क्राइम की खबरों को कवर करते समय भारतीय मीडिया किस प्रकार दोगलापन दिखाता है यह किसी से छिपा नहीं है। अक्सर अखबरों में छपने वाली क्राइम की खबरों में देखा जा सकता है अगर किसी मुस्लिम के साथ कोई घटना गघित होती है और आरोपी हिंदू होता है तो उसे हाईलाइट किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ अगर पीड़ित हिंदू है और आरोपी मुस्लिम है तो उसे गोल-मोल तरीके से छाप दिया जाता है। ऐसी ही बानगी कानपुर की एक घटना की रिपोर्टिंग से देखी जा सकती है। हाल ही में कानपुर में पिछड़ी निषाद जाति के हिंदू युवक की कुछ मुसलमानों ने निर्ममता के साथ हत्या कर दी थी। लेकिन अंग्रेजी के तमाम अखबारों ने इसमें मुस्लिम आरोपियों की पहचान को छिपाने की कोशिश की।
Muslim men brutally kill off a Hindu OBC Nishad
Otherwise religion & caste-obsessed ‘secular’ media conveniently buries the caste-identity of the victim from the headlines as the perpetrators are Muslims.@the_hindu @HindustanTimes @IndianExpress @timesofindia @ttindia pic.twitter.com/Qp5tjRkvJ8
— Press Chronicles (@PressChronicles) November 17, 2020
दि हिंदू अखबार ने अपनी हेडलाइन ही नहीं पूरी खबर में कहीं पर भी यह नहीं बताया कि मुसलमानों ने हिंदू युवक की हत्या की है। उसने सिर्फ यह लिखा की दो समुदायों के बीच झड़प में एक युवक की मौत हो गई।
इसी प्रकार हिंदुस्तान टाइम्स अखबार ने भी हत्या की इस घटना को दो गुटों की झड़प बताया और आरोपियों के मुसलमान होने की बात छिपाई साथ ही पीड़ित के हिंदू होने की बात भी नहीं छापी।
जब कुछ दिन पहले ही इस अखबार ने हिंदू आरोपी होने पर पीड़ितों की जाति को छापा था।
इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबारों ने भी क्राइम की रिपोर्टिंग करते समय हत्या की घटना को दो समुदायों की झड़प बता दिया और मूल खबर को गायब कर दिया
ऐसा अक्सर देखने में आता है कि एक खास समुदाय के लोगों के अपराधी होने पर मीडिया का एक धड़ा उसे छिपा लेता है। जबकि आरोपी हिंदू होने पर उसे हेडलाइन बना दिया जाता है।