Home समाचार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए गेम चेंजर साबित हुई मोदी सरकार की PLI...

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए गेम चेंजर साबित हुई मोदी सरकार की PLI स्कीम, FDI में 76 प्रतिशत की बढ़ोतरी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। मोदी सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम सबसे महत्वपूर्ण है। यह स्कीम अब मोबाइल मैन्युफैक्चिरिंग के लिए गेम चेंजर साबित हो रही है। जहां विश्व की दिग्गज मोबाइल कंपनियां भारत में प्लांट लगाकार मैन्युफैक्चरिंग कर रही है, वहीं निर्यात में भी अहम भूमिका निभा रही है। इसका असर निर्यात पर भी देखा जा रहा है। देश पहली बार इलेक्ट्रॉनिक सामानों के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है। 

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डीपीआईआईटी सचिव राजेश कुमार सिंह के मुताबिक पीएलआई योजनाओं की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई में 76 प्रतिशत की मजबूत बढ़ोतरी हुई है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 12.09 अरब डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 21.34 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ। पीएलआई योजन के तहत मार्च 2023 तक 62,500 करोड़ रुपये का वास्तिवक निवेश प्राप्त हुआ है, जिसका परिणाम है कि 6.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पादन और बिक्री हुई है और लगभग 3 लाख, 25 हजार रोजगार पैदा हुए हैं।

चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-अक्टूबर) में भारत के इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 15.5 अरब डॉलर हो गया है, जबकि साल 2022-23 में यह 23.6 अरब डॉलर रहा था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 तक निर्यात में 2.56 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में 8 सेक्टर्स के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत करीब 2900 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि बांटी गई। डीपीआईआईटी सचिव के मुताबिक तीन साल की अवधि के भीतर मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में मूल्यवर्धन को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने में सक्षम हुए हैं, जबकि वियतनाम जैसे देशों ने 15 वर्षों में 18 प्रतिशत मूल्यवर्धन हासिल किया और चीन ने 25 वर्ष में 49 प्रतिशत मूल्यवर्धन हासिल किया। इस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह एक बड़ी उपलब्धि है।

मोदी सरकार की पीएलआई स्कीम का कमाल है कि आज विदेशी कंपनियां भारत का रूख कर रही हैं। अमेरिका की चिप बनाने वाली कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजीज अहमदाबाद के पास सेमीकंडक्टर्स के उत्पादन के लिए फैक्ट्री लगाने जा रही है। वहीं ताइवान की दिग्गज कंपनी फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन ने अपने आपूर्तिकर्ताओं को भारत में स्थानांतरित कर दिया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, पीएलआई योजना के कारण ड्रोन क्षेत्र के राजस्व में सात गुना वृद्धि देखी गई है, जिसमें सभी एमएसएमई स्टार्टअप शामिल हैं।

पीएलआई स्कीम ने भारत की निर्यात संरचना में भी बदलाव लाने का काम किया है। पारंपरिक वस्तुओं से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार के उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे उच्च मूल्य वाले उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिला है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 3.65 लाख करोड़ रुपये के अपेक्षित निवेश के साथ पीएलआई योजना के तहत 14 क्षेत्रों में 700 से अधिक आवेदनों को मंजूरी दी गई है।विशेष रूप से, 176 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इस योजना के लाभार्थियों में से हैं, जिनकी औषधि, चिकित्सा उपकरण, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।

Leave a Reply