मोदी सरकार में हर क्षेत्र में इतिहास रचने का सिलसिला जारी है। मंगलवार (31 अगस्त, 2021) को सुप्रीम कोर्ट में भी नया इतिहास रचा गया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण ने तीन महिला जज सहित नौ नए जजों को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पद की शपथ दिलाई। यह शीर्ष अदालत के इतिहास में पहली बार है जब नौ जजों ने एक साथ पद की शपथ ली। पहली बार जजों को कोर्टरूम से बाहर ऑडिटॉरियम में शपथ दिलाई गई। हालांकि कोविड प्रोटोकॉल के देखते हुए ये फैसला लिया गया। इसके अलावा पहली बार शपथ ग्रहण का लाइव टेलीकास्ट किया गया।
वहीं पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन महिला जजों ने शपथ लीं। कर्नाटक हाईकोर्ट की तीसरी सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश नागरत्ना के अलावा गुजरात हाईकोर्ट की पांचवीं सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी और तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली को भी सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। इसके साथ ही पहली बार सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। वर्तमान में, जस्टिस इंदिरा बनर्जी शीर्ष अदालत में एकमात्र सेवारत महिला जज हैं, जिन्हें सात अगस्त 2018 को मद्रास हाईकोर्ट से पदोन्नत किया गया था। गौरतलब है कि कॉलेजियम ने ही इन 9 नामों की सिफारिश की थी। फिर मोदी सरकार की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसको हरी झंडी दिखाई थी।
मुकदमों का बोझ होगा कम
सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 जजों की स्वीकृत संख्या है। 9 जजों की नियुक्ति के बाद जजों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो गई है। इससे मुकदमों के निपटारे में तेजी आएगी और मुकदमों का बोझ भी कम होगा। दूसरे जजों को भी राहत मिलेगी और उन पर वर्कलोड कम होगा। सुप्रीम कोर्ट में करीब 69000 मामले लंबित हैं।
पहली बार बनेंगी कोई महिला चीफ जस्टिस
जस्टिस बी वी नागरत्ना के शपथ लेते ही देश को 2027 में पहली महिला सीजेआई मिलना सुनिश्चित हो गया। साथ ही न्यायपालिका के इतिहास में ये भी पहली बार होगा कि पिता और पुत्री सीजेआई बने हों। जस्टिस नागरत्ना के पिता जस्टिस ई एस वेंकेटरमैया पहले सीजेआई रह चुके हैं।