मां पर शायरी लिखकर फेमस हुआ मुनव्वर राणा तो रंडियों का सौदागर निकलना। मुनव्वर राणा ने अयोध्या में श्री राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपनी जात दिखा दी है। उन्होंने कहा है कि भारत के पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई जितने कम दाम में बिके, उतने में हिन्दुस्तान की एक रंडी भी नहीं बिकती है। जिस मुनव्वर राणा को एक शायर समझता था वो तो कुछ और ही निकला। इस कथित शायर ने साबित कर दिया है कि वो एक मुसलमान से अधिक कुछ नहीं है।
इस शायर ने रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाए जाने पर कहा है कि राम मंदिर पर उनका फैसला अच्छा था या बुरा, उन्हें राज्यसभा की सदस्यता नहीं दी जानी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर मामले में न्याय नहीं हुआ बल्कि धोखाधड़ी हुई है। मुन्नवर राणा के इस दोगलेपन पर सोशल मीडिया में थू-थू हो रही है। प्रकाश शुक्ला नाम के एक यूजर ने लिखा है कि मुन्नवर राणा की हालत उस तवायफ जैसी हो चुकी है, जिसकी जवानी ढल गयी है और कोठा उजड़ चुका है।
मुन्नवर राणा की हालत उस तवायफ जैसी हो चुकी है ,
जिसकी जवानी ढल गयी है और कोठा उजड़ चुका है ,
नोट – तवायफ एक सिंबल है ! मेरी नजर में उनकी इज्जत है
क्षमा चाहता हूँ भाषा के लिए— Prakash Shukla (@PDhukr) August 17, 2020
मुन्नवर राणा ने राम मंदिर का फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई के खिलाफ कहा की “जितने में बिके हैं उतने में तो तवायफ नहीं बिकती”
आतंकियों की सरपरस्ती करने वाले अब जजों को भी गाली देने से नही हिचकिचाते!!
गद्दार कहीं के!!?pic.twitter.com/N9TvxyIM6g
— Abhishek Narsingh ?? (@AmanPradyuman) August 11, 2020
देश के सबसे बड़े इंसाफ के मंदिर सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख को यह मुन्नवर राणा जिस भाषा में संबोधित कर रहा है,
शर्त से कह सकता हूँ उसको अपना अब्बू कौन है ढूंढने के लिए अपने आस पास के दस रिश्तेदारों के डीएनए मैच करवाने पड़ेंगे pic.twitter.com/OCZ35kdbOA— Pardeep Kumar (@Pardeep19661) August 17, 2020
मुन्नवर राणा और राहत इंदौरी.. दोनों बंगलोर टाइप सेक्युलरिज्म की पैदावार है जिन्हें मीडिया ने सिर पर बैठाया.. वरना एक जमात के अलावा कौन पूछता है?
— Vivek Agnihotri (@viveklkw) August 12, 2020
मुन्नवर राणा ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तुलना तवायफ़से करके बहुत ही आप्तिजनक टिप्पणी की है, हकीकत में मुन्नवर राणा जैसे लोग देश में दंगा कराना चाहते हैं, इनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए।
— Vijay Shankar Tiwari (@VijayVst0502) August 11, 2020
सबसे बडे तालीबानी जमात के शायरों की संख्या में एक और नाम है
मुन्नवर राणा का जिसने छद्म सेकुलरिज्म का चोला पहिनकर हमेशा हिदुओं
पर निशाना साधा है!!— कृष्णा सिन्हा हिंदुस्तानी?I Love My Followers (@Krishna29892392) August 14, 2020
मक्कार मुन्नवर राणा ने सिद्ध कर दिया कि सूअर को चाहे मलमल की चादर पर ही क्यों ना सुला दो… पर लोटता वो गन्दी नाली में जा कर ही है!#मक्कार_मुन्नवर_राणा pic.twitter.com/AUQRPxdNcp
— असहिष्णु (@hsintolerant) August 10, 2020
शायर मुन्नवर राणा ने,
पुर्व मुख्य न्यायाधीश भारत के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया है,(तवायफ,किमत,बिकना)ऐसी बोली तो भड़ुवा बोलता है।
अब मैं मुन्नवर राणा को भड़ुवा समझूं या शायर?
आप सलाह दें।— Arun Kumar Sharma (@ArunKum51161041) August 15, 2020
कुछ शायर इमरान प्रतापगढ़ी, राहतइंदौरी, मुन्नवरराणा, जावेदअख्तर जैसे थे/है जिन्दगी भर “काफिरों” से पैसे कमाने में शर्म नहीँ और जब कमाई बंद हुआ इनके अंदर का “मुसलमान” जाग जाता है ! फिर क्या ? संविधान के नाम का कसीदे पढनें वाले “गाली-गलौज” पर उतर आते हैं! मन शरिया मुँह पर संविधान https://t.co/xXSqaBNt7D
— Chandra B. चंद्रा बी॰ ??? (@chandrabjha) August 17, 2020
अगर आज मुसलमानों से नफ़रत बढ़ी है तो उसकी वजह मुनव्वर राना जैसे लोग है। ये अपनी गंदी सोच के कारण ही नफ़रत के शिकार है।
— Ashutosh vats (@ashutoshthinks) August 17, 2020
वैसे आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि मुनव्वर राना ने जिन पंक्तियों पर जिंदगीभर वाह-वाही लूटी, वास्तव में वो लेखक आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई ‘अम्मा’ कविता से चुराई गईं हैं। डीडी न्यूज के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि जिस नज़्म ‘मेरे हिस्से में माँ आई’ की कमाई मुनव्वर राना, ज़िंदगी भर खाते रहे वो आलोक श्रीवास्तव, जी की कविता की कॉपी है। मुनव्वर राना ने खत का आज तक जवाब नहीं दिया, बेशर्मी से चुराई नज़्म पर पुरस्कार और तालियाँ बटोरते रहे।