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घोटाले दर घोटालेः जनता की गाढ़ी कमाई विज्ञापन से लेकर नेताओं के एशो आराम पर लुटाते रहे हैं केजरीवाल

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अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के कारनामे एक के बाद एक सामने आ रहे हैं। इससे केजरीवाल और उनकी पार्टी की कट्टर ईमानदारी तार-तार हो रही है। सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने घोटालों, विज्ञापनों और नेताओं के एशो आराम पर खूब पैसा लुटाया। यहां तक कि जनता के पैसे का इस्तेमाल पार्टी के प्रचार में लगाया। अब यही काम उनके गले की फांस बन रहा है। पिछले 9 सालों में क्लासरूम घोटाला, आबकारी घोटाला, विज्ञापन घोटाला, बस घोटाला, मार्शल घोटाला, मोहल्ला क्लीनिक घोटाला, शिक्षक नियुक्ति घोटाला, सैनिक स्कूल घोटाला जैसे अनगिनत घोटाले सामने आए। केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार की वजह से आज दिल्ली के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। ईमानदारी की कसम खाकर राजनीति में आई आम आदमी पार्टी आज लुटेरों का अड्डा बन चुकी है।

दिल्ली में विज्ञापन घोटाला : केजरीवाल ने डकार लिए 164 करोड़ रुपये

आम आदमी पार्टी ने 2015-2016 के दौरान सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापनों को प्रकाशित करवाया था, लेकिन अब उनकी चोरी पकड़ी गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्य सचिव को राजनीतिक विज्ञापनों के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था। वित्त वर्ष 2022-2023 में पुनर्मूल्यांकन के बाद आंकड़ा बढ़ा और ब्याज आदि मिलाकर 163,61,88,265 रुपये पहुंच गया। जिसके बाद दिल्ली सरकार के ही डीआईपी यानी डायरेक्टरेट ऑफ इनफॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी सचिव ने अरविंद केजरीवाल को करीब 164 करोड़ रुपये का रिकवरी नोटिस जारी किया है। अगर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल तय समय तक रकम का भुगतान नहीं करेंगे तो आम आदमी पार्टी की संपत्तियां भी कुर्क की जा सकती हैं।

काम से कई गुना ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च, कहां से आता है केजरीवाल के पास इतना पैसा- यादव

दिल्ली से लेकर पंजाब और अब बिहार तक में नेताओं ने विज्ञापन वाली आप सरकार की आलोचना की है। बिहार की जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री काम तो मुश्किल से 40 करोड़ रुपये का करते हैं, लेकिन इसके विज्ञापन पर 400 करोड़ रूपये खर्च कर देते हैं। समझ में नहीं आता कि उनके पास इतना पैसा आता कहां से है। यादव ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जब भी गुजरात जाते हैं तो 40 लाख रुपये पंजाब का खर्च करवाते हैं।

एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपये विज्ञापनों पर फूंके- कुमार

कांग्रेस नेता अजोय कुमार ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर अखबारों और चैनलों को करोड़ों के विज्ञापन देने के नाम पर हमला बोला था। कांग्रेस नेता कुमार ने कहा कि साल 2015 में AAP ने टीवी और अखबारों को 81 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। जबकि 2017-18 में 117 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। वहीं, 2019 में पार्टी ने 200 करोड़ और 2021-22 में 490 करोड़ रुपये के आसपास का विज्ञापन दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार ने अब तक विज्ञापन पर 1200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

68 लाख के काम के लिए विज्ञापन पर खर्च 23 करोड़ रुपये

दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो राजधानी में किसी भी नागरिक के गले नहीं उतर रहा। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पराली की समस्या को दूर करने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में बायो डी-कंपोजर छिड़काव पर दो साल में सिर्फ 68 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अपना नाम चमकाने के लिए इस दौरान विज्ञापन पर 23 करोड़ रुपए फूंक डाले। जबकि इस योजना से सिर्फ 955 किसानों को ही फायदा मिला।

2020-21 में खर्च किए 490 करोड़ रुपये

दिल्ली के 3 करोड़ लोगों के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 2021-22 में 488.97 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया। केजरीवाल चुनाव के दौरान विज्ञापन पर कम खर्च करने का दावा तो करते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार ने कोरोना काल की महामारी के दौरान हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आ चुकी है। न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए पूछा था कि दिल्ली सरकार द्वारा एक मार्च 2020 से 30 जुलाई 2021 तक विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं? इसके जवाब में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बताया कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

साल 2021 में दिवाली पूजा के नाम पर 15 करोड़ खर्च किए

साल 2021 में पूजा के लिए दिल्ली सरकार ने 15 करोड़ खर्च किए लेकिन इनमें से सिर्फ तीन करोड़ रुपये पूजा में खर्च किए गए जबकि 12 करोड़ रुपये पूजा का मीडिया पर लाइव टेलीकास्ट करने के लिए तमाम मीडिया वालों को दिए गए। यानी पूजा को भी उन्होंने एक इवेंट बना दिया और मीडिया प्रचार पर पैसे लुटाए। पैसे लुटाने के इस खेल में केजरीवाल ने दोस्ती भी जमकर निभाई। उन्होंने इस इवेंट का ठेका विजक्राफ्ट कंपनी को दिया जो कि उनके ईसाई दोस्त सब्बास जोसफ की कंपनी है।

वर्ष 2020 में दिवाली पूजा पर 6 करोड़ खर्च हुए

वर्ष 2020 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा और उसके लाइव टेलीकास्ट कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एक आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने आरटीआई के जरिये यह जानकारी जुटाई थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार और अरविंद केजरीवाल द्वारा 14 नवंबर, 2020 को किए गए लक्ष्मी पूजा आयोजन और लाइव टेलीकास्ट पर करदाताओं के पैसे के 6 करोड़ खर्च कर दिए। साकेत गोखले ने कहा कि 30 मिनट की इस पूजा पर कुल 6 करोड़ खर्च, मतलब प्रति मिनट 20 लाख रुपये किए गए। दिवाली की रात मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके कैबिनेट मंत्रियों द्वारा दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में अपने जीवनसाथियों के साथ भाग लेने वाले मेगा इवेंट का लाइव टेलीकास्ट किया गया था।

शराब घोटाले और सत्येंद्र जैन का केस लड़ने के लिए वकीलों पर खर्च किए 28 करोड़ रुपये

मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्री अपनी अय्याशी पर करोड़ों रुपये लूटा रहे हैं। घोटालों से बचने के लिए जनता के पैसे पर महंगे वकीलों की सेवाएं लेते हैं और केस लड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। इसी कड़ी में एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ। सूत्रों के मुताबिक शराब घोटाले और जेल में बंद सत्येंद्र जैन का केस लड़ने के लिए दिल्ली सरकार 18 महीने के दरम्यान वकीलों की फीस के रूप में कुल 28.10 करोड़ रुपये लुटा चुकी है।

सत्येंद्र जैन का केस लड़ने के लिए वकील राहुल मेहरा को 5.30 करोड़ रुपये मिले

मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार मामले में तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के मामलों में अक्सर पेश होने वाले एक अन्य वकील राहुल मेहरा को 5.30 करोड़ रुपये मिले। दिल्ली सरकार की व्यय सूची में दिखा गया है कि 2020-21 में मेहरा को 2.4 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। इसके बाद 2021-22 में भुगतान अचानक बढ़कर 3.9 करोड़ रुपये हो गया। 2022-23 में 1.3 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है। सत्येंद्र जैन को 30 मई, 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।

इलाज पर केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने सरकारी खजाने से लुटाये 76 लाख रुपये

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने इलाज के नाम पर सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये लुटाए। यह राशि सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपने और अपने परिवार के इलाज पर खर्च किए। आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने 11 जून 2022 को एक ऑनलाइन आरटीआई आवेदन दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दाखिल की थी। इसमें वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2022 के मध्य मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के 6 अन्य मंत्रियों के इलाज पर खर्च किए गए सरकारी धन की जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद आरटीआई से जो जवाब मिला, उससे सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों के बारे में चौंकाने वाली जानकारी मिली।

‘फ़रिश्ते दिल्ली के’ में घोटाला, आरटीआई से नहीं मिला लाभार्थियों का ब्यौरा

केजरीवाल सरकार ने अक्टूबर 2019 में ‘फ़रिश्ते दिल्ली के’ नाम से एक योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य था रास्तों पर होने वाली दुर्घटना में घायल लोगों की जान बचाना। इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञापन पर काफी खर्च किए गए। लेकिन यह योजना भी घोटालों की भेंट चढ़ गई है। आरटीआई के जरिए जब इस योजना के लाभार्थियों और उस पर हुए खर्च के बारे में जानकारी मांगी गई, तो आधी-अधूरी जानकारी दी गई। कुछ सवालों के जवाब के लिए स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग से संपर्क करने को कहा गया। जब दिल्ली के कई पुलिस थानों में इस योजना से संबंधित जानकारी के लिए संपर्क किया गया, तो थानों ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी। जबकि केजरीवाल सरकार ने 2020 में कहा था कि इस योजना के तहत अभी तक लगभग 7 करोड़ से ज़्यादा रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर की नियुक्ति में बड़ा घोटाला

वर्ष 2022 में दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर की नियुक्ति में हेराफेरी का मामला सामने आया। कई शिक्षकों के स्कूल में नाम नहीं हैं फिर भी सैलरी बांटी गई। इस गोरखधंधे को लेकर उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इंटरनल इनक्वायरी का आदेश दिया था। जांच के लिए उपराज्यपाल सचिवालय ने चीफ सेक्रेटरी को एक लेटर लिखा। इसमें फर्जी गेस्ट टीचर्स के नाम पर सैलरी गबन करने के मामले की भी जांच की जाएगी। सरकारी स्कूलों में नियुक्त किए गए गेस्ट टीचर्स की फिजिकल अटेंडेंस और सैलरी निकासी की स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई।

शिक्षकों के स्कूल में नाम नहीं फिर भी सैलरी बांटी गई

दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति प्रक्रिया पर अब सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में किए गए एक ऑडिट में हेराफेरी का मामला सामने आया है। इसमें पाया गया कि दिल्ली के मानसरोवर पार्क के सीनियर सेकेंडरी स्कूल (GBSSS-I) में गेस्ट टीचर्स के नाम पर तीन लोगों को 4 लाख 21 हजार रुपए सैलरी दी गई, जबकि इनकी नियुक्ति इस स्कूल में थी ही नहीं। सक्सेना ने पैसे के गबन के मामले में दिल्ली सरकार के एक स्कूल के चार वाइस प्रिंसिपल के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।

भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा शहीद भगत सिंह सैनिक स्‍कूल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 27 अगस्त, 2022 को दिल्ली के झरोदा कलां में शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी स्कूल का उद्घाटन किया। यह दिल्ली का पहला सैनिक स्कूल है। लेकिन इस स्कूल के खुलने की पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। केजरीवाल सरकार ने अपनी ही आम आदमी पार्टी की नेता श्रीशा राव को कंपनी खुलवाकर ठेका दे दिया। हैरानी की बात यह है कि अभी कंपनी के खुले हुए दो महीने भी नहीं हुए थे और कंपनी के पास सैनिक स्कूल के प्रबंधन का कोई अनुभव भी नहीं था, फिर भी दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की मेहरबानी से सरकारी खजाने को लूटने का ठेका मिल गया।

2000 करोड़ का शिक्षा घोटाला, एक कमरे की लागत में 24 लाख रुपये

कुछ समय पहले दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया का एक घोटाला सामने आया था। ये घोटाला स्कूलों के निर्माण से जुड़ा है। दरअसल एक आरटीआई में ये खुलासा हुआ है कि एक स्कूल का कमरा 24,85,323 रुपए में बनाया गया है। आरटीआई से पता चला है कि 312 कमरे 77,54,21,000 रुपये में और 12748 कमरे 2892.65 करोड़ रुपये में बनाए गए हैं। लोग केजरीवाल और सिसोदिया से ये सवाल पूछ रहे हैं कि एक कमरे की लागत में 24 लाख रुपये कैसे हो सकती है। क्या केजरीवाल जी ने कमरे में सोने की टाइल्स लगवाईं हैं?

श्रमिकों के नाम पर घोटाला, 2 लाख पंजीकृत कामगार फर्जी मिले

दिल्ली सरकार ने 2021 में भी नवंबर माह में वायु प्रदूषण के कारण निर्माण गतिविधियों को बंद कर दिया था। इस कारण इन श्रमिकों की आजीविका में आई रुकावट के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने हर पंजीकृत निर्माण श्रमिक को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान किया था। लेकिन निर्माण श्रमिकों को मदद पहुंचाने के नाम पर भी घोटाला कर लिया गया। दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड (DBOCWWB) के कामकाज में कथित अनियमितताओं की शुरुआती जांच में पाया गया है कि इसके साथ रजिस्टर्ड करीब दो लाख निर्माण मजदूर फर्जी हैं। इस योजना के तहत एक मजदूर को 5000 रुपये दिए जाने थे। अगर फर्जी मजदूर 2 लाख हैं तो इस हिसाब से यह 100 करोड़ रुपये का घोटाला है।

बिजली सब्सिडी के नाम पर 10 हजार करोड़ का घोटाला

अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने 2019 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बिजली कंपनियों को 10 हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 200 यूनिट बिजली सब्सिडी देने के नाम पर में बड़े घोटाले को अंजाम दिया है जिसकी सीबीआई जांच करना जरूरी है। पूर्व ऊर्जा मंत्री हारून यूसुफ ने कहा कि निजी बिजली कंपनियों को 8532 करोड़ रुपए की सब्सिडी देना आपने आप में एक बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली से ये वादा किया था कि सब्सिडी सीधे उनके खाते में डाली जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आखिर क्या वजह है कि उपभोक्ताओं के खाते में सब्सिडी की राशि नहीं दी जा रही है।

केजरीवाल के कुछ अन्य घोटालों पर एक नजर-

सीएनजी घोटाला

समाचार पोर्टल टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 10,000 कारों में जो सीएनजी किट लगावाए हैं, वो फर्जी कंपनी ने तैयार किए हैं। ये सारे सीएनजी किट 10 महीनों के भीतर कारों में फिट किए गए थे। सबसे बड़ी बात ये है कि फर्जी सीएनजी किट कंपनी को इसका ठेका ऑड-इवन के फौरन बाद दिया गया था। जाहिर है कि इसके समय को लेकर भी दिल्ली सरकार की मंशा संदेहों से परे नहीं है। अपने आरोपों के समर्थन में कपिल ने कुछ दस्तावेज भी दिखाए।

पीडब्ल्यूडी घोटाले में केजरीवाल का रिश्तेदार गिरफ्तार

पीडब्ल्यूडी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के साढू सुरेन्द्र बंसल के बेटे विनय बंसल को एसीबी ने गिरफ्तार किया था। मुख्यमंत्री के रिश्तेदार पर जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से ठेके लेने और उसके लिए जाली बिल बनाकर सरकारी खजाना लूटने का आरोप का आरोप है। इस मामले में एसीबी ने तीन एफआईआर दर्ज की थी। जिनमें से एक सुरेंद्र बंसल की कंपनी के खिलाफ थी।

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता

जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई। यह अनियमितता आउटसोर्स या कांट्रेक्ट पर रखे गए कर्मचारियों से जुड़ी है। स्वास्थ्य विभाग में 15 हजार कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा, लेकिन ठेकेदार ने इन कर्मचारियों को ईपीएफ (इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड), इंश्योरेंस और बोनस का लाभ नहीं दिया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और ठेकेदारों के बीच साठ-गांठ के जरिए हजारों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। इतना ही नहीं कामगारों का शोषण भी किया गया।

दवा घोटाला

केजरीवाल सरकार ने अपनी मोहल्ला क्लीनिक का खूब ढिंढोरा पीटा है। वो दावा करते रहे हैं कि गरीब जनता के स्वास्थ्य के ख्याल से उठाया गया ये कदम बहुत फायदेमंद साबित होगा। लेकिन अब पता चल रहा है कि केजरीवाल और उनके गैंग के लोग भले ही इसका फायदा उठा रहे हों, उनकी गंदी नीयत के चलते अब गरीबों की जान पर बन आई है। इसका खुलासा तब हुआ जब 1 जून, 2017 को एसीबी ने दवा प्रोक्योरमेंट एजेंसी के ताहिरपुर, जनकपुरी और रघुवीर नगर स्थित सेंटर के गोदामों पर छापा मारा। एसीबी को यहां से भारी मात्र में एक्सपाइरी मेडिसिन के साथ दवाओं की खरीद-फरोख्त के बिल भी मिले हैं। ये दवा घोटाला करीब 300 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि विवादित सीएम ने अपने खासम-खास और कई घोटालों के आरोपी स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के दबाव में ही दवाई खरीदने का काम मेडिकल सुपरिन्टेंडेन्ट से छीनकर, सेन्ट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी को दे दिया था। यानी लूट के लिए ऊपर से नीचे तक पूरी तैयारी की गई थी।

मोहल्ला क्लिनिक घोटाला

दिल्ली में आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक वैसे तो लोगों की सुविधाओं के लिए बनाया गया, लेकिन मोहल्ला क्लीनिक की हालत ही ठीक नहीं है। विजिलेंस विभाग इसमें धांधली की जांच कर रहा है। विजिलेंस की जांच का दायरे में दो मुख्य आरोप हैं।

मोहल्ला क्लीनिक परिसर का किराया बाजार किराए से ज्यादा क्यों है?
पार्टी कार्यकर्ताओं के परिसर किराए पर क्यों लिए गए?

आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता अपने मकान को बाजार दर से दो से तीन गुना ज्यादा किराये पर मोहल्ला क्लीनिक को दिए हुए हैं। इस तरह से मोहल्ला क्लीनिक खोलने में आम आदमी पार्टी के नेताओं को जमकर फायदा पहुंचाया गया है.दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का आरोप है कि मोहल्ला क्लिनिक एक बड़ा घोटाला है। माकन ने आरोप लगाया कि ये क्लिनिक ‘आप’ कार्यकर्ताओं की बिल्डिंगों में चलाए जा रहे हैं। उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए मार्केट से कई गुना ज्यादा किराया दिया जा रहा है।

‘टॉक टू ए के’ घोटाला

मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। आरोपों के अनुसार सिसोदिया ने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था।

बीआरटी कॉरीडोर तोड़ने का घोटाला

केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में बीआरटी कॉरीडोर को तोड़ने के लिए दिए गए ठेके में भी धांधली का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार इस मामले में दिल्ली सरकार ने ठेकेदार को तय रकम के अलावा कंक्रीट और लोहे का मलबा भी दे दिया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। इस मामले में पिछले साल एसीबी छापेमारी करके कुछ दस्तावेज भी जब्त कर चुकी है।

स्ट्रीट लाइट घोटाला

आम आदमी पार्टी नेता राखी बिड़लान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोपों के अनुसार उन्होंने मंगोलपुरी में 15 हजार की सोलर स्ट्रीट लाइट को एक लाख रुपये और 10 हजार में लगने वाली सीसीटीवी कैमरों पर सरकार के 6 लाख रुपये उड़ा दिए। जब आम आदमी पार्टी में केजरीवाल की मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है तो फिर राखी पर लगे आरोपों की सही जांच होने देने से किसने रोका है ?

संसदीय सचिव घोटाला ?

13 मार्च, 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया। ये जानते हुए भी कि यह लाभ का पद है, उन्होंने ये कदम उठाया। दरअसल उनकी मंशा अपने सभी साथियों को प्रसन्न रखना था। उनका इरादा अपने विधायकों को लालबत्ती वाली गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाओं से लैस करना था, ताकि उनके ये भ्रष्ट साथी ऐश कर सकें। लेकिन कोर्ट में चुनौती मिली तो इनकी हेकड़ी गुम हो गई। हालांकि केजरीवाल सरकार ने ऐसा कानून भी बनाने की कोशिश कि जिससे संसदीय सचिव का पद संवैधानिक हो जाए। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से मजबूर होकर ये फैसला निरस्त करना पड़ा। अब इन विधायकों की सदस्यता खत्म की जा चुकी है।

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