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महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के बीच खाई और बढ़ी, राहुल की रैली पर रोक के बाद शिवसेना ने सामना में कांग्रेस पर निशाना साधा, कांग्रेस की हालत जर्जर महल जैसी हो गई है !

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुंबई रैली को इजाजत न देना तो इशारा भर है, असल में महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना के बीच खाई बढ़ती जा रही है। वैसे भी यह दो असमान विचारधाराओं का बेमेल गठबंधन था। इस तरह के गठबंधनों की उम्र ज्यादा नहीं होती। अब शिवसेना ने सामना में कांग्रेस की जमकर आलोचना की है। कांग्रेस को ऐसी पार्टी बताया है, जिसके हाथ से मुस्लिम और दलित वोटर्स छूट चुके हैं और उसकी हालत एक जर्जर महल जैसी हो गई है।

मुस्लिम और दलित वोटर्स कांग्रेस के हाथ से छूटे
शिवसेना के मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि कांग्रेस की वर्तमान अवस्था गांव में जमींदारी गंवा चुके जर्जर महल की तरह हो रही है। ऐसा विश्लेषण शरद पवार जैसे नेता ने किया है। इसकी वजह से उनकी आलोचना हुई थी। मुस्लिम और दलित मतों की भरपूर जमा-पूंजी जमींदारी का फल था। इन्हीं मुस्लिम-दलितों की ‘नकदी’ के कारण कांग्रेस का महल मजबूत और आलीशान लगता था। आज ये दोनों खनखनाते सिक्के कांग्रेस की मुट्ठी से छूट गए और उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस का पतन हुआ है।राम की तुलना में बाबर की भक्ति में लीन रहे
सामना में आगे लिखा है कि मुसलमानों के मतों के लिए फालतू व्यर्थ दुलार न करने वाली शिवसेना को मुस्लिम समाज अपना माने, यह कांग्रेस जैसी सेकुलर पार्टी के लिए चिंतन का विषय है। राम की तुलना में बाबर की भक्ति में शासकों के लीन होने पर लोगों के असंतोष में विस्फोट हुआ और कांग्रेस उसमें जलने लगी। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है। शिवसेना ने आगे लिखा,’शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस ने पीड़ित मुसलमान महिला के अधिकार को खारिज कर दिया और शरीयत में न्यायालय ने हस्तक्षेप किया, ऐसा मानकर संविधान संशोधन किया। यह कुछ लोगों को नहीं जंचा, लेकिन मोदी सरकार ने बेखौफ होकर तीन तलाक विरोधी कानून बना कर पीड़ित मुसलमान महिलाओं को ढाढ़स दिया।अल्पसंख्यकों के चोंचलों को पूरा करना ही कांग्रेस की नीति
शिवसेना ने लिखा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में प्रियंका गांधी ने एक नया दांव खेला है, लेकिन वहां मुसलमान व दलित अखिलेश यादव, मायावती का साथ देते हैं तो सवर्ण बीजेपी के हिंदुत्ववाद के साथ हैं। कभी किसी समय देश में मुसलमान, दलित वोट बैंक की राजनीति होती थी और हिंदुओं के मन को नकार दिया जाता है, ऐसी भावना तीव्र थी। आज हिंदू वोट बैंक की राजनीति सफल हो रही है। कांग्रेस को सिर्फ मुसलमान और ईसाइयों की ही चिंता है। अल्पसंख्यकों के चोंचलों को पूरा करना यही कांग्रेस की नीति है, ऐसी सोच लोगों में आज भी मजबूती से बैठी हुई है। 

राहुल की 28 दिसंबर की मुंबई रैली को शिवसेना ने रोका
काबिले जिक्र है कि मुंबई के शिवाजी मैदान में 28 दिसंबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैली होने वाली थी, लेकिन ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए बृहन्मुंबई महानगर पालिक ने इस रैली को मंजूरी नहीं दी है। इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस के नेताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि बीएमसी में शिवसेना की सत्ता है और महाराष्ट्र में महाआघाड़ी की गठबंधन की सरकार है। इसमें शिवसेना और राकांपा के अलावा कांग्रेस भी शामिल है।

कांग्रेस रैली रोकने के खिलाफ हाईकोर्ट में गई
बावजूद इसके मुंबई में राहुल की रैली को लेकर दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में अपनी सहयोगी पार्टी के खिलाफ अदालत जाने का कांग्रेस का यह फैसला दोनों दलों के बीच फिर से टकराव खड़ा कर सकता है। अदालत ने यह याचिका स्वीकार कर ली है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप की ओर से दायर इस याचिका में राज्य सरकार, मुंबई पुलिस कमिश्नर, बीएमसी, बीएमसी कमिश्नर को पार्टी बनाया गया है। हालांकि, बीएमसी का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद से शिवाजी पार्क में सभी राजनीतिक सभा और रैली करने पर रोक है। यहां सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो सकता है। वह भी साल मे सिर्फ 3-4 दिन ही। याचिका में रैली का आयोजन शिवाजी पार्क में करने की अनुमति मांगी गई है।

राहुल के दौरे को ओवैसी ने उठाया था सवाल
इस दौरे को लेकर रविवार को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सवाल उठाया था। उनकी रैली रोकने के मुंबई पुलिस के फैसले के खिलाफ ओवैसी ने कहा था कि ओमीक्रॉन का खतरा आज है तो क्या जब राहुल गांधी आएंगे तो वो टल जाएगा? अगर ओमीक्रॉन का खतरा नहीं टलेगा तो क्या राहुल गांधी की रैली के वक्त भी धारा 144 लागू नहीं की जानी चाहिए? इसके जवाब में राज्य के गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा था,’धारा 144 का फैसला मुंबई पुलिस कमिश्नर का था।

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