Home समाचार मेक इन इंडिया की नई उड़ान, देश में बनेगा अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर

मेक इन इंडिया की नई उड़ान, देश में बनेगा अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ रही है। भारत के तीनों सेना जल, थल और नभ की मारक क्षमता बढ़ी है। रक्षा सेक्टर में विनिर्माण मामले में पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ परवान चढ़ रहा है। इसी योजना के तहत भारत में अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर के विनिर्माण का रास्ता खुला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारतीय सेना के लिए युद्धक हेलिकॉप्टर बनाने के मेगा प्रॉजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है।

एचएएल के मुताबिक 10 से 12 टन के ये हेलिकॉप्टर दुनिया के कुछ बेहतरीन हेलिकॉप्टर्स जैसे बोइंग के अपाचे की तरह आधुनिक और शक्तिशाली होंगे। एचएएल के प्रमुख आर माधवन ने कहा है कि जमीनी स्तर पर काम शुरू किया जा चुका है और 2027 तक इन्हें तैयार किया जाएगा।

माधवन ने बताया कि इस मेगा प्रॉजेक्ट का लक्ष्य आने वाले समय में सेना के तीनों अंगों के लिए 4 लाख करोड़ रुपये के सैन्य हेलिकॉप्टर्स के आयात को रोकना है। उन्होंने कहा कि एचएएल ने प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर लिया है और प्लान 500 हेलिकॉप्टर्स के उत्पादन का है। यदि सरकार इस साल प्रॉजेक्ट को मंजूर कर लेती है तो 2023 तक पहला प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा।

माधवन ने कहा कि डिजाइन, प्रोटोटाइप के उत्पादन पर 9,600 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा, ‘अगर 2020 में अप्रूवल मिल जाता है तो हम पहला हेलिकॉप्टर 2027 तक तैयार कर लेंगे। इस तरह के 500 हेलिकॉप्टर बनाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा प्रॉजेक्ट है जिस पर काम किया जा रहा है। एक मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा है कि तेजस एयरक्राफ्ट के बाद यह एचएएल का सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट होगा।

माधवन ने कहा, ‘हमने शुरुआती डिजाइन तैयार कर लिया है। हम एयरफोर्स और नेवी से भी बात कर रहे हैं। 10-12 टन कैटिगरी में 2 बेसिक स्ट्रक्चर होंगे। नेवल वर्जन का आकार आर्मी और एयरफोर्स से अलग होगा।’

इसके अलावा भी कई ऐसी रक्षा परियोजनाएं हैं जिनमें पीएम मोदी की पहल पर मेक इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। डालते हैं एक नजर-

पनडुब्बी बढ़ाएगी नौसेना की ताकत
मेक इन इंडिया के तहत नौसेना के लिए भारत में ही करीब 45 हजार करोड़ रुपये की लागत से छह पी-75 (आई) पनडुब्बियां बनाई जाएंगी। पनडुब्बियों के निर्माण की दिशा में स्वदेशी डिजाइन और निर्माण की क्षमता विकसित करने के लिए नौसेना ने संभावित रणनीतिक भागीदारों को छांटने के लिए कॉन्ट्रैक्ट जारी कर दिया है। रणनीतिक भागीदारों को मूल उपकरण विनिर्माताओं के साथ मिलकर देश में इन पनडुब्बियों के निर्माण का संयंत्र लगाने को कहा गया है। इस कदम का मकसद देश को पनडुब्बियों के डिजाइन और उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

सेना के जवान अब पहनेंगे स्‍वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट
केंद्र सरकार ने सेना की जरूरतों को देखते हुए 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने के लिए अनुबंध किया है। सेना के लिए कारगर बुलेट प्रूफ जैकेटों की जरूरत को युद्ध क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक आवश्यक परीक्षण करने के बाद पूरा किया गया है। ‘भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो’ के रूप में इस मामले को रखा गया है। स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेटें अत्याधुनिक हैं, जिनमें रक्षा का अतिरिक्त स्तर और कवरेज क्षेत्र है। श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन की गई बुलेट प्रूफ जैकेटों में मॉड्यूलर कलपुर्जे हैं, जो लम्बी दूरी की गश्त से लेकर अधिक जोखिम वाले स्थानों में कार्य कर रहे सैनिकों को संरक्षण और लचीलापन प्रदान करते हैं। नई जैकेटें सैनिकों को युद्ध में पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगी।

मेक इन इंडिया के तहत क्लाश्निकोव राइफल
मेक इन इंडिया के तहत अब दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक क्लाश्निकोव राइफल एके 103 भारत में बनाए जाएंगे। असास्ट राइफॉल्स एके 47 दुनिया की सबसे कामयाब राइफल है। भारत और रूसी हथियार निर्माता कंपनी क्लाश्निकोव मिलकर एके 47 का उन्नत संस्करण एके 103 राइफल बनाएंगे। सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे भारत में बनाया जाएगा। इसे भारत से निर्यात भी किया जा सकता है।

भारत में लड़ाकू विमान बनाना चाहती है लॉकहीड मार्टिन
अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिका से अपनी चौथी पीढ़ी के बहुआयामी विमान एफ-16वी के प्रोडक्शन लाइन को भारत में ट्रांसफर करने की पेशकश की है। यह प्रधानमंत्री मोदी के मेक-इन-इंडिया प्रोजेक्ट की कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि एफ-16वी बाजार में उसके इस श्रेणी के उत्पादों में सबसे उन्नत एवं आधुनिक है। भारत इन विमानों का अपनी वायुसेना में इस्तेमाल करने के साथ ही इसका निर्यात भी कर सकेगा। अगर ऐसा होता है तो डिफेंस इंडस्ट्री में नए रोजगार पैदा होंगे और हजारों इंजीनियरों को बेहतर अवसर मिलेगा।

रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने पर जोर
अगस्त 2018 में बेंगलुरु में डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज का आयोजन किया गया था, जिसमें मोदी सरकार ने लेजर हथियारों और 4G लैन (लोकल एरिया नेटवर्क) जैसी 11 तकनीकी चुनौतियों को स्टार्टअप शुरू करनेवाले उद्यमियों के सामने रखा । इन चुनौतियों में ज्यादातर ऐसी हैं, जो सुरक्षा बलों से जुड़ी हैं। सरकार ने देश में स्टार्टअप को शुरू करने और उसे आगे बढ़ाने में सहयोग देने वाली केंद्र सरकार की नीति की घोषणा करते हुए उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया।

नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा मंत्रालय स्वदेशी को बढ़ावा देकर करोड़ों रुपये की बचत कर रहा है। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।

 

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