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मोदी सरकार के 9 सालः मोदी विजन से भारत बना दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 5वां सबसे बड़ा एक्सपोर्टर

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नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो गए हैं। इन 9 सालों में मोदी सरकार ने आम जनता से लेकर देश हित को लेकर कई बड़े फैसले लिए। इन्हीं फैसलों में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के फैसले भी लिए गए जिसका परिणाम आज साफ तौर पर दिख रहा है। भाजपा सरकार ने 26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब सत्ता संभाली थी तब भारत का सकल घरेलू उत्पाद 20 खरब डॉलर के बराबर था, जो अब 37.3 खरब डॉलर है। प्रति व्यक्ति आय जो 2014 में 1,573.9 डॉलर थी, अब 2023 में 2,601 डॉलर है। रुपयों में मौजूदा कीमतों पर यह जीडीपी 2013-14 में 104.73 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 272.04 लाख करोड़ रुपये हो गई है। जीडीपी के मामले में भारत 2014 में 10वें स्थान पर था और अब यह पांचवें स्थान पर है। 2014 में भारत दुनिया की दसवीं अर्थव्यवस्था था अब पांचवें स्थान पर आ गया है। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कुलांचे भर रहा भारत अब विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है जबकि एक साल पहले 9वें नंबर पर था। यह सब मोदी विजन से ही संभव हो पाया है।

कोरोना काल से निकलकर बाहर आई भारत की इकोनॉमी ने दिखाया दम

साल 2014 से मौजूदा साल 2023 तक का देश का आर्थिक सफर ऐसा रहा है जिसे रोलर कोस्टर राइड कह सकते हैं। कोविड के संकटकाल से जूझती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच में भारत की अर्थव्यवस्था की हालत भी खासी डगमगाई। हालांकि पीएम मोदी के सफल नेतृत्व में कोविड के संकटकाल से बाहर आकर भारतीय इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुकी है और ये वास्तव में बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा 2.6 फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी हुआ

जब 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा 2.6 फीसदी पर रहा था। आज इसे देखें तो ये बढ़कर 3.5 फीसदी पर आ चुका है। आजादी के 75वें साल में ये आंकड़ा देश का हौसला बढ़ाने का काम करता है। 2014 से लेकर अब तक देश के गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) कलेक्शन में 22 फीसदी का इजाफा देखा गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था को लेकर भारत सरकार का जो आर्थिक संकल्प है, ये आंकड़े उसकी बानगी हैं।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बना भारत

देश की तरक्की में इसके ऑटोमोबाइल सेक्टर का भी बड़ा हाथ है और साल 2022 में देश के नाम एक ऐसी कामयाबी लगी है जो इसको साफ तरह से साबित करती है। दरअसल 2022 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया। भारत में साल 2022 में कुल 42.5 लाख नई गाड़ियां बिकीं जबकि जापान में 2022 के दौरान कुल 42 लाख यूनिट्स गाड़ियों की बिक्री हुई। वैश्विक ऑटो बाजार में भारत ने जापान के दबदबे को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट होने का रुतबा भी हासिल किया है।

2014 में 74 हवाई अड्डे थे, जो अब 148 हो गए

2014 में 74 हवाई अड्डे थे, जो अब दोगुने यानी 148 हो गए हैं। वर्ष 2014-15 के दौरान 12 किलोमीटर प्रतिदिन सड़क निर्माण हो रहा था, जो 2022-23 में बढ़कर 22.23 किमी प्रतिदिन हो गया है। जब हम यूपीए सरकार से तुलना करते हैं, तो केंद्र सरकार द्वारा सड़क निर्माण पर सालाना 10,000 करोड़ रुपये खर्च होता था, जो एनडीए के दौरान बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये हो गया है। सड़कों के अलावा जलमार्ग, रेलवे का विस्तार और वंदे भारत के नाम से स्वदेशी तीव्र गाड़ियों का विस्तार हुआ है।

वित्त वर्ष 2022-23 में 770.18 अरब डॉलर का रिकॉर्ड निर्यात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मोदी सरकार में पिछले नौ साल में भारत ने निर्यात में जो रिकार्ड कायम किया है वह अकल्पनीय है। यह पीएम मोदी की नीतियों का ही असर है कि भारत ने निर्यात के मोर्चे पर पिछले नौ साल में नित नए रिकॉर्ड बनाए हैं और वित्त वर्ष 2022-23 में 770.18 अरब डॉलर का निर्यात किया है जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 13.84 प्रतिशत ज्यादा है। निर्यात का नया कीर्तिमान स्थापित करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारतवासी अपनी प्रतिभा और अपनी उद्यमशीलता की भावना का प्रदर्शन कर रहे हैं। विश्व भारत की ओर आशा और उत्साह से देख रहा है।

मोदी राज में दही-पनीर से चॉकलेट तक और खिलौना से रक्षा उत्पाद तक दुनिया में बज रहा भारत का डंका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी नेतृत्व में भारत दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। आज देश में ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जो तरक्की की नई बुलंदी न छू रहा हो। देश की आजादी के बाद कांग्रेस ने कई ऐसे क्षेत्र को उपेक्षित छोड़ दिया जिससे देश समग्र विकास से वंचित रहा। जो सेक्टर कल तक उपेक्षित था, पीएम मोदी की प्रेरणा से अब भारत उन क्षेत्रों में भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। आज वैसी चीजों का भी निर्यात बढ़ा है जो पहले एक सपना समझा जाता था। वह चाहे पूर्वोत्तर राज्यों से कृषि उत्पादों का निर्यात हो, खिलौना निर्यात हो, खादी का निर्यात हो, कालीन का निर्यात हो, दही-पनीर-चॉकलेट का निर्यात हो और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट का निर्यात हो। इसके साथ ही रक्षा उत्पाद निर्यात में भारत ने लंबी छलांग लगाई है। कुछ साल पहले तक इनके निर्यात पर कभी चर्चा भी नहीं होती थी क्योंकि निर्यात नगण्य था। पीएम मोदी के 9 साल के कार्यकाल में हर उस सेक्टर की सुध ली गई है जिसमें भारत अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकता है।

निर्यात का बना नया रिकॉर्ड, 2022-23 में 13.9 प्रतिशत बढ़ा

पीएम मोदी के विजन से तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद वस्तु व सेवा निर्यात ने वित्त वर्ष 2022-23 में फिर से नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2021-22 में भी वस्तु व सेवा दोनों ही निर्यात ने रिकॉर्ड बनाए थे। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तु व सेवा का कुल निर्यात 770.18 अरब डॉलर का रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तु व सेवा के कुल निर्यात से 13.9 फीसद अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तु व सेवा का कुल निर्यात 676.53 अरब डॉलर का था।

2021-22 के मुकाबले 93.65 अरब डॉलर का अधिक रहा निर्यात

आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तु व सेवा का कुल आयात 892.18 अरब डॉलर का रहा, जो 21-22 के मुकाबले 132 अरब डॉलर अधिक है। इस प्रकार वित्त वर्ष 2022-23 में कुल व्यापार घाटा 122 अरब डॉलर का रहा, जबकि पूर्व के वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 83.53 अरब डॉलर का था।

पीएम मोदी के विजन से और उनके नेतृत्व में निर्यात में भारत लगातार तरक्की के रास्ते पर है और नित नए रिकार्ड बना रहा है, इस पर एक नजर-

भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक

भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा मछली निर्यातक बन गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की शुरुआत के बाद से देश में मछली उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2013-14 में मछली का निर्यात जहां 30213.26 करोड़ रुपये था वहीं वर्ष 2021-22 में यह 90 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 57586.48 करोड़ रुपये हो गया। देश में मछली का उत्पादन और मत्स्य निर्यात का उद्योग बढ़ाने हेतु पीएम मोदी ने 10 सितंबर 2020 को मत्स्य संपदा योजना का शुभारंभ किया था।

वाद्ययंत्रों का निर्यात करीब 4 गुना बढ़कर 370 करोड़ रुपये

भारतीय वाद्ययंत्रों (म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स) का निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 में 93 करोड़ रुपये हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह करीब चार गुना (3.98) बढ़कर 370 करोड़ रुपये हो गया। इन आंकड़ों से आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां आजादी के 65 वर्षों बाद 2013 तक 93 करोड़ निर्यात हुआ वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में यह बढ़कर 370 करोड़ रुपये हो गया।

कालीन निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा

भारत का कालीन उद्योग प्राचीन काल से प्रख्यात रहा है लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।

खिलौना निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये पहुंचा

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद भारत के विकास की तस्वीर बदल दी। बंद पड़े खाद कारखानों से लेकर कई उद्योगों एवं फैक्टरी को फिर से शुरू किया गया। इन्हीं उद्योगों में एक था खिलौना उद्योग जिसे कांग्रेस ने मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया था। लेकिन पीएम मोदी के विजन से खिलौना उद्योग सफलता के नए कीर्तिमान रच रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश का खिलौनों का निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जबकि इसी अवधि में 2013 में यह 167 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में निर्यात 2,601 करोड़ रुपये रहा था।

खिलौना आयात 67 प्रतिशत कम हुआ, देश का पैसा विदेश जाने से बचा

पीएम मोदी के विजन से देश में उत्पादन बढ़ने से केवल निर्यात ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि आयात भी घट रहा है। जहां निर्यात बढ़ने से देश में पैसा आ रहा है वहीं आयात घटने से देश का पैसा विदेश जाने से बच रहा है। इसका ताजा उदाहरण है खिलौना उद्योग। इस उद्योग ने 2014-15 में 322.55 मिलियन डॉलर (करीब 26 अरब रुपये) के खिलौने आयात किए थे। वहीं 2021-22 में खिलौना आयात घटकर 109.72 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) रह गया है।

दवाओं का निर्यात एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ‘विश्व की फार्मेसी’ बनने की ओर अग्रसर है। अप्रैल-दिसंबर 2022 में दवाओं एवं फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 2.4 गुना बढ़ गया। अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में भारत से दवाओं का निर्यात जहां 49,200 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में यह बढ़कर 1,17,740 करोड़ रुपये हो गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत से दवा का निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 27 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अब तक का सबसे अधिक मूल्यांकन वाला निर्यात होगा।

मेड इन इंडिया का कमाल, 2.5 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट

पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।

रक्षा निर्यात 10 गुना बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये पहुंचा

सरकार की तरफ से निरंतर नीतिगत पहलों और रक्षा उद्योग के अभूतपूर्व योगदान के माध्यम से भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा निर्यात में अहम उपलब्धि हासिल की है। इस वित्त वर्ष में निर्यात अपने लगभग 16,000 करोड़ रुपये के अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 3,000 करोड़ रुपये ज्यादा है। यह 2016-17 के बाद से 10 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। भारत फिलहाल 85 से ज्यादा देशों को निर्यात कर रहा है। भारतीय उद्योग ने वर्तमान में रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 कंपनियों के साथ डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाई है। बढ़ता रक्षा निर्यात और एयरो इंडिया 2023 में 104 देशों की भागीदारी भारत की बढ़ती रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है।

आठ साल पहले तक रक्षा उत्पाद का आयातक था भारत

लगभग आठ साल पहले तक एक आयातक के तौर पर पहचाना जाने वाला भारत, आज ड्रोनियर-228, 155 एमएम एडवांस्ड टोड आर्टिनरी गन्स (एटीएजी), ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम्स, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल्स, आर्मर्ड व्हीकल्स, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, एम्युनिशन, थर्मल इमेजर, बॉडी आर्मर, सिस्टम, लाइन रिप्लेसिएबिल यूनिट्स और एवियॉनिक्स और स्मॉल आर्म्स के भाग और घटकों जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स का निर्यात करता है। दुनिया में एलसीए-तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर, एमआरओ गतिवधियों की मांग बढ़ रही है।

रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 5-6 वर्षों में कई नीतिगत पहल

रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने पिछले 5-6 वर्षों के दौरान कई नीतिगत पहल की हैं और सुधार किए हैं। पूरी तरह से ऑनलाइन निर्यात की व्यवस्था के साथ देरी को कम करने और कारोबारी सुगमता के साथ निर्यात प्रक्रियाओं को सरल और उद्योग के अनुकूल बना दिया गया है। सरकार ने प्रौद्योगिकी, बड़े प्लेटफॉर्म्स और और उपकरणों के अंगों और घटकों के निर्यात एवं हस्तांतरण के लिए तीन ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंग (ओजीईएल) अधिसूचित किए हैं। ओजीईएल एक बार में दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है, जो ओजीईएल की वैधता के दौरान निर्यात अधिकार की मांग किए बिना ओजीईएल में उल्लिखित विशिष्ट वस्तुओं में से निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्यात करने की अनुमति देता है।

अनाज के निर्यात में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में जहां अनाजों का भरपूर उत्पादन हो रहा है, वहीं भारत को निर्यात के मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। कृषि व खाद्य वस्तुओं के निर्यात में लगातार तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है। चावल के अलावा विभिन्न प्रकार के अनाज के निर्यात में तो नवंबर 2022 में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर माह में चाय, चावल, विभिन्न अनाज, तंबाकू, ऑयल मिल्स, तिलहन, फल व सब्जी, विभिन्न प्रकार के तैयार अनाज व प्रोसेस्ड आइटम के निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले दहाई अंक में बढ़ोतरी रही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चाय 27.03 प्रतिशत, चावल 19.16 प्रतिशत, ऑयल मिल्स 17.55 प्रतिशत, तिलहन 38.83 प्रतिशत, फल व सब्जी 25.01 प्रतिशत, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के एक्सपोर्ट करने में 22.75 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। निर्यातकों के मुताबिक आगामी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है और इससे मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।

40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के मोबाइल फोन का निर्यात

नीति आयोग के अनुसार नवंबर 2022 तक, मोबाइल फोन का निर्यात 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान हुए निर्यात के दोगुने से भी अधिक है। मोबाइल फोन का उत्पादन जो 2014-15 में लगभग छह करोड़ का था वह 2021-22 में बढ़कर लगभग 31 करोड़ हो गया। जिस रफ्तार से मोबाइल फोन का निर्यात हो रहा है, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि पूरे वित्त वर्ष 2022 के आंकड़े को दिसंबर की शुरुआत में ही पार कर लिया जाएगा और वित्तीय वर्ष 2023 को यह 8.5-9 बिलियन डॉलर की सीमा को भी पार कर लेगा। वहीं भारत ने वित्त वर्ष 2022 में 5.8 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया है।

मोबाइल आयात पर निर्भरता लगभग 5 प्रतिशत हुआ

उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, जैसे-जैसे निर्यात बढ़ रहा है, भारत ने वित्त वर्ष 2022 में मोबाइल आयात पर निर्भरता को भी लगभग 5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो 2014-15 में 78 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था। वहीं अब भारत का लक्ष्य 2025-26 तक 60 बिलियन डॉलर के सेल फोन का निर्यात करना है। शुरुआत में भारत से मुख्य तौर पर साउथ एशिया, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप के देशों को मोबाइल फोन निर्यात किया जाता था। लेकिन अब कंपनियों का ध्यान यूरोप और एशिया के कॉम्पिटिटिव मार्केट पर है। पहले मोबाइल फोन निर्यात के मामले में काफी पीछे हुआ करता था। वर्ष 2016-17 में देश से केवल 1 प्रतिशत से अधिक ही मोबाइल फोन उत्पादन का निर्यात हुआ करता था, लेकिन आईसीईए के आंकड़ों के अनुसार यह प्रतिशत 2021-22 में बढ़कर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुंच गया। वहीं ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि साल 2022-2023 में उत्पादन का लगभग 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।

पीएम मोदी के विजन से फलों का निर्यात तीन गुना बढ़ा

भारत विश्वभर में आम, केला, आलू तथा प्याज जैसे फलों और सब्जियों का प्रमुख उत्पादक है। सब्जियों की बात करें तो अदरक और भिंडी के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है। आलू, प्याज, फूलगोभी, बैगन तथा पत्ता गोभी आदि के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। लेकिन जब बात निर्यात या वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी की आती है तो इसमें भारत बहुत पीछे रह गया। वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे भारत के विकास पर जोर दिया और उन्होंने हर उस सेक्टर की पहचान की जिसमें भारत बेहतर कर सकता है। पिछले आठ साल में भारतीय फल पपीता और खरबूजे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2013-2014 के अप्रैल-सितंबर में इन दोनों फलों का निर्यात जहां 21 करोड़ रुपये का होता था वहीं अब अप्रैल-सितंबर वर्ष 2022-2023 में यह तीन गुना बढ़कर 63 करोड़ रुपये का हो गया है।

आदिवासी हैंडीक्राफ्ट ने विदेशों में की 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई

देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।

चीनी निर्यात करीब 7 गुना बढ़कर 46 हजार करोड़ रुपये पहुंचा

चीनी का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2013-14 में 7188 करोड़ रुपये था जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में यह करीब 7 गुना बढ़कर 46289 करोड़ रुपये हो गया। चालू विपणन वर्ष 2022-23 के फरवरी तक चीनी उत्पादन 24.7 मिलियन टन पर पहुंच गया है। सरकार ने इस साल 6 लाख टन (6 मिलियन टन) चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है और शीर्ष निर्यातकों में से एक है।

ब्रांडेड कपड़े का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़कर 4200 करोड़ रुपये

पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले अप्रैल-फरवरी 2013-2014 में ब्रांडेड कपड़े का निर्यात 1337 करोड़ रुपये का हुआ था। वहीं अप्रैल-फरवरी 2022-2023 में यह करीब साढ़े तीन गुना बढ़कर 4266 करोड़ रुपये हो गया है। नौ साल में ही साढ़े तीन गुना की वृद्धि सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं की वजह से ही संभव हो पाया है।

दुनिया को भा रहा भारत के दही-पनीर का स्वाद, निर्यात 5 गुना बढ़ा

भारत के दही व पनीर के निर्यात के बारे में पहले बात भी नहीं की जाती थी लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में इस सेक्टर का निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है और इसका स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां दही-पनीर का निर्यात करीब 54 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 276 करोड़ रुपये हो गया।

दुनिया भारतीय चॉकलेट से कर रही मुंह मीठा, निर्यात दोगुना बढ़ा

देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में भारतीय चॉकलेट का निर्यात जहां 304 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह दोगुना से ज्यादा बढ़कर 677 करोड़ रुपये हो गया। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।

देसी मकई की दीवानी हुई दुनिया, निर्यात 1.5 गुना बढ़ा

दुनिया के कुछ प्रमुख मक्का उत्पादक देशों में इस साल उत्पादन घटा है। उत्पादन में गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की किल्लत है। नतीजतन, कीमत में अच्छी वृद्धि हुई है, और इसका लाभ किसानों को मिल रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 4274 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह डेढ़ गुना बढ़कर 6507 करोड़ रुपये हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इससे भारत से मक्का का निर्यात भी बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में मक्का के निर्यात में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस साल 6 हजार 507 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया है।

भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये

भारत अब दुनिया के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी योगदान कर रहा है। आयरन और स्टील निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 41,142 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 79,623 करोड़ रुपये हो गया। भारत ने जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में 11.34 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत अधिक है। सरकार का लक्ष्य कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को 15 करोड़ टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने तक पहुंचाना है।

लद्दाख से 35 एमटी ताजा खुबानी का निर्यात किया गया

लद्दाख से कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने वाली अपनी संस्था एपीडा के माध्यम से ‘लद्दाख एप्रिकोट’ यानी लद्दाख खुबानी ब्रांड के तहत लद्दाख से निर्यात बढ़ाने के लिए खुबानी मूल्य श्रृंखला के हितधारकों को सहायता देने की प्रक्रिया में है। खुबानी लद्दाख के महत्वपूर्ण फलों में से एक है और स्थानीय स्तर पर ‘चुली’ के नाम से जानी जाती है। एपीडा ने वर्ष 2021 के दौरान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से ताजा खुबानी फलों के निर्यात की पहचान की थी और खुबानी सीजन 2021 के अंत में परीक्षण के तहत इसकी दुबई को आपूर्ति की गई थी। इसके अनूठे स्वाद और सुगंध के कारण उत्पाद की स्वीकार्यता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद की खासी मांग थी। एपीडा ने 14 जून, 2022 को लेह में एक अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक का भी आयोजन किया था, जो खुबानी की खेती का सीजन शुरू होने से ठीक पहले हुई थी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से खुबानी और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ संवाद के लिए भारत, अमेरिका, बांग्लादेश, ओमान, दुबई, मॉरिशस आदि देशों के 30 से ज्यादा खरीदार एकजुट हुए थे। इसके परिणामस्वरूप 2022 सीजन के दौरान पहली बार लद्दाख से 35 एमटी ताजी खुबानी का विभिन्न देशों को निर्यात किया गया। परीक्षण के तहत 2022 सीजन के दौरान सिंगापुर, मॉरिशस, वियतनाम जैसे देशों को भी शिपमेंट भेजी गई। 15,789 टन के कुल उत्पादन के साथ लद्दाख देश का सबसे बड़ा खुबानी उत्पादक है जो कुल उत्पादन का लगभग 62 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में लगभग 1,999 टन सूखी खुबानी का उत्पादन किया, जिससे यह देश में सूखी खुबानी का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। लद्दाख में खुबानी की खेती का कुल क्षेत्रफल 2,303 हेक्टेयर है।

बासमती चावल के एक्सपोर्ट में 39 फीसद की बढ़ोतरी

भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बन चुका है। ऐसे में सबसे ज्यादा बासमती चावल का निर्यात होता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो शिपिंग प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 2873 मिलियन टन सुगंधित बासमती चावल का निर्यात किया है। पिछले साल की तुलना में बासमती चावल का निर्यात 39 प्रतिशत बढ़ा है। वित्त वर्ष 2021-22 में अप्रैल से नवंबर के दौरान 2063 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया गया था। उसके बाद वर्ष 2022 में अप्रैल से नवंबर के दौरान 2873 मिलियन टन सुगंधित बासमती चावल का निर्यात किया गया है।

भारत के चावल का निर्यात अमेरिका, यूरोप और सऊदी अरब देशों में

भारत का गन्ना, गेहूं और मोटा अनाज विदेशों में खूब सूर्खियां बटोरता नजर आता है लेकिन अब इसमें बासमती चावल भी शामिल हो चुका है। अपने स्वाद, सुगंध और लंबे दाने की वजह से विदेशों में भी अब इसकी मांग बढ़ती जा रही है। जिस वजह से भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल एक्सपोर्टर के रूप में उभरता नजर आ रहा है। यहां का बासमती चावल कई देशों में भेजा जा रहा है। भारत के बासमती चावल का निर्यात अमेरिका, यूरोप और सऊदी अरब जैसे देशों में किया जाता है। वहीं गैर बासमती चावल की बात करें तो इसका एक्सपोर्ट अफ्रीकी देशों में ज्यादा किया जाता है। लगभग दो-तिहाई बासमती चावल ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को निर्यात किया जाता है।

मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 10.29 प्रतिशत बढ़ा

मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 10.29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अकेले पोल्ट्री निर्यात में 83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इन रिकॉर्ड निर्यातों से देश को 57 मिलियन अमरीकी डॉलर का लाभ हुआ है। डेयरी उत्पादों की बात करें तो यहां भी 58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जहां अप्रैल-सितंबर 2021-22 में क्षेत्र से 216 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई थी वहीं अप्रैल-सितंबर 2022-23 में यह कमाई 342 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही।

कृषि उत्पादों के निर्यात में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की समान अवधि के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के 6 महीनों के दौरान 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान 11,056 मिलियन डॉलर के कृषि एवं प्रशंसक खाद्य उत्पाद निर्यात किए गए थे जबकि इस वर्ष 13,771 मिलीयन डॉलर दर्ज किया गया है। निर्यात किए गए उत्पादों में फल, सब्जियां और अनाज मुख्य रूप से शामिल है।

148 करोड़ डॉलर के गेहूं का निर्यात

देश के गेहूं निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान देश से कुल 148 करोड़ डॉलर का गेहूं एक्सपोर्ट किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान देश से कुल 63 करोड़ रुपये के गेहूं का निर्यात किया गया था।

मसाला निर्यात में 22 फीसदी वृद्धि, बढ़कर 42,860 टन हुआ

नवंबर 2022 में भारत से मसाला निर्यात बढ़कर 42,860 टन हो गया। मसाला बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में निर्यात 0.56 प्रतिशत बढ़कर 42,860 टन रहा। पिछले वर्ष इसी महीने में 42,620 टन मसालों का निर्यात हुआ था। इस दौरान मसाला निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 62,162.78 करोड़ रुपये का रहा, जो पिछले वर्ष नवंबर में 50,969.37 करोड़ रुपये का था। नवंबर में भारत ने 25,000 टन मिर्च का निर्यात किया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 19,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड के बयान के अनुसार अप्रैल-नवंबर 2010 के दौरान 4,320.8 करोड़ रुपये के 3.6 लाख टन मसालों का निर्यात किया गया। अप्रैल-नवंबर 2009 में 3,770.1 करोड़ रुपये मूल्य के 3,41,950 टन मसालों का निर्यात हुआ था। यह मात्रा में 6 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बोर्ड ने कहा कि चालू वित्तवर्ष में 4,65,000 टन/5,100 करोड़ रुपये के मसाला निर्यात कर लक्ष्य रखा गया है।

रत्न और आभूषण निर्यात 2.48 प्रतिशत बढ़ा

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, कुल रत्न और आभूषण निर्यात 2.48 प्रतिशत बढ़कर पिछले वर्ष इसी अवधि के लिए 293193.19 करोड़ रुपये की तुलना में 300462.52 करोड़ रुपये हो गया है। रत्न और आभूषण उद्योग पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उद्योग के उत्पादों के डिजाइन, सौंदर्य और परंपरा एवं इनमें आधुनिकता का मिश्रण भारतीयता के भाव को दर्शाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रत्न और आभूषण उद्योग देश के युवाओं के लिए लाखों रोजगार और अवसर सृजित करते हुए अपनी विकास गाथा जारी रखेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार में हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि व्यापार करने में आसानी हो ताकि इस क्षेत्र से जुड़े सभी उद्योग सत्यनिष्ठा और कुशलता से व्यवसाय करना जारी रखें।

दुनिया के सबसे बड़े आभूषण पार्कों में से एक नवी मुंबई में बन रहा

रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा कि सरकार की ओर से मुंबई में एसईईपीजेड के साथ व्यापक सामान्य सुविधा केन्द्र (सीएफसी) में 100 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र का उद्घाटन इस वर्ष सितंबर में करने की योजना है। इसका संचालन और कार्यान्वयन परिषद द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीजेईपीसी ने पहले ही नवी मुंबई में दुनिया के सबसे बड़े आभूषण पार्कों में से एक का निर्माण प्रारंभ कर दिया है। यह केंद्र तुर्की अथवा इटली की तरह ही आभूषणों के भारतीय निर्यात को इन्हीं के अनुरूप बदलना चाहता है।

केंद्र सरकार ने हाल में ही विदेश व्यापार नीति 2023 जारी किया है। ये नई विदेश व्यापार नीति एक अप्रैल से लागू हो गई। इससे व्यापार में तेजी आएगी। इस पर एक नजर-

नई विदेश व्यापार नीति में 2 ट्रिलियन डॉलर निर्यात का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने हाल में ही विदेश व्यापार नीति 2023 जारी किया है। ये नई विदेश व्यापार नीति एक अप्रैल से लागू हो गई। नई विदेश व्यापार नीति में घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के विजन से भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में 750 बिलियन डालर से ज्यादा का निर्यात कर विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है जबकि भारत 1 साल पहले 9वें नंबर पर था। अब नई विदेश व्यापार नीति में घरेलू उत्पादन बढ़ने से जहां भारत आत्मनिर्भर बनेगा वहीं निर्यात बढ़ने से देश में आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। सरकार का उद्देश्य ये है कि साल 2030 तक निर्यात का ये आंकड़ा दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक किया जाए।

रुपये को ग्लोबल करेंसी बनाने पर फोकस

नई विदेश व्यापार नीति में व्यापार नीति को और क्रियाशील बनाने की बात कही गई है। इसके साथ ही भारतीय रुपये को वैश्विक वाणिज्यिक स्तर पर स्वीकार्य करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यानि रुपये को ग्लोबल करेंसी बनाने की ओर सरकार कदम उठा रही है।

नई विदेश व्यापार नीति की खास बातेंः

# नई विदेश व्यापार नीति को इंसेंटिव रिजीम से रिमीशन रिजीम की तरफ ले कर जाने का प्रयास किया गया है।

# लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (MSME) के लिए आवेदन शुल्क को 50-60 प्रतिशत कम किया गया है।

# निर्यात को मान्यता के लिए थ्रेशोल्ड को कम किया गया है।

# सबसे खास यह है कि भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। खासतौर पर उन देशों से जो डॉलर की कमी या फिर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

# नई विदेश व्यापार नीति में 39 Towns of Export Excellence (TEE) में चार नए शहरों को जोड़ा गया है। इसमें फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी शामिल है।

ई कॉमर्स के साथ ही तैयार होंगे नए एक्सपोर्ट हब

कोरोना के चलते 2020 के बाद अब जाकर नई विदेश व्यापार नीति लाई गई है। ये नीति अगले पांच साल के लिए होगी। DGFT संतोष सारंगी ने कहा कि इस पॉलिसी के जरिए निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वहीं ODOP के लिए विशेष प्रयोजन किया जाएगा। इसके अलावा ई कॉमर्स, नए एक्सपोर्ट हब तैयार किए जाएंगे।

SEZ को अपग्रेड और मोडिफाई कर ‘देश’ बनाया जाएगा

कंपिटेटिव और क्वालिटी एक्सपोर्ट प्रमोशन के लिए इन्सेंटिव भी देने का प्रावधान किया गया है। अलग से एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का गठन किया जाएगा। इसके अलावा SEZ को अपग्रेड और मोडिफाई कर ‘देश’ (DESH: Development of Enterprise and Services Hub) बनाया जाएगा।

हर जिले में एक्सपोर्ट हब बनाया जाएगा

नई विदेश व्यापार नीति के तहत पहले चरण के लिए 2200-2500 करोड़ की योजना तैयार की गई है। मंत्रालय इसको बढ़ावा देने के लिए रोडमैप तैयार कर चुका है। हर जिले में एक्सपोर्ट हब बनाया जाएगा। निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से हर जिले में एक्सपोर्ट प्रमोशन कमिटी बनाई गई है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख आर्थिक उपलब्धियों पर…

जीएसटी कलेक्शन: लागू होने के बाद से अब तक का रिकॉर्ड संग्रह

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर है। टैक्स कलेक्शन के मामले में नया कीर्तिमान बना है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन अप्रैल, 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा जो अब तक का रिकॉर्ड है। यह पिछले साल अप्रैल 2022 के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक है। जीएसटी देश में पहली बार 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। तब से पिछले 6 साल में पहली बार रिकॉर्ड जीएसटी का कलेक्शन हुआ है।

लागू होने के बाद से पहली बार सकल जीएसटी संग्रह 1.75 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार अप्रैल, 2023 के महीने में कुल जीएसटी कलेक्शन 1,87,035 करोड़ रुपये रहा, जिसमें सीजीएसटी 38,440 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 47,412 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 89,158 करोड़ रुपये और उपकर 12,025 करोड़ रुपये है।

इस दौरान एक दिन में सबसे ज्यादा टैक्स कलेक्शन का भी रिकॉर्ड बना। 20 अप्रैल, 2023 को 9.8 लाख लेनदेन के जरिए 68,228 करोड़ रुपये टैक्स जमा हुआ। पिछले वर्ष इसी दिन 20 अप्रैल 2022 को सबसे ज्यादा एक दिन का कलेक्शन 9.6 लाख रुपये लेनदेन के माध्यम से 57,846 करोड़ रुपये था।

प्रत्यक्ष कर संग्रह 17.63 प्रतिशत बढ़कर 16.61 लाख करोड़ रुपये पर

मोदी सरकार की नीतियों के कारण नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन वित्त वर्ष 2022-23 में 16.61 लाख करोड़ रुपये का रहा है। यह पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में हुए 14.12 लाख करोड़ रुपये के संग्रह से 17.63 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष करों का ग्रोस कलेक्शन (अनंतिम) रिफंड का समायोजन करने से पहले 19.68 लाख करोड़ रुपये का रहा है, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में हुए 16.36 लाख करोड़ रुपये के सकल संग्रह से 20.33 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में कॉरपोरेट कर का सकल संग्रह (अनंतिम) 10,04,118 करोड़ रुपये का रहा जो कि पिछले वर्ष हुए 8,58,849 करोड़ रुपये के सकल कॉरपोरेट कर संग्रह से 16.91 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2022-23 में व्यक्तिगत आयकर का सकल संग्रह (अनंतिम) 9,60,764 करोड़ रुपये का रहा जो कि पिछले वर्ष हुए 7,73,389 करोड़ रुपये के सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह (एसटीटी सहित) से 24.23 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2022-23 में 3,07,352 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं, जो कि वित्त वर्ष 2021-22 में जारी किए गए 2,23,658 करोड़ रुपये के रिफंड से 37.42 प्रतिशत अधिक है।

मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मार्च में तीन महीने के उच्चतम स्तर पर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर में सुधार दिखाई दे रहा है। कारोबार में बढ़त के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। मांग बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां मार्च महीने के दौरान तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (PMI) मार्च 2023 में बढ़कर 56.4 हो गया, जो फरवरी 2023 में 55.3 था। पिछले दो साल में कारोबारी गतिविधियों में आई तेजी के कारण ऐसा हुआ है। पीएमआई का 50 से ऊपर होना उत्पादन में विस्तार का सूचक है यानी एक्टिविटीज बढ़ रही है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की एसोसिएट निदेशक पोलियाना डी लीमा के अनुसार मांग मजबूत रहने से उत्पादन में लगातार विस्तार हो रहा है और कंपनियों ने अपना भंडार बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

जनवरी में औद्योगिक उत्पादन में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि

मोदी सरकार की नीतियों के कारण जनवरी के महीने में औद्योगिक उत्‍पादन ने शानदार प्रर्दशन किया। औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 5.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 10 मार्च को जारी सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 3.7 प्रतिशत, खनन क्षेत्र में 8.8 और बिजली उत्पादन में 12.7 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह कैपिटल गुड्स के उत्पादन में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

कोर सेक्टरों में भी देखने को मिली तेजी

जनवरी में भारत के कोर सेक्टरों में भी तेजी देखने को मिली है। 28 फरवरी को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी 2023 में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 7.8 प्रतिशत बढ़ा है। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। इनकी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के दौरान 7.9 प्रतिशत रही। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल जनवरी में पिछले साल की तुलना में कोयला का उत्पादन में 13.4 प्रतिशत, बिजली उत्पादन में 12.0 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 4.6 प्रतिशत, इस्पात में 6.2 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 4.5 प्रतिशत,फर्टिलाइजर उत्पादन में 17.9 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस उत्पादन में 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जनवरी में सबसे बड़ी छलांग 17.9 प्रतिशत के साथ फर्टिलाइजर सेक्टर में देखने को मिली है।

आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन 18.53 प्रतिशत बढ़कर 84.8 करोड़ पर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आधार समर्थित ई-केवाईसी अपनाने में लगातार प्रगति देखी जा रही है। आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन अक्टूबर से दिसंबर 2022 के बीच तीसरी तिमाही में 18.53 प्रतिशत बढ़कर 84.8 करोड़ हो गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2022 में 32.49 करोड़ ई-केवाईसी के आधार पर लेनदेन किए गए थे, जो नवम्‍बर 2022 की 28.75 करोड़ तुलना में 13 प्रतिशत अधिक थे। अक्टूबर में आधार ई-केवाईसी लेनदेन की संख्या 23.56 करोड़ थी। दिसंबर में वृद्धि अर्थव्यवस्था में इसके बढ़ते इस्तेमाल और उपयोगिता को दर्शाता है।

दिसंबर 2022 के अंत तक, आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन की कुल संख्या 1,382 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। इसके साथ ही लोगों के बीच आधार प्रमाणीकरण लेनदेन भी लोकप्रिय होता जा रहा है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। अकेले दिसंबर महीने में 208.47 करोड़ आधार प्रमाणीकरण लेनदेन किए गए, जो पिछले महीने की तुलना में लगभग 6.7 प्रतिशत अधिक है। आधार के जरिए ई-केवाईसी सेवा तेजी से बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 105 बैंकों सहित 169 संस्थाएं ई-केवाईसी के जरिए लाइव जुड़ी हुई हैं।

पसंदीदा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा भारत

रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी के कारण जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल हाल में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिससे विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना काल में दुनिया भर के अरबपतियों के लिए भारत एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। इस महीने आई यूबीएस बिलियनेर एंबिशंस रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत जल्द ही निवेश का एक गढ़ बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के अरबपति लोग अपना ज्यादा से ज्यादा पैसा भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लगाना चाहते हैं क्योंकि यहां की अर्थव्यवास्था मजबूत होने के साथ उनके अनुकूल है। स्विस बैंक की यह रिपोर्ट 75 बाजारों में 2,500 से अधिक अरबपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 58 प्रतिशत अरबपतियों ने निवेश के लिए अपने चुने हुए बाजारों के रूप में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को चुना। भारत में अरबपतियों की संख्या पिछले साल 140 से बढ़कर 166 हो गई है।

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना

ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे तेज

सांख्यियकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय, आईएमएफ और विश्वबैंक जैसे आर्थिक संगठनों के आंकड़ों के मुताबिक इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था ने सबसे तेज दर से तरक्की की। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 11 अक्तूबर को जारी आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि दुनियाभर में मंदी के बीच सिर्फ भारत से उम्मीद है। 2022-23 में भारत सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा। मूडीज ने 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान का 7.0 प्रतिशत जताया। रेटिंग एजेंसी इक्रा और भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा। भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर आधार और महामारी का असर कम होने के बाद उपभोग में सुधार से मदद मिली। इसके अलावा महंगाई पर मोदी सरकार के नियंत्रण ने भी राहत दी।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग

ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

चीन को पछाड़कर यूनिकार्न का बादशाह बना भारत

स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में देश ने यूनिकॉर्न के मामले में चीन को पछाड़ दिया। इस दौरान भारत में 14 यूनिकॉर्न बने, वहीं चीन में यह आंकड़ा 11 रहा। भारत में इन यूनिकॉर्न की संख्या शतक पार करके आगे बढ़ गई है। पिछले साल देश को 44 यूनिकॉर्न मिले थे और इस साल सितंबर तक 22 यूनिकॉर्न मिल चुके हैं। भारत में सितंबर 2022 तक यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 107 हो गई। खास बात यह है कि इन 107 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से भारत के उद्यमशील युवा अब तेजी से जॉब सीकर की बजाय जॉब क्रिएटर बन रहे हैं।

सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन

वर्ष 2022 में सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है। दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया।

महंगाई पर लगाम लगाने में सफल रही मोदी सरकार

कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है। सितंबर में महंगाई दर 7.11 प्रतिशत थी। वहीं, अक्टूबर में महंगाई दर गिरकर 6.11 प्रतिशत तक पहुंच गई। खाद्य उत्पादों के दाम कम होने से अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई घटकर 6.77 प्रतिशत पर आ गई। सितंबर महीने में खुदरा महंगाई 7.41 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई दर में गिरावट के साथ थोक महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। 14 नवंबर, 2022 को ही थोक महंगाई के आंकड़े भी जारी किए गए। 19 माह में थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई।

NBFC की एसेट ग्रोथ चार साल में सबसे ज्यादा

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष में चार साल के उच्चतम स्तर 11-12 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 12 सितंबर, 2022 को जारी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में एनबीएफसी कंपनियों की एसेट्स ग्रोथ 11-12 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसमें सबसे बड़ा योगदान वाहन सेगमेंट का हो सकता है। वाहनों के फाइनेंस पर एनबीएफसी ने अपनी आधी पूंजी खर्च की है। वित्त वर्ष 2022-23 में वाहन सेगमेंट में 11-13 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है, यह वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में 3 से 4 प्रतिशत थी।

10 करोड़ के पार पहुंची डीमैट खातों की संख्या

देश में डीमैट खातों की संख्या 10 करोड़ के पार पहुंच गई। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त,2022 में 22 लाख नए डीमैट खाता खोले गए, जो पिछले चार महीनों का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 10.05 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।

सेंसेक्स 63 हजार के पार

मोदी राज में भारतीय शेयर बाजार ने भी इतिहास रच दिया। 30 नवंबर, 2022 को एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स पहली बार 63 हजार के पार पहुंच गया। सेंसेक्स 417.81 अंकों की बढ़त के साथ 63,099.65 के लेवल पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 140 अंकों की बढ़त के साथ 18758 अंक पर बंद हुआ। यह इसका भी नया रिकॉर्ड है। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर

मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बना हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 10 सितंबर, 2021 में 642.45 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

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