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मोदी राज में खोले गए 9 हजार जन औषधि केंद्र, सस्ती दवाओं से गरीब-मिडिल क्लास परिवारों के 20 हजार करोड़ रुपये बचे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी को करीब से देखा और महसूस किया है। इसलिए वे गरीबों की जरूरतों और उनकी परेशानियों से पूरी तरह से परिचित हैं। समाज में गरीबी को दूर करके ही देश को समृद्धि की राह पर ले जाया जा सकता है। इसे समझते हुए नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद गरीबों पर महंगी दवाइयों का बोझ कम करने और समुचित इलाज के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की शुरुआत की। जन औषधि से मिलने वाली सस्ती दवाएं आज गरीबों के लिए संजीवनी बन रही है। यही वजह है कि पिछले नौ सालों में 9 हजार जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। जन औषधि की बिक्री में 100 गुना बढ़ोतरी हुई है और इससे गरीब परिवारों के 20 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। 2014-15 से लेकर अब तक इन सस्ती दवाइयों की बिक्री का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। पिछले नौ सालों में आयुष्मान भारत और जन औषधि से गरीब परिवार 1 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में सफल हुए हैं।

देश में 9 हजार जन औषधि केंद्र खुले, लोगों मिल रही सस्ती दवाएं

केंद्र सरकार देश के गरीब और मध्य वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और और इलाज के खर्च को कम करने की लगातार कोशिश कर रही है। इस परियोजना ने भारत के आम जनमानस के जीवन पर सीधा सकारात्मक प्रभाव डाला है। एक मृत योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुनः जीवित कर देशवासियों की सेवा में समर्पित किया है। जब पीएम मोदी की सरकार बनी तो पूरे देश में केवल 80 केंद्र संचालित थे और इसपर कोई भी कार्य नहीं हो रहा था। आज इस योजना के अन्तर्गत देश में 9000 से अधिक केंद्र शुरू किए जा चुके हैं। जो जनता को सस्ती व अच्छी दवाई उपलब्ध करवा रहे हैं। केंद्रों पर 2039 दवाइयां व सर्जिकल उपकरण उपलब्ध हैं।

आयुष्मान भारत और जन औषधि से गरीबों के बचे 1 लाख करोड़ रुपये

पिछले नौ सालों में आयुष्मान भारत और जन औषधि से गरीब परिवारों ने 1 लाख करोड़ रुपये की बचत की है। स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान वेबिनार में 6 मार्च को पीएम मोदी ने कहा कि दोनों योजनाओं से लाभार्थी 1 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में सफल हुए हैं। आयुष्मान भारत योजना के जरिए लाभार्थियों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जा रहा है, जबकि बाजार भाव से 50 से 90 फीसदी सस्ती कीमत में दवाएं उपलब्ध कराने के लिए देश में 9 हजार जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं।

जन औषधि केंद्रों की सस्ती दवा से गरीबों के 20 हजार करोड़ बचे

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां करीब 9 हजार जन औषधि केंद्र हैं और यहां बाजार भाव से बहुत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रा का होना बहुत जरूरी है। आज देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं. इन सेंटरों में डायबिटीज, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है।

आयुष्मान भारत से मरीजों के 80 हजार करोड़ खर्च होने से बचे

पीएम मोदी ने कहा है कि भारत में गरीबों को इलाज के लिए सामर्थ्यवान बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है। इसीलिए आयुष्मान भारत योजना के तहत 5,00,000 रुपये तक का मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। इससे देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपए जो बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो बचे हैं।

देश के 12 लाख से अधिक नागरिक रोज़ाना खरीदते हैं दवाएं

देश के 12 लाख से अधिक नागरिक रोज़ाना इन केंद्रों से दवाई खरीद रहे हैं। यहां मिलने वाली दवाइयां बाज़ार दाम से 50 से 90 फीसदी सस्ती हैं। इससे देशवासियों का 20,000 करोड़ से अधिक रुपया बचा है। यह परियोजना देश के गरीब व मध्यम वर्ग के लिए संजीवनी बनकर उभरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच हमेशा से अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचे उसकी रही है। आज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं। यह परियोजना जन-जन की है और जन-जन को लाभ दे रही है।

260 नए मेडिकल कॉलेज खुलने से सीटों की संख्या दोगुनी हुई

बीते वर्षों में 260 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। इससे मेडिकल सीटों की संख्या 2014 के बाद आज दोगुनी हो चुकी है। इस वर्ष के बजट में नर्सिंग क्षेत्र के विस्तार पर बल दिया गया। मेडिकल कॉलेज के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना, मेडिकल ह्यूमन रिसोर्स के लिए बड़ा कदम है।

देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे

देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रा का होना बहुत ज़रूरी है। आज देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं। इन सेंटरों में डायबिटीज़, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है। पीएम मोदी ने कहा है कि हमने हेल्थ केयर को सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित नहीं रखा है बल्कि पूरी सरकार पर बल दिया है।

औषधि केंद्रों पर सेनेटरी पैड की उपलब्धता

सरकार द्वारा जन औषधि केंद्रों पर महिलाओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सस्ते दामों पर सेनेटरी पैड की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है। मोदी सरकार साल के अंत तक देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10 हजार करने के लक्ष्य पर काम कर रही है।

देश के 127 रेलवे हॉस्पिटलों में खोले जाएंगे जन औषधि केंद्र

जन औषधि योजना को पांच साल हो गए हैं और इस बार देश भर में इसके प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए जन औषधि सप्ताह भी मनाया जा रहा है। भारत में इसके 9 हजार केंद्र हैं, जिसे इस साल बढ़ा कर 10 हजार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसमें 127 रेलवे हॉस्पिटलों सहित कई बड़े रेलवे स्टेशनों पर जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। इन जन औषधि केंद्रों पर न केवल अच्छी बल्कि सस्ती कीमत पर लोगों को दवाईयां मिल सकेंगी।

दिल्ली सहित एक हजार रेलवे स्टेशनों पर खुलेंगे जन औषधि केंद्र

देश भर में एक हजार से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर जन औषधि केंद्र खोले जाने की योजना बनाई गई है। अब चरणबद्ध तरीके से इसे खोले जाने की योजना के तहत शुरुआत में इसे दिल्ली जैसे बड़े स्टेशनों पर खोला जाएगा और फिर बाद में चिन्हित किए गए स्टेशनों पर भी इसे खोला जाएगा।

ट्रेनों को सजा कर किया जा रहा प्रचार

जन औषधि के प्रचार के लिए भी रेलवे ने हजरत निजामुद्दीन से दुर्ग के बीच चलने वाली छत्तीसगढ़ संपर्क क्रांति को विशेष तौर पर सजाया है। इससे लाखों यात्रियों को जन औषधि केंद्र पर कम मूल्य पर मिलने वाली दवाओं के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा पुणे से दानापुर के बीच चलने वाली एक ट्रेन को भी इसी तरह तैयार किया गया है।

जन औषधि के प्रति जागरूक करने के लिए हेरिटेज वॉक

जन औषधि के प्रति जागरूकता लाने के लिए दो विशेष ट्रेन भी चलाई जा रही है। इसके अलावा 10 शहरों में हेरिटेज वॉक का भी आयोजन किया जाएगा। यह ट्रेन देश के 9000 से अधिक औषधि केन्द्रों में उपलब्ध सस्ती और कारगर जेनरिक दवाओं के बारे में लोगों को जागरुकता फैला रही है।

रेलवे स्टेशन पर मिलेंगी सर्दी, खांसी, बुखार की दवाएं

स्टेशन पर खुलने वाली जन औषधि केंद्रों में सर्दी, खांसी, बुखार, सांस, रक्तचाप, मधुमेह सहित अन्य जरूरी दवाएं उपलब्ध होंगी। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि उत्पाद में 1759 दवा और 280 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं। सस्ती दवा के साथ ही जन औषधि केंद्र में महिलाओं को एक रुपये में सैनिटरी पैड भी उपलब्ध होगा। प्रोटीन पाउडर, पोषाहार, प्रोटीन बार, इम्युनिटी बार, सेनिटाइजर, मास्क, ग्लूकोमीटर आक्सीमीटर भी यहां से खरीद सकेंगे।

देश के 743 जिलों में जन औषधि केंद्र

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक अच्छी पहुंच हो। इसका मकसद जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है। भारत में डॉक्टरों के बीच जेनेरिक दवाओं की सिफारिश नहीं करने का सदियों पुराना रिवाज है। वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार इसे बदलना चाहती थी। वर्तमान में देश के 743 जिलों में लगभग 9 हजार से अधिक जनऔषधि केन्द्र कार्यरत है।

दवाएं 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती

जनऔषधि केंद्रों पर दवाएं औसत बाजार मूल्य की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत सस्ती मिलती हैं। रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के माध्यम से देश के लोगों को सस्ती दवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जन औषधि केंद्र से बिकी 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जेनरिक दवाएं

भारत की जेनेरिक दवाइयां दुनियाभर में मशहूर हैं और दुनिया के हर 5 में से एक व्यक्ति भारत में बनी दवा खाता है। जनऔषधि केंद्र पर देश के हर कोने में आम जन को सस्ती और अच्छी दवाईयां मिल रही है। 2014 से पहले जन औषधि केंद्रों के शेयर 2 फीसद था जो अब बढ़कर 8 फीसद से ज्यादा हो गया है। बीते सालों में 9000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र से 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जेनरिक दवाएं बेची जा चुकी है।

जन औषधि केंद्रों पर 1616 दवाएं और 250 सर्जिकल उपकरण

पीएमबीजेपी के उपलब्ध औषध समूह में 1616 दवाएं और 250 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं, जो देश भर में संचालित 8600 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) के माध्यम से बिक्री के लिए सुलभ हैं। इसके अलावा, कुछ आयुष उत्पादों जैसे आयुष किट, बलरक्षा किट और आयुष- 64 टैबलेट को प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर के रूप में इस परियोजना से जोड़ा गया है, जिसे चयनित केंद्रों के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। औषधियों की विस्तृत श्रृंखला में सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों जैसे कार्डियोवास्कुलर, एंटी-कैंसर, एंटीडायबिटिक, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-एलर्जी, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल दवाएं, न्यूट्रास्यूटिकल्स आदि को शामिल किया गया है। इसके अलावा, पीएमबीआई एफएसएसएआई के तहत फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) वस्तुओं एवं खाद्य उत्पादों के लॉन्च पर कार्य किया जा रहा है और अत्यधिक मांग वाले आयुर्वेदिक उत्पादों को अपनी विस्तृत श्रृंखला में विस्तार देने के लिए भी काम हो रहा है। पीएमबीआई ने गुरुग्राम, चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत में चार भंडार गृह स्थापित करके आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत किया है। इसके अलावा, देश के हर हिस्से में समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पूरे भारत में 39 वितरकों का एक मजबूत वितरक नेटवर्क भी उपलब्ध है।

लॉकडाउन के दौरान जन औषधि केंद्रों से लोगों को हुई बड़ी बचत, 300 करोड़ रुपये का हुआ फायदा

कोरोना संकट के समय सभी आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं। लोगों को स्वास्थ्य के साथ ही आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र वरदान बनकर सामने आया है। इस केंद्र से जहां गरीब लोगों को सस्ती दवाएं मिल रही हैं, वहीं इलाज में होने वाले खर्च में काफी कमी आई है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक लॉडाउन के दौरान जन औषधि केंद्रों ने अप्रैल में 52 करोड़ रुपये की बिक्री की। इससे लोगों को 300 करोड़ रुपये की कुल बचत हुई।

जन औषधि केंद्र बन रहे जन शक्ति केंद्र- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जनऔषधि केंद्र सच्चे अर्थ में जन शक्ति के केंद्र बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनऔषधि योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर काम चल रहा है। जरूरी यह है कि देश का हर नागिरक स्वास्थ्य के प्रति अपने दायित्व को समझे। उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी दिनचर्या में स्वच्छता, योग, संतुलित आहार, व्यायाम को जरूर जगह देनी चाहिए। बच्चों को पढ़ने के साथ खेलने के लिए भी उतना आग्रह करना चाहिए।

सरकार जन औषधि केंद्र खोलने पर 2.5 लाख रुपये तक की मदद करती है

मोदी सरकार की प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना एक ऐसी योजना है, जिसके तहत न केवल रोजगार मिलाता है, बल्कि मरीजों को मार्केट रेट से काफी सस्ती दवाएं भी मिल जाती हैं। अभी देश में करीब 8000 से अधिक जन औषधि केन्द्र चल रहे हैं, लेकिन अभी भी हजारों जन औषधि केन्द्र खोलने की योजना है। जन औषधि केन्द्र खोलने में ज्यादा खर्च भी नहीं आता है, जो भी खर्च आता है वह सरकार धीरे धीरे आपको वापस कर देती है। इसके अलावा हर महीने आपको अच्छा कमीशन मिलता है।

सरकार जन औषधि केंद्र खोलने पर 2.5 लाख रुपये तक की मदद करती है। जन औषधि केंद्र से दवाओं की बिक्री से 20 फीसदी तक का मुनाफा मिलता है। इसके अलावा हर महीने होने वाली बिक्री पर अलग से 15 प्रतिशत का इंसेंटिव मिलता है, हालांकि इंसेंटिव की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये महीना तय है। यह इंसेंटिव तब तक मिलेगा, जब तक कि 2.5 लाख रुपये पूरे न हो जाएं। वहीं नक्सल प्रभावित और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में इंसेंटिव की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपये प्रति माह तक है।

कौन खोल सकता है जन औषधि केंद्र

पहली कैटेगरी के तहत कोई भी व्यक्ति, बेरोजगार फार्मासिस्ट, डॉक्टर, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर जन औषधि केंद्र खोल सकता है। दूसरी कैटेगरी के तहत ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल, सोसायटी और सेल्फ हेल्प ग्रुप को जनऔषधि केंद्र खोल सकता है। तीसरी कैटेगरी में राज्य सरकारों की ओर से नॉमिनेट एजेंसी जनऔषधि केन्द्र खोल सकती है।

औषधि केन्द्र के लिए यहां से मिलेगा फार्म

जन औषधि केन्द्र के लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम से लेना होता है। इसे खोलने के लिए आपके पास 120 वर्ग फुट की दुकान होनी चाहिए। इसके लिए फार्म यहां से डाउनलोड कर सकते हैं। https://janaushadhi.gov.in/ । फार्म डाउनलोड करने के बाद आपको आवेदन ब्यूरो ऑफ फॉर्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर (एएंडएफ) के नाम से भेजना होगा।

आइए एक नजर डालते हैं स्वास्थ्य क्षेत्र में किस तरह मोदी सरकार ने नौ साल में कई प्रयास कर गरीबों के जीवन को आसान बनाया है-

मोदी राज में हेल्थ सेक्टर में हुई अभूतपूर्व वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 8 वर्षों से स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बागडोर संभालते ही स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास शुरू कर दिए। एम्स के निर्माण, मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सीटें बढ़ाने, आयुष्मान भारत योजना, जनऔषधि केंद्र खोलने जैसे तमाम कदम उठाए गए। जब कोरोना की नई चुनौती आई, तो उसे लड़ने के लिए देश के पास वेंटिलेटर्स, पीपीई किट,मास्क और कई अन्य सुविधाओं की कमी थी। लेकिन मोदी सरकार ने चुनौती को अवसर में बदल दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत ने ना सिर्फ इस महामारी का मजबूती से सामना किया, बल्कि दूसरे देशों की मदद भी की।

चिकित्सकों और नर्सों की संख्या में भारी वृद्धि

मोदी सरकार आने के बाद देश में चिकित्सकों और नर्सों की संख्या में भारी वृद्धि हुई हैं। पीआईबी रिसर्च यूनिट के ताजा आंकड़ों के अनुसार आजादी के 60 साल बाद तक सन 2012 तक देश में चिकित्सकों की संख्या सिर्फ 8,83,812 थी, जो मोदी सरकार आने के बाद करीब 50 प्रतिशत बढ़कर सन 2021 में 13,01,319 हो गई। इसी तरह नर्सों की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है। साल 2012 तक देश में नर्सों की संख्या सिर्फ 21,24,667 थी। वो मोदी राज में करीब 50 प्रतिशत बढ़कर साल 2021 में 33.41 लाख से ज्यादा हो गई।

एम्स की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी

एम्स अपनी क्वालिटी और सस्ते इलाज के लिए जाने जाते हैं। जब मरीज सब जगह इलाज कराने के बाद थक चुका होता है तो एम्स पहुंचता है। उसे एम्स पर पूरा भरोसा होता है कि यहां बेहतर इलाज मिलेगा और बीमारी दूर होगी। लेकिन देश का दुर्भाग्य था कि दशकों तक एम्स के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया। 1956 में दिल्ली में एम्स का निर्माण किया गया था। इसके बाद वाजपेयी सरकार में इसके निर्माण की दिशा में पहल की गई। 2014 तक देश में 6 एम्स थे। मोदी सरकार ने एम्स के निर्माण पर ध्यान दिया और 15 एम्स बनाने की मंजूरी दी। इस तरह निर्माणाधीन और सेवारत एम्स की कुल संख्या बढ़ कर 21 तक पहुंच गई।

मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 48 प्रतिशत की छलांग

भारत डॉक्टर-पेशेंट रेशो के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मापदंडों से काफी पीछे है। इस गैप को पाटने और लोगों को आसानी से इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सके इसके लिए मोदी सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया। हैरानी की बात है कि 2014 में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 381 थी। मोदी सरकार आने के बाद इसमें 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2020 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 565 तक पहुंच गई। नये मेडिकल कॉलेज खुलने से देश में मेडिकल की सीटों में बढ़ोतरी हुई।

नए मेडिकल कॉलेज: अब ग्रामीणांचल के गरीब बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार

प्रधानमंत्री मोदी पिछले आठ वर्षों में, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन लाए हैं। 2014 से पहले देश में 90 हजार से भी कम मेडिकल सीटें थी और बीते 8 वर्षों में मेडिकल की 65 हजार से अधिक नई सीटें जोड़ी गई हैं। आजादी के बाद देश में 70 वर्षों में जितने डॉक्टर बने उससे ज्यादा डॉक्टर अगले 10-12 सालों में तैयार हो जाएंगे। क्योंकि देश में बहुत से नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं और नए खुल रहे हैं। इससे दूरस्थ ग्रामीणांचल के बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार हो रहा है। मोदी सरकार स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा के अध्ययन को सक्षम बनाने के प्रयास कर रही है जिससे अनगिनत युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

कोरोना काल में वरदान ई-संजीवनी सेवा

मोदी राज में चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किया गया है। इसी क्रम में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी से देश भर में रोगियों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। ई-संजीवनी राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा शहरी और ग्रामीण भारत में मौजूद डिजिटल स्वास्थ्य अंतर को समाप्त कर रही है। यह अस्पतालों पर बोझ को कम करते हुए जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी को दूर करने का काम कर रही है।स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी दो माध्यम से सेवा मुहैया कराती है। ईसंजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी (डॉक्टर टू डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) और ईसंजीवनीओपीडी (रोगी से डॉक्टर टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म) मॉडल पर आधारित है जो लोगों को उनके घरों के पास आउट पेशेंट सेवाएं प्रदान करती है।

टेलीमेडिसिन सेवा- ई-संजीवनी से परामर्श देने का बनाया रिकॉर्ड

आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (AB- HWC) पर लगातार दो दिन 26-27 अप्रैल 2022 को टेलीफोन के माध्यम से 3.5 लाख से अधिक परामर्श दिए गए। AB- HWC पर यह एक दिन में किए गए टेलीकंसल्टेशन की अब तक की सबसे अधिक संख्या है, जो प्रतिदिन 3 लाख टेलीकंसल्टेशन के अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया। इसके अलावा, 26 और 27 अप्रैल, 2022 को ई-संजीवनी ओपीडी टेलीमेडिसिन द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का 76 लाख से अधिक रोगियों ने लाभ उठाया। टेलीफोन के माध्यम से परामर्श ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म पर किए जा रहे हैं। वर्तमान में, ईसंजीवनी एबी-एचडब्‍ल्‍यूसी 80,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केन्‍द्रों में काम कर रहा है। यह डॉक्टर-से-डॉक्टर का टेलीकंसल्टेशन सिस्टम है, जहां एक तरफ जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक विशेषज्ञ डॉक्टर बैठता है और दूसरी तरफ मरीज के साथ एक सामान्य चिकित्सक होता है। इस परामर्श का मकसद रोगियों के ईलाज के लिए बड़े अस्पताल तक जाने, रहने और खाने-पीने के खर्च को कम करना है। गरीब मरीजों के लिए यह एक वरदान से कम नहीं है।

स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार का 4 Pillar पर फोकस

पूर्व की सरकारों के विपरीत मौजूदा मोदी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को वर्गों में बंटकर देखने के बजाय समग्र रूप से देख रही है। मोदी सरकार स्वस्थ्य भारत की दिशा में चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है। स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया गया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार Pillars पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

Preventive Health – इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
Affordable Healthcare – इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
Supply side interventions – इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
Mission mode intervention – इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।
इन चार Pillars के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।

तेज़ी से टीकाकरण में भारत दुनिया में सबसे आगे

भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चला रहा है। वैक्सीनेशन अभियान में भारत नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। देश भर में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 203 करोड़ से अधिक कोरोना टीके लगाए गए हैं।

‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति

जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे, तो अस्पतालों पर कोरोना मरीजों के बढ़ते दबाव और ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए मोदी सरकार ने 9 सेक्टरों को छोड़कर अन्य उद्योगों को ऑक्सीजन की सप्लाई बंद करने और ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ चलाने का बड़ा फैसला किया। रेलवे मंत्रालय ने राज्यों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ के जरिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की और मरीजों की जान बचाने का काम किया।

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के शुभारंभ की घोषणा की। इसके तहत सभी नागरिकों को स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र दिए जाएंगे। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन प्रत्येक भारतीय नागरिक को देश भर में स्वास्थ्य सेवा में परेशानी मुक्त पहुंच के लिए एक अनूठा स्वास्थ्य खाता रखने में सक्षम करेगा। इस एकमात्र स्‍वास्‍थ्‍य पहचान पत्र में प्रत्‍येक जांच, प्रत्‍येक बीमारी, डॉक्‍टरों द्वारा दी गई दवाइयां, रिपोर्ट और संबंधित सूचनाएं रहेंगी। पूरी तरह से प्रौद्योगिकी आधारित इस पहल से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आने की उम्मीद है।

मेडिकल डिवाइस की कीमत पर लगी लगाम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लगातार चिकित्सा सुविधाओं को सस्ता और सुलभ बनाने के प्रयासों में लगी है। मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए 1 अप्रैल, 2020 से सिरिंज, डिजिटल थर्मामीटर, स्टेंट डायलिसिस मशीन जैसी तमाम मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स की श्रेणी में ला दिया। इसका मतलब यह है कि इनकी गुणवत्ता और कीमत पर सरकार उसी तरह से नियंत्रण कर सकेगी जैसा कि दवाओं के मामले में होता है। मोदी सरकार ने इन मेडिकल मशीनरी की कीमतों पर अंकुश के लिहाज से सरकार ने यह कदम उठाया। यानि अब स्टेंट से लेकर डिजिटल थर्मामीटर तक तमाम मेडिकल डिवाइस सस्ते मिलने लगे हैं और इनकी कीमतों में मनमानी बढ़त पर लगाम लगी है।

स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज

स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। देश के अधिकतर गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।

योग बना जन आंदोलन

मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य

देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत अब तक 4.10 करोड़ बच्चों का टीकाकरण हो चुका है। इस योजना को बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च किया गया था। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके।

बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी

मोदी सरकार देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर खोलने का प्रयास कर रही है। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों। आयुष्मान भारत के तहत 2018 में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोलने की शुरुआत हुई थी। 29 अप्रैल 2022 तक 1.18 लाख ऐसे सेंटर खोले जा चुके हैं।

800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत पर किया कंट्रोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 मार्च, 2022 को कहा कि किफायती मूल्य में जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए जन औषधि केंद्रों से गरीबों और मध्यम वर्ग को बहुत फायदा पहुंचा है। जन औषधि का उद्देश्य लोगों को वहनीय मूल्य पर दवाइयां उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने कैंसर, टीबी, मधुमेह, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि स्टेंट लगाने और घुटने इंप्लांट की कीमत भी नियंत्रित रहे।’’

सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जाती है।

मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का – मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

मलेरिया मुक्त भारत की योजना

मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।

घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट

अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।

फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत

प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में नेशनल स्पोर्ट्स डे पर फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की। इस मौके प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि था कि फिटनेस हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है, लेकिन इधर फिटनेस को लेकर हमारी सोसाइटी में उदासीनता आ गई है। पहले लोग 10-12 किलोमीटर पैदल चल लिया करते थे, लेकिन जैसे ही आधुनिक साधन आए, लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई, टेक्नोलॉजी हावी हो गई है। बहुत सारे लोग हैं जो अपनी फिटनेस पर ध्यान ही नहीं देते, कुछ लोग और भी विशेष हैं, कुछ चीजें फैशन स्टेटमेंट हो जाती हैं। कई लोग खुद ज्यादा खाते हैं लेकिन डाइटिंग पर भाषण देते रहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी बीमारी से निजात पाने के लिए फिटनेस हमारे जीवन का सहज हिस्सा रहा है व्यायाम से ही स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख की प्राप्ति होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निरोग होना सबसे बड़े भाग्य की बात है। स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लेकिन बीतते समय के साथ अब सुनने को मिलता है कि स्वार्थ से सब कुछ सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर से स्वार्थ भाव को छोड़कर स्वास्थ्य भाव को पाना है।

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