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सीसीएस की बैठक में वैश्विक भू-राजनीति में बदलाव पर मंथन,पीएम मोदी ने बदले माहौल के अनुरूप रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर दिया जोर

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रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया की सामरिक रणनीति में बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने भी गहन मंथन शुरू कर दिया है। रविवार (13 मार्च, 2022) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक हुई, जिसमें यूक्रेन में चल रहे युद्ध के मद्देनजर देश की सुरक्षा तैयारियों और वैश्विक स्तर पर चल रही गतिविधियों की समीक्षा की गई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी को सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ-साथ समुद्री और हवाई क्षेत्र में भारत की सुरक्षा तैयारियों संबंधी प्रगति और विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी गई।

भावी रणनीति और सुरक्षा तैयारियों को प्राथमिकता

सीसीएस में प्रधानमंत्री मोदी ने मौजूदा समय की जरूरतों के मुताबिक रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक के इस्तेमाल और रक्षा उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के काम को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। माना जा रहा है कि यह बैठक भारत की भावी रक्षा और सुरक्षा तैयारियों के मद्देनजर एक मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि भारत के रक्षा उपकरणों को भी बदलते वैश्विक माहौल और नई चुनौतियों के मद्देनजर अत्याधुनिक तकनीक आधारित बनाया जाना चाहिए। इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के अलावा कई सीनियर अधिकारी शामिल हुए।

वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत

इस बार सीसीएस का बैठक का एजेंडा काफी अलग रहा। जिस तरह से रूस पर सिर्फ सरकारी प्रतिबंध ही नहीं, बल्कि अमेरिका व यूरोप के कारपोरेट सेक्टर ने प्रतिबंध लगाए हैं उसे काफी अलग किस्म का घटनाक्रम माना जा रहा है। इसके मद्देनजर भारत जैसे देश को भी इस तरह के हालात उत्पन्न होने की संभावना और उससे निपटने की वैकल्पिक व्यवस्था होने की जरूरत महसूस हो रही है। क्योंकि भारत सैन्य हथियारों के लिए काफी हद तक रूस पर निर्भर है। जिस तरह से युद्ध के बीच अमेरिका जैसे देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में भारत को भी दिक्कत हो सकती है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध देखकर भारत सतर्क

यूक्रेन पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की प्रतिक्रिया की अनदेखी कर जिस तरह से रूस लगातार हमला कर रहा है, वह भी भारत के लिए एक सबक है। कई वैश्विक रणनीतिक विश्लेषकों ने लिखा है कि रूस के हमले से चीन के इरादे को बल मिला है, वह अपने पड़ोसी देशों के साथ और आक्रमक रवैया अपना सकता है। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए चीन ने रक्षा बजट में काफी बढ़ोतरी की है। चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत में बढ़ोतरी कर रहा है। ऐसे हालात में अगर पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर भारत पर हमला कर दे तो उस स्थिति में दूसरे देशों की मदद से जंग नहीं जीती जा सकती है। इसलिए मोदी सरकार ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है।

उधार की ताकत पर निर्भर नहीं रह सकता भारत

दो देशों के बीच युद्ध के समय किसी देश को बाहरी समर्थन तो मिल सकता है, लेकिन युद्ध में अकेले ही लड़ना पड़ता है। जैसा रूस- यूक्रेन युद्ध में हो रहा है। यूक्रेन के बचाव में कोई भी देश रूस से सीधे तौर पर भिड़ने नहीं आ रहा है। जो अमेरिका रातों-रात तालिबान के हाथ में अफगानिस्तान सौंप कर भाग खड़ा हुआ, उससे यूक्रेन युद्ध में मदद की क्या आस कर सकता है। इसलिए भविष्य में जंग जीतने के लिए उधार की ताकत पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को हथियारों और युद्ध तकनीक के बारे में आत्मनिर्भर होने की जरूरत पर बल दिया है। ताकि भारत भविष्य में आने वाली जंग जैसी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके।

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