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प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी सोच का नतीजा, ‘आधार’ बना भ्रष्टाचार खत्म करने का सबसे बड़ा हथियार

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‘आधार’ तमाम स्तरों पर हो रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बड़ा हथियार साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधार के इस्तेमाल के दूरगामी परिणामों को पहले भी भांप लिया था, और यही वजह है कि वह हमेशा से तमाम सरकारी योजनाओं में आधार को लिंक करने पर जोर देते रहे। आज प्रधानमंत्री मोदी की इसी दूरगामी सोच का नतीजा है कि तमाम सरकारी विभागों और मंत्रालयों से लाभ लेने वाले लोगों के फर्जीवाड़े का पता चल रहा है। इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है, बल्कि सरकार का हजारों करोड़ रुपया भी बच रहा है।

कई सरकारी योजनाओं को ‘आधार’ से लिंक करना अनिवार्य किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार ने संसद में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए Prevention of Money-Laundering (Maintenance of Records) पारित किया। इस कानून के तहत सरकार ने कई योजनाओं और सेवाओं के साथ आधार नंबर से लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसका मकसद  ता आधार लिंक हो जाने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचाना। जाहिर है सरकार के इस कदम से सब्सिडी बिचौलिए की जेब में न जाकर लाभार्थियों के खाते में जा रही है। अब तक देशभर में 30 करोड़ पैनकार्ड में से 14 करोड़ से ज्यादा पैन कार्ड आधार से लिंक किए जा चुके हैं। वहीं करीब 100 करोड़ बैंक खातों में से 70 फीसदी बैंक खाते आधार से जोड़े जा चुके हैं। आधार से लिंक कराने की डेटलाइन को थोड़ा बढ़ाते हुए नई डेटलाइन 31 मार्च, 2018 कर दी गई है। 

जाहिर है ‘आधार’ की वजह से करोड़ों फर्जी राशन कार्ड, एलपीजी कनेक्शन निरस्त किए जा चुके हैं, वहीं मिड डे मील पाने फर्जी छात्रों, यूनीवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ाने वाले हजारों फर्जी शिक्षकों के बारे में भी आधार से ही पता चला है। एक नजर डालते हैं भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने में आधार कितना कारगर सिद्ध हो रहा है।

‘आधार’ से उच्च शिक्षा में 1.30 लाख फर्जी शिक्षकों का खुलासा

सरकारी योजनाओं से आधार कार्ड को लिंक कराने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर इसलिए जोर देते रहे हैं ताकि इनमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश ही ना बचे। आधार लिंकेज के साथ कई मंत्रालय और विभाग फर्जी एनरॉलमेंट का पता लगाने में जुटे हुए हैं। मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने आधार लिंकेज के साथ बोगस एनरॉलमेंट को खत्म करने की ठान रखी है जिसका एक पर एक फायदा सामने आ रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते साल सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे अपने यहां कार्यरत शिक्षकों की जानकारी देते समय उनका 12 अंकों का आधार नंबर भी जरूर उपलब्ध कराएं। मंत्रालय ने ये कदम उच्च शिक्षा में फर्जी शिक्षकों को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया था। आधार नंबर के जरिये शिक्षकों के बारे में पता करने की प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आया है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बताए जा रहे 1,30,000  शिक्षक असल में हैं ही नहीं।

‘आधार’ के साथ नहीं दे सकते गलत आंकड़ा

यूनीवर्सिटी और कॉलेजों में फर्जी शिक्षकों के मामले में livemint ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें सूत्रों का हवाला देकर ये बताया गया है कि देश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या करीब 14 लाख है। यानी अब आधार से पहचान के पुष्टिकरण के बाद इनमें से 10 प्रतिशत ऐसे निकले हैं जो असल में थे ही नहीं। जानकारियों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थान विस्तार और नए कोर्स शुरू करने के मकसद से जरूरी नियामक मंजूरियां लेने के लिए कार्यरत शिक्षकों का गलत आंकड़ा पेश करते रहे हैं।

मिड डे मिल योजना में भी फर्जीवाड़े का हुआ था पर्दाफाश

यह दूसरा बड़ा खुलासा है जो आधार के जरिये पहचान कन्फर्म करने की प्रक्रिया से सामने आया है। इससे पहले मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील योजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष अप्रैल में पता चला था कि इस योजना में 4.4 लाख छात्रों का रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से हुआ है। यह आंकड़ा भी सिर्फ तीन राज्यों-आंध्र प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बच्चों का था। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही होगी और आधार लिंकेज इसका पर्दाफाश करने में कितना कारगर है। मोदी सरकार अपने सुधारवादी कार्यक्रमों में आधार लिंकेज को शामिल कर भ्रष्टाचार पनपाने वाले लीकेज को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

राशन कार्ड से आधार जुड़ा तो मिले 2.33 करोड़ फर्जी 
आधार नंबर से राशन कार्ड को जोड़ने की योजना से भी सरकारी खजाने को राहत मिली है। खाद्य सब्सिडी में सालाना 14 हजार करोड़ रुपये की चोरी रुक गई है। आधार लिंकिंग से देश भर में कुल 2.33 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। इन कार्डों को रद्द कर दिया गया । केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 23.20 करोड़ राशन कार्ड हैं जिसे शत प्रतिशत डिजिटल किया जा चुका है। अब तक 77 फीसदी राशन कार्ड को आधार से जोड़ा जा चुका है। इसमें 2.33 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2016 तक राशन कार्डों को आधार से लिंक करने बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटे जाने वाले खाद्यान्न में 14,000 करोड़ रुपये की बचत हुई। हाल ही में कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री यू टी खादर ने कहा था कि आधार  से लिंक करने वजह से राज्य में करीब 8.5 लाख फर्जी राशन कार्डों का पता चला है और इन्हें निरस्त कर दिया  गया है। उनके मुताबिक राशन की हर दुकान पर 60 से 70 फर्जी लाभार्थी दर्ज थे।

रसोई गैस के लिए आधार जोड़ने से 3.77 करोड़ फर्जी कनेक्शन खत्म 
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन से आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही गैस सब्सिडी आधार लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट के तहत जाने लगा। इससे नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। 1 दिसंबर,2017 तक के ताजा सरकारी आंकडों के मुताबिक आधार से लिंक करने की वजह से कुल 3,77,94,000 गैस कनेक्शन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें फर्जी, एक नाम से अलग-अलग कंपनियों में कनेक्शन और निष्क्रिय गैस कनेक्शन शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फर्जी गैस कनेक्शन रद्द किए गए हैं। वहीं एलपीजी कनेक्शन को आधार नंबर और बैंक खाते के जोड़ने के बाद से अब तक सरकार 29,668 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत कर चुकी है।

राज्य रद्द किए गए एलपीजी कनेक्शन 
उत्तर प्रदेश 55.87 लाख
महाराष्ट्र 36.15 लाख
आंध्र प्रदेश 28.72 लाख
बिहार 11.42 लाख
झारखंड 4.89 लाख

 

वित्त वर्ष सब्सिडी में बचत की रकम
2014-15 14,818 करोड़
2015-16 6,443 करोड़
2016-17 4,608 करोड़
2017-अब तक 3,799 करोड़

 

आधार से मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

DBT से हुई 49,560 करोड़ की बचत

वर्ल्ड बैंक की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक आधार की वजह से सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं में 11 अरब डॉलर वार्षिक की बचत हुई है। पिछले साल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामें में कहा था कि डायेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम (DBT) के जरिए 2014-15 और 2015-16 में 49,560 करोड़ रुपये की बजत हुई है, यानी इससे पहले यह रकम फर्जी लाभार्थियों को दी जा रही थी।

 

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