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Year Ender 2023 : आर्थिक उपलब्धियों का साल, दुनिया में बजा जीडीपी का डंका, महंगाई-बेरोजगारी पर नकेल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजनरी नेतृत्व और उनकी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से वर्ष 2023 उपलब्धियोंं से भरा रहा। इस साल आर्थिक मोर्चे पर ऐसी कई सफलताएं मिलीं, जिसने देश की आर्थिक बुनियाद को और मजबूत किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने और उनके तीसरे कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। कोरोना महामारी, हमास- इजरायल संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी तमाम चुनौतियों के बावजूद जहां भारत की जीडीपी का डंका पूरी दुनिया में बजा, वहीं रिकॉर्ड तोड़ जीएसटी कलेक्शन ने सरकार का खजाना भर दिया। महंगाई और बेरोजगारी पर नकेल कसने में कामयाबी मिली। अर्थशास्त्रियों, आर्थिक संस्थाओं, रेटिंग एजेंसियों और निवेशकों ने जहां भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास व्यक्त किया, वहीं बेहतर भविष्य की उम्मीद जताई। आइए देखते हैं वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था का हर सेक्टर किस तरह सराहनीय प्रदर्शन कर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा।

2023 में जीडीपी का शानदार ग्रोथ, सारे पूर्वानुमानों को किया ध्वस्त
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था शानदार प्रदर्शन कर रही है। उनकी नीतियों का असर अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। इसका परिणाम है कि जहां विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक मंदी का सामना कर रही हैं, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था इस मुश्किल वक्त में एक के बाद एक नए कीर्तिमान बना रही है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2023) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट 7.6 प्रतिशत रही है। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक जीडीपी में यह वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और उसकी ताकत को दर्शाता है। यह उन विपक्षी दलों और उनके आर्थिक सलाहकारों के लिए जोरदार झटका है, जो विकास दर में गिरावट की भविष्यवाणी कर देश की जनता को गुमराह कर रहे थे। दरअसल गुरुवार (30 नवंबर, 2023) को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और सर्विस सेक्टर के शानदार प्रदर्शन की वजह से देश की आर्थिक विकास दर 7.6 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी 2023-24 की दूसरी तिमाही में 41.74 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2022-23 की दूसरी तिमाही में यह 38.78 लाख करोड़ रुपये थी। 

2023 में भारत सबसे तेज वृद्धि करने वाले देशों में सबसे आगे रहा
प्रधानमंत्री मोदी ने विकास दर में हुई तेज वृद्धि पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स में शेयर किए गए अपने पोस्ट में लिखा कि दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई जब वैश्विक स्तर पर कठिन दौर चल रहा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की लचीलापन और ताकत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हम अधिक अवसर पैदा करने, गरीबी का तेजी से उन्मूलन करने और अपने लोगों के लिए ‘Ease Of Living’ में सुधार लाने के लिए तेज गति से विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सबसे तेज वृद्धि करने वाले देशों में सबसे आगे बना हुआ है। अन्य देशों की विकास दर पर नजर डाले तो चीन की विकस दर दूसरी तिमाही में 4.9 प्रतिशत रही। अमेरिका की ग्रोथ रेट 5.2 प्रतिशत, रूस की 5.5 प्रतिशत, फिलीप्पिंस 5.9 प्रतिशत रही है। वहींभारत की विकास दर ने छलांग लगाकर सभी अर्थशास्त्रियों के पूर्वानुमानों को बौना साबित कर दिया है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत जीडीपी रहने की उम्मीद है, जबकि तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत औऱ चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत जीडीपी रहने का अनुमान लगया था। इसके अलावा कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने 7 प्रतिशत विकस दर का अनुमान लगाया था।

पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार हुई देश की जीडीपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नए भारत का उदय हो रहा है। आज भारत हर मोर्चे पर नए-नए रिकार्ड बना रहा है। 18 नवंबर 2023 का दिन भी भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। आजादी के बाद भारत की GDP पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल गई है। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। यह 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाने की दिशा में मील का पत्थर भी है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की जीडीपी में पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि हुई है। 2021 में भारत की जीडीपी 3.2 ट्रिलियन डॉलर थी, 2022 में यह बढ़कर 3.6 ट्रिलियन डॉलर हो गई और 2023 में यह बढ़कर 4 ट्रिलियन डॉलर हो गई। अब जापान को 4.4 ट्रिलियन डॉलर और जर्मनी को 4.3 ट्रिलियन डॉलर के साथ पछाड़कर भारत वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश बनने की ओर अग्रसर है। तिरंगे की लहर जारी है। देश की इस तरक्की के लिए सोशल मीडिया पर प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी जा रही है।

महंगाई के मोर्चे पर राहत,खुदरा और थोक महंगाई दर में गिरावट
वर्ष 2023 में महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों को बड़ी राहत मिली। थोक महंगाई में अक्टूबर के महीने में भी गिरावट आई। अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे रही। सितंबर, 2023 में यह -0.26 के स्तर पर रही। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से ही नकारात्मक स्तर पर रहा। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई लगातार सातवें महीने जीरो से नीचे रही। मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से रसायनों और रासायनिक उत्पादों, बिजली, कपड़े, बुनियादी धातुओं और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई। अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर में भी गिरावट आई। अक्टूबर में यह घटकर 4.87 प्रतिशत रही। महंगाई दर में यह गिरावट लगातार तीन महीने भी देखने को मिली। सितंबर महीने में महंगाई दर 5.02 प्रतिशत और अगस्त में 6.83 प्रतिशत थी।

जीएसटी का रिकॉर्ड संग्रह, सिंगल डे कलेक्शन में भी बना कीर्तिमान
वित्तीय वर्ष 2023-24 की शुरुआत ही जीएसटी कलेक्शन में कीर्तिमान बनाने के साथ हुई। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन अप्रैल, 2023 में 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा जो अब तक का रिकॉर्ड है। वित्त मंत्रालय के अनुसार अप्रैल, 2023 के महीने में कुल जीएसटी कलेक्शन 1,87,035 करोड़ रुपये रहा, जिसमें सीजीएसटी 38,440 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 47,412 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 89,158 करोड़ रुपये और उपकर 12,025 करोड़ रुपये था। यह पिछले साल अप्रैल 2022 के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक था। इस दौरान एक दिन में सबसे ज्यादा टैक्स कलेक्शन का भी रिकॉर्ड बना। 20 अप्रैल, 2023 को 9.8 लाख लेनदेन के जरिए 68,228 करोड़ रुपये टैक्स जमा हुआ। पिछले वर्ष इसी दिन 20 अप्रैल 2022 को सबसे ज्यादा एक दिन का कलेक्शन 9.6 लाख रुपये लेनदेन के माध्यम से 57,846 करोड़ रुपये था। जीएसटी देश में पहली बार 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। तब से पिछले 6 साल में पहली बार रिकॉर्ड जीएसटी का कलेक्शन हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अप्रैल 2023 में जीएसटी राजस्व की वसूली का अब तक का सर्वाधिक 1.87 लाख करोड़ रुपये होना, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी खबर है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
वर्ष 2023 में आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को लगातार अच्छी खबरें मिलीं। टैक्सपेयर ने सरकार का खजाना भर दिया। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में रिकॉर्डतोड़ प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ। वित्त मंत्रलाय ने धनतेरस के दिन 10 नवंबर, 2023 को प्रत्यक्ष कर संग्रह का आंकड़ा जारी किया, जिसके मुताबिक प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 09 नवंबर, 2023 तक कर संग्रह 12.37 लाख रुपये रहा, जो पिछले साल की इस अवधि के सकल कर संग्रह से 17.59 प्रतिशत अधिक है। रिफंड के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 10.60 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 21.82 प्रतिशत अधिक है। यह संग्रह वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रत्यक्ष कर के कुल बजटीय अनुमान का 58.15 प्रतिशत है।

व्यक्तिगत आयकर और कंपनी कर में उल्लेखनीय वृद्धि
प्रत्यक्ष कर में व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट आयकर शामिल है। आयकर विभाग के हवाले से बताया गया कि कॉरपोरेट आयकर संग्रह इस दौरान 7.13 प्रतिशत बढ़ा, जबकि व्यक्तिगत आयकर में 28.29 प्रतिशत की वृद्धि हुई। करदाताओं को एक अप्रैल से 09 नवंबर,2023 के बीच 1.77 लाख करोड़ रुपये रिफंड किए गए। रिफंड के बाद शुद्ध रूप से कॉरपोरेट आयकर संग्रह में 12.48 प्रतिशत और व्यक्तिगत आयकर संग्रह में 31.77 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई।

अगस्त में 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा IIP ग्रोथ
औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े उम्मीद से काफी बेहतर रहे हैं। अगस्त के महीने में देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में 10.3 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली। यह 14 महीने में सबसे अधिक था। सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार Index of Industrial Production अगस्त माह में 10.3 प्रतिशत बढ़ा। इससे पिछले महीने जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 5.7 प्रतिशत पर रही थी। पिछले साल की तुलना में देखें तो अगस्त 2022 में औद्योगिक उत्पादन की दर 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस महीने खनन उत्पादन 12.3 प्रतिशत, बिजली उत्पादन 15.3 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 9.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा।

जुलाई में 13 साल के हाई पर पहुंचा सर्विसेज पीएमआई
अर्थव्यवस्था के लिए एक और अच्छी खबर जुलाई 2023 में सामने आई, जब एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विस पीएमआई 62.3 रहा। यह सर्विसेज पीएमआई का 13 साल का उच्च स्तर था। इससे पहले सर्विस पीएमआई का इससे ऊंचा स्तर जून 2010 में रहा था। इसके साथ ही यह लगातार 24वां महीना था, जब सर्विसेज पीएमआई 50 से ऊपर रहा। सर्विसेज पीएमआई करीब दो वर्षों से ब्रेकईवन से ऊपर है, जो अगस्त 2011 के बाद सबसे लंबी अवधि है। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलियाना डी लीमा ने कहा कि जुलाई में सर्विसेज डिमांड में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सर्विस सेक्टर का लचीलापन भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अगस्त में 58.6 के स्तर मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई
कारोबार में बढ़त के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। मांग बढ़ने से अगस्त के महीने में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में बंपर तेजी आई। अगस्त में एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स (PMI) 58.6 पर रहा। यह पिछले तीन महीने का उच्च स्तर था। पीएमआई पिछले 29 महीनों से लगातार 50 से ऊपर बना हुआ है। अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में वृद्धि फरवरी 2021 के बाद आई बढ़त में सबसे मजबूत में से एक है। जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का आंकड़ा 57.7 पर रहा था। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है। नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां तेज रफ्तार से चल रही है। 

पहली बार शेयर बाजार का मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंचा
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक नए भारत का उदय हो रहा है। आज भारत हर मोर्चे पर नए-नए रिकार्ड बना रहा है। 29 नवंबर 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज- BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर यानी 333.13 लाख करोड़ रुपए के पार निकल गया। यह देश की कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP से भी ज्यादा है। भारत मई 2021 में तीन ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल हुआ था। मई 2007 में बीएसई-लिस्टेड कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप की उपलब्धि हासिल की थी। इसे दोगुना होने में 10 साल का समय लग गया और जुलाई 2017 में मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा। मई 2021 में मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया था। यह 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाने की दिशा में मील का पत्थर भी है।

निर्यात में इस साल की सबसे बड़ी तेजी
निर्यात के मोर्चे पर इस साल की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली। देश के वस्तुओं का निर्यात अक्टूबर 2023 में 6.21 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 15 नवंबर, 2023 को जारी आंकड़ों के अनुसार औषधि और फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कॉटन यार्न, फैब्स मेड-अप्स, हैंडलूम उत्पाद, लौह अयस्क, सिरेमिक उत्पाद, कांच के बर्तन, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद के निर्यात में वृद्धि हुई। गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात अक्टूबर 2023 में 24.57 अरब डॉलर रहा जो अक्टूबर 2022 के 21.99 बिलियन डॉलर की तुलना में 11.74 प्रतिशत ज्यादा रहा। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2023 में औषधि और फार्मा निर्यात 29.31 प्रतिशत बढ़कर 2.42 बिलियन डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2022 में 1.87 बिलियन डॉलर था। इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो अक्टूबर 2022 में 7.55 बिलियन डॉलर से बढ़कर अक्टूबर 2023 में 8.09 बिलियन डॉलर हो गया। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात अक्टूबर 2023 के दौरान 28.23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.38 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि अक्टूबर 2022 में यह 1.85 बिलियन डॉलर था।

बेरोजगारी दर 6 साल के निचले स्तर पर पहुंचा
अक्टूबर 2023 में बेरोजगारी दर का आंकड़ा आया, जिसमें कहा गया कि देश में बेरोजगारी की दर पिछले छह साल में निचले स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी जो इस साल घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई। देश में कामकाजी उम्र की कुल आबादी में 57.9 प्रतिशत लोग श्रम शक्ति में भागीदारी कर रहे हैं। यह संख्या 2017-18 में 49.8 प्रतिशत थी। इस तरह छह साल में भारत की आबादी के 8 प्रतिशत लोग रोजगार से जुड़े हैं। मोदी सरकार का अगला लक्ष्य 58 प्रतिशत रोजगारी को 20 प्रतिशत बढ़ाकर कामकाजी आबादी को 75 प्रतिशत के ऊपर ले जाने की है। इसके लिए पीएम मोदी के विजन से सरकार रोजगार सृजन के कई कार्यक्रम चला रही है जिसके नतीजे आज देखने को मिल रहे हैं। जिस तेजी से देश में बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिल रहा है वह एक तरह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुंह पर तमाचा के समान है। नकारात्मकता से भरे राहुल गांधी ने जून 2023 में अमेरिका दौरे पर कहा था कि देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है और इस समय पिछले 40 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है।

गांवों और शहरों में तेजी से कम हुई बेरोजगारी
रिपोर्ट ने यह भी बताया कि गांवों में बेरोजगारी कम हुई है। यहां 2017-18 में 5.3 प्रतिशत बेरोजगारी थी, 2022-23 में यह महज 2.4 प्रतिशत रह गई। इसमें मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं का अहम योगदान रहा है। इन योजनाओं में प्रमुख रूप से आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान कार्यक्रम, पीएम- स्वनिधि योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम शामिल हैं। शहरों में इसी दौरान बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत से घट कर 5.4 प्रतिशत पर आई। इसमें मोदी सरकार की योजनाओं का अहम योगदान रहा है। इन योजनाओं में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), पीएम गतिशक्ति – मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) शामिल हैं।

2023 में रोजगार मेले के तहत 4.53 लाख युवाओं को मिला रोजगार
प्रधानमंत्री मोदी खुद युवाओं को रोजगार देने को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक में रिक्त पदों और उनकी भर्ती प्रक्रिया की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। रोजगार सृजन को मुख्‍य प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में यह रोजगार मेला महत्‍वपूर्ण कदम है। 22 अक्टूबर,2022 को धनतेरस पर रोजगार मेला की शुरुआत की गई थी। तब से लेकर अब 11 रोजगार मेला का आयोजन किया जा चुका है। इसमें करीब 7 लाख युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं। 2023 में 9 रोजगार मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 4.53 लाख युवाओं को रोजगार मिला। बाकी तीन लाख नियुक्ति पत्र जनवरी में दिए जाएंगे। मोदी सरकार विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए कदम उठा रही है। चयनित युवाओं को केंद्र सरकार के रेल, गृह, स्वास्थ्य, डाक,राजस्व विभाग, उच्च और स्कूली शिक्षा, साक्षरता विभागों में नौकरी दी जाएगी।

आर्थिक विकास दर की दौड़ में सबसे आगे रहा भारत
दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं जहां मंदी का सामना कर रही हैं, वहीं वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास दर की दौड़ में सबसे आगे बनी रही। वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाओं के मुताबिक 6.3 प्रतिशत विकास दर के साथ भारत नंबर वन है। इस लिस्ट में छह प्रतिशत की विकास दर के साथ बांग्लादेश दूसरे नंबर पर है, जबकि आर्थिक संकट से जूझ रहा पड़ोसी देश पाकिस्तान का इस साल जीडीपी विकास दर निगेटिव 0.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया। वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स की लिस्ट में तीसरे नंबर पर 5.6 प्रतिशत की विकास दर के साथ दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया रहा। फिलीपींस की अर्थव्यवस्था 5.3 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। दुनिया की फैक्ट्री कहे जाने वाले चीन को आर्थिक मोर्चे पर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस साल चीन की विकास दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया। अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है, लेकिन वर्ल्ड ऑफ स्टैटिक्स की लिस्ट में अमेरिका 15वें नंबर पर है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था इस साल 2.1 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जबकि यूक्रेन के साथ युद्ध में फंसा रूस 2.2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकता है।

इक्रा ने जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर किया 6.5 प्रतिशत
मोदी राज में अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया का भारत पर भरोसा और मजबूत हुआ है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भारत की वृद्धि दर अनुमान को 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। इक्रा ने कहा है कि जिंसों के दाम में कमी आने से तीसरी तिमाही में वृद्धि दर हमारे पिछले अनुमान से बेहतर रहने की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में इक्रा का कारोबारी गतिविधि ‘मॉनिटर’ गैर-कृषि संकेतकों में त्योहारों के दौरान वृद्धि दर्शाता है।

2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत
मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इस बात पर ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने भी मुहर लगा दी है। मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के आधार पर भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025 तक बढ़कर 12.4 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और यह चीन, अमेरिका और यूरो क्षेत्र से बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह वित्त वर्ष 2024 में सात प्रतिशत रहेगी। उच्च विकास दर के कारण भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से बढ़ेगी। मॉर्गन स्टेनली ने कहा है कि उम्मीद है कि 2027 तक सांकेतिक जीडीपी पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

2027-28 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा-आईएमएफ
यही भरोसा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को भी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जो अनुमान व्यक्त किया, उसके मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था, जो अभी लगभग 3.75 ट्रिलियन डॉलर की है, वित्त वर्ष 2027-28 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगी। भारत 5.2 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसकी वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था 31 ट्रिलियन डॉलर के साथ शीर्ष पर रहेगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत होगी। इसके बाद चीन 25.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर रहेगा और वैश्विक जीडीपी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

ग्लोबल ग्रोथ में भारत की होगी 18 प्रतिशत हिस्सेदारी- आईएमएफ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का मानना है कि भारत विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में भारत का योगदान अगले पांच साल में मौजूदा 16 प्रतिशत बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगा। आईएमएफ के एशिया-प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन के अनुसार 2028 तक दुनिया की विकास दर में भारत की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत होगी। आईएमएफ का मानना है कि बड़े पैमाने पर पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर और रेजिलिएंट डोमेस्टिक डिमांड के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है। आईएमएफ डेटा के अनुसार वर्ष 2023 और 2024 में भारत और चीन ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में संयुक्त रूप से करीब आधा का योगदान करेंगे।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
इसके पहले आईएमएफ ने कहा था कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

2030 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय में होगी 70% की बढ़ोतरी- स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2030 तक लगभग 70 प्रतिशत यानी अगले सात साल में सात गुना बढ़ने का अनुमान है और मौजूदा स्तर 2,450 डॉलर से बढ़कर 4,000 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2030 तक आज के डॉलर के हिसाब से भारत की प्रति व्यक्ति आय 329122.40 रुपये हो जाने की संभावना है। प्रति व्यक्ति आय के पिछले 20 साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो 2001 के बाद से प्रति व्यक्ति आय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2011 में 460 डॉलर से बढ़कर 1,413 डॉलर और 2021 में 2150 डॉलर हो गया। इस तरह प्रति व्यक्ति आय में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

पीएम की गारंटी 2027 तक होगी पूरी-एसबीआई रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘भारत मंडपम’ का उद्घाटन करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक बड़ी गारंटी दी। उन्होंने कहा कि मेरे तीसरे कार्यकाल में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी के एक दिन बाद भारत का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया कि भारत 2027 तक दुनिया की तीससी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत के जीडीपी की वृद्धि दर (स्तिर मूल्य पर) 2023-24 में 6.5 प्रतिशत रहेगी। देश ने 2014 के बाद से जिस रास्ते को चुना है, उससे पता चलता है कि भारत मार्च 2023 के वास्तविक जीडीपी आंकड़े के आधार पर वित्त वर्ष 2027-28 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। इससे पहले की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत दो साल पहले ही प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी को पूरा कर लेगा। पिछले अनुमान में एसबीआई ने 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना जताई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2022-27 के दौरान अर्थव्यवस्था के आकार में 1800 अरब डॉलर की वृद्धि ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था के मौजूदा आकार से ज्यादा होगी।

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