देश में एक ऐसा ‘गैंग’ सक्रिय है, जो देश को आत्मनिर्भर बनाने वाली स्वदेशी कंपनियों के खिलाफ मुहिम चलाता है और लोगों को उनके बहिष्कार के लिए भड़कता है। यह ‘गैंग’ खासकर उन कंपनियों को निशाना बनाता है, जो किसी-न-किसी रूप में राष्ट्रीय भावना और देशप्रेम को प्रदर्शित करती है। यह ‘गैंग’ विदेशी सरकारों और कंपनियों के इशारे पर स्वदेशी कंपनियों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाता है, ताकि लोगों में उनकी विश्वसनीयता को खत्म किया जा सके और अपने खास एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके। पतंजलि के बाद अब इस स्वदेशी विरोधी गैंग के निशाने पर विश्व की टॉप 20 डेयरी कंपनियों की सूची में शामिल अमूल कंपनी है।
दरअसल जिस तरह अमूल कम्पनी अपने विज्ञापनों के माध्यम से देश की तरफदारी करती है इससे एक खास ‘गैंग’ को परेशानी हो रही है। इनमें ‘इंडिया टुडे’ के पूर्व इनपुट हेड रहे रिफत जावेद भी शामिल है। उन्होंने अमूल पर इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने वाले टीवी चैनलों को विज्ञापन देने का आरोप लगाया है। उन्हें समस्या है कि अमूल कम्पनी ‘रिपब्लिक भारत’ और ‘सुदर्शन टीवी’ को विज्ञापन क्यों दे रही है?
Time to boycott @Amul_Coop. Its support to Islamophobia is nauseating! The brand is well within its right to sponsor bloodthirsty TV channels, we too are free to boycott Amul. What a fall from grace! #BoycottAmul
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) August 29, 2020
हालांकि इस ‘गैंग’ को इस्लामोफोबिया से कोई लेना-देना नहीं है। इन्हें समस्या है कि अमूल कम्पनी सर्जिकल स्ट्राइक के समर्थन में विज्ञापन क्यों बनाती है? इस जमात को समस्या है कि अमूल कम्पनी ‘चीनी कम्पनियों’ के बहिष्कार पर विज्ञापन क्यों बनाती है? आखिर ये माइंडसेट क्या कहता है कि जब भी कोई कंपनी भारत के हित की बात करती है ये ‘गैंग’ नाक-मुंह सिकुड़ता हुआ अपने असली रंग में आ जाता है। सोशल मीडिया पर #BoycottAmul जैसा ट्रेंड चलाने लगता है।
इन पोस्टरों से स्पष्ट है कि इस ‘गैंग’ को विज्ञापन से ज्यादा अमूल की देशभक्ति से परेशानी है। इसके अलावा अमूल प्रोडक्ट्स के विरोध के पीछे इन लोगों की मानसिकता में जहर घुला हुआ है क्योंकि यह जानते हैं कि अमूल गुजरात का ब्रांड है और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खासी दिलचस्पी अमूल की सफलता में रही है। प्रधानमंत्री अक्सर अमूल की सफलता के किस्से उद्यमियों को सुनाते रहे हैं और गुजरात का ब्रांड व प्रधानमंत्री मोदी का विशेष लगाव अमूल से होने के चलते ही अमूल डेयरी प्रोडक्ट के खिलाफ ये लोग मुहिम चला रहे हैं।
अमूल से इन्हें नफरत इसलिए है क्योंकि अमूल प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में मील का पहला पड़ाव है और अभी आगे इस अभियान के लिए लंबी लड़ाई बाकी है। 1946 में बनी अमूल कंपनी गुजरात की लाखों परिवारों को रोजी रोटी कमाने का मौका देती है, अमूल के लिए विशेष तौर पर लाखों महिलाएं प्रतिदिन काम करती हैं और इसलिए अमूल कंपनी प्रधानमंत्री मोदी की नजरों में विशेष दर्जा रखती है।
एक खास एजेंडे तहत किए जा रहे इस बहिष्कार की धज्जियां उड़ाने के लिए भी लोग सामने आए हैं। अमूल के समर्थन में ट्रैंड चलाकर इस ‘गैंग’ को मुंहतोड़ जवाब दिया है।
So liberals want to Boycott Amul .
Like Hell !
We love Amul #IndiaLovesAmul #wesupportAmul pic.twitter.com/E4GbvXCiQz— Naina ?? (@NaIna0806) August 29, 2020
जो लोग अमूल दूध पी पी कर बड़े हुए हैं वो इस तरह की बकवास कर रहे हैं..
ये लोग तैमूरलंग के खानदानी हैं जिसने अपनी मां को ही मार डाला था..
पूरी दुनियां के विनाशक मजहब के लोग मिलकर भी अमूल का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते..#We_Suppurt_Amul— सूदन सुमन कुमार (@Sudan_Suman_Kr) August 30, 2020
Jamaat is pressuring @Amul_Coop to cancel their advertising contract with Sudarshan ..
This trending Boycott Amul..Hope amul doesn’t bow down to this threat!
We live in polarised times & corporates need to make very sane choices!
Boycott can be either way
Respect all customers!— Ritu (सत्यसाधक) #EqualRightsForHindus (@RituRathaur) August 29, 2020
खून पीने वाले दूध ना पीने की बात करते अच्छे नहीं लगते इनके बहिष्कार का कोई असर नहीं होगा अमूल पर क्यूंकि
“अमूल दूध पीता है इंडिया”
और ये लोग भारत से संबंध ही नहीं रखते।— VIKAS (@VikasVerma0408) August 30, 2020