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राहुल गांधी के मुंह पर तमाचा है देश में रोजगार का आंकड़ा, बेरोजगारी दर 6 साल के निचले स्तर पर, महिलाओं की भागीदारी बढ़ी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास में नए-नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। विश्व बैंक, आईएमएफ से लेकर तमाम रेटिंग एजेंसियां दुनिया में भारत को सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बता रही है। अभी हाल में बेरोजगारी दर का आंकड़ा आया है जिसमें कहा गया है कि देश में बेरोजगारी की दर पिछले छह साल में निचले स्तर पर है। वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी जो इस साल घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है। देश में कामकाजी उम्र की कुल आबादी में 57.9 प्रतिशत लोग श्रम शक्ति में भागीदारी कर रहे हैं। यह संख्या 2017-18 में 49.8 प्रतिशत थी। इस तरह छह साल में भारत की आबादी के 8 प्रतिशत लोग रोजगार से जुड़े हैं। मोदी सरकार का अगला लक्ष्य 58 प्रतिशत रोजगारी को 20 प्रतिशत बढ़ाकर कामकाजी आबादी को 75 प्रतिशत के ऊपर ले जाने की है। इसके लिए पीएम मोदी के विजन से सरकार रोजगार सृजन के कई कार्यक्रम चला रही है जिसके नतीजे आज देखने को मिल रहे हैं। जिस तेजी से देश में बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिल रहा है वह एक तरह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मुंह पर तमाचा के समान है। नकारात्मकता से भरे राहुल गांधी ने जून 2023 में अमेरिका दौरे पर कहा था कि देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है और इस समय पिछले 40 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है।

राहुल गांधी ने कहा था- 40 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
जून 2023 को 9 दिन के अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बेरोजगारी पर कहा था कि आज जमीनी स्तर पर देखा जाए तो बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है। मेरा मानना है कि इस समय पिछले 40 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। मैं इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं कि आर्थिक मोर्चे पर अच्छा काम हो रहा है। उन्होंने कहा था कि बड़ी संख्या में देश में लोग गरीब हैं और महंगाई और कम कमाई और आय की असमानता से जूझ रहे हैं।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की ताजा रिपोर्ट के आधार पर बेरोजगारी घटने के ताजा आंकड़ों पर एक नजर

बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हुई
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश में 15 साल से अधिक उम्र के नागरिकों में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत दर्ज हुई है। यह 6 साल में सबसे कम है। पिछले साल बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत थी। वहीं 2020-21 में यह दर 4.2 प्रतिशत, 2019-20 में 4.8 प्रतिशत और 2018-19 में 5.8 और 2017-18 में 6 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगारी दर का मतलब है कि उपलब्ध मानव श्रम में से कितने प्रतिशत के पास काम नहीं है। एनएसएसओ अप्रैल 2017 से यह रिपोर्ट जारी करता आ रहा है, इस बार इसका छठवां संस्करण है।

आबादी के 57.9 प्रतिशत लोग काम कर रहे
कामकाजी उम्र की कुल आबादी में 57.9 प्रतिशत लोग श्रम शक्ति में भागीदारी कर रहे हैं। यह संख्या 2017-18 में 49.8 प्रतिशत थी। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 50.7 से बढ़कर 60.8 प्रतिशत तो शहरों में 47.6 प्रतिशत से 50.4 प्रतिशत हुई है। पुरुषों की 78.5 प्रतिशत संख्या श्रम शक्ति में भागीदारी कर रही है, यह संख्या 2017-18 में 75.8 प्रतिशत थी। 37 प्रतिशत महिलाएं ही श्रम शक्ति का हिस्सा हैं, 2017-18 में इनकी संख्या 23.3 प्रतिशत थी। श्रमिक जनसंख्या अनुपात 56 प्रतिशत दर्ज हुआ, 2017-18 में यह 46.8 प्रतिशत था। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 48.1 से बढ़कर 59.4 प्रतिशत तो शहरों में 43.9 से बढ़कर 47.7 प्रतिशत हो गया है।

2045 तक दोगुनी होगी कामकाजी आबादी
पीएम मोदी का विजन है कि देश की आबादी के कम से कम 75 प्रतिशत लोग कामकाजी हों। इसके लिए कई तरह के रोजगार सृजन की योजनाएं चलाई जा रही हैं। देश में कामकाजी आबादी 2020 में 87.94 करोड़ थी जो अब बढ़कर 88 करोड़ हो गई है। मोदी सरकार के प्रयासों से यह संख्या उस समय चरम पर होगी, जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा। अनुमान जताया गया है कि 2045 में भारत में कामकामी आबादी की संख्या 1.02 अरब के करीब होगी।

गांवों में तेजी से कम हुई बेरोजगारी, 5.3 से घटकर महज 2.4 प्रतिशत रह गई
रिपोर्ट ने यह भी बताया कि गांवों में बेरोजगारी कम हुई है। यहां 2017-18 में 5.3 प्रतिशत बेरोजगारी थी, 2022-23 में यह महज 2.4 प्रतिशत रह गई। इसमें मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं का अहम योगदान रहा है। इन योजनाओं में प्रमुख रूप से आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान कार्यक्रम, पीएम- स्वनिधि योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम शामिल हैं।

शहरों में बेरोजगारी दर 7.7 से घटकर 5.4 प्रतिशत आई
शहरों में इसी दौरान बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत से घट कर 5.4 प्रतिशत पर आई। इसमें मोदी सरकार की योजनाओं का अहम योगदान रहा है। इन योजनाओं में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), पीएम गतिशक्ति – मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) शामिल हैं।

पुरुषों में बेरोजगारी 6.1 से घटकर 3.3 प्रतिशत और महिलाओं में 6.6 से घटकर 2.9 प्रतिशत हुई
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017-18 में 6.1 प्रतिशत भारतीय पुरुष बेरोजगार थे, जो अब 3.3 प्रतिशत रह गए हैं। महिलाओं में बेरोजगारी दर भी 6.6 प्रतिशत से घटकर 2.9 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं कामकाजी महिलाओं की आबादी 23 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई है। 

अप्रैल-जून 2023 तिमाही में बेरोजगारी के आंकड़े

अप्रैल-जून तिमाही में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी एक फीसदी घटकर 6.6 प्रतिशत
देश में इस साल अप्रैल-जून तिमाही में शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर सालाना आधार पर एक फीसदी घटकर 6.6 फीसदी रही। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के मुताबिक, एक साल पहले की समान अवधि में यह 7.6 फीसदी रही थी। अप्रैल-जून, 2022 में बेरोजगारी दर इसलिए अधिक थी, क्योंकि देश में कोरोना के कारण पाबंदियां थीं। जनवरी-मार्च, 2023 में बेरोजगारी दर 6.8 फीसदी और 2022 की जुलाई-सितंबर व अक्तूबर-दिसंबर में यह 7.2 प्रतिशत रही थी।

श्रम भागीदारी में भी इजाफा, 48.8 फीसदी पहुंची
शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति में श्रमबल भागीदारी अप्रैल-जून, 2023 में बढ़कर 48.8 फीसदी पहुंच गई। एक साल पहले यह 47.5 फीसदी थी।

महिलाओं व पुरुषों की बेरोजगारी दर में कमी आई
सर्वेक्षण के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) के बीच बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2023 में घटकर 9.1 फीसदी रह गई। एक साल पहले की समान तिमाही में यह 9.5 फीसदी थी। शहरी क्षेत्रों में पुरुषों में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2023 में घटकर 5.9 फीसदी रह गई, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 7.1 फीसदी रही थी। जनवरी-मार्च, 2023 में यह 6 फीसदी, अक्तूबर-दिसंबर, 2022 में 6.5 फीसदी और जुलाई-सितंबर, 2022 में 6.6 फीसदी थी।

अर्थव्यवस्था के विस्तार से युवाओं के लिए नई संभावनाएंः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 अक्टूबर 2023 को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में विस्तार होने से युवाओं के लिए नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं और देश में बेरोजगारी दर पिछले छह साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। प्रधानमंत्री ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के कौशल दीक्षांत समारोह में अपने वीडियो संदेश में कहा कि अर्थव्यवस्था का विस्तार होने से युवाओं के लिए नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं।

देश में लगभग 5,000 नए आईटीआई स्थापित किए गए
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश एक बार फिर कौशल को पहचान रहा है और कौशल विकास पर भी उतना ही जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में देश में लगभग 5,000 नए आईटीआई स्थापित किए गए हैं, जबकि पिछले 7 दशकों में केवल 10,000 आईटीआई थे। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में आईटीआई में 4 लाख से ज्यादा नई सीटें भी जोड़ी गई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने स्कूल स्तर पर कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए देश में 5000 कौशल केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आईटीआई से तकनीकी प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की सेना में भर्ती के लिए विशेष प्रावधान है।

देश में 1.5 करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण
आज कौशल सक्षम नहीं होने से बड़ी आबादी को नौकरी नहीं मिल पा रही है। मोदी सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया है उनके कौशल प्रशिक्षण बड़ा निवेश किया जा रहा है। पीएम मोदी ने ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत अपने युवाओं को कुशल बनाने में पहले से कहीं अधिक निवेश कर रहा है। इस योजना के तहत अब तक करीब 1.5 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

रोजगार मेले से अबतक 6 लाख से ज्यादा लोगों को मिली नौकरी
रोजगार मेले का सिलसिला 22 अक्‍टूबर 2022 से शुरू हुआ था। इस दिन पहला रोजगार मेला आयोजित किया गया था और इसमें 75 हजार से ज्‍यादा नियुक्ति पत्र वितरित किए गए थे। इसके बाद दूसरा मेला 22 नवंबर 2022 को आयोजित हुआ, जिसमें 71 हजार से ज्‍यादा युवाओं को जॉइनिंग लेटर दिए गए। तीसरा मेला 20 जनवरी 2023 और चौथा 13 अप्रैल 2023 को आयोजित हुआ, दोनों में 71-71 हजार से ज्‍यादा युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए। पांचवां रोजगार मेला 16 मई, छठा 13 जून और सातवां 22 जुलाई 2023 आयोजित हुआ। इनमें भी 70-70 हजार से ज्‍यादा युवाओं को जॉइनिंग लेटर दिए गए। आठवां रोजगार मेला 28 अगस्त 2023 को आयोजित किया गया था और इसमें भी 51,000 से ज्‍यादा युवाओं को देश में सरकारी नौकरी के अपॉइंटमेंट लेटर दिए गए थे। 9वां रोजगार मेला 26 सितंबर 2023 को आयोजित हुआ जिसमें 51,000 नवनियुक्त भर्तियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए।

खादी और ग्रामोद्योग में 8.25 लाख लोगों को रोजगार मिले
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वित्त वर्ष 2021-22 में पीएमईजीपी के तहत अब तक के सबसे अधिक रोजगारों का सृजन करके पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। आयोग ने वित्त वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत 8.25 लाख का अब तक का सबसे अधिक रोजगार सृजन दर्ज किया है। यह केवल एक साल का आंकड़ा है और उसके बाद से खादी की बिक्री में लगातार रिकार्ड दर्ज किए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि खादी उत्पादन बढ़ा है तो इसमें लोगों के लिए रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही आयोग ने अभूतपूर्व रूप से 1.03 लाख नई विनिर्माण और सेवा इकाइयों की भी स्थापना की।

9 साल में 350 से 1 लाख से ज्याद हुए स्टार्टअप
पीएम मोदी के विजन से पिछले 9 वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या 300 गुना बढ़ गई है। 2014 से पहले भारत में सिर्फ 350 स्टार्टअप थे। इनकी संख्या अब बढ़कर 1 लाख से अधिक हो गई है। भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। कुछ वर्षों में ही भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। इससे युवा प्रतिभाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार अपनाने व्यापक अवसर मिला है। आज वे लोगों की समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं और व्यवसाय भी बढ़ा रहे हैं।

भारत में बना 105वां यूनिकॉर्न, रोजगार के अवसर बढ़े
यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि का ही कमाल है कि स्टार्ट-अप्स की दुनिया में झंडे गाड़ने के बाद भारत अब उभरते यूनिकॉर्न का ‘बादशाह’ बनने की ओर बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया योजना की पहल की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी इस बुलंदी पर पहुंच जाएगा। मोदी सरकार के लगातार प्रोत्साहन मिलने के कारण भारत के नित-नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप दुनिया में निरंतर नया मुकाम हासिल करते जा रहे हैं। भारत में अब यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 105 हो गई है। खास बात यह है कि इन 105 यूनिकॉर्न में से 60 से अधिक पिछले दो सालों में ही बने हैं।

स्टार्टअप कंपनियों से 35 लाख लोगों को मिला रोजगार
विशेषज्ञों का का मानना है कि भारत में एक लाख से ज़्यादा स्टार्टअप कंपनियों में 35 लाख से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। इसके साथ ही यूनिकॉर्न में युवाओं के लिए और भी ज्यादा अवसर बने हैं। इसके साथ ही जो कंपनियां आगे चलकर यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करेंगी और फिर ख़ुद को शेयर बाज़ार में लिस्ट करेंगी जिससे उनका कारोबार और दायरा भी बढ़ेगा।

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