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वंदेभारत और समुद्र सेतु बना विदेश में फंसे लोगों को स्वदेश लाने वाला पहला विश्व अभियान

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वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की वजह से देश में लगे संपूर्ण लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत बड़ी पहल की है। पीएम मोदी के निर्देश पर वंदेभारत और समुद्र सेतु विश्व का एक ऐसा पहला अभियान है, जिसके तहत दुनिया के 12 देशों से इतनी बड़ी संख्या में लोगों को स्वदेश वापस लाया जा रहा है। इसके तहत विदेशों में फंसे भारतीयों को विमान और समुद्र के रास्ते नौसेना के जहाज से लाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत आईएनएस जलाशय ने अपनी पहली खेप के तहत मालदीव में फंसे 698 भारतीय नागरिक को कोच्चि लेकर आया है।  

12 देशों से 13 मई तक स्वदेश लाए जाएंगे लोग

वंदे भारत के तहत भारत आने के लिए अभी तक रजिस्ट्रेशन कराए गए करीब दो लाख लोगों को स्वदेश लाने का काम शुरू हो गया है। बारह देशों से भारतीयों को लाने के लिए 64 उड़ानों का संचालन किया जाएगा। ये सभी उड़ानें देश के 14 शहरों में लैंड करेंगी। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 7 मई से शुरू हुई उड़ानों का संचालन 13 मई तक होगा। उन्‍होंने कहा कि इनमें संयुक्‍त अरब अमीरात से 10, कतर से दो, सउदी अरब से पांच, ब्रिटेन से सात, सिंगापुर से पांच, अमरीका से सात और ओमान से दो उड़ानें शामिल हैं। इसके साथ ही आने वाले दिनों में देश में जरूरत पड़ने पर लोगों के लिए चरणबद्ध तरीके से घरेलू उड़ानों का संचालन किया जा सकता है।

सरकार की इस योजना में जरूरतमंदों को प्राथमिकता

सरकार की तैयारी की बात करें तो इस अभियान के तहत वो लोग लाए जा रहे हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के बाद विदेशों में भारतीय दूतावासों में वापस जाने के लिए संपर्क किया था। इसमें इस बात का ध्यान रखा गया है, कि जो ज़रूरतमंद हैं, जिनका वापस आना जरूरी है, उन्हें प्राथमिकता दी गई है। क्योंकि खाड़ी देशों में कई लोगों की नौकरी चली गई है, तो किसी के घर में कोई बीमार है या घर में किसी की मृत्यु हो गई है। ऐसे लोगों को पहले लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए विदेश मंत्रालय ने सभी को फार्म भरने के लिए कहा गया था।

अभी तक करीब 2 लाख लोगों को वापस लाने की योजना

अभी तक का एक हफ्ते का जो अभियान है जिसमें चौदह हज़ार आठ सौ से अधिक भारतीयों को वापस लाने की योजना है। इसके बाद अगले हफ्ते के जो अभियान हैं, उनकी भी घोषणा कर दी जाएगी। इसे लेकर नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि 1 लाख 90 हजार तक के यात्रियों को लाने का अभी तक का प्लान है। दरअसल भारत से बड़ी संख्या में लोग विदेशों में नौकरी या पढ़ाई करने विदेश गए थे। अचानक लॉकडाउन होने से वे अलग-अलग देशों में फंस गए। सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती सभी को सुरक्षित घर लाने की है। वहां से कोई वायरस से संक्रमित मरीज न आए, जिससे भारत में संक्रमण बढ़ने का खतरा हो। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है। इसके लिए विदेशों में ही विमान में एंट्री से पहले उनकी थर्मल स्क्रिनिंग कराई जा रही है और जरूरी यात्रियों की पहले जांच की जा रही है। इसके बाद ही उन्हें भारत लाया जा रहा है।

समुद्र सेतु अभियान के तहत लाए जाएंगे दो हजार लोग

वहीं नौसेना भी समुद्र सेतु अभियान में लगी हुई है। आईएनएस जलाशय के जरिए नौसेना भारतीयों को वापस ला रही है। नौसेना का जहाज सबसे पहले माले पहुंचा। भारतीयों को लाने के लिए खास इंतज़ाम किए गए हैं। नौसेना ने जहाज में सैनिटाइज और साफ-सफाई के साथ ही कई गैर जरूरी उपकरणों के हटा दिया गया है, जिससे लोगों को लाने में कोई परेशानी न हो। मालदीव से दो चरण में करीब दो हजार लोगों को स्वदेश लाया जाएगा। आइएनएस जलाशय ने मालदीव 698 लोगों को कोच्चि ले आया है। इन दोनों अभियानों पर प्रधानमंत्री कार्यालय पूरी निगरानी रख रहा है। विदेश मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से इसका संचालन किया जा रहा है।

क्वारनटाइन के लिए राज्य सरकारों ने किए इंतजाम

वापस आने पर भी लोगों की जांच की जा रही है, इस बीच अगर किसी में लक्षण दिखे तो उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती किया जाएगा, बाकी के सभी यात्रियों को राज्य सरकार की ओर से बनाए गए क्वारनटाइन सेंटर में 14 दिन रहना होगा। इन क्वारनटाइन सेंटर में राज्य सरकारों की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं। यात्रियों के लिए सभी सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। साथ ही राज्यों ने कई बड़े होटल, लॉज में क्वारनटाइन सेंटर बनाए हैं, जिसके लिए यात्रियों को पैसे भी देने होंगे। 14 दिन के बाद फिर इन सभी का फिर टेस्ट होगा, नेगेटिव आने पर ही इन्हें घर जाने दिया जाएगा।

इस तरह के अभियान के लिए भारत के पास अनुभव

सरकार के इस प्रभावी कदम के बारे में बताते हुए विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन भारत ने पहले भी किए हैं। खाड़ी देशों मे युद्ध के समय, इराक से, लिबिया से, ओमान, आदि जैसे कई देशों से भारतीयों को निकाल कर वापस लाया जा चुका है। हांलाकि इस बार अंतर ये है कि इस बार लोगां की संख्‍या काफी अधिक है। इसलिए इसके प्लान बनाने और व्यवस्था करने में समय लग गया। क्योंकि हर देश से कोऑर्डिनेट करना उसके बाद राज्यों के साथ मिलकर व्यवस्था करना बेहद जटिल कार्य है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार निश्चय ही इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देगी।

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