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मोदी सरकार की रोजगारपरक नीतियों का असर, देश में तेजी से घटी बेरोजगारी दर, छह साल के निचले स्तर पर पहुंची

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसी नीतियां बनाने पर जोर दे रहे हैं, जिससे शहरों और गांवों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिल रहा है। केंद्र सरकार के विभागों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए रोजगार मेला आयोजित किया जा रहा है। इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिला है। वहीं मोदी सरकार ने अपनी नीतियों में बदलाव कर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निजी क्षेत्र को रोजगार सृजन के लिए प्रेरित किया है। इसकी वजह से निजी क्षेत्र में संगठित और असंगठित रोजगार के अवसर बने हैं। इससे देश में बेरोजगारी दर कम करने में मदद मिली है,जो छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से भी होती है। 

बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत, पिछले 6 साल में सबसे कम

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने सोमवार (9 अक्टूबर, 2023) को आवधिक श्रम बल रिपोर्ट (पीएलएफएस) का आंकड़ा जारी किया, जिसके मुताबिक जुलाई 2022-जून 2023 के बीच 15 साल से अधिक उम्र के नागरिकों में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत दर्ज की गई है। बेरोजगारी का यह दर पिछले 6 साल में सबसे कम है। वहीं 2021-22 में बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में 2017-18 में बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.4 प्रतिशत हो गई। शहरी क्षेत्रों के लिए यह 7.7 प्रतिशत से घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई। इससे पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में तेजी से सुधार हो रहा है।

तिमाही आधार पर शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी में गिरावट दर्ज

तिमाही आधार पर भी शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी में गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल-जून 2023 की तिमाही में शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर सालाना आधार पर एक प्रतिशत से घटकर 6.6 प्रतिशत रही। इससे पहले जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के मुताबिक, एक साल पहले की समान अवधि में यह 7.6 प्रतिशत रही थी। देश में पिछले साल अप्रैल-जून की अवधि के दौरान बेरोजगारी अधिक थी, जिसका मुख्य कारण देश में कोरोना महामारी की वजह से लगे प्रतिबंध हो सकते हैं। 

महिला और पुरुष, दोनों की बेरोजगारी दर में गिरावट

जेंडर आधार पर भी बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है। भारत में पुरुषों में बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.3 प्रतिशत हो गई। महिलाओं में बेरोजगारी दर 5.6 प्रतिशत से घटकर 2.9 प्रतिशत रही। अप्रैल-जून 2023 तिमाही के दौरान पुरुष बेरोजगारी दर जनवरी- मार्च के दौरान 7.1 प्रतिशत से घटकर 5.9 प्रतिशत हो गई और महिला बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत से घटकर 9.1 हो चुकी है। प्रमुख श्रम बाजार संकेतक अर्थात शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए अप्रैल-जून, 2023 की तिमाही में एलएफपीआर, डब्ल्यूपीआर और यूआर में महामारी से पूर्व की अवधि की तुलना में सुधार देखा गया है।

श्रम बल भागीदारी दर और श्रमिक जनसंख्या अनुपात में वृद्धि

श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में भी बढ़ोतरी हुई है। 15 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी क्षेत्रों में एलएफपीआर अप्रैल-जून 2022 में 47.5 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल-जून 2023 में 48.8 प्रतिशत हो गया। जबकि इस अवधि के दौरान पुरुषों के लिए यह 73.5 प्रतिशत के आसपास रहा, वहीं महिलाओं के लिए, एलएफपीआर इस अवधि के दौरान 20.9 प्रतिशत से बढ़कर 23.2 प्रतिशत हो गया। 15 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी क्षेत्रों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) अप्रैल-जून 2022 में 43.9 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल-जून 2023 में 45.5 प्रतिशत हो गया। इस अवधि के दौरान पुरुषों के लिए यह 68.3 प्रतिशत से बढ़कर 69.2 प्रतिशत हो गया और महिलाओं के लिए, इस अवधि के दौरान यह 18.9 प्रतिशत से बढ़कर 21.1 प्रतिशत हो गया।

आधारभूत ढांचे के विकास से रोजगार सृजन को मिला बढ़ावा 

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय से राज्यों को आधारभूत ढांचे का विकास करने में मदद मिली है, जिससे शहरी भारत में रोजगार के अवसरों में तेजी आई है। गौरतलब है कि एनएसएसओ ने अप्रैल 2017 में पीएलएफएस की शुरुआत की थी। पीएलएफएस के आधार पर एक त्रैमासिक बुलेटिन जारी किया जाता है, जिसमें श्रमबल संकेतक जैसे बेरोजगारी दर, श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्लूपीआर), श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर), सीडब्ल्यूएस में रोजगार और उद्योगों में काम के आधार पर श्रमिकों का विवरण शामिल है।

आइए देखते हैं किस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में केंद्र सरकार की नीतियों के कारण देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं…

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने रोजगार के मोर्चे पर भी बड़ी सफलता अर्जीत की है। मोदी सरकार ने केंद्रीय सेवाओं में नौकरी देने और प्रमोशन के मामले में यूपीए सरकार को पीछे छोड़ दिया है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने रोजगार को लेकर हाय-तौबा मचाने वाली कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद पिछले नौ सालों में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में नौ लाख से अधिक लोगों की भर्ती गई गई है, जबकि यूपीए शासन के पहले नौ वर्षों के दौरान केवल छह लाख लोगों की भर्ती की गई थी। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने यूपीए सरकार की तुलना में ज्यादा लोगों को पदोन्नति दी है। 

मंगलवार (26 सितंबर, 2023) को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित ‘रोजगार मेले’ को संबोधित करते हुए जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यूपीए शासन (कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के पहले नौ वर्षों के दौरान, मुश्किल से छह लाख सरकारी नौकरियां दी गईं थी। आपके (पीएम मोदी के) कार्यकाल में, नौ लाख से अधिक पदों पर भर्ती की गई है।”

जितेंद्र सिंह ने कहा कि ना सिर्फ रोजगार देने के मामले में, बल्कि प्रमोशन के मामले में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। बीजेपी सरकार ने बड़े पैमाने पर पदोन्नति दी और बैकलॉग को भरने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अगर हम अकेले केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) को देखें, तो यूपीए के शासन की तुलना में आपके (पीएम मोदी) नेतृत्व में पदोन्नति में 160 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आगे उन्होंने कहा कि यूपीए शासन में कुछ लोग जिस पद पर भर्ती हुए थे, उसी पद से सेवानिवृत्त हो जाते थे, जिससे वे हतोत्साहित थे।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी नहीं है। बीजेपी सरकार में न केवल नौकरियां पैदा हुई हैं, बल्कि प्रधानमंत्री ने युवाओं में जागरूकता भी पैदा की है। प्रधानमंत्री के “जॉब सीकर नहीं, जॉब क्रियेटर बनें” के मंत्र का असर अब दिखाई दे रहा है। स्टार्ट-अप की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि देश में स्टार्ट-अप की संख्या लगभग 350-400 से बढ़कर 1.25 लाख हो गई है। अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश से स्टार्ट अप की संख्या चार से बढ़कर 150 हो गई है। चंद्रयान -3 की सफलता से अंतरक्षि के क्षेत्र में युवाओं की रूचि बढ़ी है। नए स्टार्ट-अप भी आकर्षित हो रहे हैं। 

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार (26 सितंबर, 2023) को 9वें रोजगार मेले के तहत 51 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया। इन युवाओं को पिछले कुछ दिनों में केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में भर्ती किया गया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले नौ साल में इनोवेटिव तरीके से बड़े बदलाव हुए हैं। तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने से भ्रष्टाचार घटा है और सुविधाएं बढ़ी हैं। इससे पहले 8वां रोजगार मेला 28 अगस्त को आयोजित किया गया था, जिसमें 51 हजार 106 युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे गए थे।

सामाजिक सुरक्षा योजना से जुड़ने वालों की संख्या में वृद्धि

कर्मचारी राज्य बीमा निगम की सामाजिक सुरक्षा योजना में जून, 2023 में करीब 20.27 लाख नए सदस्य शामिल हुए है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी राज्य बीमा निगम की योजनाओं से सकल रूप से वित्त वर्ष 2022-23 में 1.67 करोड़ नए सदस्य जुड़े हैं। 2021-22 में 1.49 करोड़ लोग जुड़े जबकि 2020-21 में 1.15 करोड़ नए सदस्य जुड़े थे। आंकड़ों के अनुसार, इसके पहले वित्त वर्ष 2019-20 में 1.51 करोड़, 2018-19 में 1.49 करोड़, जबकि सितंबर, 2017 से लेकर मार्च, 2018 के बीच करीब 83.35 लाख सदस्य जुड़े थे।

जून में 20.27 लाख नए सदस्य जुड़े
कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम (ईएसआईसी) की ओर से जारी पेरोल डाटा के अनुसार जून, 2023 में 20.27 लाख नए कर्मचारी जोड़े गए हैं। जून, 2023 के महीने में लगभग 24,298 नए संस्थानों को रजिस्टर्ड किया गया।

पेरोल डाटा से यह भी पता चलता है कि युवाओं को जॉब के ज्यादा अवसर मिल रहे हैं। इस माह में कुल 20.23 लाख कर्मचारियों में से 9.77 लाख कर्मचारी 25 वर्ष आयु समूह वाले हैं, जो जुड़ने वाले कुल कर्मचारियों का 48.22 प्रतिशत हैं।

जून 2023 के वेतन आंकडों के मुताबिक, 3.87 लाख महिला सदस्य भी इसमें शामिल हुई हैं। इसके अलावा, जून 2023 के महीने में कुल 71 ट्रांसजेंडर कर्मचारी ईएसआई योजना के अंतर्गत शामिल हुए हैं। यह दिखाता है कि ईएसआईसी समाज के सभी वर्गों को लाभ प्रदान करने के प्रति समर्पित है।

पेरोल के आंकड़ों की राज्य-वार डेटा में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात के सदस्यों की संख्या ज्यादा है। शीर्ष 10 उद्योगों में सबसे अधिक बढ़ोतरी विनिर्माण, विपणन-सेवा और कंप्यूटर सबंधित कार्य करने में लगे प्रतिष्ठानों में देखी गई है। इसके बाद इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल या सामान्य इंजीनियरिंग उत्पाद और अन्य व्यापारिक-वाणिज्यिक प्रतिष्ठान थे। बढ़त का रुख रखने वाले अन्य प्रमुख उद्योगों में गारमेंट मेकिंग, टेक्सटाइल, बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन तथा विशेषज्ञ सेवाएं शामिल हैं।

मई में EPFO से जुड़े 16.30 लाख लोग
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। ईपीएफओ की ओर से जारी पेरोल डेटा के अनुसार ईपीएफओ ने मई, 2023 के दौरान कुल 16.30 लाख नए ग्राहक बनाए हैं। मई, 2023 के महीने में लगभग 3,673 नए संस्थानों को रजिस्टर्ड किया गया और ईपीएफओ के सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है, जिससे अधिक कवरेज सुनिश्चित होती है।

मई में जुड़े 16.30 लाख सदस्यों में से 8.83 लाख नए सदस्य हैं, जोकि पिछले छह महीनों के दौरान सबसे अधिक हैं। इसमें 18 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की संख्या लगभग 56.42 प्रतिशत है। यह दिखाता है कि संगठित क्षेत्र के कार्यबल में रोजगार के इच्छुक बहुत से लोग पहली बार बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। मई माह के दौरान 3.15 लाख नए महिला पेरोल जोड़े गए। इसमें से 2.21 लाख नई महिला सदस्य हैं।

पेरोल के आंकड़ों की राज्य-वार डेटा में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात के कुल सदस्य 57.85 प्रतिशत से ज्यादा है। उद्योग-वार डेटा की महीने-दर-महीने तुलना से पता चलता है कि निजी क्षेत्र में बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन उद्योग, गारमेंट्स मेकिंग और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कंपनियों के प्रतिष्ठानों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। इसके बाद कपड़ा, वित्तीय प्रतिष्ठान, रबर उत्पाद आदि का स्थान रहा है।

ईपीएफओ डेटा के अनुसार पिछले वित्त वर्ष के दौरान उसके सदस्यों की कुल संख्या में 1.39 करोड़ की वृद्धि हुई यानी वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान ईपीएफओ के साथ 1.39 करोड़ नए सब्सक्राइबर जुड़े। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 13.22 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2021-22 में ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स की कुल संख्या में 1.22 करोड़ की वृद्धि हुई थी।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन संगठित क्षेत्र में 15,000 रुपये से अधिक का मूल वेतन पाने वाले और कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) के तहत अनिवार्य रूप से नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना लाने पर विचार कर रहा है। वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं। एक अनुमान के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन बढ़ाने से संगठित क्षेत्र के 50 लाख और कर्मचारी ईपीएस-95 के दायरे में आ सकते हैं।

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