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हेल्थ के बाद सबसे ज्यादा फोकस एजुकेशन, स्किल, रिसर्च और इनोवेश पर: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए युवा पीढ़ी के विकास को जरूरी बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए देश के युवाओं में आत्मविश्वास उतना ही जरूरी है। आत्मविश्वास तभी आता है, जब युवा को अपनी शिक्षा, अपनी नॉलेज, अपनी स्किल पर पूरा भरोसा हो, विश्वास हो। आत्मविश्वास तभी आता है, जब उसको एहसास होता है कि उसकी पढ़ाई, उसे अपना काम करने का अवसर दे रही है और जरूरी स्किल भी दे रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में हेल्थ के बाद जो दूसरा सबसे बड़ा फोकस है, वो एजुकेशन, स्किल, रिसर्च और इनोवेशन पर ही है।

शिक्षा क्षेत्र में बजट के कार्यान्वयन पर वेबिनार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, इसी सोच के साथ बनाई गई है। प्री-नर्सरी से पीएचडी तक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हर प्रावधान को जल्द से जल्द जमीन पर उतारने के लिए अब हमें तेजी से काम करना है। इस बजट में इनको लेकर जितने भी प्रावधान किए गए हैं, उच्च शिक्षा को लेकर देश की एप्रोच में एक बड़ा शिफ्ट आने वाले हैं। बीते वर्षों में शिक्षा को रोजगार और कौशल क्षमता से जोड़ने का जो प्रयास किया गया है, ये बजट उनको और विस्तार देता है। इन्हीं प्रयोगों का परिणाम है कि आज साइंस्टिफिक पब्लिकेशन के मामले में भारत टॉप-3 देशों में आ चुका है। पीएचडी करने वालों की संख्या और स्टार्ट अप इकोसिस्टम के मामले में भी हम दुनिया में टॉप-3 में पहुंच चुके हैं।

उन्होंने कहा कि पहली बार देश के स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब से लेकर उच्च संस्थानों में अटल इंक्यूबेशन सेंटर्स तक पर फोकस किया जा रहा है। देश में स्टार्ट अप्स के लिए हैकाथन की नई परंपरा देश में बन चुकी है, जो देश के युवाओं और इंडस्ट्री, दोनों के लिए बहुत बड़ी ताकत बन रही है। ये सरकार के विजन, सरकार की अप्रोच को दिखाता है। 21वीं सदी के भारत में 19वीं सदी की सोच को पीछे छोड़कर ही हमें आगे बढ़ना होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम्॥ यानि विद्या ऐसा धन है, जो अपने पास तक सीमित रखने से नहीं बल्कि बांटने से बढ़ता है। इसलिए विद्याधन, विद्यादान श्रेष्ठ है। नॉलेज को, रिसर्च को, सीमित रखना देश के सामर्थ्य के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। इसी सोच के साथ स्पेस हो, अटोमिक एनर्जी हो, डीआरडीओ हो, कृषि हो, ऐसे अनेक सेक्टर्स के दरवाज़े अपने प्रतिभाशाली युवाओं के लिए खोले जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में इंस्टीट्यूशन मेकिंग और एक्सेस पर और जोर दिया गया है। देश में पहली बार नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे रिसर्च से जुड़े संस्थानों के सरकारी स्ट्रक्चर से लेकर आरएंडडी, अकेडिमिया और इंडस्ट्री की लिंकेज को बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों, रिसर्च से जुड़े संस्थानों और इंडस्ट्री के साझेदारी को हमें अधिक मज़बूत करना है। हमें नए रिसर्च पेपर पब्लिश करने पर तो फोकस करना ही, दुनिया भर में जो रिसर्च पेपर पब्लिश होते हैं, उन तक भारत के रिसर्चर की, भारत के छात्रों की पहुंच आसान कैसे हो, ये सुनिश्चित करना भी आज समय की मांग है। सरकार अपने स्तर पर इसको लेकर काम कर रही है, लेकिन इंडस्ट्री को भी इसमें अपनी तरफ से कंट्रीब्यूट करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में टैलेंट की कमी नहीं है। गांव हो, गरीब हो, जिसको अपनी भाषा के सिवाय और कुछ नहीं आता है उसकी टैलेंट कम नहीं होती है। भाषा के कारण हमारे गांव की, हमारे गरीब की टैलेंट को हमें मरने नहीं देना चाहिए। देश में देश की विकास यात्रा से उसको वंचित नहीं रखना चाहिए। भारत की टैलेंट गांव में भी हैं, भारत की टैलेंट गरीब के घर में भी है, भारत की टैलेंट किसी एक किसी एक कोई बड़ी भाषा से वंचित रह गए हमारे देश के बच्‍चों में भी है और इसलिए उस टैलेंट का उपयोग इतने बड़े देश के लिए जोड़ना बहुत जरूरी है। इसलिए भाषा के बैरियर से बाहर निकल करके हमें उसकी भाषा में उसकी टैलेंट को फलने-फूलने के लिए अवसर देना, ये मिशन मोड में करने की जरूरत है। बजट में घोषित नेशनल लैंग्वैज ट्रांसलेशननिशन से इसके लिए बहुत प्रोत्साहन मिलेगा।

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