कहावत है सच एक होता है झूठ कई होते हैं। यह भी कहा जाता है कि सच में इतनी ताकत होती है कि कितनी ही सफाई से झूठ बोली जाए एक दिन वह पकड़ में आ ही जाती है। झूठ की खेती करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तमाम मुद्दों पर झूठ बोलकर जनता को बरगलाने का काम करते रहे हैं। खस्ताहाल दिल्ली के स्कूलों से सभी वाकिफ हैं लेकिन केजरीवाल दिल्ली के शिक्षा मॉडल का ढोल पीटने के लिए तब भी उतारू दिखते हैं और इसी उतावलापन में उनकी झूठ पकड़ी जाती है। कोरोना काल में बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी और आर्थिक संकट की वजह से अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल में दाखिला कराने को मजबूर हुए। केजरीवाल अगर संवेदनशील होते तो उन दुखी अभिभावकों के साथ खड़ा दिखते लेकिन इसमें भी उन्होंने अपनी मार्केटिंग तलाश कर ली। कोरोना काल में साल 2021-22 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में करीब 1.60 लाख बच्चे प्राइवेट स्कूल से आए। अब इस मुद्दे पर केजरीवाल का झूठ देखिए। पहले केजरीवाल की करीबी नेता आतिशी ने कहा कि 2 लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आए। उसके बाद केजरीवाल ने पांच बार इस मुद्दे पर चर्चा की और उन्होंने जो आंकड़े दिए वह चौंकाने वाले हैं। पहले उन्होंने कहा कि 2.5 लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आए। फिर कहा 2.7 लाख, उसके बाद 3.7 लाख, फिर 3.75 और उसके बाद 4 लाख बता दिया। इसके बाद मैदान में उतरे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उन्होंने कहा कि 4.5 लाख बच्चे प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आए।
दिल्ली में कितने बच्चे प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आए, इस पर केजरीवाल और उनके नेताओं की जुबानी सुनिएः
सच एक होता है, झूठ कयी होते हैं: अरविंद केजरीवाल
I am waiting for the day when whole world’s kids will take admission in Delhi’s Govt Schools
Aaptard Syndrome pic.twitter.com/LP6I1XXPqw
— Flt Lt Anoop Verma (Retd.) ?? (@FltLtAnoopVerma) August 30, 2022
दरअसल 2021-22 कोरोना की वजह से कई लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी थी जिससे अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट से सरकारी स्कूल में भेजने पर मजबूर हुए थे। इसके पीछे वो कारण नहीं था कि दिल्ली के सरकारी स्कूल अच्छे हो गए हैं तो बच्चों को पढ़ाने के लिए वहीं भेजते हैं। अगर ऐसा है तब तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां तक कि एक इंटरव्यू में दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से पूछा गया कि दिल्ली के सरकारी स्कूल इतने बेहतर हैं तो आप अपने बच्चे को वहां क्यों नहीं पढ़ाते। इस पर उन्होंने साफ इनकार कर दिया और कहा- नहीं मेरे बच्चे जहां पढ़ते हैं वहीं पढ़ेंगे।
कोरोना काल में 1.58 लाख छात्रों ने प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया
अब तथ्यों की बात करें तो दिल्ली के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 2.4 लाख छात्रों ने एकेडमिक ईयर 2021-22 के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए अप्लाई किया। इनमें नर्सरी से लेकर कक्षा 12 में एडमिशन के लिए आवेदन किया गया। 1.58 लाख से छात्रों का एडमिशन पूरा किया गया। सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स का कहना है कि इन एडमिशन में 9वीं और 11वीं कक्षा में ज्यादा एडमिशन हुए हैं और वे इस बढ़ोतरी की वजह कोविड -19 में अभिभावकों को हुआ आर्थिक नुकासन बताते हैं। दिल्ली के शिक्षा निदेशालय (DoE) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में लगभग 1030 सरकारी स्कूलों में कक्षा नर्सरी से कक्षा 12 तक के लिए 2 लाख 36 हजार 522 आवेदन प्राप्त हुए थे। इसके तहत 1 लाख 58 हजार 484 छात्रों को एडमिशन दिया गया। दिल्ली शिक्षा विभाग के अनुसार वर्ष 2021 में दिल्ली सरकार के स्कूलों में एनरोल स्टूडेंट्स की कुल संख्या 17.67 लाख तक पहुंच गई है। 2020-21 में यह आंकड़ा 16.28 लाख था, जबकि 2019-20 में यह 15.05 लाख था
प्राइवेट से सरकारी स्कूलों में क्यों गए बच्चे
कोविड -19 के कारण वित्तीय समस्याओं का सामना करने वाले बहुत से माता-पिता ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में शिफ्ट किया। इसका मुख्य कारण निजी स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस है। बहुत से पेरेंट्स को लगता है कि चूंकि महामारी के दौरान कक्षाएं ऑनलाइन संचालित की जा रही हैं, इसलिए स्कूल की फीस इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए। लॉकडाउन में ज्यादातर स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा। पूरे भारत के स्कूलों को ऑनलाइन शिक्षा में शिफ्ट करना पड़ा। माता-पिता को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए स्कूल को ट्यूशन फीस देने के साथ-साथ एक लैपटॉप या स्मार्टफोन की व्यवस्था करनी पड़ी। एक और कारण यह है कि महामारी के कारण बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी चली गई और आर्थिक कठिनाइयों का कारण बना।
केजरीवाल-सिसोदिया के शिक्षा मॉडल की खुली पोल: दसवीं की टॉप 10 रैंकिंग से दिल्ली बाहर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को लेकर देश-दुनिया में काफी ढिंढोरा पीटते रहते हैं। हर जगह दिल्ली मॉडल की बात करते हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल सरकार आने के बाद से स्कूली शिक्षा में काफी गिरावट आई है। मनीष सिसोदिया दिल्ली के सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बताते हैं, लेकिन इस साल के दसवीं के नतीजे देखकर आप खुद जान जाएंगे कि हकीकत क्या हैं। दिल्ली में सरकारी स्कूलों के दसवीं का रिजल्ट 81.27 प्रतिशत रहा है, जो देश के ओवरऑल 94.40 प्रतिशत से काफी कम है। दिल्ली ना सिर्फ रिजल्ट बल्कि रैंकिंग के मामले में काफी नीचे आ गई है। दसवीं की रैंकिंग में दिल्ली टॉप 10 से बाहर हो गई है। दिल्ली को 15वें नंबर से संतोष करना पड़ा है। नोएडा और पटना रैंकिंग में दिल्ली से आगे हैं। इतना ही नहीं इस बार दिल्ली 10वीं और 12 वीं दोनों की रैंकिंग में टॉप तीन से बाहर है। ये है केजरीवाल के शिक्षा का दिल्ली मॉडल।
आज मैं अपने साथ देश ही नहीं दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को लेकर आया हूं। इन्हें(BJP) लगता है दुनिया में सबकुछ बिकता है। 75 साल के इतिहास में एक भी शिक्षामंत्री का नाम मुझे बता दे कोई जो सुबह 6 बजे स्कूलों को दौरा करता हो?: दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल, भावनगर pic.twitter.com/ChWsqlqhYr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 23, 2022
सिसोदिया को छोड़कर एक भी शिक्षामंत्री नहीं जो सुबह 6 बजे स्कूलों का दौरा करता हो: केजरीवाल
केजरीवाल अपने झूठ के जाल में कैसे फंस जाते हैं इसकी बानगी देखिए। दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को विफल करने के बाद गुजरात के भावनगर में केजरीवाल ने कहा, ”आज मैं अपने साथ देश ही नहीं दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को लेकर आया हूं। इन्हें(BJP) लगता है दुनिया में सबकुछ बिकता है। 75 साल के इतिहास में एक भी शिक्षामंत्री का नाम मुझे बता दे कोई जो सुबह 6 बजे स्कूलों को दौरा करता हो?” इसके बाद लोग पूछने लगे कि भला 6 बजे जब स्कूल खुलता ही नहीं है तो वो दौरा किस बात का करने जाते हैं।
नवोदय विद्यालय के लिए नहीं दी जमीन
लोकसभा में दिल्ली के स्कूल पर उठाए गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से मनोज तिवारी को पत्र लिखकर जानकारी दी गई थी। प्रधान ने कहा कि 2016-17 के दौरान देशभर में 62 नए जवाहर नवोदय विद्यायल स्वीकृत किए गए थे। इनमें से 7 नए नवोदय विद्यालय दिल्ली के तहत स्वीकृत किए गए थे। हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से इन नवोदय विद्यालयों की स्थापना के लिए जरूरी भूमि और स्थायी आवास उपलब्ध न कराए जाने से ये विद्यालय शुरू नहीं हो पाए। इससे पता चलता है कि केजरीवाल सरकार शिक्षा को लेकर कितना संजीदा है।
शराब घोटाले पर उठे सवाल, तो जवाब में शिक्षा मॉडल का ढोल बजाय गया…लेकिन क्या CVC रिपोर्ट और RTI के जवाब से दिल्ली के शिक्षा मॉडल के ढोल की पोल खुल गयी है ? #DoTook pic.twitter.com/q1yBDvl8k7
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) August 30, 2022
न्यूयॉर्क टाइम्स का फेमस दिल्ली शिक्षा मॉडल-
दिल्ली के 66 फीसदी सरकारी स्कूलों में 11वीं और 12वीं की क्लासों में साइंस पढ़ाने की कोई व्यव्स्था नहीं।
RTI से मिली जानकारी।— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) August 30, 2022
केवल एक तिहाई स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई, दिल्ली के शिक्षा मॉडल की वह काली सच्चाई है जिसमें दिल्ली के बच्चों को केजरीवाल की सरकार ने धकेल दिया है। दिल्ली शर्मिंदा है अपने बच्चों के सामने। pic.twitter.com/kQIOdUkMnd
— Visshnu Mittal (@visshnumittal) August 30, 2022
दिल्ली के मुख्यमंत्री @ArvindKejriwal जी और असम के मुख्यमंत्री @himantabiswa जी ट्विटर पर अपने अपने शिक्षा मॉडल को बेहतर बता रहे थे। हमने पाठशाला में 9 मिनट में दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया।#NewsKiPathshala
pic.twitter.com/5KeqVs3JCk— Sushant Sinha (@SushantBSinha) August 29, 2022
एक RTI से अभी खुलासा हुआ है कि दिल्ली के 1027 स्कूल में से सिर्फ 203 स्कूल में ही प्रिंसिपल है । ये है वर्ल्ड क्लास शिक्षा मॉडल ।
— Janardan Mishra (@janardanspeaks) August 29, 2022
आम आदमी पार्टी दुनिया में भले ही दिल्ली शिक्षा मॉडल का झूठा प्रचार कर रही हों, पर सच्चाई सबके सामने है। लगभग 500 नए स्कूल का वादा खोखला निकला। ये एक हाथ में किताब -एक हाथ मे शराब वाली सरकार है।
"वर्ल्ड क्लास एजुकेशन, या थर्ड क्लास " ? pic.twitter.com/IWTBFZIvRs
— Dr. Naresh kumar (@DrNareshkr) August 30, 2022
दिल्ली के नकली शिक्षा मॉडल की काली सच्चाई!
देश की राजधानी होने बावजूद भी दिल्ली के एक तिहाई सरकारी स्कूलों में साइंस की पढ़ाई नहीं है।@ArvindKejriwal, @msisodia ने दिल्ली के बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया है।
जमकर भ्रष्टाचार करना और झूठ का विज्ञापन ही इनका मॉडल है! pic.twitter.com/4gZSelS4B9
— Virender Sindhu (@Virendersindhu) August 30, 2022
दिल्ली के शिक्षा मॉडल का सच आया सामने…#Kejriwal #Delhi pic.twitter.com/ybVGK6vq2s
— Adesh Chauhan (@AdeshchauhanUK) August 31, 2022
न्यूयॉर्क टाइम्स का फेमस दिल्ली शिक्षा मॉडल-
दिल्ली के 66 फीसदी सरकारी स्कूलों में 11वीं और 12वीं की क्लासों में साइंस पढ़ाने की कोई व्यव्स्था नहीं!?
वैसे भी साइंस पढ़ाने की आवश्यकता ही क्या है दिल्ली मे, जब @ArvindKejriwal और @msisodia रोज नये चमत्कार TV पर आकर दिखा रहे है!? pic.twitter.com/d2q695z6sV— #३भ संजीव हिंदू ?️? (@SAINI_51) August 30, 2022