लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जो 240 सीटें जीती हैं उनमें चार राज्यों गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व ओडिशा का अहम योगदान है। इन राज्यों की कुल 87 सीटों में से 84 पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता की आंधी नहीं, सुनामी चली है और ये सब सीटें भाजपा ने जीती है। जिनके दम पर देश में पीएम मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार एनडीए सरकार बनी है। इस जीत में देश के पश्चिमी छोर गुजरात से लेकर पूर्वी किनारे ओडिशा तक पीएम मोदी को ‘केसरिया कॉरिडोर’ जनता-जनार्दन का भरपूर समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले दो कार्यकाल में सड़क-रेल आदि आधारभूत ढांचे के विकास पर उन्होंने विशेष जोर दिया है। खासकर धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करके उनको दिव्य-भव्य रूप देने और धार्मिक पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में उनकी अहम भूमिका रही है। इसी के चलते अब द्वारका (गुजरात) से जगन्नाथपुरी (ओडिशा) के बीच पूर्व-पश्चिम नए एक्सप्रेस-वे बनाने की उम्मीद है। धार्मिक दृष्टि से द्वारका और जगन्नाथपुरी हिंदुओं के चारधाम में से दो प्रमुख धाम हैं। इस एक्सप्रेस-वे से धार्मिक पर्यटन से लेकर व्यापार, उद्योग और अन्य आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी से पूरे क्षेत्र में समृद्धि आएगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
पूरे देश में एक्सप्रेसवे और हाईवे का नेटवर्क से मालभाड़ा कम और रोजगार बढ़ेगा
मोदी सरकार लोगों का जीवन ज्यादा से ज्यादा आसान और बेहतर बनाने के लिए हर क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन कर रही है। रेल से लेकर सड़क तक सभी का कायाकल्प हो रहा है। इनमें लोगों को आवागमन आसान हुआ है, साथ ही आर्थिक बचत भी हो रही है। इसी के तहत पूरे देश में एक्सप्रेसवे और हाईवे का नेटवर्क तैयार हो चुका है और काफी जगह निर्माण चल रहा है। सरकार की कोशिश है कि इन एक्सप्रेसवे की मदद से माल भाड़ा में होने वाले खर्च को कम किया जाए, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके। इसी को ध्यान में रखते हुए एक साल में देश के आठ एक्सप्रेसवे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। ये एक्सप्रेसवे देश के अलग अलग हिस्सों में बन रहे रहे हैं, जिससे समूचे देश का विकास को पंख लगेंगे। मोदी सरकार ने मुताबिक पहले लाजिस्टिक पर आने वाला खर्च 15-16 फीसदी के आसपास था। अगले पांच वर्षों में इसे एक डिजिट में करने का लक्ष्य रखा गया है। इस वजह से एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से किया जा जाएगा।मोदी सरकार ने एक दशक में नेशनल हाइवे की लंबाई 1.6 गुना बढ़ाई
मोदी सरकार ने बीते एक दशक में नेशनल हाइवे की कुल लंबाई 1.6 गुना बढ़ाकर 2024 में 1,46,145 किमी कर दी है। वर्ष 2014 में यह एक लाख से भी कम यानि 91,287 किलोमीटर ही थी। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 12 हजार किलोमीटर से ज्यादा दूरी के एक्सप्रेसवे और नेशनल हाइवे बनाए गए हैं। देश में रोजाना तेजी से 33 किमी हाईवे रिकार्ड निर्माण हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत की विकास यात्रा में पूर्व-पश्चिम एक्सप्रेस-वे या केसरिया कॉरिडोर के रूप में साकार हो सकता है। पीएम मोदी राजमार्ग-जलमार्ग जैसे बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को विकास का इंजन बता चुके हैं। मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में ही बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत खर्च के लिए 11.11 लाख करोड़ का आवंटन रखा है। जिस तरह से पीएम मोदी दूरगामी सोच के साथ काम कर रहे हैं और इस कॉरिडोर में भाजपा को समर्थन मिला है उससे यह एक्सप्रेस-वे का राह आसान हो सकती है।
द्वारका-पुरी के बीच ‘केसरिया कॉरिडोर’ बनने का लाभ चार राज्यों को होगा
द्वारका-पुरी पूर्व-पश्चिम एक्सप्रेस-वे का सपना साकार होने पर इसके बीच आने वाले गुजरात-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़-ओडिशा को प्रमुख लाभ होगा। यह एक्सप्रेस-वे गुजरात के जामनगर, राजकोट, बड़ौदा, गोधरा, मध्यप्रदेश के झाबुआ, धार, इंदौर, हरदा, बैतुल, छत्तीसगढ़ के दुर्ग, भिलाई, रायपुर, महासमुंद और ओडिशा के बोधगढ़, नयागढ़, भुवनेश्वर जैसे शहरों से गुजर सकता है। इसके अलावा महाराष्ट्र के नागपुर व भंडारा जैसे प्रमुख शहर भी इससे लाभान्वित होंगे। मौजूदा सड़क ढांचे में द्वारका से पुरी की सीधी यात्रा आसान नहीं है। हालांकि कई जगह राजमार्ग मौजूद हैं लेकिन दोनों धामों के बीच करीब 2150 किलोमीटर की लगातार यात्रा में 45 घंटे लग सकते हैं। पूर्व-पश्चिम एक्सप्रेस-वे बनने के बाद यात्रा सुविधाजनक होगी और इसमें समय भी काफी कम लगेगा।पूर्व-पश्चिम एक्सप्रेस-वे से धार्मिक, आर्थिक और पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जो 240 सीटें जीती हैं उनमें चार राज्यों गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व ओडिशा का अहम योगदान है। इन राज्यों की कुल 87 सीटों में से भाजपा ने 84 सीटें जीती है। साथ ही लोकसभा चुनाव के साथ हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने राज्य में 24 साल से सरकार चला रही बीजद को सत्ताच्युत कर पहली बार सरकार बनाई है। पूर्व-पश्चिम एक्सप्रेस-वे बनने से धार्मिक व अन्य पर्यटन गतिविधियां भी तेजी से बढ़ेंगी। इसके साथ ही खनिज संपदा व कृषि से संपन्न राज्यों में शानदार कनैक्टिविटी बनेगी। ओडिशा और छत्तीसगढ़ लोहा, जस्ता, कोयला जैसे खनिजों से समृद्ध हैं। दूसरी ओर मध्यप्रदेश व गुजरात कृषि उत्पादन के लिहाज से काफी आगे हैं। गुजरात औद्योगिक राज्य है। सीधे कनेक्टिविटी बढ़ने से इन राज्यों को प्रत्यक्ष लाभ होगा।सरकार का तेज कनेक्टिविटी के लिए हाइवे और एक्सप्रेसवे निर्माण पर फोकस
मोदी सरकार का तेज कनेक्टिविटी के लिए हाइवे और एक्सप्रेसवे निर्माण पर फोकस का अंदाजा इसी के लगाया जा सकता है कि अगले एक साल में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (1386 किमी.), रायपुर-हैदराबाद (330 किमी.), इंदौर-हैदराबाद (713 किमी.), सूरत-सोलापुर (464 किमी.), नागपुर-विजयवाड़ा (457 किमी.), चेन्नई-सालेम (277किमी.), सोलापुर-कुनलूर (318 किमी.), नागपुर-विजयवाड़ा (457 किमी.) और हैदराबाद-विशाखापट्टनम (221किमी.) पर काम पूरा कर लिया जाएगा। इस योजना के तहत 1386 किलोमीटर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस का काम आंशिक रूप से पूरा हो गया है। दिल्ली से दौसा (राजस्थान) के बीच एक्सप्रेसवे पिछले साल पीएम मोदी ने ही शुरू किया था। कुछ माह पहले ही में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का अहमदाबाद से भरुच तक का हिस्सा शुरू हुआ है। इसके बाद सूरत से वलासाड तक का हिस्सा भी जल्द ही तैयार होने वाला है।
देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे के भी इसी वित्तीय वर्ष में पूरा होने की उम्मीद
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को पूरी तरह से तैयार होने का समय दिसंबर 2024 रखा है। इस एक्सप्रेसवे के माध्यम देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई को बेहतर सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा। दिल्ली-मुंबई का 24 घंटे का सफर 12 घंटे में पूरा होगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे दौसा, कोटा, रतलाम, वडोदरा और सूरत से होकर गुजरता है। जो महाराष्ट्र में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट को दिल्ली में सोहना एलिवेटेड कॉरिडोर से जोड़ता है। यह रूट दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश से होकर गुजरता है, जिसकी लंबाई 12 किमी है। साथ ही गुजरात (426 किमी), महाराष्ट्र (171 किमी), मध्य प्रदेश (244 किमी), राजस्थान (373 किमी) और हरियाणा (129 किमी) राज्यों को भी पार करता है।यह एक्सप्रेसवे भारत की राजधानी, नई दिल्ली और उसके वित्तीय केंद्र, मुंबई के बीच यात्रा में क्रांति लाने का लक्ष्य रखता है। यह दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी कम कर देगा। जो इस समय 24 घंटे से घटकर लगभग 12-13 घंटे हो जाएगा। करीब 838 मील की चौंका देने वाली दूरी के साथ यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा।