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अखिलेश राज में जाटों के साथ हुआ था भेदभाव, पीएम मोदी और सीएम योगी के डबल इंजन की सरकार में विकास के साथ मिली सुरक्षा

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उत्तर प्रदेश का सियासी संग्राम 10 फरवरी को पश्चिमी यूपी में पहले चरण के मतदान से शुरू हो रहा है। इस चरण में चारों प्रमुख पार्टियां बीजेपी, एसपी, बीएसपी और कांग्रेस अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रही है। लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी गठबंधन और एसपी-आरएलडी गठबंधन में दिखाई दे रहा है। जनता का समर्थन हासिल करने के लिए दोनों गठबंधन ने अपना पूरा जोर लगा दिया है। वहीं जनता के सामने अब आखिरी फैसला लेने की चुनौती है। ऐसे में जनता के सामने जहां अखिलेश सरकार का दंगा,पलायन और विकासरहित अतीत है, वहीं पीएम मोदी और सीएम योगी के डबल इंजन की सरकार में जाटों को मिली सुरक्षा, दंगाइयों और बदमाशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जाटलैंड के तीव्र विकास का वर्तमान मौजूद है। 

जयंत ने जाटों का दमन करने वाले अखिलेश से किया गठबंधन

आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी का दामन थामकर अपनी राजनीतिक वैतरणी पार करना चाहते हैं, जिसकी सरपरस्ती में कभी सम्प्रदाय विशेष के लोगों ने बाकायदा सत्ता सहयोग से जाट समुदाय का दमन करने का दुस्साहस किया था। कौन नहीं जानता कि मुजफ्फरनगर दंगे में उस समय के सबसे कद्दावर सपा नेता व मंत्री आज़म ख़ान के दबाव में पुलिस ने दंगाइयों के ख़िलाफ़ कोई भी कार्रवाई नहीं की थी। किसान महापंचायत में जयंत चौधरी के सामने किसान नेता ग़ुलाम मोहम्मद जौला ने जाटों पर हमला करने का आरोप लगाया। वहां मौजूद जयंत चौधरी, राकेश टिकैत और अन्य जाट नेताओं ने इसका विरोध नहीं किया, क्योंकि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर था। उन्होंने जाट स्वाभिमान को तिलांजलि देकर वोटबैंक को महत्व दिया।

मुजफ्फरनगर दंगा : झूठे मामलों में सबसे ज़्यादा जाट गए जेल

उत्तर प्रदेश में 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव की सरकार थी। 27 अगस्त, 2013 को मुज़फ्फरनगर ज़िले के जानसठ कस्बे के गांव कवाल में सचिन, गौरव व शाहनवाज की हत्या हुई, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी थी। दंगे के दौरान अखिलेश यादव की सरकार ने खुलकर पक्षपात किया था। दंगा पीड़ित जाटों का आरोप है कि सरकार ने उनके लड़कों और बुजुर्गों तक को झूठे मामलों में फंसा दिया। स्कूल में पढ़ने वाले लड़कों और 60-80 साल के बूढों पर भी महिलाओं के संग दुर्व्यहार के मामले दर्ज किए गए। इन दंगों के बाद झूठे मामलों में फंसा कर सबसे ज़्यादा जाट समुदाय के लोगों को जेल भेजा गया। जाटों ने दंगों के दौरान बांटी गई मुआवजे की राशि में भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों ऐसे दंगा पीड़ित परिवार थे जिनको मुआवजा नहीं मिला क्योंकि वह वर्ग विशेष से ताल्लुक नहीं रखते थे।

आजम खान पर लगा थाने से दंगाइयों को छुड़ाने का आरोप 

अखिलेश सरकार में कद्दावर मंत्री रहे आजम खान पर मुजफ्फनगर दंगे के दौरान दंगाइयों को बचाने और पुलिसकर्मियों को निलंबित कराने के आरोप लगे थे। कुछ पुलिस अधिकारियों की मानें तो दंगों के दौरान सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने पुलिस के काम में रोड़े अटकाए और कई थानों से पकड़े गए संदिग्ध लोगों को छुड़ाने का काम किया। एक न्यूज चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए खुलासा किया कि फुगाना थाने पर लखनऊ से आजम नाम के नेता ने फोन कर कहा था कि जो हो रहा है, होने दो। फुगाना थाने के सेकंड ऑफिसर आर.एस. भगौर छिपे हुए कैमरे से रिकॉर्ड किए गए वीडियो में यह स्वीकार करते दिखे कि आजम ने फोन कर कोई हस्तक्षेप नहीं करने को कहा था। आजम खान तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह और एसएसपी मंजिल सैनी का जबरन बादला करवाया था। उस दौरान पुलिसवालों ने आरोप लगाया था कि पांच पुलिसकर्मियों का निलंबन यूपी के मंत्री आजम खान के इशारे पर किया गया था।

ग़ुलाम मोहम्मद जौला- जाटों ने मुसलमानों पर हमला किया

फरवरी 2021 में मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत हुई थी। इस महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता ग़ुलाम मोहम्मद जौला ने वहां मौजूद किसान और जाट नेताओं से कहा, “जाटों ने दो ग़लतियां कर डालीं। एक चौधरी अजित सिंह को हराया और दूसरा मुसलमानों पर हमला किया।” ग़ुलाम मोहम्मद जौला ने खुलेआम पूरे जाट समुदाय पर आरोप लगाया, इसके बावजूद पूरी महापंचायत में सन्नाटा पसरा रहा। किसी ने उनकी इस बात का कोई विरोध नहीं किया। दरअसल महपंचायत किसानों मुद्दों के लेकर नहीं, बल्कि किसान नेता राकेश टिकैत और आरएलडी के जयंत चौधरी की राजनीति चमकाने के लिए बुलाई गई थी।

मुस्लिम गुंडों की वजह से कैराना से हिन्दुओं का पलायन

अखिलेश शासन में शामली जिले का कैराना हिन्दुओं के पलायन को लेकर चर्चा में आया था। उन दिनों कैराना में लोगों को सरेआम धमकी मिलने का चलन तेज हो चुका था। लोग कैराना में अपनी बेटियों को ब्याहने से ड़रने लगे थे। कैराना वापस आने वाले एक शख्स के मुताबिक यहां (कैराना) कश्मीर से भी बुरा हाल था। लोग मामूली कीमत पर अपना घर बेचकर पलायन को मजबूर थे। साल 2015 से 2017 के बीच करीब 90 हिंदू परिवारों ने कैराना छोड़ दिया था। उन्होंने अपने घर के बाहर ‘यह मकान बिकाऊ है’ का पोस्टर भी लगा दिया था। साल 2016 में कैराना से तत्कालीन बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने यह मुद्दा संसद में भी उठाया था। मुकीम काला पर आरोप लगे थे कि उसकी दहशत के चलते ही कैराना से हिंदू पलायन करने को मजबूर हैं। 14 मई, 2021 को चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार में पश्चिमी यूपी का कुख्यात बदमाश मुकीम काला भी मारा गया था।

सपा के मुस्लिम प्रत्याशियों ने बढ़ाई चिंता

समाजवादी पार्टी ने कैराना से नाहिद हसन, मेरठ से रफीक अंसारी, असलम चौधरी, किठौर से शाहिद मंजूर, मोहर्रम अली उर्फ पप्पू समेत अन्य अपराधी छवि के नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश फिर से आशंकाग्रस्त हो गया है। क्योंकि नाहिद हसन और रफीक अंसारी दोनों कैराना से हिंदुओं के पलायन के मास्टर माइंड थे। समाजवादी पार्टी के इस फैसले ने समूचे प्रदेश के सियासी तापमान को एकाएक बढ़ा दिया है। जिस आचरण के कारण अखिलेश सरकार को उच्चतम न्यायालय ने ‘दंगों वाली सरकार’ के नाम से पुकारा था, उसकी पुनरावृति समाजवादी पार्टी के भविष्य के इरादों को साफ करती है। क्या कैराना के जरिये इस क्षेत्र को कश्मीर बनाने की तैयारी नहीं दिख रही है?

सपा प्रत्याशी के समर्थकों ने दी जाटों को धमकी

सपा के प्रत्याशी नाहिद हसन के समर्थकों के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें वह कैराना के जाट वोटरों को धमकी देते नजर आ रहे हैं। आरएलडी के जाट प्रत्याशी को खुलेआम धमकाते नाहिद हसन के समर्थक ने कहा, “हमारा चौधरी (नाहिद हसन) जेल से चुनाव लड़ रहा, वहां 24 हजार जाट हैं और यहां हम 90 हजार, वहां जाट कह रहे कि नाहिद को वोट नहीं देंगे, हमारे चौधरी (नाहिद हसन) के साथ कुछ गड़बड़ हुई तो यहां हम एक मिनट न लगाएंगे गड़बड़ी करने में।” वहीं मामला संज्ञान में आने के बाद शामली पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए खुलेआम धमकी देने वाले शख्स को सलाखों के पीछे भेज दिया। दूसरे वीडियो में धमकी दिया गया है कि तुम जाट सिर्फ 24 हजार हो, और हम 90 हजार, शामली के जाट सपा और नाहिद हसन के साथ हरकत कर रहे, हम इलाज बांध देंगे, भूस भर देंगे।

अखिलेश सरकार में संकट में थे गन्ना किसान 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश देश का गन्ना बेल्ट कहा जाता है। अखिलेश सरकार की अनदेखी और अदूरदर्शिता का खामियाजा यहां के गन्ना किसान और चीनी उद्योग को उठाना पड़ा था। राज्य सरकार की बेरुखी से चीनी उद्योग संकट में था। अखिलेश यादव की असंवेदनशीलता का आलम यह था कि मई 2015 में तत्कालीन केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान की बुलाई बैठक में खुद आने के बजाय अपना नुमाइंदा भेज दिया। किसानों के खराब हालात और आत्महत्या जैसे कदमों के बाद भी प्रदेश सरकार भुगतान दिलाने के प्रति गंभीर नहीं थी।

योगी सरकार में सबकी सुरक्षा, सबका विकास

2017 में योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद जाटलैंड में काफी बदलाव आया है। पीएम मोदी और सीएम योगी के डबल इंजन की सरकार की वजह से जहां जाटों के साथ बिना भेदभाव के न्याय हो रहा है, उनके खिलाफ झूठे मुकदमे वापस हुए, और उन्हें सुरक्षा मिली है, वहीं जाटलैंड में विकास की नई पटकथा लिखी जा रही है। आज जाटलैंड विकास के एक्सप्रेसवे पर तेजी से दौड़ रहा है। गन्ना किसानों को भी उचित मूल्य समय पर मिल रहा है। योगी सरकार ने पश्चिमी यूपी के लोगों के मन में गौरवबोध उत्पन्न किया है। आइए देखते हैं किस तरह प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी के डबल इंजन की सरकार जाटों और जाटलैंड के हित में काम कर रही है…

योगी राज में न्याय, जाटों पर हुए झूठे मुकदमे वापस

2013 में हुए मुजफ्फरगर दंगों में 60 लोग मारे गए थे और हजारों लोग बेघर हो गए थे। योगी सरकार की ओर से मुज़फ्फरनगर ज़िला प्रशासन को इन दंगों के दौरान जाटों पर दर्ज हुए झूठे मुकदमों को वापस लेने के लिखित आदेश दिए गए। ये मामले दंगा, आर्म्स एक्ट और डकैती के आरोपों के तहत दर्ज किए गए थे। 4500 से ज़्यादा लोग नामज़द और 1480 लोग गिरफ्तार हुए थे। एसआईटी की जांच में 54 मुकदमों में 418 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। सपा प्रत्याशी नादिम हसन ने बीजेपी सरकार द्वारा मुजफ्फरनगर दंगों में दर्ज हुए फर्जी मुकदमे वापस लेने का विरोध किया था।

कैराना में गुंडागर्दी बंद, मिली सुरक्षा, वापस लौटे लोग

2017 में योगी सरकार बनने के बाद कैराना में हालात पूरी तरह बदल गए हैं। आज पलायन करने वाले लोग फिर वापस लौट रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैराना में उन हिंदू परिवारों से मुलाकात की जिन्होंने एक समय कैराना छोड़ दिया था। सीएम से मुलाकात के दौरान एक शख्स ने कहा कि कैराना और शामली के बाजारों में जिन दुकानों को 25 लाख रुपये में बेच गए थे, आज उनकी कीमत 1 करोड़ रुपये तक हो गई है। कानून व्यवस्था सुधरने और सुरक्षा की गारंटी मिलने से ऐसा हुआ है। कैराना से पलायन करने वाले पीड़ितों से मुलाकात के बाद सीएम योगी ने मीडिया से बातचीत में  कहा कि जो परिवार यहां से गए थे, उनमें से ज्यादातर वापस आ चुके हैं। उनको भरोसा दिया गया था कि अपराध, अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी।

विकास के एक्सप्रेसवे पर दौड़ा पश्चिमी यूपी का जाटलैंड 

जाटलैंड में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, गंगा एक्सप्रेस-वे, आईटी पार्क, इलेक्ट्रॉनिक बस चार्जिंग स्टेशन का लोकार्पण और जेवर एयरपोर्ट, मेरठ में ध्यानचंद विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास, रक्षा गलियारे की आधारशिला और नोएडा में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी का निर्माण हो रहा है। बागपत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर होते हुए 12 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे के निर्माण का ऐलान क्षेत्र में बहुआयामी विकास की संभावनाओं को नए आयाम प्रदान कर रहा है।

गरीबों को बिना भेदभाव के योजनाओं का लाभ

योगी सरकार ने 43 लाख गरीबों को पक्के मकान, 2 करोड़ 61 लाख गरीबों को घरों में शौचालय, 1 करोड़ 56 लाख परिवारों को नि:शुल्क रसोई गैस कनेक्शन, 9 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने का कार्य किया है तो वृद्धावस्था पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा पेंशन की राशि को दोगुना कर वंचित तबके को बड़ी सहूलियत प्रदान की गई। सामाजिक न्याय की भावना को पोषित करती इन सभी योजनाओं का लाभ पश्चिमी यूपी के लाखों नागरिकों को भी मिला है, वह भी बिना किसी भेदभाव के।

गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान,लाभकारी मूल्य में वृद्धि

योगी सरकार में गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान प्राप्त हुआ है। भुगतान राशि पूर्व की बसपा सरकार द्वारा की गई धनराशि का तीन गुना और सपा सरकार से 1.5 गुना अधिक है। आकड़ों के मुताबिक बसपा और सपा की सरकारों ने 10 साल में जितना भुगतान गन्ना किसानों को किया, लगभग उतना योगी सरकार ने अपने साढ़े 4 साल में किया है। उत्तर प्रदेश में 45.74 लाख से अधिक गन्ना किसानों को 2017-2021 के बीच 1,56,508 करोड़ रुपये से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया गया है, जो सरकार के किसान समर्थक रुख को दर्शाता है। योगी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए बीते सालों में अभूतपूर्व काम किया है। हाल ही में गन्ना किसानों के लिए लाभकारी मूल्य को 350 तक बढ़ाया है।

महेंद्र प्रताप सिंह और मां शाकम्भरी देवी को मिला सम्मान

योगी सरकार ने राज्य सरकार द्वारा स्थापित सहारनपुर स्टेट यूनिवर्सिटी को मां शाकंभरी देवी को समर्पित करते हुए आम जनता की भावनाओं के अनुरूप उक्त विश्वविद्यालय का नाम शाकंभरी विश्वविद्यालय कर दिया है। ऐसे ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के निर्माण के लिए सैकड़ों बीघे जमीन समेत अनेक संसाधन दान स्वरूप मुहैया कराने वाले महान जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह इतिहास के पन्नों में दफ्न हो गए थे। ऐसे महान राष्ट्रभक्त के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धांजलि स्वरूप बीजेपी सरकार राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय बना रही है। इस तरह हाशिए पर पड़ी अस्मिता को सम्मान देने के प्रयासों ने बीजेपी को अन्य दलों से काफी आगे कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि जाट वोटों के ठेकेदार बनने वाले अजीत सिंह और जयंत चौधरी ने कभी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के त्याग और बलिदान को सम्मान देने के लिए संघर्ष नहीं किया।

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