उत्तर प्रदेश के सियासी संग्राम में बीजेपी को घेरने के लिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने जो रणनीति बनाई थी, उसमें वो खुद उलझते नजर आ रहे हैं। जैसे-जैसे चुनाव के चरण आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे सपा की रणनीति की पोल खुलती जा रही है। सपा को लग रहा था कि प्रदेश में उसकी लहर चल रही है। वो जहां से भी किसी को टिकट देगी, उसका उम्मीदवार खुशी से टिकट लेकर जीत जाएगा। लेकिन स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को जमीनी हकीकत पता है। इसलिए चुनाव के हर चरण में कहीं न कहीं से टिकट लौटाए जाने की घटना सामने आ रही है। सपा के विधायक अपना चुनाव क्षेत्र बदल रहे हैं। नए-नए साथी बने स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे दिग्गज नेता भी फाजिलनगर जैसे सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां तक कि सपा को कई सीटों पर 24 घंटे के अंदर ही टिकट बदलने पड़े हैं। इससे पार्टी से जुड़े नेताओं में आक्रोश बढ़ा है, तो दूसरी तरफ कार्यकर्ता भी ठगा महसूस कर रहे हैं।
लखनऊ की मलिहाबाद सीट से उम्मीदवार घोषित होने के बाद पूर्व सांसद सुशीला सरोज ने यह कहकर शीर्ष नेतृत्व की किरकिरी कराई कि उन्होंने संबंधित सीट से दावेदारी नहीं की थी। इसी तरह मंटेरा से सपा उम्मीदवार रमजान टिकट लौटाकर कांग्रेस के टिकट पर श्रावस्ती से मैदान में उतर गए। भदोही के ज्ञानपुर से सपा उम्मीदवार विनोद कुमार बिंद ने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। प्रयागराज पश्चिम में पहले अमरनाथ मौर्य और फिर ऋचा सिंह को टिकट दिया गया। सपा ने अचानक दस्यु ददुआ के पुत्र वीर सिंह पटेल को चित्रकूट की बजाय मानिकपुर विधानसभा सीट से टिकट दे दिया। लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार किया था। अखिलेश यादव के समझाने के बाद मानिकपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए।
सपा गठबंधन की गांठ हुई ढीली
सपा गठबंधन के बाहर और भीतर की हकीकत में बड़ा फर्क नजर आ रहा है। गठबंधन के कुछ प्रमुख नेता भीतरघात में लगे हुए हैं। अखिलेश के चाचा और प्रसपा के प्रमुख शिवपाल यादव अपने दिल का दर्द हर सभा में बयां कर रहे हैं। पार्टी कुर्बान करने के बावजूद महज एक सीट मिलने का उन्हें मलाल है। वे कहते फिर रहे हैं कि बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कहने पर सपा से गठबंधन किया, लेकिन उन्हें महज एक सीट मिली। शिवपाल यादव की करीबी और पूर्व मंत्री शादाब फातिमा ने बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरकर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर का टेंशन बढ़ा दिया है। राजभर मनाफिक सीटें आवंटित नहीं होने से नाराज है।
सपा के पुराने दिनों की आहट से डरी जनता
अखिलेश यादव ने जनता के सामने ‘नई हवा है, नई सपा है’ का जो नारा दिया था, वो टिकट वितरण के साथ ही दम तोड़ दिया। समाजवादी पार्टी ने फिर पुराने दबंग, गुंडा और माफिया को टिकट देकर बता दिया कि ‘नई सपा’ का नारा सिर्फ दिखावा है,वो मुलायम सिंह यादव की राह पर चल रही है। मेरठ दक्षिण सीट से उम्मीदवार आदिल चौधरी और कैराना से उम्मीदवार नाहिद हसन के समर्थकों द्वारा सबक सीखाने की धमकी से जनता को पुराने दिनों की आहट सुनाई देने लगी है। इससे जमीनी स्तर पर जनता भी अब सपा से दूर होती जा रही है।