Home समाचार मोदी राज में धार्मिक स्थलों का हुआ कायाकल्प, मंदिर भी बन गए...

मोदी राज में धार्मिक स्थलों का हुआ कायाकल्प, मंदिर भी बन गए टूरिस्ट डेस्टिनेशन! एक साल के भीतर काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे 7 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु, 100 करोड़ का चढ़ावा

SHARE

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण ने समृद्धि के द्वार खोल दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों का काशी विश्वनाथ धाम अपने नए कलेवर में अब एक साल पूरा कर चुका है। जहां कभी संकरी गालियां थीं वह आज भव्य आकर्षण का केंद्र है। चाहे गंगा द्वार हो, वीविंग गैलरी हो या फिर मंदिर चौक हो, हर तरफ भव्यता भक्तों को अपनी तरफ खींच रही है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के साल भर के भीतर ही साढ़े सात करोड़ श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। इससे जहां शहर में समृद्धि आई है वहीं मंदिर प्रशासन की आय में भी वृद्धि हुई है। कॉरिडोर बनने के बाद से वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद में कई गुना इजाफा हुआ है। बाबा को साल भर में 100 करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा चढ़ा है। 13 दिसम्बर 2021 को श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण पीएम मोदी ने किया था। इस एक साल के भीतर बाबा के दिव्य धाम ने काशी के पर्यटन व्यवसाय को निखारा है। धाम को विकसित करने की आगे और भी योजनाएं हैं। प्रशासनिक अमला अब धार्मिक पर्यटन के उदाहरण के तौर पर इस धाम को प्रस्तुत करने की तैयारी में है। इससे काशी विश्वनाथ धाम का भव्य स्वरूप और भी निखरकर सामने आएगा। पूर्वांचल की पहली सिग्नेचर बिल्डिंग और उस पर स्काई वॉक काशी के विकास में चार चांद लगा देंगे। पतितपावनी गंगा में एक साथ चार क्रूज दुनिया भर के सैलानियों को गंगा की लहरों में आध्यात्म के साथ पर्यटन का लुत्फ दिलाएंगे। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के एक वर्ष पूरे होने पर बाबा दरबार में यज्ञ हवन किया गया। काशी की सड़कों पर शोभा यात्रा निकाली गई। विश्वनाथ धाम में प्रस्तुति देने पहुंचे पद्म विभूषण इलैयराजा ने अपने सुप्रसिद्ध भजन जननी-जननी से शुरुआत की। इसके बाद भो शंभू…, शिवोहम-शिवोहम…. के बाद हर-हर महादेव….की प्रस्तुतियों ने हर किसी के मन को झंकृत कर दिया। काशी में भक्तों की आवक से पर्यटन व्यवसाय बूम पर है। यही नहीं फूल व्यवसाय में भी 40 प्रतिशत का उछाल आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी मंदिरों को भव्य बनाने पर जोर दे रहे हैं। साल 2019 में पीएम मोदी की सरकार ने मनामा और अबू धाबी में भगवान श्रीकृष्ण श्रीनाथजी के पुनर्निर्माण के लिए 4.2 मिलियन डॉलर देने का ऐलान किया था। इसके साथ ही 2018 में पीएम मोदी ने अबू धाबी में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी।

विश्वनाथ धाम में भक्तों ने 100 करोड़ रुपये दान दिया

वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकापर्ण के बाद पहले ही साल भक्तों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया है। महज एक साल के भीतर ही 7.35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ धाम के दर्शन किए हैं। यह तादाद पहले के मुकाबले 12 गुने से भी ज्यादा है। काशी विश्वनाथ मंदिर में बीते एक साल में नकदी के अलावा 60 किलो सोना, 10 किलो चांदी, 1500 किलो तांबा भी भक्तों ने चढ़ाया है। श्रद्धालुओं ने 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी दान में दी है। कुल मिले दान का 40 फीसदी ऑनलाइन आया है। खुद मंदिर प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते साल के मुकाबले इस साल आय में 500 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

2018-19 में 26.65 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ा था

बाबा विश्वनाथ धाम में दान मिलने की बात की जाए तो 2018-19 के वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक 26.65 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ा था। उससे पहले चढ़ावे का आंकड़ा सालाना 10 से 12 करोड़ रुपये तक ही होता था। खर्च की बात करें तो अप्रैल 2021 में 38 लाख और मई 2021 में 76 लाख रुपये खर्च हुए थे। अप्रैल 2022 में 31 लाख और मई माह में एक करोड़ 25 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें वेतन, सामान्य खर्च, व्यवस्था और आकस्मिक खर्च भी शामिल हैं। वहीं

साढ़े सात करोड़ भक्तों ने किया दर्शन

जब से धाम ने मूर्त रूप लिया भक्तों का आकर्षण बढ़ता गया। काशी के होटल सहित सभी व्यवसाय अपने चरम पर हैं। भक्तों की आवक पहले विशेष मौकों पर होती थी लेकिन अब रोजाना डेढ़ लाख भक्त दर्शन कर रहे हैं। साल भर में लगभग साढ़े सात करोड़ भक्तों ने यहां मत्था टेका है जिसके कारण अब मन्दिर की व्यवस्था को सुचारू करने के लिए खजाना पूरा भरा हुआ है। भक्तों की बढ़ती हुई संख्या के कारण होटल व्यवसाय बूम पर है। इतना ही नहीं पर्यटन से जुड़े सभी वर्ग उत्साहित हैं।

पांच साल में बढ़े दस गुना पर्यटक

बीते पांच साल में वाराणसी आने वाले पर्यटकों की संख्या दस गुना तक बढ़ चुकी है। कोरोना संकट खत्म होने के बाद से वाराणसी आने वाले विदेशी पर्यटकों की तादाद में खासा वृद्धि हुई है। पर्यटन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 में महज जुलाई महीने में वाराणसी पहुंचने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 40.03 लाख है, जो जुलाई 2017 के 4.61 लाख के मुकाबले करीब दस गुना ज्यादा है। इस साल सावन और देव दीपावली में वाराणसी पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या ने रिकार्ड बनाया है। काशी विश्वनाथ मंदिर के चारों प्रवेश द्वारों पर लगे हेट स्कैनिंग मशीन से आने वालों की गिनती की जाती है।

‘धन्यवाद मोदी’ का पोस्टर लेकर आए

श्री काशी विश्वनाथ धाम ने जबसे दिव्य रूप लिया उसके बाद वाराणसी के फूल माला से जुड़े लोग हों या फिर बनारसी साड़ी व्यवसाय करने वाले सभी उत्साहित हैं। इन व्यवसायियों में कोरोना के बाद से निराशा थी लेकिन व्यापार में लगभग 40 प्रतिशत बूम से सबके चेहरे खिले हुए हैं। इस दौरान ‘धन्यवाद मोदी’ के पोस्टर भी लगाए गए।

विश्वनाथ धाम के 14 भवनों में गतिविधियां शुरू

श्री काशी विश्वनाथ धाम के 33 भवनों में से 14 भवनों की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इनमें मोक्ष की कामना के लिए आने वालों के लिए मुमुक्षु भवन, बाबा के प्रसाद के लिए अन्नपूर्णा भवन, सुरक्षा व प्रशासनिक व्यवस्था के लिए पिनाक व नीलकंठ पैवेलियन, विश्वनाथ द्वार (गोदौलिया गेट), शक्ति भवन, (यूटिलिटी भवन) शौचालय, गंगा दर्शनम (गंगा व्यूइंग गैलरी), ललिता घाट (ललिता पथ), जलासेन पथ (रैंप बिल्डिंग) केदार भवन, ओंकारेश्वर भवन (यात्री सुविधा केंद्र) शुरू हो चुके हैं। इसके साथ ही शंकराचार्य चौक (मंदिर चौक) और भैरवनाथ द्वार (गंगा प्रवेश द्वार) का काम भी पूरा हो चुका है।

विश्वनाथ धाम में जल्द शुरू होंगे कई और भवन

टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर, महाकालेश्वर भवन, अमृत भवन (जलपान केंद्र), मानसरोवर (कैफे बिल्डिंग), एम्पोरियम, रामेश्वर भवन (सिटी म्यूजियम), सोमनाथ भवन (वाराणसी गैलरी), घृष्णेश्वर भवन (स्पिरिचुअल बुक स्टोर), व्यास भवन (वैदिक केंद्र ), भीमाशंकर अतिथि गृह (गेस्ट हाउस) त्रयंबकेश्वर भवन (मल्टीपर्पज हॉल ) कार्तिकेय वाटिका (गोयनका छात्रावास), अमरनाथ संकुल (ब्लॉक 2), महाकालेश्वर भवन (टीएफसी), पशुपति संकुल (वैदिक शाप), कार्तिकेय संकुल (ब्लॉक 4) मल्लिकार्जुन भवन (यात्री सुविधा केंद्र ), कैलाश संकुल शॉप-2, अमरनाथ संकुल ब्लॉक-2 भवन भी जल्द शुरू हो जाएंगे।

टेंट सिटी, नमो घाट और रिवर फ्रंट जल्द बनकर तैयार होगा

गंगा घाटों के सौंदर्यीकरण के पूरा होने, क्रूज सेवाओं के बढ़ने और हैलीकॉप्टर से भ्रमण की सुविधा के शुरू होने के बाद वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद में और भी इजाफा होगा। इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर की आय और भी बढ़नी तय है। अगले साल तक वाराणी में टेंट सिटी, नमो घाट और रिवर फ्रंट की परियोजना आकार ले लेंगी। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा गंगा और घाटों की सफाई, गौतम बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ का विकास, गंगा में क्रूज़ आदि पर्यटकों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण कारक बनकर सामने आये हैं।

घाटों के सौंदर्य सैलानियों के आकर्षण का केंद्र

घाटों के सौंदर्य से रीझ रहे दुनिया भर के सैलानियों को काशी में पर्यटन के नए केंद्र मिल रहे हैं। अस्सी से संत रविदास घाट को जोड़ने वाला ब्रिज और गंगा व्यूइंग गैलरी के साथ ही खिड़किया घाट पर आधुनिक सुविधाएं पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। इसके साथ ही गंगा पार रेती पर टेंट सिटी से लेकर हाई फ्लड लेवल पर प्रस्तावित सड़क नई सुविधा के रूप में सैलानियों के सामने होंगी।

गर्भगृह और बाहरी दीवार पर लगा है 60 किलोग्राम सोना

बाबा विश्वनाथ के मंदिर के गर्भगृह और बाहरी दीवार को 60 किलोग्राम सोने से मढ़ा गया है। मंदिर प्रशासन के अनुसार 37 किलोग्राम सोना गर्भगृह में और 23 किलोग्राम सोना बाहरी दीवारों पर लगाया गया है। दक्षिण भारत के श्रद्धालु ने यह सोना मंदिर को दान में दिया था।

फूल कारोबार भी चमका, गेंदा और गुलाब की सबसे अधिक मांग

बनारस के सैकड़ों गांवों में किसान फूलों की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं। यहां जिन फूलों की खेती होती है उनमें गुलाब, बेला, चमेली तो कहीं ग्लेडुलस, रजनीगंधा और जरबेरा का भी उत्पादन होता है। हालांकि सबसे अधिक मांग गेंदा और गुलाब की है। पूर्वांचल में हजारा गेंदे की खेती अत्यंत लोकप्रिय है। गेंदे की खेती के प्रसिद्ध होने की सबसे अहम वजह इसको शीत या ग्रीष्म ऋतु दोनों में हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। फूलों के पोषण के लिए धूप वाला वातावरण सबसे बढ़िया माना जाता है।

मोदी सरकार के कार्यकाल में देश के कई धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्वार किया गया है, उन पर एक नजर-

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर है। करीब सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में इसका निर्माण हुआ। साल 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण कराया। पीएम मोदी ने रेवती नक्षत्र में 13 दिसंबर 2021 को इसका उद्घाटन किया था। 286 साल बाद काशी विश्वनाथ धाम को नया रुप मिला। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। इसके निर्माण में 32 महीने का समय लगा। काशी कॉरिडोर ने 1000 साल बाद बाबा विश्वनाथ दरबार की भव्यता को पुनर्स्थापित किया। कॉरिडोर को पहले से 3 हजार वर्ग फुट से बढ़ाकर लगभग पांच लाख वर्ग फुट कर दिया गया है। कोरोना काल में भी 800 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को करीब करीब उसी टाइमफ्रेम में पूरा किया गया है, जो इसके लिए निर्धारित किया गया था।

राम मंदिर भूमि पूजन

राम मंदिर निर्माण की आधारशिला 492 वर्ष के बाद रखी गई। मंदिर निर्माण से पहले इसका भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अभिजीत मुहूर्त में किया था। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार इस मंदिर के निर्माण में 1800 करोड़ खर्च होने का अनुमान है।

सोमनाथ मंदिर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 अगस्त 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण के लिए विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं।

कश्मीर में मंदिरों का पुनरोद्धार

मोदी सरकार के आकलन के अनुसार कश्मीर घाटी में अभी 1842 धार्मिक स्थल हैं जिनमें 952 मंदिर है। 740 जीर्ण शीर्ण हालत में है। जबकि 212 में पूजा होती है। धारा 370 हटने के बाद मोदी सरकार ने श्रीनगर में कई पुराने मंदिरों का पुनर्निर्माण शुरु किया है। मोदी सरकार ने सबसे पहले झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर का फिर से निर्माण किया।

चार धाम परियोजना

मोदी सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड के लिए चार धाम परियोजना शुरू की है। केदारनाथ बद्रीनाथ की यमुनोत्री और गंगोत्री के चारधाम परियोजना- रणनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाली 900 किलोमीटर लंबी इस सड़क परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों के लिए हर मौसम में सुलभ और सुविधाजनक रास्ता देना है। चारधाम परियोजना एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है, जो उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। इसके जरिए उत्तराखंड के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही पड़ोसी चालबाज देश चीन को चुनौती देने के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ऋषिकेश को रेल मार्ग से कर्णप्रयाग से जोड़ने का काम चल रहा है। ये रेलवे लाइन 2025 से शुरू हो जाएगी।

केदारनाथ धाम

2013 की भीषण आपदा से बर्बाद हुए केदारनाथ धाम की भव्यता को फिर से निखारा गया। मोदी सरकार में केदारनाथ धाम में कई विकास कार्य पूरे हो चुके हैं। जबकि कुछ मास्टर प्लान पर अभी काम चल रहा है।

आदि शंकराचार्य की प्रतिमा

पीएम मोदी ने 5 नवंबर 2021 को उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में श्री आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया था। साल 2013 में आपदा के बाद पीएम मोदी ने केदारनाथ का पुन: निर्माण करने की इच्छा जताई थी।

रामपथ गमन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना रामपथ गमन का उद्देश्य 9 राज्यों के उन 15 स्थानों का पुननिर्माण करना जहां-जहां भगवान श्रीराम गए थे। इस परियोजना में इन स्थानों का धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से विकसित करना है। फिलहाल इस योजना पर सभी 9 राज्यों की सरकार केन्द्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2022 को हैदराबाद में 11वीं सदी के हिंदू संत रामानुजाचार्य के सम्मान में बनी 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का उद्घाटन किया था। इस प्रतिमा में 120 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रूपए है। यह 45 एकड़ जमीन पर बना है। मंदिर परिसर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन का निर्माण कराया गया है।

महाकाल लोक कॉरिडोर

पीएम मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के नवविस्तारित क्षेत्र ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के लिए तैयार किए गए मास्टर प्लान का उद्देश्य महाकाल मंदिर को पुरानी पहचान वापस दिलाना है। महाकाल लोक कॉरिडोर काफी भव्य है और अब ये मंदिर के क्षेत्र को 10 गुना तक बढ़ा देगा. कॉरिडोर में भगवान शिव से जुड़ी कई मूर्तियां लगाई गई हैं, जो अलग अलग कहानी बताती है और भक्तों को भगवान शिव से जोडती हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 300 मीटर में बना है, जबकि इसकी लंबाई 900 मीटर है। इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भव्य माना जा रहा है। इस पर 856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

श्री कालिका माता मंदिर, गुजरात

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के पंचमहाल जिले में स्थित प्रसिद्ध पावागढ़ महाकाली मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया। गुजरात के पंचमहल जिले के पावागढ़ पहाड़ी में कालिका माता के पुनर्विकसित मंदिर का उद्घाटन किया। प्रसिद्ध मंदिर के ऊपर झंडा पांच शताब्दियों तक नहीं फहराया गया था और पीएम मोदी के शासन में आने के बाद यह काम किया गया है।

तुकाराम मंदिर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संत तुकाराम शिला मंदिर का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने विकास योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा, ‘संत ज्ञानेश्वर पालखी मार्ग का निर्माण 5 चरणों में होगा और संत तुकाराम पालखी मार्ग का निर्माण 3 चरणों में होगा। 350 किलोमीटर से ज्यादा बड़े हाइवे बनेंगे, इसमें 11000 करोड़ का खर्च होगा।

Leave a Reply