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कोरोना संकट के दौर में मेक इन इंडिया का परचम: पीपीई के निर्माण में नंबर वन बनने की ओर बढ़ा देश

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संकटों के बीच सीमित संसाधनों से सर्वोच्च स्थान प्राप्त करना मोदी सरकार की कार्यशैली का अभिन्न हिस्सा रहा है। जब भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, यह खबर न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के प्रति आश्वस्त करती है, बल्कि भारतीय प्रतिभा का लोहा भी मनवाती है। दरअसल, मोदी सरकार के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों और संस्थानों ने चुनौतियों को एक बार फिर अवसर में बदल दिया है। ‘मेक इन इंडिया’ के बैनर तले पीपीई, मास्क और वेंटिलेटर के निर्माण में देश ने बड़ी छलांग लगाई है। पीपीई के निर्माण में फिलहाल भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। उम्मीद जतायी जा रही है कि चंद दिनों में देश पीपीई के निर्माण में दुनिया में पहले नंबर पर पहुंच जाएगा। मेक इन इंडिया के जरिए निर्माण को बढ़ावा देकर देश न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि कुछ समय बाद पीपीई के निर्यात में भी सक्षम हो जाएगा। फिलहाल नौ घरेलू निर्माताओं ने देश के भीतर 60,000 वेंटिलेटर की जरूरतों को पूरा किया है। पीपीई की बात करें तो 20 मिलियन पीपीई की जरूरत थी। इनमें 35 घरेलू निर्माताओं ने 13 मिलियन पीपीई की आपूर्ति कर दी।

पीपीई के निर्माण में दूसरे नंबर पर भारत

देश में 250 से ज्यादा होंगे पीपीई के निर्माता
घरेलू जरूरतें पूरी करने में सक्षम
पीपीई का निर्यात भी शुरू होगा
अगले कुछ दिनों में भारत होगा नंबर वन
मेक इन इंडिया की शानदार कामयाबी

अवसर में बदलतीं चुनौतियां

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