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पीएम मोदी ने कहा ‘नेशन फर्स्ट’ ही हमारा मंत्र है और कर्म भी

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प्रखर राष्ट्रवादी, उत्कृष्ट संगठनकर्ता, एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आज वर्चुअल माध्यम से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नेशन फर्स्ट ही हमारा मंत्र है और यही हमारा कर्म भी है। उन्होंने कहा कि देश के किसान,  गरीब, श्रमिक और महिलाएं ही आत्मनिर्भर भारत के मजबूत स्तंभ हैं, इसलिए इनका आत्मसम्मान और आत्मगौरव ही, आत्मनिर्भर भारत की प्राण-शक्ति है और प्रेरणा हैं। इनको सशक्त करते ही भारत की प्रगति संभव है। उन्होंने कहा कि हमारा वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र साफ है। हम लोगों के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। Nation First यही हमारा मंत्र है, यही हमारा कर्म है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म-जयंती पर उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि आज हमारे बीच, ऐसे कम ही लोग हैं जिन्होंने दीनदयाल जी को जीते जी, देखा हो, सुना हो या उनके साथ काम किया हो। लेकिन उनका स्मरण, उनके बताए रास्ते, उनका दर्शन और उनका जीवन प्रति पल हमें पावन करता है, प्रेरणा देता है और ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने कहा कि वे दीनदयाल जी ही थे, जिन्होंने भारत की राष्ट्रनीति, अर्थनीति और समाजनीति को देश के अथाह सामर्थ्य के हिसाब से तय करने की बात मुखरता से कही थी और लिखी थी। 21वीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए, 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, आज जो कुछ भी हो रहा है, उसमें दीनदयाल जी जैसे महान व्यक्तित्व का बहुत बड़ा आशीर्वाद है।

आजादी के अनेक दशकों तक सिर्फ घोषणापत्र बनते रहे 

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश के किसान, श्रमिक भाई-बहन, युवाओं, मध्यम वर्ग के हित में अनेक अच्छे और ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। जहां-जहां राज्यों में हमें सेवा करने का मौका मिला है वहां-वहां इन्हीं आदर्शों को परिपूर्ण करने के लिए उतने ही जी जान से लगे हुए हैं। आज जब देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक-एक देशवासी अथक परिश्रम कर रहा है। तभी तो गरीबों को, दलितों, वंचितों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासी, मजदूरों को उनका हक देने का ऐतिहासिक काम हुआ है। आजादी के अनेक दशकों तक किसान और श्रमिक के नाम पर खूब नारे लगे, बड़े-बड़े घोषणापत्र लिखे गए। लेकिन समय की कसौटी ने सिद्ध कर दिया है कि वे सारी बातें कितनी खोखली थीं। किसान और श्रमिक के नाम पर देश और राज्यों में कई बार सरकारें बनीं लेकिन उन्हें मिला क्या? सिर्फ वादों और कानूनों का एक उलझा हुआ जाल। एक ऐसा जाल, जिसको ना तो किसान समझ पाता था और ना ही श्रमिक लेकिन देश इन बातों को भली-भांति जानता है। किसानों को ऐसे कानूनों में उलझाकर रखा गया, जिसके कारण वे अपनी ही उपज को, अपने मन मुताबिक बेच तक नहीं सकते थे। नतीजा ये हुआ कि उपज बढ़ने के बावजूद किसानों की आमदनी उतनी नहीं बढ़ी। हां, उन पर कर्ज जरूर बढ़ता गया।

उपज की रिकॉर्ड सरकारी खरीद सुनिश्चित की 

पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में NDA सरकार ने निरंतर इस स्थिति को बदलने का काम किया है। पहले लागत का डेढ़ गुना MSP तय किया, उसमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी की और रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की। बीते सालों में ये निरंतर प्रयास किया गया है कि किसान को बैंकों से सीधे जोड़ा जाए। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में कुल एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं। सरकार ने इस बात का भी प्रयास किया है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हो, उन्हें खेती के लिए आसानी से कर्ज उपलब्ध हो। पहले सिर्फ उसी किसान को KCC का लाभ मिलता था जिसके पास 2 हेक्टेयर जमीन हो। हमारी सरकार इसके दायरे में देश के हर किसान को ले आई है।

किसानो को अपनी उपज पर मिला सही हक 

UPA सरकार के पिछले 6 साल में किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा किसानों को करीब 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था। भाजपा सरकार के 5 वर्ष में किसानों को लगभग 35 लाख करोड़ रुपये KCC के माध्यम से दिए गए हैं। हमारे प्रयासों से देश के किसानों को बहुत मदद मिली है। अब दशकों बाद किसान को अपनी उपज पर सही हक मिल पाया है।

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