैं। इसी अवधि में 1.11 करोड़ लोगों की मौत हुई। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ज्यादा बच्चे पैदा करने के आह्वान और सरकारी कोशिशों के बावजूद जनसंख्या में कमी आई। स्थिति ऐसी बनी की चीन सरकार की सारी नीतियों तक विफल रो रही हैं।वन चाइल्ड के बाद 2015 में टू और 2021 में थ्री चाइल्ड पॉलिसी भी फेल
चीन ने बढ़ती जनसंख्या रोकने के लिए 1980 में एक बच्चे की नीति लागू की थी। दूसरा बच्चा होने पर सरकारी नौकरी से हटा दिया जाता था। बच्चे को नागरिकता भी जुर्माना भरने पर मिलती थी। इससे बड़ी संख्या में युवा इकलौती लड़कियों की आबादी बढ़ी। इन्हें शिक्षा व रोजगार के मौके भी मिले। इससे सशक्त महिलाओं का तबका खड़ा हुआ। जब चीन की नीति उस पर ही उल्टी पड़ने लगी है तो नियम बदले हैं। सस्ते घर, टैक्स छूट में छूट दी गई। सरकार ने 2015 में टू चाइल्ड और 2021 में थ्री चाइल्ड पॉलिसी लागू की, लेकिन जन्मदर नहीं बढ़ी। एक्सपर्ट कहते हैं, चीन की सरकार सिर्फ बच्चे पैदा कराना चाहती है। वह पैरेंट्स की बिल्कुल चिंता नहीं करती। महिलाओं को सस्ते घर, टैक्स में छूट, प्रचार अभियान व सरकार समर्थित डेटिंग प्रोग्राम भी जन्मदर बढ़ाने में सफल नहीं रहे।

चीन को पछाड़कर भारत बना सबसे ज्यादा युवा वर्क फोर्स वाला देश
चीन की सरकारी मशीनरी जन्मदर बढ़ाने में सफल नहीं हो पा रही है। शी जिनपिंग की सारी कोशिशें फेल हो रही हैं। पिछले साल में जनसंख्या घटकर करीब 141 करोड़ रह गई है। इसके साथ ही भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी और सबसे बड़ी युवा वर्क फोर्स वाला देश बन गया है। चीन में आर्थिक दबाव के चलते तलाक के केस बढ़े तो सरकार ने एक माह के कूलिंग पीरियड का नियम थोप दिया। यह भी कारगर नहीं रहा। इंडियाना यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में तलाक के 1.5 लाख कोर्ट फैसलों के विश्लेषण से पता चला कि महिलाओं की 40% याचिकाएं घरेलू हिंसा के सबूत होने पर भी खारिज कर दी गई।

कई मोर्चों पर चीन मुश्किल में और भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत
एक ओर चीन आबादी और इकोनॉमी को लेकर मुश्किल में है, दूसरी ओर  भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। पीएम मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल में भारत हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने को बेताब है।  मोदी राज में अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया का भारत पर भरोसा और मजबूत हुआ है। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) ने कहा है कि भारत साल 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसके साथ यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2026-27 में देश की जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। एसएंडपी की ताजा ‘ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक’ रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है और साल 2026 में इसके सात प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है। एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार,भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है और यह अगले तीन सालों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा।

चीन नहीं, भारत बनेगा एशिया-प्रशांत का विकास इंजन
इसके पहले एसएंडपी ने ‘चाइना स्लोज इंडिया ग्रोथ’ नाम से जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन नहीं, बल्कि भारत एशिया-प्रशांत का विकास इंजन बनेगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र का वृद्धि इंजन चीन से हटकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2026 तक बढ़कर सात प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जबकि चीन के लिए इसके सुस्त पड़कर 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके पहले रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया। रेटिंस एंजेसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था को घरेलू स्तर पर अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। ऐसे में महंगाई और कमजोर निर्यात भी भारत की इकनॉमी के ग्रोथ रेट को कमजोर नहीं कर पाएगा। एजेंसी ने कहा है कि मजबूत घरेलू गति के कारण महंगाई और निर्यात से पैदा होने वाली रुकावटें दूर होती दिख रही है जिसके चलते वृद्धि अनुमान को बढ़ाया गया है।

2031 तक डबल होकर 6.7 ट्रिलियन डॉलर की होगी हमारी इकोनॉमी
एसएंडपी ने कहा है कि भारतीय इकोनॉमी साल 2031 तक बढ़कर डबल हो जाएगी। इसका आकार 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 6.7 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी ने अगस्त वॉल्यूम रिपोर्ट ‘लुक फॉरवर्ड इंडिया मोमेंट’ में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर यह जानकारी साझा की है। एजेंसी ने कहा है कि विनिर्माण और सेवाओं के निर्यात और उपभोक्ता मांग के कारण यह तेजी बनी रहेगी। एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था लगभग दोगुनी होने से प्रति व्‍यक्ति आय भी बढ़ जाएगी। 2031 तक भारत पर कैपिटा जीडीपी 2500 से बढ़कर 4500 डॉलर तक हो जाएगी।

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न संस्थानों और रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

UBS ने भारत के वृद्धि दर अनुमान को बढ़ाकर किया 6.3 प्रतिशत
ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस (UBS) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। यूबीएस की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा कि भारत की घरेलू आर्थिक गतिविधियां उम्मीद से बेहतर चल रही हैं। निकट भविष्य में वृद्धि की गति को मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान उच्च घरेलू खर्च, तेज ऋण वृद्धि और कड़े चुनावी कैलेंडर से पहले ग्रामीण समर्थक सामाजिक योजनाओं के लिए सरकारी खर्च से समर्थन मिलेगा। उन्होंने ये भी कहा कि भारत की वृद्धि वित्त वर्ष 2025-26 में 6.2 प्रतिशत और 2026-27 में 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत
मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इस बात पर ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने भी मुहर लगा दी है। मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के आधार पर भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025 तक बढ़कर 12.4 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और यह चीन, अमेरिका और यूरो क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह वित्त वर्ष 2024 में सात प्रतिशत रहेगी। उच्च विकास दर के कारण भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ेगी। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि उम्मीद है कि 2027 तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत- जेपी मॉर्गन
जेपी मॉर्गन ने भी कहा है कि अब भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में ज्यादा देर नहीं है। जेपी मॉर्गन के एशिया प्रशांत इक्विटी रिसर्च के मैनेजिंग डायरेक्टर जेम्स सुलिवन की मानें तो भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि 2030 तक भारत की जीडीपी दोगुनी से ज्यादा 7 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। बिजनेस न्यूज चैनल CNBC-TV18 के साथ एक इंटरव्यू में सुलिवन ने कहा कि अगले कुछ सालों में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी और इसका शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े संरचनात्मक बदलाव होंगे। सुलिवन ने कहा कि अगले कुछ महीनों में निर्यात में भी तेजी आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अभी जो 500 अरब डॉलर से कम का निर्यात है वो बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।

 

 

 

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