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मोदी सरकार के 9 साल : जानिए विपक्ष ने कब-कब पीएम मोदी के सामने खड़ी कीं बाधाएं, जनहित और देशहित के कार्यक्रमों और योजनाओं का किया विरोध

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2014 में देश की बागडोर संभालते ही खुद को 140 करोड़ देशवासियों की सेवा में पूरी तरह समर्पित कर दिया। पिछले नौ साल से भारत को आत्मनिर्भर बनाने और दुनिया में भारत का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए बिना रूके और बिना थके लगातार अथक परिश्रम कर रहे हैं। इसका असर ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में दिखाई दे रहा है। आज पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और महाशक्ति के रूप में उभरते भारत को सलाम कर रही है। यह सब देखकर विपक्षी दल हताश और निराश है। उन्हें लग रहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी की योजनाएं और कार्यक्रम सफल होते रहे, तो उनका केंद्र की सत्ता में वापसी का सपना धरा का धरा रह जाएगा। दरअसल मोदी विरोध का आलम यह है कि केंद्र सरकार कितनी भी अच्छी नीतियां देशहित में क्यों न बना लें, विपक्ष उसके विरोध में हो-हल्ला करता ही है। इसलिए वो पिछले नौ साल से प्रधानमंत्री मोदी के सामने लगातार बाधाएं खड़ी करते रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के तमाम रूकावटों और विरोधों से विचलित हुए बिना जनहित और देशहित के लिए दृढ़ निश्चय के साथ लगातार आगे बढ़ते रहे। आइए आपको उन प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में बताते हैं, जिसका विपक्ष ने ना सिर्फ मजाक बनाया, बल्कि जनता और देश को उसका लाभ लेने से वंचित करने की कोशिश की। 

विपक्षी दलों द्वारा संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार 

प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से 28 मई का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। इस दिन प्रधानमंत्री मोदी आजाद भारत में निर्मित नए संसद भवन को देश को समर्पित करेंगे। लोकतंत्र का यह मंदिर भारत के लोकतांत्रिक विकास और उसके लगातार मजबूत होने का जीवंत प्रमाण है। आज की जरूरतों को ध्यान में रखकर बना संसद भवन परंपरा के साथ आधुनिक तकनीक से सुसज्जित है। इस संसद भवन को लेकर पूरे देश में उत्साह है।  पूरा देश नए संसद भवन के उद्घाटन का साक्षी बनने जा रहा है। लेकिन इस ऐतिहासिक अवसर पर भी कई विपक्षी दल अपने विरोध की परंपरा को जारी रखना चाहते हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ढाल बनाकर उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है। वो नहीं चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी संसद भवन का उद्घाटन कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराएं। इससे पहले विपक्ष ने संसद भवन के निर्माण में कई तरह की बाधाएं खड़ी कीं। कभी पर्यावरण के नाम पर तो कभी फिजूलखर्जी के नाम पर निर्माण का विरोध किया। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ अपील की गई। तमाम चुनौतियों और विपक्षी बाधाओं के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की इच्छाशक्ति की वजह से भव्य संसद भवन बनकर तैयार हुआ है। 

दो हजार के नोट पर जबरदस्त सियासत, पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान

भारतीय रिजर्ब बैंक (आरबीआई) की तरफ से 2000 रुपए के नए नोट को चलन से बाहर करने का फैसला किया गया है। इसे लोग नोटबंदी 2.0 का नाम दे रहे हैं। लेकिन असल में यह नोटबंदी नहीं नोटबदली है। क्योंकि इनका लीगल टेंडर खत्म नहीं किया गया है। आरबीआई के अनुसार 2000 रुपये का नोट लीगल टेंडर तो रहेगा, लेकिन इसे सर्कुलेशन से बाहर कर दिया जाएगा। आरबीआई की तरफ से 2,000 के नोटों को बदलने के लिए 30 सितंबर 2023 तक का समय दिया गया है। ऐसे में लोगों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस फैसले से जहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और भ्रष्टाचारियों की कमर टूटेगी वहीं ब्लैक मनी का गोरखधंधा भी नहीं चल सकेगा। लेकिन यह फैसला भी विपक्ष को रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस बोल रही है कि जब नोट बंद ही करना था तो लाए ही क्यों थे। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि ऐसे फैसलों से अर्थव्यवस्था मजबूत होने की बजाए कमज़ोर होती है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने तो सारी सीमाएं लांघ दी। उन्होंने 2000 नोट को बदलने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ‘पगला मोदी’ जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। 

सेना को मजबूत करने के लिए लागू की गई अग्निवीर योजना का विरोध

प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी की प्राथमिकता देश की सेना को आधुनिक और ताकतवर बनाना है, जो दुश्मन से मिली किसी भी चुनौती का तीव्रता और प्रचंड प्रहार के साथ जवाब दे सके। मोदी सरकार ने युवा जोश से भरपूर सेना बनाने और युवाओं को पहले से ज्यादा मौका देने के लिए एक महात्वाकांक्षी ‘अग्निपथ’ योजना लॉन्च की। इस योजना के तहत देश के युवाओं को थल सेना, वायु और नौसेना में चार साल तक सेवा देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो रहा है। इस योजना के तहत चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत जवानों को सेना में स्थायी नौकरी दी जाएगी जबकि 75 प्रतिशत जवानों को सरकार के विभिन्न विभागों एवं उपक्रमों की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। पढ़ने और कारोबार करने के इच्छुक ‘अग्निवीरों’ को सरकार सर्टिफिकेट एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराएगी। जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अर्ध सैनिक बलों में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की बात कही है, वहीं कई राज्यों ने कहा कि पुलिस भर्ती में ‘अग्निवीरों’ को वरीयता देंगे। इसके बावजूद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलोंं ने इस योजना का विरोध किया। विपक्षी दलों ने युवाओं को गुमराह कर उन्हें भड़काया। योजना को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई गईं। इसकी वजह से बिहार सहित कई राज्यों में छात्र सड़क पर उतरे हैं और हिंसक प्रदर्शन किया। 

कांग्रेस पार्टी ने राम मंदिर के भूमि पूजन के मुहूर्त पर उठाया सवाल 

अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर दुनिया भर में हिंदुओं के बीच उत्साह का माहौल था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। भूमि पूजन से पहले अयोध्या में जश्न का माहौल था, लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने एक बार फिर साफ कर दिया कि हिंदू धर्म, हिंदू देवी-देवताओं में उनकी कोई आस्था नहीं है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल, मीडिया गिरोह, तथाकथित सेक्लुयर लोगों और कट्टरपंथियों में मातम पसरा हुआ था। ये लोग राममंदिर शिलान्यास कार्यक्रम की निंदा और अफवाह फैलाने से बाज नहीं आए। इन लोगों ने करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और उन्हें आहत करने की कोशिश की। कांग्रेस सांसद कुमार केतकर ने 2 अगस्त को जी न्यूज पर एक चर्चा के दौरान भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताया। केतकर ने कहा कि रामायण की वजह से राम का अस्तित्व है। राहुल गांधी के करीबी कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने भूमि पूजन के मुहूर्त पर सवाल उठाया। दिग्विजिय ने ट्वीट किया कि अयोध्या में भगवान राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के अशुभ मुहूर्त में कराये जाने पर हमारे हिंदू (सनातन) धर्म के द्वारका व जोशीमठ के सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का संदेश व शास्त्रों के आधार पर प्रमाणित तथ्यों पर वक्तव्य अवश्य देखें।

अनुच्छेद-370 और 35 ए को हटाने का विरोध

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को 2019 के आम चुनाव में दूसरी बार प्रचंड बहुमत मिला। 30 मई, 2019 को मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली। आम चुनाव में पहले से ज्यादा सीटें और जनता का विश्वास मिलने से प्रधानमंत्री मोदी को काफी आत्मबल मिला। जनता से मिली शक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी को दूसरे कार्यकाल में अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने बिना देरी किए दस हफ्ते के भीतर-भीतर ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35 ए को हटाने का सबसे ऐतिहासिक फैसला लिया। इससे एक राष्ट्र, एक विधान और एक निशान की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई। राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद मोदी सरकार ने जिस तरह से सदन के भीतर दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जुटाकर अनुच्छेद-370 व 35ए को निष्प्रभावी कराया, वह तारीफ के काबिल है। अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर बांटने के कदम का कांग्रेस ने विरोध किया। कश्मीर में पाबंदी को लेकर राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी के बयान को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने के लिए इस्तेमाल किया। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर अनुच्छेद 370 को फिर से लागू किया जाएगा।

नोटबंदी पर देश में पैदा किया गतिरोध

8 नवंबर, 2016 की रात भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम था। उस रात नोटबंदी का ऐतिहासिक और साहसिक फैसला लेकर मोदी सरकार ने कालेधन और आतंकवाद पर करारा प्रहार किया था। नोटबंदी से 500 और हजार के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर पीएम मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था पर झाड़ू चलाई थी। हालांकि, शुरुआत में इस फैसले से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा, मगर बाद में इस फैसले का उन्होंने भी स्वागत किया। नीतीश कुमार ने उस समय भी पीएम मोदी के निर्णय की सराहना की थी। लेकिन विपक्ष मोदी विरोध की राजनीति में उलझा रहा। राहुल लाइन में लगे तो ममता बनर्जी ने आंदोलन छेड़ दिया। लेकिन मोदी विरोध के नाम पर उनकी राजनीति पांच राज्यों के चुनाव नतीजों ने हवा कर दी। 

बेनामी संपत्ति एक्ट का विरोध

एक नवंबर को ही मोदी सरकार ने बेनामी संपत्ति संशोधन कानून, 2016 को लागू कर दिया था। लेकिन 22 मार्च को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जो वित्त विधेयक पेश किया उसमें इस कानून को और तल्ख कर दिया। इनकम टैक्स विभाग को छापा मारने और बेनामी संपत्ति जब्त करने की ताकत मिल गई। विपक्ष ने इसकी आलोचना की पर नीतीश चुप रहे। उनकी मौन सहमति यहां भी मोदी के साथ थी। आज लालू यादव यादव का परिवार हो या फिर देश के कई ऐसे रसूखदार लोग जिन्होंने बेनामी संपत्ति जमा की है वो जांच एजेंसियों की राडार पर हैं। 

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सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध

राजनीतिक विरोध अपनी जगह है लेकिन संकट के समय देश एक स्वर में बोलता है। विपक्ष की नकारात्मक राजनीति ने देश को शर्मसार करने का काम किया। खास तौर पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सवालों ने सेना को भी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। दरअसल सर्जिकल स्ट्राइक पर पाकिस्तान तो सवाल उठा ही रहा था, साथ में देश के विपक्षी नेताओं ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो सरकार से इसके सबूत भी मांगने शुरू कर दिये। कांग्रेस के प्रमुख नेता पी. चिदंबरम और फिर संजय निरुपम ने तो सेना की साख पर ही सवाल खड़े कर दिये थे।

जीएसटी का विरोध

देश की आर्थिक आजादी की नयी कहानी लिखने वाला वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। लेकिन इसके लागू होने की प्रक्रिया में विपक्ष के कई दल रोड़े अटकाते रहे हैं। ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की नीति देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए है, देश में पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए है, जनता की सहूलियत के लिए है। लेकिन विपक्ष को तो केंद्र सरकार के हर निर्णय का विरोध करना होता है इसलिए विरोध करते रहे। अपनी राजनीति के सामने देशहित से भी खिलवाड़ करता रहा।

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GST : आधी रात को संसद की विशेष बैठक का बहिष्कार

वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू करने के लिए कांग्रेस 30 जून की आधी रात को संसद की विशेष बैठक के बहिष्कार की घोषणा कर दी। कांग्रेस ने दलील यह दी कि 1947 में आजादी, 1972 में आजादी की सिल्वर जुबली और 1997 में आजादी की गोल्डन जुबली के कार्यक्रम आधी रात को सेंट्रल हॉल में आयोजित हुए थे। यानि आधी रात को संसद में जो भी कार्यक्रम हुए हैं वह आजादी से जुड़े हुए हैं और जीएसटी को इस तरह लागू करना वह संसद की गरिमा के खिलाफ है। लेकिन विरोध करते हुए कांग्रेस यह शायद भूल गई कि 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेश वाले देश में वन नेशन, वन टैक्स लागू करना ही अपने आप में मील का पत्थर है। यह भी आर्थिक आजादी की ही रात थी। लेकिन विपक्ष ने तो जैसे अपना सिद्धांत ही बना लिया है किसी भी स्तर पर जाकर विरोध करना है।

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आतंकवाद पर सख्ती का विरोध

8 मार्च को लखनऊ के बाहरी इलाके ठाकुरगंज में एक घर में लगभग 13 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद पुलिस ने आतंकवादी सैफुल्ला को मार गिराया। सैफल्ला के पिता ने भी उसे आतंकी माना और लाश लेने से इनकार कर दिया। लेकिन कांग्रेस कहां मानने वाली थी। उसने संसद में सवाल उठा दिया। बजट सत्र के दूसरे सेशन में संसद शुरू होने पर कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने मामला उठाते हुए कहा कि जब संदिग्ध सैफुल्लाह के आतंकी संगठन आईएस से जुड़े होने के सबूत नहीं थे तो उसे मारा क्यों गया? जाहिर है खुद जिसके पिता ने आतंकी माना, कांग्रेस अपनी कुत्सित राजनीति के कारण उसे आतंकी मानने को तैयार नहीं थी।

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आधार कार्ड की अनिवार्यता का विरोध

नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार पर जब जबरदस्त प्रहार हुआ तो सबसे ज्यादा दर्द पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हुआ है। वे कहती हैं कि भले ही वो मरें या जिएं पीएम मोदी को राजनीति से विदा करके रहेंगी। सोते, जागते, उठते, बैठते हर समय उनका अब एक ही मकसद दिख रहा है-मोदी विरोध। मोदी विरोध के नाम पर अब बैंक में खाता खोलने के लिए आधार नंबर को अनिवार्य किए जाने का विरोध कर रही है। हवाला निजता का दिया… लेकिन उद्देश्य वोटबैंक के लिए… मोदी विरोध… देश विरोध!

मोदी विरोध के नाम पर देश विरोध

पिछले नौ साल में पीएम मोदी का जितना विरोध किया गया है शायद ही भारतीय इतिहास में ऐसा कभी हुआ हो। विपक्षी दल मोदी विरोध की राजनीति में यह भी नहीं देखते कि मामला देशहित से जुड़ा है। सबसे अधिक शोर गुल उस राजनैतिक दल ने मचाया जिसे विगत चुनावों में जनता ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था। अन्य विरोधियों के साथ मिलकर इतना हो हल्ला जैसे चुनाव जीतने और सत्ता में आने का बीजेपी को कोई नैतिक और वैध अधिकार ही न हो। इतना तीव्र विरोध तो कांग्रेस ने विदेशी शासकों का भी कभी नहीं किया होगा।

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स्वच्छता अभियान का विरोध, योग दिवस का विरोध, शौचालय बनवाने और लोगों को उसकी प्रेरणा देने का विरोध, नोटबंदी का विरोध, गौहत्या पर लगाई गई रोक का विरोध, सर्जिकल स्ट्राइक, आतंकवादियों व अलगाववादियों तथा पत्थरबाजों के विरुद्ध की गई कार्रवाइयों का विरोध और न जाने क्या क्या, हर रोज हर बात का विरोध। प्रधानमंत्री मोदी देश में रहें तो भी विरोध और विदेश यात्रा पर हों तो उनका भी विरोध। केवल और केवल विरोध।

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बहरहाल 2014 के बाद गंगा में काफी पानी बह चुका है और नरेन्द्र मोदी का विरोध अब मायने नहीं रखता। इस समय बीजेपी की 15 राज्यों में सरकारें हैं। बहुमत के साथ 6 राज्यों में और सहयोगी पार्टियों के साथ 9 राज्यों में सरकार चला रही है। लेकिन विपक्षी दल शायद अब भी मोदी विरोध की राह को छोड़ने को तैयार नहीं है। लेकिन इतना तय है कि विपक्षी दलों के शोरगुल के बीच जनता देशहित के निर्णयों को भलि-भांति जानती है और समझती है।

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