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पीएम मोदी की अपील पर स्वच्छता के लिए श्रमदान करने में बना रिकॉर्ड, साफ-सफाई के लिए जुड़े 8.75 करोड़ लोग, 9 लाख से अधिक स्थलों की हुई सफाई

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जनता के बीच का रिश्ता अटूट है। दोनों एक-दूसरे पर पूरा भरोसा करते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी की अपील का काफी व्यापक असर होता है। जनता उनके अपील को सर-आंखों पर लेती है और उसे जन आंदोलन में बदल देती है। चाहे स्वच्छता मिशन हो या कोरोना महामारी के दौरान ताली-थाली बजाना हो, जब-जब प्रधानमंत्री मोदी ने आह्वान किया, जनता ने उनका भरपूर साथ दिया। इसी तरह 1 अक्टूबर की सुबह दस बजे एक नया इतिहास रचा गया। ‘एक तारीख एक घंटा एक साथ’ अभियान को जनता का व्यापक समर्थन मिला। करोड़ों लोगों ने श्रमदान कर लाखों स्थानों को साफ-सुथरा बनाकर रिकॉर्ड बना दिया। इसमें सरकारी, गैर-सरकारी, सामाजिक, धार्मिक, व्यावसायिक संगठनों के स्वंयसेवकों, कार्यकर्ताओं और सदस्यों ने अपना योगदान दिया।

9 लाख स्थानों पर 8.75 करोड़ लोगों की भागीदारी

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने 1 अक्टूबर की सुबह 10 बजे एक घंटे के लिए ‘स्वच्छता के लिए श्रमदान’ करने की अपील की थी। इस कार्यक्रम को लेकर जनता में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आयोजित इस मेगा स्वच्छता अभियान में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, गांवों और शहरों की भागीदारी देखी गई। साफ-सफाई के इस कार्यक्रम में 8.75 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया। जनता की सामूहिक भागीदारी से 9 लाख से अधिक स्थलों को साफ-सुथरा भी बनाया गया। इसके तहत सड़कों, राजमार्गों और टोल प्लाजा, रेलवे ट्रैक और स्टेशनों, टोल प्लाजा, स्वास्थ्य संस्थानों, आंगनवाड़ी केंद्रों, विरासत और पर्यटक स्थानों, आवासीय कॉलोनियों, जल निकायों, पूजा स्थलों, मलिन बस्तियों, बाजार क्षेत्रों, हवाई अड्डों और आसपास के क्षेत्रों, चिड़ियाघर और वन्यजीव क्षेत्र, गौशालाएं आदि में सफाई अभियान चलाया गया।

अभियान को सफल बनाने में हर वर्ग और संस्था की भागीदारी 

इस स्वच्छता अभियान ने देश, पंचायतों, नगर पालिकाओं, जिलों और राज्य की सीमाओं से आगे बढ़कर एकजुट करने का कार्य किया। इसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मंत्री, नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, आम लोग शामिल हुए। इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वयंसेवकों, एसएचजी, गैर सरकारी संगठनों, आरडब्ल्यूए, बाजार संघों, उद्योग निकायों, धार्मिक नेताओं, मशहूर हस्तियों, प्रभावशाली लोगों, यूट्यूबर्स, कलाकारों आदि ने मिलकर काम किया। इसमें युवाओं और बुजुर्गों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सुलभ इंटरनेशनल सामाजिक सेवा संगठन, माता अमृतानंदमयी के आश्रमों, अमृता संस्थानों के समूह, ईशा फाउंडेशन, बाबा रामदेव योगपीठ, इस्कॉन, वक्फ बोर्ड, गुरुद्वारा स्वयंसेवक, रोटरी क्लब, आगा खां फाउंडेशन, रामकृष्ण मिशन जैसे संगठनों ने भी भागीदारी की। बीएमजीएफ, यूएसएआईडी, यूनिसेफ, जीआईजेड जैसे सेक्टर भागीदारों ने भी स्वच्छता अभियान में हिस्सा लिया।  

अभियान को सफल बनाने के लिए की गई थी व्यापक तैयारियां

इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर व्यापक तैयारियां की गई थीं। कूड़ा-कचरे के प्रति संवेदनशील स्थलों की पहचान की गई थी और उन्हें पोर्टल पर अपलोड किया गया था। इससे जनता को अपनी पसंद की साइटों को चुनने और उनमें शामिल होने में मदद मिली। एक ही समय में लाखों स्थलों पर श्रमदान स्वयंसेवकों को सहज सुविधा उपलब्ध हुई। लोगों को श्रमदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पोर्टल पर तस्वीरें अपलोड़ करने की सुविधा भी दी गई थी ताकि लोग अपनी तस्वीरें भी अपलोड कर सके और भागीदारी का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सके। लोगों में स्वच्छता का संदेश देने के लिए स्थानीय अंतर-व्यक्तिगत संचार, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और संचार के अन्य नवीन साधनों का पूरा इस्तेमाल किया गया था।

2026 तक कचरा मुक्त भारत बनाने का सपना होगा साकार

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी पिछले नौ वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन को जारी रखने के लिए नई-नई पहल करते रहे हैं। इसी कड़ में उन्होंने 30 सितंबर, 2023 को सोशल मीडिया में पोस्ट कर ‘स्वच्छता ही सेवा’अभियान में भाग लेकर एक घंटे श्रमदान करने की अपील की थी। उन्होंने अभियान के संबंध में ‘एक तारीख, एक घंटा, एक साथ’ का नारा दिया था। इससे पहले मन की बात के 105वें एपिसोड में प्रधानमंत्री मोदी ने 1 अक्टूबर की सुबह 10 बजे स्वच्छता के लिए एक घंटे का श्रमदान करने की अपील करते हुए कहा कि बापू की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें ‘स्वच्छांजलि’ दी जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी की पहल का परिणाम है कि एक ही घंटे में इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने एक साथ आकर दुनिया में अपनी तरह का अनोखा प्रयास किया। प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और जनता की भागीदारी से 2026 तक कचरा मुक्त भारत बनाने का सपना साकार होगा।  

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