डिजिटल इंडिया के अभियान को गति देने के लिए बुधवार को बड़ा फैसला लिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने की कई योजनाओं को मंजूरी दी गई। इसके अलावा देश में 1 करोड़ डाटा सेंटर खोलने की योजना को मंजूरी दी गई। इस योजना को प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस इंटरफेस नाम दिया गया है। सरकार का दावा है कि इससे देश में फास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिशा में क्रांति आ जाएगी।
कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आज बैठक में देश में 1 करोड़ नए डाटा सेंटर खोलने की एक बड़ी योजना, लक्षद्वीप में अंडमान जैसी ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी की योजना और अरुणाचल के ऐसे इलाके जहां टेलीफोन की कोई सुविधा नहीं है वहां 4जी देने का निर्णय केंद्र सरकार ने किया है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कैबिनेट ने देश में बड़े पैमाने पर वाई-फाई नेटवर्क को लाने के लिए पीएम-वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफ़ेस-लॉन्च करने का निर्णय लिया है। देश में सार्वजनिक डेटा केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए कोई लाइसेंस, शुल्क या पंजीकरण नहीं होगा। सरकार से मात्र 7 दिनो में डेटा सेंटर खोलने की इजाजत मिलेगी।
Cabinet has taken a decision to launch PM- Wi-fi Access Network Interface-to unleash a massive wi-fi network in the country. Public data centres will be opened in the country. There will be no licence, fee or registration for it: Union Minister Ravi Shankar Prasad pic.twitter.com/KP6fYkqL7R
— ANI (@ANI) December 9, 2020
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने फैसला किया कि कोच्चि से लक्षद्वीप के 11 द्वीपों में 1000 दिन में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टविटी पहुंचा दी जाएगी। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों में मोबाइल कवरेज के लिए USOF योजना को मंजूरी दे दी गई है,जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश के 2374 गांवों में मोबाइल कवरेज उपलब्ध हो सकेगा। इसके लिए 1533 मोबाइल टावर लगाए जाएंगे।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इंटरनेट पहुंचाने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी की योजना पर काम किया जा रहा है। कोच्चि से लक्ष्यद्वीप के बीच ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की मंजूरी दे दी गई है। इस योजना पर करीब 1072 करोड़ रुपये अनुमानित खर्च आने की उम्मीद है।
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कैबिनेट में लिए गए फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना लागू की जाएगी, जिसके तहत कुल 2020-2023 तक 22 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस योजना के तहत करीब 58.5 लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। मार्च 2020 से अगले साल तक जो लोग नौकरी पर लग रहे हैं, इनका EPF अंशदान सरकार की ओर से दिया जाएगा। जिस कंपनी में 1000 से कम कर्मचारी हैं उनका 24 प्रतिशत EPF अंशदान सरकार देगी।