लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान राहुल गांधी ने गरीब महिलाओं के खाते में हर महीने 8500 और सालाना एक लाख रुपए भेजने की गारंटी दी थी। 4 जून को रिजल्ट आने के बाद 5 जून से देश के कई इलाकों में मुस्लिम महिलाएं कांग्रेस का गारंटी कार्ड लेकर पहुंच रही हैं और एक लाख रुपए की मांग कर रही हैं। देश के कई शहरों में महिलाओं की लगातार जुटती भीड़ से कांग्रेस की काफी बदनामी होने लगी। यह गारंटी कांग्रेस के गले की फांस बन गई। कांग्रेस को इस गारंटी से पार पाने का रास्ता नहीं सूझ रहा था तो लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के 11 दिन बाद ईवीएम का जिन्न बाहर निकाला गया। मोदी विरोधी ग्लोबल पावर्स और डीप स्टेट ने इसके लिए एलन मस्क का इस्तेमाल किया। मस्क ने अमेरिका के संदर्भ में कहा कि EVM को हैक किए जाने का खतरा है इसलिए इसे खत्म कर देना चाहिए। इसके बाद राहुल गांधी को जैसे संजीवनी मिल गई। राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा- भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरह है। डीप स्टेट ने इसके बाद मिड डे में प्लांटेड खबर छपवा दी कि OTP से EVM को अनलॉक किया जा सकता है। जबकि यह भ्रामक बातें हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं है।
चुनाव आयोग को बदनाम करना मकसद
कांग्रेस के 99 सांसदों पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है। ऐसे में चुनाव आयोग बदनाम करने के लिए ईवीएम मुद्दा उठाया गया है। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी 99 नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ याचिका दायर किया है। नई दिल्ली स्थित वकील विभोर आनंद ने कांग्रेस के सभी 99 सांसदों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की है। विभोर आनंद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में आने पर एक लाख रुपये देने का वादा करके मतदाताओं को रिश्वत का झांसा दिया है। उन्होंने याचिका में कहा है कि कांग्रेस ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत अपराध किया है। विभोर आनंद ने इस संबंध राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। उनसे चुनाव आयोग को मामले का तत्काल संज्ञान लेने का निर्देश देने की मांग की है।
भारत की चुनावी प्रक्रिया की दुनिया ने की तारीफ
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाने वालों को चुप तो कराया ही पूरी दुनिया ने भी चुनाव नतीजों के बाद भारत की चुनावी प्रक्रिया की तारीफ की। मगर एलन मस्क ने अब एक अलग ही राग छेड़ा है। ये EVM का भूत खड़ा किया गया है ताकि देश का ध्यान कांग्रेस द्वारा 8500 रुपये वाले चुनावी फ्रॉड से हट सके। वहीं अब तक मुद्दाविहीन विपक्ष और खटाखट गारंटी से परेशान कांग्रेस ने ईवीएम मुद्दे को हाथोंहाथ लिया। राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक ने एलन मस्क के पोस्ट को री-ट्वीट कर ईवीएम पर चिंता जताने लगे। अगर राहुल और अखिलेश को ईवीएम पर भरोसा नहीं है तो उन्हें अपने सभी सांसदों से इस्तीफा दिलवा देना चाहिए और फिर इस पर बात करनी चाहिए। विधवा विलाप करने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि देशवासियों को इनकी करतूतें पता चल चुकी है।
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के 11 दिन बाद क्यों उठा ईवीएम मुद्दा
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के 11 दिन बाद एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठे हैं। आखिर 11 दिन बाद इस मुद्दे की उठने की वजह क्या हो सकती है? इसकी टाइमिंग लेकर यह साफ है कि राहुल गांधी की चुनावी गारंटी से ध्यान भटकाने के लिए इस मुद्दे को उछाला गया है। जैसे ही यह मुद्दा उछला राहुल गांधी ने इसे लपक लिया। उन्होंने इसे ब्लैक बॉक्स बताया और कहा कि भारत जैसे देश में किसी को भी इसकी जांच करने की अनुमति नहीं है। राहुल ने इसके अलावा एक न्यूजपेपर की कटिंग भी शेयर की है जिसमें लिखा है कि मुंबई उत्तरपश्चिम लोकसभा सीट जीतने वाले शिवसेना सांसद(शिंदे गुट) रवींद्र वायकर के रिश्तेदार के पास ऐसा फोन है जिससे ईवीएम को आसानी से खोला जा सकता है।
यदि EVM हैक होती तो BJP 272 से नीचे क्यों रहती?
यहां सवाल यह उठता है कि यदि EVM हैक होती तो BJP 272 से नीचे क्यों रहती? यदि EVM हैक होती तो मोदी जी काउंटिंग में पीछे क्यों चलते? यदि EVM हैक होती तो मोदी जी मात्र डेढ़ लाख वोटों से क्यों जीतते? यदि EVM हैक होती तो BJP के 18 मंत्री चुनाव क्यों हारते? यदि EVM हैक होती तो BJP अयोध्या क्यों हारती? यदि EVM हैक होती तो मोदी जी गठबंधन का रिस्क क्यों लेते?
ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहींः चुनाव आयोग
ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक का दावा करने वाली मिड डे अखबार की रिपोर्ट को चुनाव आयोग ने नकार दिया। चुनाव आयोग ने कहा, ‘आज एक न्यूजपेपर (मिड डे) में खबर आई कि ईवीएम को एक फोन से अनलॉक किया जाता है। यह बिलकुल गलत है। ईवीएम में किसी फोन या OTP की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह वायरलेस प्रोसिजर है और स्वतंत्र है। चुनाव आयोग ने साफ कहा कि ईवीएम हैक नहीं हो सकती। यह खबर गलत है। जिस अखबार में यह खबर आई है, उसे हमने गलत खबर फैलाने के लिए धारा 499 और 505 के तहत नोटिस भेजा है।
#WATCH | Mumbai Suburban Returning Officer, Vandana Suryavanshi says, “No OTP is needed to unlock the EVM. There is no mobile OTP needed to unlock the EVM as it is a non-programmable offence…It has advanced technical features and there is no communication device on the EVM…It… pic.twitter.com/EEB4Cn4AlT
— ANI (@ANI) June 16, 2024
मिड डे की न्यूज़ रिपोर्ट अपने आप में भ्रामक
मिड डे की न्यूज़ रिपोर्ट अपने आप में भ्रामक है। ओटीपी जनरेशन सर्विस वोटर के लिए मतदान में शामिल होने की एक प्रक्रिया का हिस्सा है। सर्विस वोटर (सेना, सुरक्षा बल और भारत सरकार में कार्यरत) एन्क्रिप्टेड ईटीपीबी फ़ाइल डाउनलोड करता है और फिर वोट डालने के लिए इस फ़ाइल को खोलने के लिए ओटीपी उत्पन्न होता है। ईटीपीबीएस ईवीएम से बहुत अलग है।
This news report is misleading itself,
OTP Generation is a process involved in voting for service voters,
The service voter downloads the encrypted ETPB File and then OTP is generated to open this file to cast vote.
ETPBS is very different from EVM.
9th Fail for a reason pic.twitter.com/NS0zvLFdDG— Engineer Xplains 𝕏 (@engineer_inside) June 16, 2024
EVM को खत्म कर देना चाहिएः एलन मस्क
दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन एलन मस्क ने 15 जून को लिखा- EVM को खत्म कर देना चाहिए। इसे इंसानों या AI द्वारा हैक किए जाने का खतरा है। हालांकि ये खतरा कम है, फिर भी बहुत ज्यादा है। अमेरिका में इससे वोटिंग नहीं करवानी चाहिए। दरअसल, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे और अगले अमेरिकी चुनावों के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के एक पोस्ट के जवाब में एलन मस्क ने यह ट्वीट किया था। रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने अपने पोस्ट में प्यूर्टो रिको में हुए मतदान में अनियमितताएं बताई थीं। मस्क ने इसी पर एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को खत्म कर देना चाहिए। इंसानों या एआई द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी यह बहुत अधिक है।”
We should eliminate electronic voting machines. The risk of being hacked by humans or AI, while small, is still too high. https://t.co/PHzJsoXpLh
— Elon Musk (@elonmusk) June 15, 2024
भारतीय EVM सुरक्षित हैंः राजीव चंद्रशेखर
एलन मस्क के ट्वीट पर भाजपा नेता और पूर्व IT मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा- मस्क के मुताबिक, कोई भी सुरक्षित डिजिटल हार्डवेयर नहीं बना सकता, ये गलत है। उनका बयान अमेरिका और अन्य स्थानों पर लागू हो सकता है – जहां वे इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीन बनाने के लिए नियमित कंप्यूट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। भारतीय EVM सुरक्षित हैं और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से अलग हैं। कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं। यानी कोई रास्ता नहीं है। फैक्ट्री प्रोग्राम्ड कंट्रोलर जिन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। EVM को ठीक उसी तरह डिजाइन किया जा सकता है, जैसा कि भारत ने किया है। भारत में इसे हैक करना संभव नहीं है। इलॉन, हमें ट्यूटोरियल (सिखाने वाला संस्थान) चलाकर खुशी होगी।
This is a huge sweeping generalization statement that implies no one can build secure digital hardware. Wrong. @elonmusk ‘s view may apply to US n other places – where they use regular compute platforms to build Internet connected Voting machines.
But Indian EVMs are custom… https://t.co/GiaCqU1n7O
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@RajeevRC_X) June 16, 2024
भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरहः राहुल गांधी
भारत की हर सफलता में नकारात्मकता ढूंढ़ने में माहिर राहुल गांधी ने मस्क की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा- भारत में EVM ब्लैक बॉक्स की तरह है। किसी को भी इसकी जांच की अनुमति नहीं है। हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं। जब संस्थाओं में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र एक दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। राहुल गांधी ने इस ट्वीट के साथ ईवीएम को लेकर मिड डे में छपी खबर को भी पोस्ट किया है।
EVMs in India are a “black box,” and nobody is allowed to scrutinize them.
Serious concerns are being raised about transparency in our electoral process.
Democracy ends up becoming a sham and prone to fraud when institutions lack accountability. https://t.co/nysn5S8DCF pic.twitter.com/7sdTWJXOAb
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2024
ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती हैः सैम पित्रोदा
इसके बाद राहुल गांधी और उनके राजनीतिक गुरु सैम पित्रोदा ने कहा कि देश में बैलट पेपर से ही चुनाव कराया जाना चाहिए क्योंकि ईवीएम की व्यवस्था ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने ईवीएम की व्यवस्था का पूरा अध्ययन किया है और मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि यह व्यवस्था ठीक नहीं है और इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए बैलट पेपर से ही चुनाव कराना उचित होगा और इसी के जरिए चुनाव में हार-जीत का फैसला किया जाना चाहिए।
GOLDEN RULE – one who has gold makes the rule. The man with the most Gold has spoken on the EVM and the need to go to the paper ballot as the golden standard. I agree. I hope we listen, learn and act. https://t.co/ZTrPWjmPwN
— Sam Pitroda (@sampitroda) June 17, 2024
आगामी सभी चुनाव बैलेट पेपर होः अखिलेश यादव
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर से ईवीएम पर शक जताया है। उन्होंने यह बात एलन मस्क के एक बयान के बाद यह बात कही है। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए अखिलेश ने लिखा कि “टेक्नॉलजी समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। आज जब विश्व के कई चुनावों में EVM को लेकर गड़बड़ी की आशंका ज़ाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स EVM में हेराफेरी के ख़तरे की ओर खुलेआम लिख रहे हैं, तो फिर EVM के इस्तेमाल की ज़िद के पीछे की वजह क्या है, ये बात भाजपाई साफ़ करें। आगामी सभी चुनाव बैलेट पेपर (मतपत्र) से कराने की अपनी मांग को हम फिर दोहराते हैं।” अखिलेश यादव जब ईवीएम पर शक है तो ऐसे में उन्हें अपने सभी सांसदों से इस्तीफा दिलवा देना चाहिए फिर इस पर बात करें तो लोगों को भरोसा होगा कि वे साफ नीयत से बोल रहे हैं।
‘टेक्नॉलजी’ समस्याओं को दूर करने के लिए होती है, अगर वही मुश्किलों की वजह बन जाए, तो उसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
आज जब विश्व के कई चुनावों में EVM को लेकर गड़बड़ी की आशंका ज़ाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स EVM में हेराफेरी के ख़तरे की ओर… pic.twitter.com/evNAIxP4RG
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 16, 2024
चुनाव आयोग को EVM पर कोई सख़्त फ़ैसला लेना चाहिएः संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को EVM पर कोई सख़्त फ़ैसला लेना चाहिए। अमेरिका जैसा देश EVM बंद करने की बात करता है। हम भी इसे लेकर सवाल उठाते हैं लेकिन हमारा मज़ाक उड़ाया जाता है। इससे देश का लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। मुंबई में EVM से NDA के उम्मीदवार के रिश्तेदार का फ़ोन जुड़ा हुआ पाया जाता है। देश में 80 सीटें हैं, जो संदेह के घेरे में हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल हुई है। अगर अब ठीक ढंग से Counting की जाएगी तो NDA की मौजूदा सरकार गिर जाएगी।
Supreme Court और Election Commission को EVM पर कोई सख़्त फ़ैसला लेना चाहिए
अमेरिका जैसा देश EVM बंद करने की बात करता है। हम भी इसे लेकर सवाल उठाते हैं लेकिन हमारा मज़ाक उड़ाया जाता है। इससे देश का लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
मुंबई में EVM से NDA के उम्मीदवार के रिश्तेदार का… pic.twitter.com/KlwnF4JCeT
— AAP (@AamAadmiParty) June 17, 2024
मिड डे ने स्पष्टीकरण छाप कर अपना पल्ला झाड़ा
ईवीएम पर तमाम तरह की शंकाओं, आशंकाओं को जन्म देने के बाद मिड डे ने स्पष्टीकरण छाप कर अपना पल्ला झाड़ लिया। मिड डे ने ईवीएम पर पांच कॉलम में खबर छापी थी जबकि सात पंक्ति में छोटा सा स्पष्टीकरण छाप कर इससे अपने को अलग कर लिया। इस बीच इंडी अलायंस और कांग्रेस को देश की जनता से किए गए झूठे वादे से ध्यान भटकाने का मौका मिल गया। कल तक जो चर्चा कांग्रेस की फ्रॉड गारंटी पर हो रही थी आज वह ईवीएम पर आकर ठहर गई है।
EVM-e-Azam. pic.twitter.com/6PxxETqxle
— Shiv Aroor (@ShivAroor) June 17, 2024
Just like EVM manufacturers in the US sued the pants off election deniers who deliberately spread fake news, in India the ECI should take action. pic.twitter.com/gvENkFMwSv
— Arnab Ray (@greatbong) June 17, 2024
फोन से ईवीएम को अनलॉक किया जा सकताः ध्रुव राठी
उधर एलन मस्क ने बयान दिया, इधर मिड डे ने झूठी खबर छाप दी और लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम इसको ले उड़ा। इसी इकोसिस्टम से जुड़े यूट्यूबर ध्रुव राठी ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- ”यह मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट है। इंडी अलायंस यह सीट महज 48 वोटों से हार गई। एनडीए उम्मीदवार के रिश्तेदार के पास एक फोन था जो ईवीएम को अनलॉक कर सकता था। चुनाव आयोग को इस निर्वाचन क्षेत्र में पुनः चुनाव का आदेश देना चाहिए!” इनकी विश्वनीयता इसी बात से समझी जा सकती है कि ध्रुव राठी ने जिस खबर के हवाले यह ट्वीट किया उस मिड डे अखबार ने स्पष्टीकरण भी छाप दिया है।
This is the Mumbai North West Lok Sabha Seat
INDIA Alliance lost this seat by just 48 votes. The NDA candidate’s relative had a phone which could unlock EVM. @ECISVEEP must order a re-election in this constituency! pic.twitter.com/Kd0CTw6t2X
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) June 16, 2024
चुनाव आयोग ने दिया था EVM हैक करने का चैलेंज
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में EVM हैक करने का चैलेंज दिया था। 4 दिनों तक यह मेगा हैकेथोंन रखा गया था इसमें विदेशी हैकर्स को भी शामिल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के दो जज भी प्रतिदिन 10 घंटे बैठे रहते थे। कोई भी हैकर EVM हैक नहीं कर पाया। एक हैकर ने स्वीकार किया और वह 6 घंटे तक लगा रहा लेकिन EVM हैक नहीं कर सका।
अबे गधे अब तक दो बार चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में EVM हैक करने का चैलेंज दिया है
और 4 दिनों तक यह मेगा हैकेथोंन रखा गया था इसमें विदेशी हैकर्स को भी शामिल किया गया था
सुप्रीम कोर्ट के दो जज भी प्रतिदिन 10 घंटे बैठे रहते थे कोई भी हैकर EVM हैक करने का चैलेंज… https://t.co/IWVm7OcvaM pic.twitter.com/Px2BONvnbh
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) June 16, 2024
ईवीएम से बोगस वोटिंग पर लगी लगाम
सैद्धांतिक रूप से या व्यवहारिक रूप से ईवीएम चुनाव का सबसे बेहतर उपाय है। पहले बैलेट पेपर से जब चुनाव होता था तो बोगस वोटिंग खूब होती थी और उसके कारण ही वोट प्रतिशत बढ़ता था। लेकिन ईवीएम में जितना वोटिंग होती है उतना ही दिखता भी है। विश्व स्तर पर इसे सराहा गया है।
बैलेट पेपर की काउंटिंग में भी होती थी धांधली
बैलेट पेपर की काउंटिंग लंबी और समय-खाऊ प्रक्रिया थी। जब तक काउंटिंग पूरी नहीं हो जाती, काउंटिंग चलती रहती थी। दिन-रात 3-4 दिन तक काउंटिंग का चलना आम बात होती थी। काउंटिंग के वक्त बाड़े में वोट गिनने वाले सरकारी कर्मचारी और बाड़े से बाहर प्रत्याशी और उनके एजेंट रहते थे। बक्सा लाया जाता था। सील चेक कराई जाती थी और सील तोड़कर बक्सा खोला जाता था। एक-एक बैलेट पेपर खोलकर चिह्न देखा जाता था और हर प्रत्याशी के वोट वाले बैलेट अलग-अलग किए जाते थे। कई बार इस पर भी बवाल होता था कि वोट गिनने वाले किसी बैलेट पेपर को इंक लगने के आधार पर इनवैलिड मानकर किनारे कर दिया जाता था। ऐसे में प्रत्याशी झगड़ता रहता था कि ये वोट उसका है। बैलेट पेपर अलग-अलग करने के बाद हर प्रत्याशी के 50-50 बैलेट पेपर की गड्डियां बनती थी। और फिर वो गड्डियां गिन ली जाती थी। बैलेट पेपर की गड्डियां बनाने के दौरान भी हराने-जिताने का खेल होता था। जब 50-50 वोटों की गड्डियां बनाई जाती थी तब उस वक्त हराने-जिताने के हिसाब से गड्डियों को 60 का या 40 का कर दिया जाता था। संदेह होने पर रीकाउंटिंग करवाया जाता था लेकिन असली पेच यहीं है। रीकाउंटिंग में गड्डियां नहीं खोली जातीं थी, केवल गड्डियों को दोबारा गिन लिया जाता था।
ईवीएम पर साइबर क्राइम की तरकीब काम नहीं करेगी
EVM से छेड़छाड़ पर साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं, ‘वोटिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ये मशीन इंटरनेट से जुड़ी नहीं होती, लिहाजा इसमें किसी साइबर क्राइम की कोई तरकीब काम नहीं करेगी।
कोर्ट में भी गया ईवीएम का मामला
ईवीएम का मामला कोर्ट में भी गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही 2011 में वीवी पैट की शुरुआत हुई। पहले ईवीएम से वोटिंग के बाद यह पता नहीं चलता था कि वोट सही में किसको मिला, लेकिन वीवीपैट से वोटर यह देख सकते हैं कि जिसे भी वोट किया है पर्ची में वह है या नहीं। 2019 के चुनाव में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि एक निर्वाचन क्षेत्र में पांच ईवीएम के वोटों का वीवीपैट पर्चियों से मिलान किया जाए।
उम्मीदवार 7 दिनों के अंदर जांच की मांग कर सकते हैं
अप्रैल 2024 में भी ईवीएम मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर ) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए डाले गए वोट का वीवीपैट के साथ पूर्ण सत्यापन करने के लिए मांग की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता ने सुनवाई के बाद जो फैसला दिया उसमें कहा ”चुनाव ईवीएम से ही होंगे वैलेट पेपर से चुनाव नहीं होंगे। नतीजे में जो उम्मीदवार दूसरे या तीसरे नंबर पर है। अगर उसे लगता है कि गड़बड़ी हुई है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिनों के अंदर जांच की मांग कर सकता है। जांच इंजीनियरों की एक टीम करेगी। इसका खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। गड़बड़ी होने पर पैसा वापस कर दिया जाएगा।”
सर्वोच्च अदालत का EVM के पक्ष में फैसला
सर्वोच्च अदालत ने EVM के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि वोटिंग के दौरान ईवीएम को सील किया जाएगा और इसे 45 दिनों तक सुरक्षित रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने चुनाव आयोग को भी कुछ निर्देश दिए जिसमें यह भी कहा कि आयोग को यह भी देखना चाहिए कि क्या चुनाव निशान के अलावे हर पार्टी के लिए अलग से कोई बारकोड भी हो सकता है या नहीं। कुल मिलाकर देखें तो सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के पक्ष में ही अब तक फैसला दिया है। ऐसे ईवीएम से पूरे देश में चुनाव हो रहा है और कई राज्यों में 75 प्रतिशत से भी अधिक वोटिंग हो रही है।