लोकसभा चुनाव 2024 में अब चार महीने का समय रह गया है वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब एक साल है। इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली में विकास के काम के लिए दिल्ली के विधायकों को मिलने फंड को 3 करोड़ रुपये बढ़ाकर अब 7 करोड़ दिया गया है। अब दिल्ली के विधायकों को विधानसभा के विकास कार्यों के लिए सात करोड़ रुपये मिलेंगे। यह पूरे देश में सबसे ज्यादा है। दिल्ली में 70 विधानसभा हैं और हर विधायक 7 करोड़ रुपये खर्च करेंगे यानि दिल्ली के विकास पर विधायकों द्वारा 490 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बहरहाल, सवाल यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने विधायकों को खर्च करने के लिए करीब 500 करोड़ दे रहे हैं लेकिन रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के लिए उनके पास 415 करोड़ रुपये फंड नहीं था। इसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई थी। लेकिन केजरीवाल इससे भी नहीं सुधरे और दिल्ली जिला अदालतों में बुनियादी ढांचे के लिए फंड देने में आनाकानी करते रहे। इस मुद्दे पर भी कुछ ही दिन पहले 11 दिसंबर को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को जमकर लताड़ लगाई।
विधायक फंड 500 करोड़, विज्ञापन फंड 500 करोड़, विकास के लिए फंड नहीं
दिल्ली में 70 विधानसभा हैं और हर विधायक 7 करोड़ रुपये खर्च करेंगे यानि दिल्ली के विकास पर विधायकों द्वारा 490 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी केजरीवाल सरकार ने रैपिड रेल प्रोजेक्ट (RRTS प्रोजेक्ट्स) के लिए अपने हिस्से का 400 करोड़ रुपया देने हाथ खड़े कर दिए थे। उसने कहा था फंड की कमी है। जब सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो उसने में विज्ञापन में खर्च का ब्योरा मांगा। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि 2020 से 2023 तक विज्ञापन के लिए 1073.16 करोड़ रुपया खर्च किया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि विकास के लिए फंड जारी करें नहीं तो विज्ञापन फंड रोक दिया जाएगा। दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में इस खर्च का बचाव करते हुए कहा कि सरकारी नीतियों के प्रचार के लिए ये खर्च वाजिब और किफायती है। दिल्ली सरकार का विज्ञापन बजट सालाना औसतन 500 करोड़ रुपये है।
विज्ञापन पर ख़र्च करने के लिए तो थे 1073 करोड़ रुपये, और RRTS प्रोजेक्ट के लिए पैसे देने में थे असमर्थ, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देने होंगे विज्ञापनजीवी केजरीवाल को 415 करोड़ रूपये ! pic.twitter.com/jHX3kGlWgk
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) July 24, 2023
केजरीवाल सरकार ने 3 करोड़ बढ़ाया MLA फंड, अब 7 करोड़ मिलेंगे
राजधानी दिल्ली में विधायक निधि (Delhi MLA Fund) को चार से बढ़ाकर सात करोड़ रुपये कर दिया गया है। दिल्ली सरकार ने विधायक निधि बढ़ाने का फैसला 15 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन किया। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के निर्देश पर एमएलए फंड को 4 करोड़ से बढ़ाकर 7 करोड़ कर दिया गया है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए भी विधायकों को मौजूदा 4 करोड़ से 3 करोड़ रुपये अधिक दिए जाएंगे। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इससे विधायकों को अपने स्थानीय क्षेत्रों के विकास के लिए अधिक कार्य कराने में मदद मिलेगी।
VIDEO | “The MLA Local Area Development (MLALAD) fund for each Delhi legislator has been raised from Rs 4 crore to Rs 7 crore. The MLALAD fund was provided to Delhi MLAs to undertake development works in their constituencies,” said AAP leader @saurabh_mlagk earlier today. pic.twitter.com/bMLmQPfCxW
— Press Trust of India (@PTI_News) December 15, 2023
केजरीवाल ने कभी कहा था- एमपी, एमएलए फंड नहीं होना चाहिए
कभी केजरीवाल ने खुद ही कहा था कि एमपी, एमएलए फंड नहीं होना चाहिए। कोई बड़ी लालबत्ती नहीं होनी चाहिए उसके पास। कोई बड़ा बंगला नहीं होना चाहिए उसके पास। वो एक कमरे के फ्लैट में रहे आम आदमी की तरह। कोई सिक्यूरिटी नहीं होनी चाहिए, सिक्यूरिटी जनता के लिए होनी चाहिए। इन नेताओं के लिए नहीं होनी चाहिए। उसका जितना कोटा है वो सब कैंसिल होना चाहिए। जबकि सच्चाई ये है कि आज वह खुद शीशमहल में रहते हैं।
Once upon a time @ArvindKejriwal .
Now
👉 Stays in one acre Bungalow with swimming 🏊♂️ pool
👉 security cover with 70 cops
👉MLA lad fund increased to ₹ 10 crore
👉Salary ₹ 3.90 lakhs#Opportunist #Delhi #Flashback pic.twitter.com/csF0Q8IWYS
— Mini Nagrare (@MiniforIYC) March 5, 2023
केजरीवाल के पास अदालतों में बुनियादी ढांचा के लिए फंड नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जिला कोर्ट्स में बुनियादी ढांचे के लिए धन उपलब्ध कराने के प्रति उदासीन रवैये के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर को केजरीवाल सरकार से कहा है कि यह क्या हो रहा है? आपकी सरकार क्या कर रही है? आप दिल्ली हाईकोर्ट को कोई फंड नहीं देना चाहते? जज प्रशिक्षण ले रहे हैं और कोई कोर्ट रूम नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दिल्ली सरकार को 14 दिसंबर तक निचली अदालत के बुनियादी ढांचे के लिए धन जारी करने का निर्देश दिया है।
अदालतों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना को मंजूरी 2021 में, मगर फंड नहीं मिला
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मार्च 2021 तक चार में से तीन परियोजनाओं के लिए मंजूरी दे दी गई थी। फिर भी, परियोजनाओं के लिए धन जारी नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 दिसंबर तक हाईकोर्ट की स्टेट्स रिपोर्ट में 887 न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत संख्या, 15 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों और 813 अधिकारियों की संख्या को स्वीकृति दी गई है।
दिल्ली में 118 कोर्ट रूम और जजों के लिए 114 न्यायालय कक्षों की जरूरत
कोर्ट ने कहा कि स्वीकृत संख्या को समायोजित करने के लिए 118 कोर्ट रूम की आवश्यकता थी और कार्य करने वाले जजों के 114 न्यायालय कक्षों की जरूरत थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धनराशि स्वीकृत करने में देरी खेदजनक है और दिल्ली ज्यूडिशियरी के प्रति दिल्ली सरकार के ढुलमुल रवैये का कोई औचित्य नहीं है। सीजेआई ने सरकार से सवाल किया कि वह दिल्ली हाईकोर्ट को फंड क्यों नहीं दे रही है?
उपराज्यपाल ने मंगाई फाइल, कैलाश गहलोत से कानून विभाग वापस लिया
उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शहर में न्यायिक बुनियादी ढांचे और प्रशासन से संबंधित फाइल मंगाई थीं,क्योंकि ये फाइल कई महीनों से कानून मंत्री कैलाश गहलोत के पास लंबित थीं। प्रधान सचिव (विधि और न्याय) की एक रिपोर्ट में 4 दिसंबर को 18 ऐसी फाइल उपराज्यपाल सचिवालय के संज्ञान में लाई गईं थी जो लंबित थीं। उपराज्यपाल के फाइल मंगाते ही केजरीवाल ने 8 दिसंबर को कैलाश गहलोत से कानून विभाग का प्रभार वापस लिया और कानून विभाग आतिशी को सौंप दिया। यह मामले को लटकाने की चाल है। क्योंकि अब आतिशी कह सकती है कि उसे तो अभी इस विभाग की जिम्मेदारी मिली है, वह अभी फाइलों को देख रही है।
दिल्ली: कैलाश गहलोत से कानून विभाग का प्रभार वापस लिया गया, आतिशी को सौंपा गयाhttps://t.co/ajUj1CM2XU pic.twitter.com/ldcI0d2nIW
— NDTV India (@ndtvindia) December 8, 2023
RRTS प्रोजेक्ट के लिए फंड नहीं देने पर केजरीवाल को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के लिए दो महीने के अंदर 415 करोड़ रुपए देने का निर्देश दिया है। 24 जुलाई 2023 को सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा- आपका एक साल का विज्ञापन बजट उस पैसे से ज्यादा है, जो आप दे रहे हैं। बेंच ने यह भी कहा कि अगर सरकार पिछले 3 साल में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए खर्च कर सकती है, तो निश्चित रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को भी फंड दिया जा सकता है। इसके पहले हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह प्रोजेक्ट लिए पैसा नहीं दे सकती। जिसके बाद अदालत ने 2 हफ्ते में विज्ञापनों पर खर्च का हिसाब मांगा था। कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर प्रोजेक्ट के लिए पैसे नहीं दिए तो विज्ञापन का बजट सीज करने का आदेश भी दिया जा सकता है।
केजरीवाल के पास विकास के लिए धन नहीं, विज्ञापन के लिए पैसे बहाए
दिल्ली सरकार के आरआरटीएस परियोजना के लिए धन देने में असमर्थता जताने के बाद जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने केजरीवाल सरकार को निर्देश दिया था कि वह दो हफ्ते के अंदर फंड्स की गणना की जानकारी के साथ एफिडेविट मुहैया कराएं। पीठ ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने ‘कॉमन प्रोजेक्ट’ के लिए कोष देने में असमर्थता जताई है। चूंकि इस परियोजना में धन की कमी एक बाधा है। इसलिए हम दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, जिसमें विज्ञापन के लिए खर्च किए गए धन का ब्योरा दिया जाए क्योंकि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है। इसमें पिछले वित्तीय वर्षों का ब्योरा दिया जाए।