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लालू राज में हत्या, सुशासन काल में सजा, अब फिर जंगलराज! बाहुबली की रिहाई के लिए नीतीश सरकार ने बदले नियम

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तकरीबन दो दशक से गठबंधन की सरकार चलाने का तजुर्बा है। उनके कार्यकाल का सर्वाधिक समय बीजेपी के साथ बीता। एनडीए में रहते हुए उन्होंने ठसक से सरकार चलायी, राज्य में कानून व्यवस्था दुरुस्त रही। अपराधियों को सजा दिलाई गई। इसी वजह उन्हें सुशासन बाबू का तमगा भी मिला। लेकिन अब आरजेडी की अगुआई वाले महागठबंधन के साथ उनकी सरकार है। कभी इधर तो कभी उधर नीतीश कुमार होते रहे हैं, लेकिन इतने लाचार-बेबस कभी नहीं दिखे। आज बिहार में कानून का राज खत्म हो गया है। बिहार में फिर से एक बार जंगलराज कायम हो गया है। शराबंदी फेल हो गई है। जहरीली शराब पीने से आए दिन लोग मर रहे हैं। महिला अधिकारी को सरेआम घसीटा जा रहा है। दंगाई थाने में घुसकर पुलिस को धमका देते हैं। लेकिन नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने में मस्त हैं। अब चुनावी फायदे के लिए वे इतना नीचे गिर जाएंगे, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उन्होंने IAS जी.कृष्णैया की दिनदहाड़े हुई हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली नेता आनंद मोहन को जेल से रिहा कराने के लिए कानून ही बदल दिया है।

दुर्दांत अपराधी और बाहुबली के लिए नीतीश ने बदले कानून

बिहार के सबसे दुर्दांत अपराधियों में शुमार एक बाहुबली को फिर से खड़ा करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून बदल दिया है। एक डीएम जिसकी हत्या सरेआम रोड पर 1994 में कर दी गई थी, भीड़ को उकसाकर उनकी हत्या कराने का आरोप जिस अपराधी पर लगा था, उसका नाम बाहुबली आनंद मोहन था और मरने वाले डीएम का नाम जी.कृष्णैया था। पटना हाईकोर्ट ने आनंद मोहन को पहले मौत की सजा दी फिर बाद में इसे उम्र कैद में बदल दिया गया। अब इसी कैदी आनंद मोहन को जेल से रिहा कराने के लिए नीतीश कुमार ने कानून ही बदल दिया है।

बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को लेकर उठ रहे सवाल

बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है आनंद मोहन पर नीतीश सरकार की विशेष कृपा रही है, तभी तो हर जगह यह बात कहावत के रूप में कहीं जा रही है कि यह रिहाई एक बाहुबली, माफिया और दुर्दांत अपराधी को सरकार का उपहार है, और बिहार में फिर 90 का दशक लौटने वाला है।

नीतीश ने सुशासन का चोला उतारकर फेंका

इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि नीतीश जब तक बीजेपी के साथ सरकार में तभी तक वह सुशासन कुमार थे। और जब से उन्होंने राजद के साथ सरकार बनाई है, सुशासन का चोला उतारकर फेंक दिया है। यही वजह है कि एक ऐसे कैदी को रिहा कराने के लिए उन्होंने कानून बदल दिया, जिसने उनके ही राज्य के एक जिले के डीएम की सरेआम रोड पर हत्या करवाई हो। सबसे महत्वपूर्ण बात यह सब किया गया एक ऐसे अपराधी के लिए जिसे पहले फांसी की सजा मिली थी, बाद में उसे उम्रकैद में बदला गया था।

पलकें बिछाए बैठी है नीतीश सरकार

आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि एक ऑन ड्यूटी ऑफिसर की हत्या करने वाले के लिए नीतीश कुमार और उनकी पूरी सरकार पलके बिछाए बैठी है, और स्वागत के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है। क्योंकि उनका प्यारा दुर्दांत हत्यारा जेल से बाहर आ रहा है।

अपराधी को रिहा करने के लिए जेल मैनुअल बदल डाला!

पहले बिहार के जेल मैनुअल में लिखा था, कि सरकारी अफसर की ऑन ड्यूटी हत्या करने पर उम्र कैद की सजा खत्म होने पर रिहाई नहीं होगी। यानी अगर आप किसी सरकारी अफसर की हत्या करते हैं और अगर आप को उम्र कैद की सजा मिलती है तो जेल में आप अच्छा व्यवहार भी करते हैं तो भी आप की रिहाई नहीं होगी। लेकिन अब इस दुर्दांत अपराधी को बाहर निकालने के लिए नीतीश कुमार ने इस लाइन को ही हटा दिया है और इसे अपवाद की श्रेणी से हटाकर सामान्य श्रेणी में ला दिया। बदले हुए नियम के अनुसार, अब ऑन ड्यूटी सरकारी सेवक की हत्या अपवाद नहीं होगी। यानी अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा करने वाले ऑफिसर की हत्या करने वाले हत्यारे अब हत्या करके जेल में कुछ दिन अच्छे से रहेंगे और बाहर आ जाएंगे।

नीतीश सरकार पुलिस के साथ नहीं, गुंडे और माफिया के साथ

इस नए कानून से सीधा-सीधा गुंडों माफियाओं में यही मैसेज जाएगा कि सरकार अपने ऑफिसर अपने पुलिस के साथ नहीं बल्कि आपके साथ है। वह दिन दूर नहीं जब बिहार फिर से 90 के दशक में जाएगा। जब अपहरण एक उद्योग हुआ करता था। बालू माफिया समानांतर सरकार चलाते थे। कुछ जातियों के लोग हमेशा दहशत में रहा करते थे, टाइटल बदलकर उन्हें अपना जीवन जीना पड़ता था, ताकि कोई उनकी जाति को जानकर उनकी हत्या ना कर दे।

नीतीश कुमार के लिए दिवाली से ज्यादा महत्वपूर्ण ईद

ज़रा आप सोचिए उस डीएम की पत्नी पर आज क्या बीत रही होगी, जिनके पति की ऑन ड्यूटी हत्या कर दी गई थी। आज उनका भरोसा कानून से इस कदर उठ गया होगा इसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। लेकिन नीतीश कुमार का क्या है, उनके लिए तो दिवाली से ज्यादा महत्वपूर्ण ईद है। जब चाहे साथी बदल दिया, जब मन हुआ कानून बदल दिया। जो मन में आया कर दिया, शायद वो भूल जाते हैं कि उनके एक छोटे से छोटे निर्णय का असर बिहार के सभी जनता पर पड़ता है और जनता अगले चुनाव में उन्हें माफ नहीं करने वाली है।

लालू यादव ने कहा था- भूरा बाल साफ करो

वर्ष 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव सामाजिक न्याय की आड़ में समाज में जहर बो रहे थे। भूरा बाल (भूमिहार-राजपूत-ब्राह्मण-लाला यानी कायस्थ) साफ करो की बात कर सवर्णों के खिलाफ पिछड़ों और दलितों को उकसा रहे थे। इससे जगह-जगह जातीय दंगे हुए। बाहुबली नेताओं का उदय हुआ। लालू यादव के पहले कार्यकाल में 1995 आते-आते जंगलराज इस कदर कायम हो गया कि राज्य में कानून व्यवस्था चीज की नाम नहीं रह गई और हालत यहां तक पहुंच गई कि एक डीएम की हत्या दिनदहाड़े कर दी गई। और आज एक बार फिर बिहार वहीं पहुंच गया है और इस बार नीतीश कुमार की अगुवाई में।

नीतीश कुमार को देख आनंद मोहन की बांछें खिल गईं

आनंद मोहन और लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से विधायक भी हैं। उनकी शादी में तेजस्वी यादव तो नहीं जा सके, लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने जरूर चौंका दिया। बिहार में गठबंधन की राजनीति का नया अध्याय लिख रहे और जंगलराज कायम कर रहे नीतीश कुमार को देख हत्या के दोषी आनंद मोहन की बांछें खिल गईं।

राजद के साथ सरकार बनाते ही नीतीश कुमार की फजीहत शुरू हो गई थी और आज तो पूरा प्रदेश की जंगलराज की चपेट में है। इस पर एक नजर-

राजद के साथ सरकार बनाते ही नीतीश की फजीहत शुरू

राजद के साथ नई सरकार बनने और मंत्रियों के शपथ ग्रहण के साथ ही नीतीश की फजीहत शुरू हुई थी। आरजेडी कोटे के दो मंत्रियों- सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह को लेकर जब फजीहत होने लगी तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का फैसला नीतीश को लेना पड़ा। उसके बाद अपनी ही सरकार के सीएम के लिए सुधाकर सिंह ने शिखंडी, नपुंसक, भिखमंगा जैसे शब्दों से वेधना शुरू कर दिया। सुधाकर के शब्द वाण से आहत नीतीश ने आरजेडी के पाले में मामले को डाल दिया। पार्टी ने उन्हें इसके लिए शो काज भी दिया। मामला ठंडे बस्ते में है।

आरजेडी कोटे के मंत्री मंसूरी की वजह से नीतीश की फजीहत

आरजेडी कोटे से मंत्री बने इजरायल मंसूरी की वजह से अब नीतीश कुमार की फजीहत हो रही है। मंसूरी पर आरोप है कि मुजफ्फरपुर में हुई एक हत्या में उनकी संलिप्तता है। बीजेपी विधायकों ने जब यह मामला उठाया तो नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले आश्वस्त किया कि इसकी जांच करायी जाएगी। आश्चर्य इसके कुछ दिन बाद नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने जब सीएम से पूछा कि इजरायल मंसूरी के खिलाफ जांच का आपने आश्वासन दिया था, उसका क्या हुआ। इस पर जवाब देने के बजाय नीतीश कुमार चुप बैठे रहे। इससे पहले शायद ही कभी ऐसे मुद्दों पर नीतीश चुप रहे हों।

चंद्रशेखर, आलोक और सुरेंद्र भी कर चुके नीतीश की फजीहत

आरजेडी कोटे के तीन और मंत्रियों की वजह से भी नीतीश कुमार की फजीहत होती रही है। आलोक मेहता ने सवर्णों के बारे में बेतुकी बातें कहीं थीं। नीतीश की पार्टी जेडीयू को भी वह बयान नागवार लगा था। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने तो रामचरित मानस को नफरती ग्रंथ साबित करने का अभियान ही चला रखा है। चंद्रशेखर के बयान पर जेडीयू ने आपत्ति जतायी थी। सुरेंद्र यादव भी नीतीश कैबिनेट में हैं। उन्होंने सेना को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था।

शराबबंदी की विफलता और जहरीली शराब से 250 से अधिक मौतें

बिहार में 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी का कानून लागू किया था। यह शराबबंदी पूरी तरह विफल रही है। तब से लेकर अब तक राज्य में जरहीली शराब से मौत होने की 20 से अधिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। शराबबंदी के बाद बिहार में 6 वर्षों में जहरीली शराब से 250 से अधिक मौतें हुई हैं। 2016 में 16 से 18 अगस्त के बीच बिहार के गोपालगंज जिले के खजुरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हुई थी। राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद जहरीली शराब से मौत का यह पहला बड़ा मामला था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 2021 में, जहरीली शराब के नौ मामले सामने आए और इनमें 106 लोगों की मौत हुई।पिछले साल दिसंबर 2022 में बिहार के छपरा समेत कई जिलों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। छपरा में 50 से ज्यादा और सीवान में 5 और बेगुसराय के तेघड़ा में दो लोगों की मौत हुई थी।

महिला अधिकारी को लोगों ने दौड़ाकर पीटा और घसीटा

पटना जिले के बिहटा कस्बे में 17 अप्रैल 2023 को अवैध रेत खनन में शामिल लोगों ने खनन विभाग की महिला अधिकारी को घसीटा और हमला किया। पटना में बालू की ओवरलोडिंग की जांच के लिए गई महिला माइनिंग इंस्पेक्टर पर बालू माफियाओं के द्वारा हमला कर दिया दिखाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था की क्या हालत है। महिला अधिकारी के साथ मारपीट के इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव, डीजीपी, पटना के जिलापदाधिकारी और एसएसपी को नोटिस भेजकर जवाब मांगा। खनन एवं भूतत्व मंत्री रामानंद यादव से जब पत्रकारों ने खनन विभाग की महिला अफसर पर माफियाओं के द्वारा हमले को लेकर सवाल पूछा तो खनन मंत्री झल्ला उठे।

जातीय आग में जल रहा बिहार, छपरा में तीन राजपूतों की मॉब लिंचिंग

बिहार की जनता ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जंगलराज से मुक्ति के लिए नीतीश कुमार पर भरोसा जताया था, लेकिन अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए नीतीश ने जनता का भरोसा तोड़ दिया और अगस्त 2022 में जंगलराज की वापसी के सूत्रधार बन गए। महागठबंधन की सरकार आते ही हालात खराब होने लगे। इसमें जातीय जनगणना ने आग में घी डालने का काम किया है। आज पूरा बिहार जाति की आग में जल रहा है। इसका वीभत्स रूप छपरा में फरवरी 2023 में देखने को मिला, जब राजपूत जाति के तीन युवकों की मॉब लिंचिंग ने पूर देश को झकझोर दिया। वहीं नीतीश कुमार कानून और व्यवस्था को ताक पर रखकर समाधान यात्रा में व्यस्त रहे।

राजपूत बिरादरी के तीन युवकों की लाठी डंडों से पिटाई

बिहार के छपरा के मुबारकपुर पंचायत के एक पोल्ट्री फार्म में 02 फरवरी, 2023 को बंधक बनाकर राजपूत बिरादरी के तीन युवकों की लाठी डंडों से पिटाई की गई। मुखिया पति विजय यादव के लठैतों ने तीनों युवकों की बेरहमी से पिटाई की, जिसमें 35 साल के अमितेश की मौत हो गई, जबकि दो युवकों को गंभीर हालत में इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती करवाया गया। इस घटना के बाद जहां आरोपी मुखिया पति विजय यादव और उनके समर्थक फरार हो गए।

आरजेडी विधायक नेहालुद्दीन ने कहा-आत्मरक्षा के लिए बम बना रहे थे मुस्लिम लड़के

बिहार के दो शहर बिहार शरीफ और सासाराम सांप्रदायिक आग में जल रहे हैं। रामनवमी की शोभायात्रा पर हुए पथराव के बाद जो आग भड़की उसकी तपिश सड़क से सदन तक महसूस की जा रही है। इस हिंसा को लेकर जहां बीजेपी विधानसभा में आवाज उठ रही है, वहीं सड़क पर भी इसका जोरदार विरोध कर रही है। इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान ने मामले को और उलझा दिया है। उनके बयान से लगता है कि जांच की आड़ में वो इस हिंसा के लिए बीजेपी और हिन्दू संगठनों को जिम्मेदार बताकर अपनी नाकामी से ध्यान हटाने और दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं आरजेडी के विधायक मोहम्मद नेहालुद्दीन ने दंगाइयों के पक्ष में विवादित बयान देकर बता दिया है कि नीतीश-तेजस्वी की महागठबंधन की सरकार बम बनाने वालों और दंगाइयों के साथ खड़ी है।

बिहार जल रहा, सेक्युलर गैंग को नीतीश में दिख रहा भविष्य

बिहार जिस तरह जल रहा है और आपराधिक घटनाए्ं हो रही हैं, उससे प्रदेश की पूरी जनता आतंक के साये में जी रही है। लेकिन देश के सेक्युलर और लिबरल गैंग को नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल नजर आ रहे हैं। यह गैंग उनमें अपना भविष्य देख रहा है। इसलिए यह गैंग नीतीश के प्यार में इतना अंधा हो चुका है कि उसे जलता हुआ बिहार नजर नहीं आ रहा है। टूटती हुई जेडीयू भी दिखाई नहीं दे रही है। बिहार के जंगलराज पर मौन साधे हुए नीतीश को प्रधानमंत्री के रूप में देखने के लिए सियासी गठजोड़ में लगे हुए हैं। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी जैसा ताकतवर और देशभक्त प्रधानमंत्री पसंद नहीं है। उन्हें देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल जैसे कठपुतली प्रधानमंत्री चाहिए, जो उनकी हर मांग पूरी कर सके और मिलकर देश को लूट सके।

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