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Year Ender 2022: पीएम मोदी के नेतृत्व में 2022 में भारत ने निर्यात में रिकार्ड तोड़ा, रक्षा से लेकर खिलौना तक, हर सेक्टर में बढ़ा एक्सपोर्ट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़े भारत ने पिछले कुछ समय में अपने विभिन्न उत्पादों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की है। इस वजह से भारत की निर्यात क्षमता में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। भारत का विनिर्माण निर्यात वित्तीय वर्ष 2022 में 418 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। एक समय था जब भारत में बनने वाले प्रोडक्ट्स की विदेशों में काफी कम मांग थी, इसके पीछे प्रमुख वजह थी कि एक तो देश में वस्तुएं ज्यादा बनती नहीं थी और दूसरी वजह यह थी कि आयात-निर्यात को लेकर पहले की सरकारों की नीतियां सही नहीं थीं। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद उन्होंने इस तरफ ध्यान दिया और मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत अभियान, वोकल फॉर लोकल तथा लोकल से ग्लोबल जैसे आह्वान किए जिससे बड़ी संख्या में लोग इससे प्रेरित हुए और भारत में उत्पादन को पंख लगे। इन पहल के बाद भारत ने अपने उत्पादों के लिए वैश्विक पहचान बनाई है। आज भारत ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय वस्तुओं की काफी डिमांड है। उत्पादन को पंख लगने और सरकार के प्रोत्साहन की वजह से आज भारत उन उत्पादों का भी निर्यात कर रहा है जिसका अब तक केवल आयात ही किया जाता था। रक्षा से लेकर खिलौना और हैंडीक्राफ्ट तक, फल एवं सब्जियों से लेकर अनाज तक भारत आज कई सेक्टर में निर्यात कर रहा है। मोदी सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि भारत आज मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगातार कमाल कर रहा है, बल्कि एक बड़े निर्यातक देश के रूप में भी उभर रहा है। इस समय भारत सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में दुनिया में नंबर वन हो गया है, वहीं मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल से अक्टूबर के बीच मोबाइल फोन का निर्यात दोगुना से अधिक होकर पांच अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है।

वर्ष 2022 में 400 अरब डॉलर का निर्यात, 37 फीसदी वृद्धि

वर्ष 2022 में भारत ने 400 अरब डॉलर से ज्यादा के सामान और सेवाओं के निर्यात का नया रिकॉर्ड बनाया है। यह आंकड़ा 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक का है। जो पिछले साल के मुकाबले 37 फीसदी ज्यादा रहा। मोदी सरकार ने 2021-22 में 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य तय किया था, जिसे कारोबारी साल पूरा होने यानि 31 मार्च 2021 से 9 दिन पहले ही पूरा कर लिया गया। वहीं देश का निर्यात नवंबर महीने में सालाना आधार पर 31.99 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। पिछले साल इसी महीने में निर्यात 31.8 अरब डॉलर का था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश का निर्यात अक्टूबर महीने में 16.65 प्रतिशत घटकर 29.78 अरब डॉलर था। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के पहले आठ माह (अप्रैल-नवंबर) में निर्यात 295.26 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले समान अवधि में 265.77 अरब डॉलर था। भारत का समग्र निर्यात (वस्तु एवं सेवाएं) वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल-अक्टूबर के 371.98 बिलियन डॉलर की तुलना में 19.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराते हुए वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 444.74 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात 8 गुना बढ़ा : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 अक्टूबर 2022 को डिफेंस एक्सपो-2022 का उद्घाटन करने के बाद कहा कि भारतीय रक्षा बलों का देश में बने अधिकतर उपकरणों को खरीदने का निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में कुछ निर्माण कंपनियों के एकाधिकार के बावजूद भारत ने अपना स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि यह भारत में निर्मित रक्षा सामग्री पर बढ़ते विश्वास का भी प्रतीक है, जिसका उद्देश्य देश की रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि भारत से रक्षा निर्यात 2021-22 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आने वाले समय में हमने इसे 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में आठ गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘देश बहुत आगे निकल गया है, क्योंकि पहले हम कबूतर छोड़ते थे और अब हम चीतों को छोड़ते हैं।’ प्रधानमंत्री ने समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी जोर दिया। मोदी ने कहा कि पहली बार डिफेंस एक्सपो में केवल भारतीय कंपनियां भाग ले रही हैं। इसमें 1,300 से अधिक प्रदर्शकों ने शिरकत की है, जिनमें भारतीय रक्षा उद्योग, इससे जुड़े कुछ संयुक्त उद्यम, 100 से अधिक स्टार्ट-अप हैं।

भारत ने नवंबर तक 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया

भारत ने 1 नवंबर 2022 तक 7000 करोड़ का रक्षा निर्यात किया है। इस तरह चालू वित्त वर्ष में 15000 करोड़ रुपये रक्षा निर्यात किए जाने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, भारत ने इस साल 1 नवंबर तक 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया है। वर्ष 2021-22 में भारत ने 12,814 करोड़ रुपये का के रक्षा निर्यात किया था। 2014-15 के बाद से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, उस दौरान यह आंकड़ा मात्र 1940.64 करोड़ था। 

नवंबर में अनाज के निर्यात में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में जहां अनाजों का भरपूर उत्पादन हो रहा है, वहीं भारत को निर्यात के मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। कृषि व खाद्य वस्तुओं के निर्यात में लगातार तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि इस साल नवंबर महीने में वस्तुओं के कुल निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले सिर्फ 0.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन कृषि व खाद्य पदार्थों के लगभग सभी आइटम के निर्यात में दहाई अंक का उछाल आया। चावल के अलावा विभिन्न प्रकार के अनाज के निर्यात में तो नवंबर माह में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर माह में चाय, चावल, विभिन्न अनाज, तंबाकू, ऑयल मिल्स, तिलहन, फल व सब्जी, विभिन्न प्रकार के तैयार अनाज व प्रोसेस्ड आइटम के निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले दहाई अंक में बढ़ोतरी रही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चाय 27.03 प्रतिशत, चावल 19.16 प्रतिशत, ऑयल मिल्स 17.55 प्रतिशत, तिलहन 38.83 प्रतिशत, फल व सब्जी 25.01 प्रतिशत, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के एक्सपोर्ट करने में 22.75 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। निर्यातकों के मुताबिक आगामी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है और इससे मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।

40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के मोबाइल फोन का निर्यात 

नीति आयोग के अनुसार चालू वर्ष के दौरान नवंबर 2022 तक, मोबाइल फोन का निर्यात 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान हुए निर्यात के दोगुने से भी अधिक है। मोबाइल फोन का उत्पादन जो 2014-15 में लगभग छह करोड़ का था वह 2021-22 में बढ़कर लगभग 31 करोड़ हो गया। जिस रफ्तार से मोबाइल फोन का निर्यात हो रहा है, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि पूरे वित्त वर्ष 2022 के आंकड़े को दिसंबर की शुरुआत में ही पार कर लिया जाएगा और वित्तीय वर्ष 2023 को यह 8.5-9 बिलियन डॉलर की सीमा को भी पार कर लेगा। वहीं भारत ने वित्त वर्ष 2022 में 5.8 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया है। उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, जैसे-जैसे निर्यात बढ़ रहा है, भारत ने वित्त वर्ष 2022 में मोबाइल आयात पर निर्भरता को भी लगभग 5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो 2014-15 में 78 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था। वहीं अब भारत का लक्ष्य 2025-26 तक 60 बिलियन डॉलर के सेल फोन का निर्यात करना है। शुरुआत में भारत से मुख्य तौर पर साउथ एशिया,अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप के देशों को मोबाइल फोन निर्यात किया जाता था। लेकिन अब कंपनियों का ध्यान यूरोप और एशिया के कॉम्पिटिटिव मार्केट पर है। पहले मोबाइल फोन निर्यात के मामले में काफी पीछे हुआ करता था। वर्ष 2016-17 में देश से केवल 1 प्रतिशत से अधिक ही मोबाइल फोन उत्पादन का निर्यात हुआ करता था, लेकिन आईसीईए के आंकड़ों के अनुसार यह प्रतिशत 2021-22 में बढ़कर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुंच गया। वहीं ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि साल 2022-2023 में उत्पादन का लगभग 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।

पीएम मोदी के विजन से फलों का निर्यात तीन गुना बढ़ा

भारत विश्वभर में आम, केला, आलू तथा प्याज जैसे फलों और सब्जियों का प्रमुख उत्पादक है। सब्जियों की बात करें तो अदरक और भिंडी के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है। आलू, प्याज, फूलगोभी, बैगन तथा पत्ता गोभी आदि के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। लेकिन जब बात निर्यात या वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी की आती है तो इसमें भारत बहुत पीछे रह गया। वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे भारत के विकास पर जोर दिया और उन्होंने हर उस सेक्टर की पहचान की जिसमें भारत बेहतर कर सकता है। पिछले आठ साल में भारतीय फल पपीता और खरबूजे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2013-2014 के अप्रैल-सितंबर में इन दोनों फलों का निर्यात जहां 21 करोड़ रुपये का होता था वहीं अब अप्रैल-सितंबर वर्ष 2022-2023 में यह तीन गुना बढ़कर 63 करोड़ रुपये का हो गया है।

आदिवासी हैंडीक्राफ्ट ने विदेशों में की 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई

देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं। 

भारत ने नवंबर में 2 लाख टन चीनी निर्यात किया

भारत ने चालू वर्ष 2022-23 में अबतक लगभग 35 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध किए हैं। इसमें से 2,00,000 टन चीनी का पिछले महीने निर्यात किया गया है। पांच नवंबर को घोषित 2022-23 की चीनी निर्यात नीति में 31 मई तक कोटा के आधार पर 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी गई थी। घरेलू उत्पादन का आकलन करने के बाद निर्यात के लिए आगे की मात्रा के लिए अनुमति दी जाएगी। इसमें से लगभग 2,00,000 टन चीनी का भौतिक रूप से अक्टूबर में देश के बाहर निर्यात किया गया है, जबकि पिछले साल इसी महीने में लगभग 4,00,000 टन चीनी का निर्यात किया गया था। पिछले 2021-22 सत्र में भारत ने 1.1 करोड़ टन चीनी का निर्यात किया था।

लद्दाख से सिंगापुर, मॉरिशस, वियतनाम को 35 एमटी ताजा खुबानी का निर्यात किया गया

लद्दाख से कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने वाली अपनी संस्था एपीडा के माध्यम से ‘लद्दाख एप्रिकोट’ यानी लद्दाख खुबानी ब्रांड के तहत लद्दाख से निर्यात बढ़ाने के लिए खुबानी मूल्य श्रृंखला के हितधारकों को सहायता देने की प्रक्रिया में है। खुबानी लद्दाख के महत्वपूर्ण फलों में से एक है और स्थानीय स्तर पर ‘चुली’ के नाम से जानी जाती है। एपीडा ने वर्ष 2021 के दौरान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से ताजा खुबानी फलों के निर्यात की पहचान की थी और खुबानी सीजन 2021 के अंत में परीक्षण के तहत इसकी दुबई को आपूर्ति की गई थी। इसके अनूठे स्वाद और सुगंध के कारण उत्पाद की स्वीकार्यता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद की खासी मांग थी। एपीडा ने 14 जून, 2022 को लेह में एक अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक का भी आयोजन किया था, जो खुबानी की खेती का सीजन शुरू होने से ठीक पहले हुई थी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से खुबानी और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ संवाद के लिए भारत, अमेरिका, बांग्लादेश, ओमान, दुबई, मॉरिशस आदि देशों के 30 से ज्यादा खरीदार एकजुट हुए थे। इसके परिणामस्वरूप 2022 सीजन के दौरान पहली बार लद्दाख से 35 एमटी ताजी खुबानी का विभिन्न देशों को निर्यात किया गया। परीक्षण के तहत 2022 सीजन के दौरान सिंगापुर, मॉरिशस, वियतनाम जैसे देशों को भी शिपमेंट भेजी गई। 15,789 टन के कुल उत्पादन के साथ लद्दाख देश का सबसे बड़ा खुबानी उत्पादक है जो कुल उत्पादन का लगभग 62 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में लगभग 1,999 टन सूखी खुबानी का उत्पादन किया, जिससे यह देश में सूखी खुबानी का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। लद्दाख में खुबानी की खेती का कुल क्षेत्रफल 2,303 हेक्टेयर है।

बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात 10 फीसदी बढ़ा

चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान जहां बासमती चावल के निर्यात में 10.67 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, वहीं गैर बासमती चावल का निर्यात इस दौरान 9.28 फीसदी ज्यादा हुआ। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 21.57 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 19.49 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बासमती चावल का निर्यात 17,896 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 12,294 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बढ़कर 89.56 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 81.95 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में में गैर बासमती चावल का निर्यात 25,191 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 21,853 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।

मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 10.29 प्रतिशत बढ़ा

चालू वित्त वर्ष के छह महीनों में मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 10.29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अकेले पोल्ट्री निर्यात में 83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इन रिकॉर्ड निर्यातों से देश को 57 मिलियन अमरीकी डॉलर का लाभ हुआ है। डेयरी उत्पादों की बात करें तो यहां भी 58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जहां अप्रैल-सितंबर 2021-22 में क्षेत्र से 216 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई थी वहीं अप्रैल-सितंबर 2022-23 में यह कमाई 342 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही।

कृषि उत्पादों के निर्यात में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की समान अवधि के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के 6 महीनों के दौरान 25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान 11,056 मिलियन डॉलर के कृषि एवं प्रशंसक खाद्य उत्पाद निर्यात किए गए थे जबकि इस वर्ष 13,771 मिलीयन डॉलर दर्ज किया गया है। निर्यात किए गए उत्पादों में फल, सब्जियां और अनाज मुख्य रूप से शामिल है।

148 करोड़ डॉलर के गेहूं का निर्यात

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान देश के गेहूं निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान देश से कुल 148 करोड़ डॉलर का गेहूं एक्सपोर्ट किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान देश से कुल 63 करोड़ रुपये के गेहूं का निर्यात किया गया था।

मसाला निर्यात में 22 फीसदी वृद्धि, बढ़कर 42,860 टन हुआ

इस वर्ष नवंबर में भारत से मसाला निर्यात बढ़कर 42,860 टन हो गया। मसाला बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में निर्यात 0.56 प्रतिशत बढ़कर 42,860 टन रहा। पिछले वर्ष इसी महीने में 42,620 टन मसालों का निर्यात हुआ था। इस दौरान मसाला निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 62,162.78 करोड़ रुपये का रहा, जो पिछले वर्ष नवंबर में 50,969.37 करोड़ रुपये का था। नवंबर में भारत ने 25,000 टन मिर्च का निर्यात किया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 19,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड के बयान के अनुसार अप्रैल-नवंबर 2010 के दौरान 4,320.8 करोड़ रुपये के 3.6 लाख टन मसालों का निर्यात किया गया। अप्रैल-नवंबर 2009 में 3,770.1 करोड़ रुपये मूल्य के 3,41,950 टन मसालों का निर्यात हुआ था। यह मात्रा में 6 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बोर्ड ने कहा कि चालू वित्तवर्ष में 4,65,000 टन/5,100 करोड़ रुपये के मसाला निर्यात कर लक्ष्य रखा गया है।

दालों का निर्यात ढाई गुना बढ़ा, 33 करोड़ डॉलर पहुंचा

देश से दालों के निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान देश से 13.5 करोड़ डॉलर की दालों का एक्सपोर्ट हुआ था, जो मौजूदा कारोबारी साल की पहली छमाही में ढाई गुने से ज्यादा बढ़कर 33 करोड़ डॉलर पर जा पहुंचा।

भारतीय कपड़े की बढ़ी मांग, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में 21.15 अरब डॉलर का हुआ निर्यात

केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री दर्शना जर्दोश ने राज्यसभा में बताया कि वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान कपड़ा निर्यात 21.15 अरब डॉलर का हुआ। वर्ष 2021-22 में कपड़ा निर्यात 44.44 अरब डॉलर का हुआ था। इनमें कपड़़ा, परिधान और दस्तकारी उत्पादों का निर्यात शामिल है। भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 44.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया था जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है। सरकार ने बताया कि निर्यात की सूची में हस्तशिल्प भी शामिल है तथा वित्त वर्ष 2021-22 में किया गया निर्यात 2020-21 और 2019-20 की तुलना में क्रमशः 41 प्रतिशत और 26 प्रतिशत अधिक है। भारत ने वित्तवर्ष 2021-22 में अब तक का सबसे बड़ा टैक्सटाइल एक्सपोर्ट कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है।

भारत ने कॉफी निर्यात करके कमाए 3,709 करोड़ रुपये

केंद्रीय ​वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके कॉफी निर्यात में ग्रोथ की जानकारी दी और बताया कि साल 2013 के मुकाबले 2022 तक कॉफी के निर्यात में दोगुना बढ़त दर्ज की गई है। साल 2013-14 तक भारतीय कॉफी का विदेशी कारोबार 1,852 करोड़ का था, जबकि ये 2021-22 में बढ़कर 3,709 करोड़ तक पहुंच गया है। भारतीय कॉफी के पिछले साल हुए विदेशी निर्यात पर नजर डालें तो पता चलता है कि साल 2021-22 तक 42% ​बढ़ोतरी के साथ निर्यात 1.04 बिलियन डॉलर से भी अधिक हुआ। भारत कॉफी का ​आठवां सबसे बड़ा निर्यातक है।

भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों का 172 करोड़ रुपये का निर्यात

बीते 8 वर्षों में भारत से म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ गया है। इलेक्ट्रिकल म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की बात करें तो इनका निर्यात 60 गुना बढ़ा है। मौजूदा वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर के दौरान बढ़कर 172 करोड़ रुपये हो गया। जबकि यह 2013-14 की समान अवधि में 49 करोड़ रुपये था। भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 173 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। लेकिन सबसे बड़े खरीदार अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और यूके जैसे विकसित देश हैं।

अप्रैल-जुलाई 2022 में 327 करोड़ रुपये का केला निर्यात किया गया

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक, पिछले 9 साल में भारत से केला का निर्यात 541 फीसदी तक बढ़ गया है। इसी के साथ अब देश केला के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यात के तौर पर उभर रहा है। आंकड़ों की मानें तो साल 2013 में अप्रैल से लेकर जुलाई तक 51 करोड़ का केला निर्यात हुआ था। पिछले 9 साल में केला के उत्पादन की उन्नत तकनीकों, नीतियों और किसानों को आर्थिक योजनाओं का लाभ दिया गया। इसी का नतीजा है कि आज 9 साल बाद केला का निर्यात 541 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ बढ़ रहा है। इस मामले में अप्रैल से जुलाई 2022 के आंकड़े बताते हैं कि भारत ने करीब 327 करोड़ रुपये का केला निर्यात किया है।

भारतीय शहद का 100 देशों में फैला करोड़ों का कारोबार, निर्यात में 149 प्रतिशत वृद्धि

भारत वर्तमान में लगभग 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद (2021-22) का उत्पादन कर रहा है। भारत शहद का मुख्य निर्यातक देश भी बन गया है। देश ने वर्ष 2021-22 के दौरान दुनिया भर में 74,413.05 मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया है। शहद और उससे बने उत्पादों की मांग अब विदेशों में काफी बढ़ गई है और देश से हर साल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया जाता है। देश में ‘मीठी क्रांति’ को बढ़ावा देने की कोशिशें का ही परिणाम है कि वर्ष 2013 में जहां शहद का निर्यात 124 करोड़ रुपए का हुआ था वहीं वर्ष 2022 में यह बढ़कर 309 करोड़ रुपए हो गया यानी इस दौरान शहद निर्यात में 149 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। शहद इम्यूनिटी बढ़ाता है इसलिए दुनियाभर में शक्कर के बजाय इसका सेवन बढ़ गया है। भारत शहद का दुनिया में 9वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। पिछले साल देश ने 716 करोड़ रुपए का शहद निर्यात किया था। भारत ने 2020-21 में 716 करोड़ रुपये मूल्य के 59,999 टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया था। इसमें 44,881 टन अमेरिका को निर्यात किया गया था।

खिलौना निर्यात में हुई 636 % वृद्धि 

भारतीय खिलौना उद्योग वैश्विक बाजार में जबरदस्त रूप से उभरा है, यह आज खिलौनों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। भारत के खिलौनों के निर्यात ने अप्रैल-अगस्त 2022 में 2013 की इसी अवधि की तुलना में 636% की भारी वृद्धि दर्ज की। खिलौना उद्योग के प्रयासों से 2021-22 में खिलौनों का निर्यात $326 मिलियन (2601.5 करोड़ रुपये) हो गया है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में $202 मिलियन (1612 करोड़ रुपये) से 61% अधिक है। वित्त वर्ष 2013-14 में भारतीय खिलौनों का निर्यात 83 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 612 करोड़ रुपये हो गया।

केमिकल्स एक्सपोर्ट 8.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा

भारत दुनिया के शीर्ष रासायनिक निर्यातक देशों में से एक है। भारत अकार्बनिक और जैविक रसायन, टैनिंग और डाई, एग्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक, सिंथेटिक रबर, फिलामेंट्स आदि का निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2022-23 (अगस्त 2022 तक) में रसायनों और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 8.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2021-22 में, भारत के कुल रसायन उत्पादों का निर्यात 24,313.88 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो कि 38.67% की वृद्धि थी। ऑर्गेनिक, इनऑर्गेनिक केमिकल्स, एग्रोकेमिकल्स, डाई और डाई इंटरमीडिएट्स और स्पेशलिटी केमिकल्स के शिपमेंट में उछाल के कारण केमिकल्स के एक्सपोर्ट ग्रोथ को हासिल किया गया है। सितंबर 2022 में, देश के जैविक और अकार्बनिक रासायनिक निर्यात का मूल्य 2,332.92 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।

सेवा क्षेत्र निर्यात में 11 फीसदी वृद्धि 

वर्ष 2021-22 में सेवा क्षेत्र का निर्यात 254 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया और उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, यह इस वित्त वर्ष में 300 अरब डॉलर के स्तर को छू सकता है। इस साल जुलाई, अगस्त और सितंबर में निर्यात क्रमश: 2.14 फीसदी, 1.62 फीसदी और 4.82 फीसदी बढ़ा। अक्टूबर में इसमें 12.12 फीसदी की कमी आई और नवंबर में निर्यात वृद्धि सपाट रही। अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान निर्यात 11 फीसदी बढ़कर 295.26 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 265.77 अरब डॉलर था। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह की अवधि के दौरान आयात 29.5 फीसदी बढ़कर 493.61 अरब डॉलर का हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान यह 381.17 अरब डॉलर था।

फार्मा निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2022 में 4.22 फीसदी बढ़ा 

चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर माह के दौरान फार्मा सेक्टर से एक्सपोर्ट 4.22 फीसदी बढ़कर 14.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। साल 2022 के पहले 7 महीने में निर्यात में यह वृद्धि पिछले महीने आई गिरावट के बावजूद हासिल हुई है। फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने यह जानकारी दी है। ये संगठन वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाला संगठन है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में फार्मा निर्यात का आंकड़ा 27 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 24.62 अरब डॉलर रहा था। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में फार्मा निर्यात 13.98 अरब डॉलर रहा था। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी निर्यात प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद देश का कुल फार्मा निर्यात बढ़ा है। देश के कुल फार्मा निर्यात में 67.5 प्रतिशत या करीब 5 अरब डॉलर की हिस्सेदारी अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको (नाफ्टा देशों), यूरोप और अफ्रीका की रही है।

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