Home समाचार किसानों के हित में मोदी सरकार का एक और क्रांतिकारी फैसला, बड़े...

किसानों के हित में मोदी सरकार का एक और क्रांतिकारी फैसला, बड़े पैमाने पर होगा नैनो यूरिया का उत्पादन, कृषि क्षेत्र के लिए साबित होगा गेमचेंजर

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हर पल प्रयास रहता है कि कड़ी मेहनत कर देश का अन्न भंडार भरने वाले किसानों की जेब कैसे भरी जाए। उन्हें कैसे आत्मनिर्भर बनाया जा सके ताकि वे शोषणमुक्त खुशहाल जीवन जी सके। यही सोच प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को नए-नए तरीके खोजने के लिए प्रेरित करती है। इसीका नतीजा है कि मोदी सरकार ने मंगलवार यानि 27 जुलाई, 2021 को किसानों के हित में एक और बड़ी पहल की। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने नैनो यूरिया की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए एक एमओयू  इफको और नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड और दूसरा एमओयू इफको और राष्ट्रीय केमिकल्स ऐंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के बीच कराया। समझौते के तहत इफको बिना किसी रॉयल्टी के एनएफएल और आरसीएफ को तरल नैनो यूरिया की टेक्नोलॉजी हस्तातंरित करेगी। इसके बाद एनएफएल और आरसीएफ किसानों को नैनो यूरिया की आपूर्ति बढ़ाने के लिए नये उत्पादन संयंत्र लगाएंगे। इससे आने वाले दिनों में नैने यूरिया का उत्पादन बढ़ेगा।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि नैनो यूरिया का बड़े पैमाने पर उत्पादन एक क्रांतिकारी कदम है। प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से विकसित यह उत्पाद कृषि क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित होगा। यह देश को उर्वरक में आत्मनिर्भर बनाने के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गौरतलब है कि नैनो यूरिया के आधे लीटर के बोतल से उतने खेत की उर्वरक जरूरत पूरी हो पाएगी, जितनी खेत की उर्वरक जरूरत अभी 45 किलो की पारंपरिक यूरिया की बोरी से होती है। जून 2021 में इफको ने इसका वाणिज्यिक उत्पादन शुरू किया। ऐसा करने वाला भारत पूरी दुनिया में पहला देश बना। कई देश भारतीय कृषि की इस खोज का फायदा लेना चाहते हैं।

 नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसानों को फायदा

  • पारंपरिक यूरिया का उपयोग आधा हो जाएगा।
  • किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।  
  • किसानों की कृषि लागत में काफी कमी आएगी।
  • किसानों को 10 प्रतिशत की आर्थिक बचत होगी।
  • कृषि उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

नैनो यूरिया से उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा देश

  • विदेशों से भारत का यूरिया आयात भी कम होगा।
  • आयात में कमी होने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  • यूरिया सब्सिडी पर होने वाला खर्च आधा हो जाएगा।
  • सब्सिडी पर 29,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
  • मिट्टी, हवा,पानी के प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।

Leave a Reply