Home नरेंद्र मोदी विशेष लेखक और साहित्यकार समाज के पथप्रदर्शक और शिक्षक होते हैं: प्रधानमंत्री मोदी

लेखक और साहित्यकार समाज के पथप्रदर्शक और शिक्षक होते हैं: प्रधानमंत्री मोदी

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“किसी भी समाज में समाज का प्रबुद्ध वर्ग, समाज के लेखक या साहित्यकार पथप्रदर्शक की तरह होते हैं, समाज के शिक्षक होते हैं। स्कूली शिक्षा तो खत्म हो जाती है, लेकिन हमारे सीखने की प्रक्रिया पूरी उम्र चलती है। इसमें बड़ी अहम भूमिका पुस्तकों और लेखकों की भी है।” प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी द्वारा लिखित दो पुस्तकों ‘संवाद उपनिषद्’ और ‘अक्षर यात्रा’ के विमोचन के अवसर पर कही। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जयपुर में निर्मित राजस्थान के सभी इलाकों के वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले पत्रिका गेट का भी लोकार्पण किया। कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पत्रिका गेट राजस्थान में आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि पत्रिका के संस्थापक कर्पुर चंद कुलिश ने भारतीयता के संकल्प के साथ पत्रिका को शुरू किया था। कुलिश जी ने वेदों के ज्ञान को सरल तरीके से समाज तक पहुंचाने का प्रयास किया जो अद्भुत है, प्रेरक है। उन्होंने कहा कि सकारात्मकता देने की सोच सिर्फ पत्रकारिता से नहीं, व्यक्तित्व के लिए भी होना ज़रूरी है। कुलिश जी की सोच को पत्रिका समूह और गुलाब कोठारी जी निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।

गुलाब कोठारी द्वारा रचित दो ग्रंथों का विमोचन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पुस्तकों में उपनिषद का ज्ञान मिलता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में लेखन का निरंतर विकास भारतीयता और राष्ट्रीयता के साथ हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लगभग हर बड़ा नाम, कहीं न कहीं से लेखन से भी जुड़ा था। पीएम मोदी ने कहा, “आज text और tweet के इस दौर में ये और ज्यादा जरूरी है कि हमारी नई पीढ़ी गंभीर ज्ञान से दूर न हो जाए। उपनिषदों का ज्ञान व वेदों का चिंतन केवल आध्यात्मिक और दार्शनिक आकर्षण का ही क्षेत्र नहीं है, वेद और वेदांत में सृष्टि व विज्ञान का भी दर्शन है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अक्षर हमारी भाषा की, हमारी अभिव्यक्ति की पहली इकाई होते हैं। संस्कृत में अक्षर का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो, यानि जो हमेशा रहे। हजारों साल पहले जो विचार, जो ज्ञान किसी ऋषि, वैज्ञानिक ने हमें दिया, वो आज भी संसार को आगे बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के उत्पाद तो ग्लोबल हो ही रहे हैं, भारत की आवाज भी ग्लोबल हो रही है। दुनिया भारत को अब और ज्यादा ध्यान से सुनती है। आज लगभग हर अंतरराष्ट्रीय मंच में भारत की मजबूत उपस्थिति है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरूरत है।

 

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