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नए कृषि सुधार कानूनों पर देखिए कांग्रेस की अवसरवादी राजनीति, पहले घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट में संशोधन के वादे और अब उसी संशोधन का विरोध

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कांग्रेस ने हमेशा अवसरवादी राजनीति की है। मई 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद कई योजनाओं को नए रूप में और उन्हें अधिक जनोपयोगी बनाकर लागू किया गया, तो कांग्रेस ने क्रेडिट लेकिन लिए अपनी योजना बताने में कोई देरी नहीं की। लेकिन जहां उसे राजनीतिक नुकसान होने का डर है, वहां कांग्रेस अपनी ही पहल से पल्ला झाड़ते नजर आ रही है। कांग्रेस ने जिस कृषि सुधार कानून का वादा अपने घोषणा पत्र में किया था, आज पंजाब में होने वाले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस अपने ही वादे को निभाने से भाग रही है।  

कांग्रेस की यूपीए सरकार ने 2010 में एपीएमसी एक्ट को लेकर जो पहल की थी, उसे बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया। जब केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों की आर्थिक मदद और उनकी आय दोगुनी करने के लिए कई पहल की, तो कांग्रेस को एपीएमसी एक्ट की याद आई। कांग्रेस ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट में संशोधन का वादा किया।

कांग्रेस द्वारा जारी घोषणा पत्र में साफ-साफ लिखा था, “ कांग्रेस  एपीएमसी (एग्री प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी) को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी… जिसमें निर्यात और अंतर-राज्य व्यापार भी शामिल होगा, जो सभी प्रतिबंधों से मुक्त होगा।” उनका यह घोषणा पत्र अब भी उनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं। घोषणा पत्र के पेज नंबर 17 के प्वॉइंट नंबर 11 में एपीएमसी एक्ट का जिक्र किया गया है। 

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह आवश्यक वस्तु अधिनियम को खत्म कर उसकी जगह ईसीए 1955 के नाम से नया कानून लेकर आएगी। इसका उल्लेख घोषणा पत्र के पेज नंबर 18 पर किया गया है। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने जून 2020 में आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम (Essential Commodities Act amended) में ऐतिहासिक संशोधन को मंजूरी दे दी। इसके बाद इसे संसद से पारित करवाया। यह कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। 

कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को एपीएमसी एक्ट को लेकर दिए अपना बयान याद हो या नहीं। लेकिन आम लोगों को पता है कि 27 दिसंबर, 2013 को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि कांग्रेस शासित राज्य एपीएमसी एक्ट के तहत फलों और सब्जियों को सूची से हटा देंगे, ताकि उनके दाम कम किए जा सकें। उनके भाषण को आप आज भी देख सकते हैं। उनका यह बयान मीडिया में भी सूर्खियां बनी थीं। 

एपीएमसी में सुधार को लेकर योजना आयोग ने भी गहन विचार-विमर्श किया था और इसपर अपनी रिपोर्ट दी थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में योजना आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एपीएमसी में सुधार को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के लिए किसानों को बेहतर ग्रामीण ढांचा मुहैया कराए जाने की जरूरत है। साथ ही भंडारण और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं को भी बेहतर बनाया जाना चाहिए।

एपीएमसी एक्ट में संशोधन के विरोध में सबसे अधिक आवाजें पंजाब से उठ रही हैं। लेकिन गौरतलब है कि इस दिशा में सबसे पहले कांग्रेस की पंजाब सरकार ने ही कदम उठाया था। Pepsi Co को 1988 में पहली बार पंजाब की कांग्रेस सरकार ने फूड प्रोसेसिंग के लिए किसानों से सीधे समझौते की अनुमति दी थी।

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