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छोटे किसान डेयरी सेक्टर की असली ताकत, दुनिया के लिए एक मिसाल है भारत के डेयरी कॉपरेटिव का नेटवर्क : प्रधानमंत्री मोदी  

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी सोमवार को ग्रेटर नोएडा में आयोजित विश्व डेयरी सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने वर्ल्ड डेयरी समिट में किसान साथियों का भी स्वागत और अभिनंदन किया। प्रधानमंत्री ने पशुधन और दूध से जुड़े व्यवसाय को भारत की हजरों वर्ष पूरानी संस्कृति बताते हुए कहा देश की इस विरासत ने डेयरी सेक्टर को सशक्त किया है। उन्होंने इस सम्मेलन में दूसरे देशों से भाग लेने वाले एक्सपर्ट्स के सामने उन विशेषताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुनिया विश्व के अन्य विकसित देशों से अलग, भारत में डेयरी सेक्टर की असली ताकत छोटे किसान हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान “mass production” से ज्यादा “production by masses” की है। देश के छोटे किसानों के परिश्रम और उनके पशुधन की वजह से आज भारत पूरे विश्व में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है। आज भारत के 8 करोड़ से ज्यादा परिवारों को ये सेक्टर रोजगार मुहैया कराता है। भारत के डेयरी सेक्टर की ये Uniqueness आपको अन्य जगह पर शायद ही कहीं मिले। उन्होंने कहा कि भारत का डेयरी मॉडल विश्व के अनेक गरीब देशों के किसानों के लिए एक बेहतरीन बिजनेस मॉडल बन सकता है।

भारत डेयरी कॉपरेटिव का विशाल नेटवर्क

भारत के डेयरी सेक्टर की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर की इस खासियत को एक और Uniqueness से जबरदस्त सपोर्ट मिलता है। हमारे डेयरी सेक्टर की दूसरी विशेषता है, भारत का Dairy Cooperative सिस्टम। आज भारत में Dairy Cooperative का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है, जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है। ये डेयरी कॉपरेटिव्स देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में, करीब-करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती हैं, और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। इस पूरी प्रकिया में बीच में कोई भी मिडिल मैन नहीं होता, और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा सीधा किसानों की जेब में ही जाता है। भारत में हो रही डिजिटल क्रांति की वजह से डेयरी सेक्टर में ज्यादातर लेन-देन बहुत तेज गति से होने लगा है। मैं समझता हूं भारत की Dairy Cooperatives की स्टडी, उनके बारे में जानकारी, डेयरी सेक्टर में डेवलप किया गया डिजिटल पेमेंट सिस्टम, दुनिया के बहुत से देशों के किसानों के बहुत काम आ सकता है।

कठिन मौसम के अनुकूल स्थानीय नस्ल के पशुधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देसी नस्ल के पशुधन के बारे मे बताते हुए कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर की एक और बड़ी ताकत है, एक और Uniqueness है, वो देसी नस्ल के पशुधन। स्थानीय नस्लों के जो गाय और भैंस हैं वो कठिन से कठिन मौसम में भी Survive करने के लिए जानी जाती हैं। गुजरात की बन्नी भैंस इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। ये बन्नी भैंस कच्छ के रेगिस्तान और वहां की परिस्थितियों से ऐसी घुल-मिल गई है कि देखकर किसी को हैरानी हो सकती है। बन्नी भैंस रात में 10-10, 15-15 किलोमीटर दूर जाकर घास चरने के बाद भी सुबह अपने आप खुद घर चली आती है। ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि किसी की बन्नी भैंस खो गई हो या गलत घर में चली गई हो। इसी तरह गाय हो, उसमें गीर गाय, सहीवाल, राठी, कांकरेज, थारपरकर, हरियाणा, ऐसी ही कितनी गाय की नस्लें हैं, जो भारत के डेयरी सेक्टर को Unique बनाती हैं। भारतीय नस्ल के ये ज्यादातर पशु, Climate Comfortable भी होते हैं और उतने ही Adjusting भी।

महिलाएं हैं डेयरी सेक्टर का असली कर्णधान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के डेयरी सेक्टर के कर्णधारों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर की तीन Uniqueness बताई है, जो इसकी पहचान है। छोटे किसानों की शक्ति, कॉपरेटिव्स की शक्ति और भारतीय नस्ल के पशुओं की शक्ति मिलकर एक अलग ही ताकत बनती है। लेकिन भारत के डेयरी सेक्टर की एक चौथी uniqueness भी है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं हो पाती, जिसको उतना Recognition नहीं मिल पाता। विदेश से आए हमारे मेहमान संभवत: ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत के डेयरी सेक्टर में Women Power 70 परसेंट workforce का प्रतिनिधित्व करती है। भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलाएं हैं। इतना ही नहीं, भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स में भी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं, भारत में जो डेयरी सेक्टर साढ़े आठ लाख करोड़ रुपए का है, जिसकी वैल्यू धान और गेहूं के कुल प्रोडक्शन से भी ज्यादा है, उसकी Driving Force, भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं हैं। वर्ल्ड डेयरी समिट से जुड़े सभी महानुभावों से भारत की नारी शक्ति की इस भूमिका को Recognize करने, इसे विभिन्न वर्ल्ड प्लेटफॉर्म्स तक ले जाने का भी मैं आग्रह करूंगा।

पशुओं की लंपी बीमारी के लिए स्वदेशी वैक्सीन तैयार 

प्रधानमंत्री ने कृषि और पशुपालन को जोड़ने पर बल देते हुए कहा कि खेती के लिए मोनोकल्चर समाधान नहीं है, बल्कि विविधता बहुत आवश्यकता है। ये पशुपालन पर भी लागू होता है। इससे जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान की आशंकाओं को भी कम किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने पशुपालन के रास्ते में आने वाली चुनौतियों खासकर हाल में हुई लंपी बीमारी की वजह से हुई छति के बारे कहा बड़ा संकट पशुओं को होने वाली बीमारियों का है। कुछ समय में भारत के अनेक राज्यों में लंपी नाम की बीमारी से पशुधन की क्षति हुई है। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर केंद्र सरकार इसे कंट्रोल करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। हमारे वैज्ञानिकों ने Lumpy Skin Disease की स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार कर ली है। वैक्सीनेशन के अलावा जांच में तेजी लाकर, पशुओं की आवाजाही पर नियंत्रण रखकर उस बीमारी को काबू करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पशुओं का वैक्सीनेशन हो या फिर दूसरी टेक्नॉलॉजी, भारत पूरी दुनिया के डेयरी सेक्टर में कंट्रीब्यूट करने के लिए और सभी साथी देशों से सीखने के लिए हमेशा तत्पर रहा है।

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