प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी काल में भी पटरी पर बनी हुई है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोरोना के घटते मामले और लॉकडाउन में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हमारा अनुमान है कि देश की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर टीकाकरण अभियान में तेजी आती है, तो तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इससे जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत तक जा सकती है। इक्रा ने कहा कि इस साल मानसून सामान्य रहने के साथ खाद्यान्न उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है।
आइए एक नजर डालते हैं देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से किस प्रकार पटरी पर लौटने लगी है…
संयुक्त राष्ट्र ने 2022 के लिए जताया 10.1 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान
संयुक्त राष्ट्र ने साल 2021 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। यूएन ने इसमें जनवरी के अपने अनुमान से 0.2 फीसद की बढ़ोत्तरी की है। इसके साथ ही यूएन ने साल 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का पूर्वानुमान 10.1 प्रतिशत लगाया है। यूएन ने वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट में कहा है कि कई देशों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और टीकाकरण में कमी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ा है।
एडीबी ने जताया 11 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। ‘एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2021’ में एडीबी ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष में एक मजबूत वैक्सीन ड्राइव के बीच 11 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने कहा कि एशिया में विकास हो रहा है, लेकिन कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप से इस रिकवरी को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्थाएं परिवर्तन पर हैं। यह देखना होगा कि के समय उनके वैक्सीन रोलआउट की गति और वैश्विक रिकवरी से उन्हें कितना फायदा हो रहा है।
चीन से 4 प्रतिशत ज्यादा रहेगी विकास दर- IMF
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि साल 2021 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रह सकती है। आईएमएफ ने कहा है कि यह वृद्धि दर चीन से 4 प्रतिशत ज्यादा होगी। आईएमएफ ने अपने सालाना वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा कि 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन इस साल वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो काफी बेहतर है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि चीन की वृद्धि दर 2021 में 8.6 प्रतिशत और 2022 में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
विश्व बैंक ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान 5.4 से बढ़ाकर किया 10.1 प्रतिशत
अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुधार को देखते हुए विश्व बैंक ने भी अपने अनुमानों में संशोधन किया है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.1 प्रतिशत कर दिया है। इस अनुमान के पीछे निजी उपभोग में वृद्धि एवं निवेश को कारण बताया गया है। इससे पहले जनवरी में विश्व बैंक ने ही भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 5.4 प्रतिशत बताया था।
अर्थव्यवस्था 2021 में करेगी 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज- मूडीज
मूडीज एनालिटिक्स ने अनुमान लगाया है कि देश की अर्थव्यवस्था 2021 में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि दिसंबर, 2020 को समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है। यह प्रदर्शन उम्मीद से कहीं बेहतर है। मूडीज ने कहा कि हमारा अनुमान है कि 2021 के कैलेंडर साल में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 12 प्रतिशत रहेगी। मूडीज ने कहा कि मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां वृद्धि के अनुकूल रहेंगी। मूडीज ने कहा कि अंकुशों में ढील के बद देश और विदेश की मांग सुधरी है। इससे हालिया महीनों में विनिर्माण उत्पादन बढ़ा है।
एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत बनी हुई है। कोरोना महामारी और तमाम विपरीत परिस्थियों के बावजूद मोदी सरकार की नीतियों के चलते देश की इकोनॉमी वृद्धि कर रही है। मोदी राज में एशियाई देशों में भारत की विकास दर सबसे बेहतर रहने की संभावना है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कहा है कि साल 2021 में देश की विकास दर 12.8 प्रतिशत हो सकती है। नोमुरा की भारत और एशिया पूर्व जापान एमडी और मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा है कि हमने भारतीय बाजार में एक महत्वपूर्ण रैली देखी है। अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार सोनल वर्मा ने कहा कि हमें लगता है कि भारत की वृद्धि इस वर्ष एशिया के अन्य देशों को पीछे छोड़ देगी और हम कैलेंडर वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 12.8 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।
अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा भारत- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत अगले साल चीन को पीछे छोड़ देगा। आईएमएफ ने कहा कि कोरोना के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट का अंदेशा है, लेकिन अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था लंबी छलांग लगाने में सक्षम होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज हो सकती है और यह चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर से हासिल कर लेगी। चीन के 2021 में 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान है।
सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत- आईएमएफ
दुनिया भर में कोरोना संकट के बीच भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसके पहले हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही। आईएमएफ ने कहा कि भारत में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सबसे तेज रहेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के चलते 2020 का साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी खराब रहने वाला है, लेकिन इसके बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आइएमएफ के मुताबिक, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1930 के महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी।
आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।
2021-22 में 9.5 प्रतिशत रह सकती है विकास दर-फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 9.5 प्रतिशत रह सकती है। फिच रेटिंग्स ने हालांकि कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के पांच प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। लेकिन फिच ने कहा कि कोरोना संकट के बाद देश की जीडीपी वृद्धि दर के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद है। इसके अगले साल 9.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की उम्मीद है।
स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने जताया भारत पर भरोसा
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने (S&P) ने भारत की सॉवरिन रेटिंग को BBB माइनस पर बरकरार रखा है। S&P ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताते हुए आउटलुक को स्थिर रखा है। स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फिलहाल ग्रोथ रेट पर दबाव है, लेकिन अगले साल 2021 से इसमें सुधार दिखने को मिलेगा। फिच ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर का 8.5 प्रतिशत रह सकती है।
जून के पहले सप्ताह में निर्यात में हुई 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी
कोरोना महामारी काल में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर है। जून, 2021 के पहले हफ्ते में निर्यात कारोबार में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग और पेट्रोलियम उत्पादों सहित विभिन्न क्षेत्रों में मांग के चलते देश का निर्यात जून के पहले सप्ताह के दौरान 52.39 प्रतिशत बढ़कर 7.71 अरब डॉलर हो गया। इंजीनियरिंग का निर्यात 59.7 प्रतिशत बढ़कर 74.11 करोड़ डॉलर, रत्न और आभूषण का निर्यात 96.38 प्रतिशत बढ़कर 29.78 करोड़ डॉलर और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 69.53 प्रतिशत बढ़कर 53.06 करोड़ डॉलर हो गया। आंकड़ों के अनुसार इस दौरान अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश को निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है।
मई में देश के निर्यात में आया 67 प्रतिशत का बंपर उछाल
इसके पहले मई में मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत का निर्यात 67.39 प्रतिशत उछलकर 32.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम उत्पादों और रत्न एवं आभूषण के निर्यात में काफी तेजी देखी गई है। इसके पहले पिछले साल मई 2020 में निर्यात 19.24 अरब डॉलर और मई 2019 में यह 29.85 अरब डॉलर था। आंकड़ों के अनुसार भारत आयरन, स्टील, अखबारी कागज और परिवहन उपकरण में आत्मनिर्भर हो रहा है। इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) ने कहा कि अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में मजबूत मांग के चलते निर्यात में तेजी बनी रहेगी।
आठ कोर सेक्टर के उत्पादन में 56 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल
भारतीय अर्थव्यस्था में रिकवरी की रफ्तार जोर पकड़ती जा रही है। कोरोना संकट के कारण औद्योगिक गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है, लेकिन यह पूरी तरह रुका नहीं है। आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन इस साल अप्रैल में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 56.1 प्रतिशत बढ़ा है। अप्रैल में प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल 2021 में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 25 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन 30.9 प्रतिशत, इस्पात का उत्पादन 400 प्रतिशत, सीमेंट का उत्पादन 548.8 प्रतिशत और बिजली का उत्पादन 38.7 प्रतिशत बढ़ा। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि उम्मीद के मुताबिक अप्रैल 2021 में देशव्यापी लॉकडाउन के कम आधार ने कोर सेक्टर के विस्तार को आगे बढ़ाया।
रिकॉर्ड स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार
कोरोना संकट काल में भी मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार ने एक बार फिर रिकॉर्ड बनाया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 मई को खत्म हफ्ते में 2.865 अरब डॉलर बढ़कर 592.894 अरब डॉलर हो गया है। यह अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा यानी विदेशी मुद्रा एसेट्स 1.649 अरब डॉलर बढ़कर 548.519 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस सप्ताह में स्वर्ण भंडार में 1.187 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई और यह 36.841 अरब डॉलर मूल्य का हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।
कोरोना काल में हुआ 81.72 अरब डॉलर का रिकॉर्ड विदेशी निवेश
विदेशी निवेशकों ने कोरोना काल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया है। मोदी सरकार बनने के बाद से एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर माहौल और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि वे कोरोना काल में भी भारत में जमकर निवेश कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 10 प्रतिशत का बड़ा उछाल आया है। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में अब तक का सबसे अधिक 81.72 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 6 लाख करोड़ रुपये) का एफडीआई आया है और यह पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में आए कुल एफडीआई 74.39 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही पिछले वर्ष वित्त वर्ष 2019-20 में 49.98 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में 59.64 अरब अमेरिकी डॉलर का एफडीआई इक्विटी प्रवाह आया, जो 19 प्रतिशत ज्यादा है।
PMI सर्विस सूचकांक में जबरदस्त सुधार
भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से अब बाहर निकल चुकी है। देश के सर्विस सेक्टर में जबरदस्त सुधार दिखाई दे रहा है। भारत में सेवा संबंधी गतिविधियों में फरवरी महीने में एक साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। एक मासिक सर्वेक्षण के मुताबिक फरवरी में सर्विस सेक्टर का PMI Index 55.3 अंक रहा, जो जनवरी में 52.8 अंक था। फरवरी में सूचकांक लगातार पांचवें महीने 50 से ऊपर रहा। इसी बीच भारत के प्राइवेट सेक्टर के आउटपुट में फरवरी में पिछले चार महीने में सबसे ज्यादा तेज गति से वृद्धि दर्ज की गई। कम्पोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स फरवरी में 57.3 पर पहुंच गया, जो जनवरी में 55.8 पर था। इसमें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर दोनों से जुड़े आंकड़े शामिल होते हैं।
जीएसटी कलेक्शन लगातार पांचवें महीने एक लाख करोड़ के पार
वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन फरवरी में लगातार पांचवें महीने एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। फरवरी में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.13 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। फरवरी में 1,13,143 करोड़ रुपये के सकल जीएसटी राजस्व की वसूली हुई, जिसमें सीजीएसटी 21,092 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 27,273 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 55,253 करोड़ रुपये, 9,525 करोड़ रुपए की उपकर राशि शामिल है। यह सालाना आधार पर सात प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है। जीएसटी राजस्व लगातार पांचवी बार एक लाख करोड़ को पार किया और महामारी के बावजूद फरवरी के महीने में राजस्व संग्रह लगातार तीसरी बार 1.1 लाख करोड़ को पार कर गया।
नई ऊंचाई पर शेयर बाजार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। 1 जून, 2021 को शेयर बाजार ने 52,228 अंके पर पहुंच कर रिकॉर्ड बना दिया। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।
रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।