दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों की पिटाई वाले वायरल वीडियो की सच्चाई सामने आ गई है। नये वीडियो से साफ हो गया है कि लाइब्रेरी में बैठे लोग दरअसल स्टूडेंट्स नहीं बल्कि उपद्रवी और दंगाई थे, जिन्होंने पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए लाइब्रेरी की शरण ली थी। नये वीडियो को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि लाइब्रेरी में बैठा छात्र रूमाल से मुंह ढक कर और बगैर किताब खोले बैठा हुआ हैै। दूसरे वीडियो में यह दिख रहा है कि किस तरह भारी संख्या में छात्र एक साथ लाइब्रेरी में प्रवेश करते हैं और एक शख्स उन्हें जल्दी से अंदर आने की हिदायत दे रहा है। अब सवाल ये है कि अगर लाइब्रेरी में ये स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे तो फिर उनके हाथों में पत्थर क्यों थे और स्टूटेंड्स एक साथ लाइब्रेरी में क्यों घुसे और उनके हाथों में पत्थर क्यों थे। लाइब्रेरी मे पत्थर का क्या काम है।
वीडियो सबूत नंबर-1
नये वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है कि छात्र किताबें बंद कर के बैठे हुए हैं और जैसे ही पुलिस आई, उन्होंने अपनी किताबें खोल कर पढ़ने का नाटक शुरू कर दिया। सवाल ये हैं कि आखिर छात्र मुंह में रूमाल बांध कर लाइब्रेरी में क्यों बैठे हुए थे और पुलिस आई तो वो किताब पढ़ने का नाटक क्यों करने लगे।
– Students in library with ‘masks’
– Reading from shut books
– Looking anxiously towards the entrance rather than being relaxed and immersed in studies, which is what a library is meant for…
Anatomy of Jamia rioters who tried hiding in the library after a stone pelting session? pic.twitter.com/lgF8WnLVkP— Amit Malviya (@amitmalviya) February 16, 2020
वीडियो सबूत नंबर-2
वीडियो में कुछ उपद्रवियों को पत्थर लेकर लाइब्रेरी में घुसते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ है कि पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए उपद्रवियों और दंगाइयों ने लाइब्रेरी में शरण ली। पुलिस उनलोगों की तलाश कर रही थी, जिन्होंने यूनिवर्सिटी के बाहर आगजनी की थी, जिसमे सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था।
Video of Jamia library before police arrived shows rioters with stones in their hand! pic.twitter.com/HIMAAbnOZf
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 16, 2020
कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई विरोधी पार्टियों के नेताओं और तथाकथित पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर छात्रों की पिटाई का वीडियो अपलोड कर पुलिस को बदनाम करने की कोशिश की, अब नये वीडियो सामने आने के बाद ऐसे लोगों की कलई खुल गई है। नये वीडियो सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि पुलिस को बदनाम करने के लिए वीडियो को काट-छांट कर रिलीज किया, ताकि उन्हें सहानुभूति मिल सके।
गौरतलब है कि 15 दिसंबर को दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास उपद्रवी भीड़ ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कई वाहनों को फूंक दिए थे और जमकर पथराव किया था। इस घटना से सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था।