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राष्ट्रीय किसान दिवस विशेष : मोदी राज में 21वीं सदी के आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी किसान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक कृषि सुधार करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे किसानों में नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है। जहां मन आ रहा है, वहां अपनी उपज बेच रहे हैं। अब किसी बिचौलिए का मोहताज नहीं है। बिचौलिए खत्म होने और व्यापारियों की खेतों तक पहुंच सुनिश्चित होने से किसानों को उत्पादों की पूरी कीमत मिल रही है। आज मंडी से बाहर सौदों को कानूनी संरक्षण मिलने से किसान बिना किसी डर के व्यापारियों को अपनी उपज बेच रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं। आमदनी बढ़ने से किसान जहां खेतों में अधिक निवेश कर रहे हैं, वहीं उनके जीवन स्तर में भी सुधार हो रहा है। आइए देखते हैं मोदी सरकार में किसान किस तरह खुलकर नए अवसरों और विकल्पों का लाभ उठा रहे हैं।

मोदी सरकार में पहली बार

  • तीन नए कृषि कानूनों से देश में ‘एक राष्ट्र, एक कृषि बाजार’ का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • नए कृषि कानून में किए गए नए प्रावधानों से किसानों की आढ़तियों पर निर्भरता खत्म हो गई है।
  • नए कृषि कानून के तहत किसानों को अब कहीं भी अपनी उपज को बेहतर कीमत पर बेचने की आजादी मिली।
  • किसानों को कॉमन सर्विस सेंटर के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी फसल को मंडी से बाहर बेचने में मदद मिल रही है।
  • 17 अप्रैल, 2020 को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सब्जियों और फसलों की खरीद-बिक्री के लिए किसान रथ मोबाइल एप लॉन्च किया गया।
  • देश में पहले उत्पादकता बढ़ाने पर जोर होता था, अब किसान की आय बढ़ाने और उद्यमी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
  • पहले मंडी में सिर्फ आढ़तियों को व्यापार की अनुमति थी, लेकिन नया कृषि कानून किसी को भी पैन नंबर के साथ व्यापार की अनुमति देता है।
  • नए कृषि कानूनों के तहत मंडी से बाहर हुए सौदों को कानूनी संरक्षण मिला है। अब छोटे किसान भी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
  • अब बाजार स्वयं छोटे-छोटे किसानों के दरवाजे तक पहुंच रहा है, जिससे किसानों को माल ढुलाई और परिवहन पर खर्च नहीं करना पड़ रहा है।
  • छोटे किसानों को ताकत देने के लिए कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) का एक बड़ा नेटवर्क देश भर में तैयार किया जा रहा है।
  • एमएसपी पर पंजाब, हरियाणा समेत पूरे देश में रिकॉर्ड 86 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया।

किसानों का हित सर्वोपरि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, “मैं अपने किसान भाई-बहनों से फिर एक बार कह रहा हूं, बार-बार दोहराता हूं कि उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है। किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है। खेती पर किसानों का खर्च कम हो, उन्हें नए-नए विकल्प मिलें, उनकी आय बढ़े, किसानों की मुश्किलें कम हों, इसके लिए हमने निरंतर काम किया है।”

“बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। वर्षों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वायदा किया था, वो मांगें पूरी हुई हैं।”

“काफी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरुप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बहुत ही कम समय में किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है।”

“आज भारत के किसानों के पास अपनी फसल मंडियों के साथ ही बाहर भी बेचने का विकल्प है। आज भारत में मंडियों का आधुनिकीकरण तो हो ही रहा है, किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फसल खरीदने-बेचने का भी विकल्प दिया है। इन सारे प्रयासों का लक्ष्य यही है कि किसानों की आय बढ़े, देश का किसान समृद्ध हो। जब देश का किसान समृद्ध होगा, तो देश भी समृद्ध होगा।”

पीएम मोदी ने किया शंकाओं का समाधान 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए कृषि कानूनों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम अपने हाथों में लिया। वे इन सुधारों के बारे में 25 से भी अधिक बार बोल चुके हैं। यानि इस मुद्दे पर हर सप्ताह उन्होंने एक संबोधन किया और कानूनों से जुड़ी शंकाओं और आशंकाओं को दूर किया।

18 दिसंबर,2020 को मध्य प्रदेश के हजारों किसानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कृषि सुधार के बाद एक सबसे बड़ा झूठ एमएसपी पर बोला जा रहा है। अगर हमें एमएसपी हटानी होती तो स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू ही क्यों करते। पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा दिलाया कि पहले जैसे एमएसपी दी जाती थी, वैसे ही दी जाती रहेगी।

पीएम मोदी ने कहा कि एपीएमसी को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है, हमने एपीएमसी को खत्म नहीं किया है सिर्फ किसानों को नया विकल्प दिया है। पिछले 70 साल से सरकार किसानों को कहती आई है कि आप इसी मंडी में फसल बेच सकते हो, लेकिन हमने नए कानून में इसे बदला है। अब किसान वहां फसल बेच सकता है, जहां उसे फायदा दिखे।

प्रधानमंत्री मोदी ने 12 दिसंबर, 2020 को फिक्की की 93वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि फसलें उगाने वाले किसानों को, फल-सब्जियां उगाने वाले किसानों को जितना आधुनिक टेक्नोलॉजी का, आधुनिक व्‍यापार और उद्योग के तौर-तरीके का जितना सपोर्ट मिलेगा, उनकी जरूरतों को देखते हुए जितना हम इन्वेंस्ट करेंगे, उतना ही हमारे देश के किसानों का, फसलों का नुकसान कम होगा, उतनी ही उनकी आय बढ़ेगी।

30 नवंबर, 2020 को एनएच-19 के वाराणसी-प्रयागराज खंड की छह लेन चौड़ीकरण परियोजना के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि पहले की सरकार की तुलना में एमएसपी पर 5 साल में धान के लिए लगभग ढाई गुणा और गेहूं के लिए लगभग 2 गुणा ज्यादा पैसा मिल चुका है। अब आप ही बताइए कि अगर मंडियां और MSP को ही हटाना था, तो इतनी बड़ी ताकत क्‍यों देते? हमारी सरकार तो मंडियों को और आधुनिक बनाने के लिए, मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उदाहरणों के साथ बताया कि महाराष्ट्र के धुले ज़िले के किसान, जितेन्द्र भोइजी ने नये कृषि कानूनों का इस्तेमाल कैसे किया, ये आपको भी जानना चाहिये। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है।

किसानों को मिला अधिक दाम

उत्तर प्रदेश के कैराना के अलीपुर गांव के किसान नरेश कुमार ने कहा कि उन्होंने मंडी के बाहर कॉमन सर्विस सेंटर के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से गोभी को 10 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचा। उन्हें स्थानीय मंडी में गोभी का भाव एक रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा था। नरेश कुमार ने नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया।

बिहार के समस्तीपुर के मुक्तापुर गांव के किसान ओम प्रकाश यादव को स्थानीय मंडी में गोभी का एक रुपये किलो का भाव मिल रहा था। इससे निराश  ओम प्रकाश को अपनी गोभी की फसल नष्ट करने पर मजबूर होना पड़ा था, लेकिन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की पहल पर नए कृषि कानून के तहत ही वह स्थानीय दाम से दस गुना अधिक दाम पर दिल्ली में अपनी फसल बेचने में सफल हुए।

गुजरात के गणेश भाई बता रहे हैं कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से वह कैसे निश्चिंत होकर खेती कर रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए किसान बिल को अपना समर्थन दिया।

मध्यप्रदेश के गुना जिले के किसान मोहन शर्मा बताया कि कृषि सुधार कानून के बाद उन्होंने एक स्टार एग्री कंपनी को अपनी सोयाबीन की उपज बेची। उनको मंडी से अधिक दाम मिले।

राजस्थान के बारां जिले में रहने वाले अंता किसान उत्पादक संगठन के सीईओ मोहम्मद असलम ने कहा कि नए कृषि कानूनों के प्रभावी होने के बाद से उनकी संस्था ने किसानों से 40 टन सोयाबीन की खरीद उनके गांव जाकर की है और बाजार भाव से ज्यादा मूल्य दिया।

हिमाचल प्रदेश के शिमला में सेब उत्पादकों का कहना है कि बिचौलियों के खत्म होने से अब निजी सेब खरीद केंद्र उन्हें अधिक कमाई करने में मदद कर रहे हैं। अब उन्हें दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ती। अब वे सीधे खरीद केंद्र को सेब बेचते हैं। इससे उन्हें फायदा हो रहा है।

महाराष्ट्र के नाशिक ज़िले के नंदूर-शिंगोटे गांव के किसान विनायक हेमाडे को सिर्फ चार एकड़ खेत की धनिया की फसल से 12 लाख 51 हजार रुपये की आमदनी हुई। विनायक को बेहतर कीमत मिलने के अलावा फसल की कटाई लागत और परिवहन लागत पर भी बचत हुई।

आज देश का किसान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए कृषि कानूनों के साथ खड़ा है। एक नहीं, दो नहीं पूरे 50 किसानों के विचार आप सुन सकते हैं, जिन्होंने कृषि कानून के समर्थन किया है।

24 घंटे में मिला इंसाफ

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के किसानों से अनुबंध के बावजूद फॉर्चून राइस लि. धान नहीं खरीद रहा था। इस मामले में जिला प्रशासन ने नए कृषि कानून के तहत कार्यवाही की और किसान भाइयों को 24 घंटे में न्याय दिलाया। कंपनी को अनुबंधित कृषकों से तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने हेतु आदेशित किया गया। पूरे देश में यह संभवतः पहला मामला है जब किसानों को नए कानूनों का फायदा मिला।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में नए कृषि कानून के तहत एक बलराम परिहार नाम के कारोबारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी। जिले के भितरवार ब्लॉक में कारोबारी किसानों की धान खरीदकर बिना भुगतान किए भाग गया था। एफआईआर के बाद अब प्रशासन उसकी संपत्ति कुर्क कर किसानों को पैसा दिलाएगा।

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के लांजी क्षेत्र के किसानों से धान की फसल खरीद कर घोटी स्थित पलक राइस मिल द्वारा अब तक राशि का भुगतान नहीं किया गया है। किसानों ने नए कृषि कानून के तहत कार्रवाई करने का आवेदन दिया। इसकी खबर अखबारों में प्रकाशित हुई तो सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

मध्य प्रदेश के जबलपुर की पाटन तहसील में नए कृषि कानून के तहत किसानों को समय से भुगतान न करने पर प्राइवेट फर्म पर कार्रवाई की गई। शिव शक्ति ट्रेडर्स ने किसानों से 3400 बोरी धान की खरीद की थी। लेकिन किसानों को समय पर पैसे नहीं दिए। शिकायत मिलने पर एसडीएम ने तत्काल किसानों का भुगतान करने का आदेश दिया। 24 घंटे के भीतर 22.46 लाख रुपये किसानों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए गए और शिव शक्ति ट्रेडर्स पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया गया।

एमएसपी पर खऱीद जारी

देश में धान की रिकॉर्ड खरीद

22 प्रतिशत अधिक धान की खरीद

2019-20 – 282.66 लाख मीट्रिक टन

2020-21 – 344.86 लाख मीट्रिक टन

पंजाब से 59 प्रतिशत खरीद

कुल खरीद – 344.86 लाख मीट्रिक टन

पंजाब से खरीद – 202.77 लाख मीट्रिक टन

  • 29 नवंबर, 2020 तक 65,111.34 करोड़ रुपये मूल्य के धान की सरकारी खरीद हुई।
  • करीब 35.03 लाख किसान लाभान्वित हुए।

स्रोत : कृषि मंत्रालय

एमएसपी के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार

एमएसपी में अभूतपूर्व बढ़ोतरी

2015-16  1410 रुपये प्रति क्विंटल

2016-17  1470 रुपये प्रति क्विंटल

2017-18  1550 रुपये प्रति क्विंटल

2018-19  1750 रुपये प्रति क्विंटल

2019-20  1815 रुपये प्रति क्विंटल

2020-21  1868 रुपये प्रति क्विंटल

स्रोत : कृषि मंत्रालय

बड़े बाजार तक पहुंच

अब किसानों को बड़े बाजार तक पहुंचना आसान हो गया है। इससे उन्हें बेहतर दाम मिला रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश के दो एफपीओ- कामेंग आर्गेनिक फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड और लोअर दिबांग वैली आर्गेनिक जिंजर प्रोड्यूसर कंपनी लिमटेड से जुड़े किसान हल्दी और किंग चिली का उत्पादन करते हैं। नए कानून के प्रावधानों के आधार पर इन एफपीओ ने मसालों के प्रसंस्करण और निर्यात से जुड़ी सिलीगुड़ी की कंपनी पर्वत फूड लिमटेड के साथ समझौता किया है।

मंडी और खुली बिक्री दोनों का लाभ

नए कृषि कानूनों का एक उद्देश्य कृषि विविधता लाना भी है। पंजाब में कई ऐसे किसान हैं, जो कृषि विविधता पर बेहतरीन काम कर रहे हैं। इनमें से एक हैं लुधियाना में जगराओं के गगड़ा गांव के हरिंदर सिंह। उन्होंने कृषि विविधता का ऐसा मॉडल खड़ा किया कि अन्य किसानों के रोल मॉडल बन गए। हरिंदर ने बताया कि गेहूं, धान व मूंग की सरकारी खरीद होती है, जबकि मक्की व तरबूज व्यापारी खुद आकर ले जाते हैं। इस तरह वह मंडी और खुली बिक्री दोनों का लाभ ले रहे हैं।

उद्यमी बनते अन्नदाता

किसानों की आय बढ़ाने के साथ उद्यमी बनाने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं। देश में हजारों कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं, जिससे छोटे किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने में सुविधा होगी। कोल्ड चेन, मेगा फ़ूड पार्क और एग्रो प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व काम हो रहा है।  

  • देश में 10 हजार नए एफपीओ बनाने का काम भी प्रारंभ हो गया है। इन एफपीओ पर सरकार अगले 5 साल में 6,850 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है। इनके माध्यम से किसानी की लागत कम होगी। किसान टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा और इसका फायदा अंततः देश को ही मिलेगा।
  • जो किसान अब तक सिर्फ उत्पादक थे वे अब एफपीओ के माध्‍यम से कृषि से जुड़ा बिजनेस भी करेंगे। एफपीओ के जरिए उससे जुड़े किसान अपनी उपज का सही दाम पा सकेंगे।
  • किसान उत्पादक संगठनों को 2 करोड़ रुपये तक की परियोजना में कर्ज के लिए सरकार क्रेडिट गारंटी देगी। हर संगठन को 15 लाख रुपये तक की इक्विटी ग्रांट दी जाएगी।
  • किसानों का एक ग्रुप होना चाहिए जिसमें कम से कम 11 सदस्य हों। इसका कंपनी एक्ट रजिस्ट्रेशन होगा। मोदी सरकार जो 15 लाख रुपये देने की बात कर रही है उसका फायदा कंपनी का काम देखकर तीन साल में दिया जाएगा।
  • एफपीओ के माध्यम से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ फसल का होगा, किसान की जमीन का नहीं। कोई भी विवाद होने की स्थिति में कोर्ट कचहरी जाए बिना स्थानीय स्तर पर ही विवाद को निपटाने की व्यवस्था की गई है।

डिजिटल मंडी

  • लॉकडाउन के दौरान 17 अप्रैल, 2020 को सब्जियों और फसलों की खरीद-बिक्री के लिए किसान रथ मोबाइल एप लॉन्च किया गया।
  • इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसान आसानी से अपने सामान को बेच सकते हैं और व्यापारी उसे खरीद सकते हैं।
  • इस एप के द्वारा किसानों और व्यापारियों को ट्रक या अन्य सामान ढोने वाले वाहन के आने का समय और स्थान के बारे में जानकारी मिलती है।
  • किसान एक तय समय और स्थान पर जाकर फल, सब्जियों और अनाज को बेच सकते हैं।
  • एप देशभर के 5 लाख ट्रकों और 20,000 ट्रैक्टरों को भी अवसर प्रदान करता है। ट्रांसपोटर्स भी अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
  • ये एप अंग्रेजी, हिन्दी, गुजरातीी, मराठी, पंजाबी, तमिल, कन्नड और तेलुगु भाषा में उपलब्ध है।
  • एप खेतों से मंडियों और एक मंडी से दूसरी मंडी तक कृषि और बागवानी उत्पादों के परिवहन में मददगार साबित हो रहा है।
  • बाजारों-खरीदारों तक किसानों की डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पीएम मोदी ने 14 अप्रैल, 2016 को e-NAM पोर्टल की शुरुआत की थी।
  • किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 1000 कृषि मंडियों को सीधे राष्‍ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM पोर्टल) से जोड़ा गया है।
  • e-NAM से 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 68 करोड़ किसान, 1.51 लाख व्यापारी, 86,889 कमिशन एजेंट और 1937 एफपीओ जुड़े हुए हैं।
  • वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार e-NAM किया जा रहा है।
  • e-NAM पोर्टल एपीएमसी से संबंधित सभी सूचनाओं और सेवाओं के लिए एक एकल खिड़की सेवा प्रदान करता है।
  • e-NAM पोर्टल पर देश के किसी भी क्षेत्र में रहने वाला किसान देश के दूसरे क्षेत्र में अपनी उपज को बेच सकते हैं।
  • e-NAM पर बोली लगाने के बाद किसानों को उपज सही ढंग से तौलने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तराजू प्रदान किए गए हैं।
  • व्यापारियों द्वारा किसानों को भुगतान BHIM एप का उपयोग करके मोबाइल फोन के माध्यम से किया जा रहा है।

कृषि को लाभप्रद बनाने का प्रयास

मोदी सरकार किसानों का उत्पादन लागत कम करने और कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। इसमें जैव प्रौद्योगिकी, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, डाटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है।  

  • पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक का प्रयोग करके किसानों को मिलने वाली सुविधाओं के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में कृषि अधोसंरचना के विकास के लिए अलग से आत्मनिर्भर कृषि मिशन का गठन गया है। इससे ना केवल कृषकों की आय बढ़ेगी बल्कि कृषि आधारित उद्योगों से लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
  • 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है। जैसे-जैसे फंड नीचे, गांवों तक पहुंचेगा तो निश्चित रूप से इसका बहुत फायदा किसानों को मिलेगा। निजी निवेश बढ़ेगा और कोल्ड स्टोरेज गांव-गांव होंगे तो किसान अपनी उपज कुछ समय रोककर भी बेच सकेंगे।
  • मेगा फूड पार्क की योजना पर बल दिया जा रहा है, कठिनाइयां दूर की जा रही हैं। सरकार खाद्य प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) में 6 हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक मजबूत आधुनिक बुनियादी ढांचा नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य रखा है।
  • पीएमकेएसवाई के तहत मंत्रालय ने वर्ष 2014 से, बीते 6 साल में 640 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से लगभग ढाई सौ पूरी हो चुकी हैं। इनमें 21 मेगा फूड पार्क, लगभग पौने दो सौ कोल्ड चेन व मूल्यवर्धन बुनियादी ढांचा, करीब 50 प्रसंस्करण इकाइयां और अन्य परियोजनाएं शामिल हैं। 55 से ज्यादा कृषि-प्रसंस्‍करण क्लस्टर्स को भी मंजूरी दी गई है।

‘एक देश-एक दाम’

वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. जगदीश सिंह कहते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों से ‘एक देश-एक दाम’ का सिद्धांत पूरे देश में लागू होगा। इससे किसान को दोगुने से ज्यादा का लाभ होगा। साथ ही यह फसल विविधीकरण में भी सहायक होगा।

  • फसलों के विविधीकरण के साथ जैविक खेती में भी भविष्य छिपा है। फसलों के विविधीकरण से जमीन की उर्वरा शक्ति को वापस लाया जा सकता है।
  • बागवानी फसलों में मुख्य रूप से सब्जी फसलों को समाहित करने से न केवल फसल विविधीकरण होगा बल्कि किसानों को सब्जी फसलों की खेती से अधिक मुनाफा भी होगा।
  • कांट्रैक्ट फार्मिंग के बाद कंपनियां गांव पहुंचेंगी, वहां अपना निवेश कर कोल्ड चेन और सप्लाई चेन ठीक करेंगी, जिससे किसानों को फायदा होगा, फसलों की बर्बादी रुकेगी।
  • नए सुधारों से कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा, किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी मिलेगी, साथ ही उनके उत्पाद और आसानी से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचेंगे।
  • नए कृषि कानूनों से बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा ही नहीं मिलेगा बल्कि इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी।

कानूनों को मिला व्यापक समर्थन

मेरठ के किसानों का कहना है कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए पिछले छह साल में जितने काम किए हैं वो पिछले 60 साल में नहीं हुए। मेरठ के किसानों ने चौराहे पर ‘मैं भी किसान हूं’ का बैनर टांग कर कानून का समर्थन किया।

14 दिसंबर,2020 को अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति  के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। इन किसानों ने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की स्थिति में प्रदर्शन की चेतावनी दी। साथ ही एक समर्थन पत्र सौंपा और सरकार से इन कानूनों को बरकरार रखने की मांग की।

13 दिसंबर,2020 को उत्तराखंड के किसानों के एक प्रतिनिधमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया। किसानों ने सरकार से इस मामले पर दबाव में न आने की अपील की।

7 दिसंबर,2020 को हरियाणा के किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पद्मश्री से सम्मानित सोनीपत के प्रगतिशील किसान क्लब के अध्यक्ष कंवल सिंह चौहान की अगुवाई में कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात की और सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन में ज्ञापन भी सौंपा।

किसान संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ (FAIFA) ने कहा कि संसद में पारित विधेयकों से किसानों की समृद्धि और उनकी आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। एफएआईएफए के अध्यक्ष बी वी जवारे गौड़ा ने कहा कि नए नियमों से एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण होगा, जहां किसान और व्यापारी कृषि उपज की बिक्री और खरीद पूरी आजादी के साथ अपनी पसंद से कर सकेंगे और राज्यों के बीच व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलेगा।

कृषि कानूनों के पक्ष में देश

  • न्यूज 18 नेटवर्क के देशव्यापी सर्वे में शामिल 73.05 प्रतिशत लोगों ने कृषि सुधार और आधुनिकीकरण का समर्थन किया।
  • करीब 70 प्रतिशत लोग नए कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और इनका मानना है कि इससे किसानों का फायदा होगा।
  • 60.90 प्रतिशत का मानना है कि नए कृषि सुधार कानूनों के तहत किसानों को बेहतर कीमत मिल सकती है।
  • सर्वे के मुताबिक 54 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसानों का आंदोलन राजनीति से प्रेरित है।

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