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मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया की जबरदस्त कामयाबी, जून में UPI के जरिए रिकॉर्ड 2.26 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन

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मोदी सरकार डिजिटल इंडिया अभियान को जबरदस्त कामयाबी मिली है। कोरोना महामारी के दौरान रुपये के ऑनलाइन लेनदेन और पेमेंट में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार यूपीआई पर भुगतान जून में रिकॉर्ड 1.34 अरब लेनदेन तक पहुंच गया। यह मई महीने के 1.23 अरब लेनदेन के मुकाबले 8.94% अधिक है।

एनपीसीआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो जून महीने में एकीकृत भुगतान इंटरफेस यानि यूपीआई से ट्रांजेक्शन ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। एनपीसीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यूपीआई पर भुगतान जून में रिकॉर्ड 1.34 अरब लेनदेन तक पहुंच गया। इतना ही नहीं इस दौरान लगभग 2.62 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए। बता दें कि यूपीआई एक अंतर बैंक फंड ट्रांसफर की सुविधा है, जिसके जरिए स्मार्टफोन पर फोन नंबर और वर्चुअल आईडी की मदद से पेमेंट की जा सकती है।

आंकड़ों के मुताबिक मई, 2020 के 1.23 अरब लेनदेन के मुकाबले जून में 8.94 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे पहले अप्रैल में कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में यूपीआई लेनदेन घटकर 99.95 करोड़ रह गया था और इस दौरान कुल 1.51 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए। बताया जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को खोलने के बाद ऑनलाइन भुगतानों में मई से धीरे-धीरे बढ़ोतरी हुई। एनपीसीआई के आंकड़ों के मुताबिक मई में यूपीआई लेनदेन की संख्या 1.23 अरब थी, इसके बाद जून में लेनदेन की संख्या अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

आपको बता दें कि एनपीसीआई-रूपे कार्ड, तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस), यूपीआई, भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम), भीम आधार, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीजी फास्टटैग) और भारत बिलपे जैसे खुदरा भुगतान उत्पादों के माध्यम से भुगतान की सुविधा प्रदान करता है।

एक नजर डालते हैं कोरोना काल में बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था पर- 

भारतीय अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, कृषि क्षेत्र से लेकर विदेशी मुद्रा भंडार तक वृद्धि के संकेत
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मोदी सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया था, जिसकी वजह से कुछ समय के लिए अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई। लेकिन कई चरणों में अनलॉक की प्रक्रिया शरू होते ही आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आई। मोदी सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए त्वरित नीतिगत कदमों से अर्थव्यवस्था में नयी शक्ति का संचार करने और नुकसान सीमित करने में मदद मिली। इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिली है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कृषि क्षेत्र के दम पर अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी। कृषि उत्पाद में खरीद, खाद बिक्री, ऊर्जा मांग, माल आवाजाही, डिजिटल ट्रांसजेक्शन और विदेशी मुद्रा आमदनी में वृद्धि से ये संकेत मिल रहे हैं।

रिकॉर्ड 382 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव है। सामान्य मॉनसून अर्थव्यवस्था के लिए मददगार होगा। सरकारी एजेंसियों ने 16 जून तक किसानों से रिकॉर्ड 382 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद की है। यह 2012-13 की रिकॉर्ड खरीद से अधिक है। इसे कोविड-19 की महामारी की चुनौती और सोशल डिस्टेंशिंग के प्रतिबंधों के बीच अंजाम दिया गया है। 42 लाख किसानों को एमएसपी के रूप में कुल 73,500 करोड़ रुपए दिए गए हैं।”

ऐतिहासिक सुधारों की घोषणा से किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी 

वित्त मंत्रालय ने यहां जारी एक वक्तव्य में कहा है, ‘‘इसके साथ ही कृषि क्षेत्र में हाल में किए गये ऐतिहासिक सुधारों की घोषणा से क्षेत्र में सक्षम मूल्य वर्धन श्रृंखला खड़ी करने और किसानों को बेहतर आय दिलाने में मदद मिलेगी।’’ इसी तरह 16 राज्यों में रिकॉर्ड 79.42 करोड़ रुपए के माइनर फॉरेस्ट प्रड्यूस खरीदे गए हैं। किसानों ने 19 जून तक 1.313 करोड़ हेक्टेयर भूमि में खरीफ की फसल बुआई की है, यह पिछले साल से 39 प्रतिशत अधिक है। तेल बीज, दाल और कपाल की खेती के रकबे में वृद्धि हुई है।

कृषि और संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि दर 2.4 से बढ़कर 4 प्रतिशत हुई

खादों की बिक्री भी कृषि क्षेत्र का एक संकेतक है। मई 2020 में पिछले साल के मुकाबले 98 प्रतिशत की तेजी के साथ 40.02 लाख टन खाद की बिक्री हुई है। इससे कृषि क्षेत्र की मजबूती का पता चलता है। वित्त मंत्रालय ने कहा, ”यद्यपि जीडीपी में भले ही इस क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान (इंडस्ट्री और सर्विसेज की तुलना में) ना हो, लेकिन इसमें वृद्धि का सकारात्मक प्रभाव बड़ी आबादी पर पड़ता है, जोकि खेती पर निर्भर है।” पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत रही।

ई-वे बिल्स में 130 प्रतिशत की वृद्धि

वित्त मंत्रालय के मुताबिक बिजली खपत में भी तेजी आ रही है। इसके अलावा अप्रैल 2020 की तुलना में मई 2020 में ई-वे बिल्स में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि यह संख्या अभी लॉकडाउन से पूर्व की स्थिति में नहीं पहुंची है। 1 से 19 जून के बीच 7.7 लाख करोड़ रुपए मूल्य के ई-बिल्स जेनरेट हुए हैं। इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों की मांग भी 47 प्रतिशत बढ़ गई है।

पीपीई किट बनाने वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश बना भारत

माल के राज्य के भीतर और अंतर-राज्यीय आवागमन और खुदरा वित्तीय कारोबार में मांग बढ़ी है। इसके साथ ही भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) किट बनाने वाला देश बन गया है। केवल दो महीने में भारत ने यह दर्जा हासिल किया है और इससे विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती का पता चलता है।

सरकार और रिजर्व बैंक ने नीतिगत स्तर पर तेजी से किए उपाय

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘‘सरकार और रिजर्व बैंक ने नीतिगत स्तर पर तेजी से उपाय किए। इसमें अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के उपाय शामिल है। कम से कम नुकसान के साथ अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिये समुचित उपाय किए गए। संरचनात्मक सुधारों और सामाजिक कल्याण के उपाय – इन दोनों स्तरों पर सरकार की प्रतिबद्धता से अर्थव्यवस्था में दिख रहे सुधार के संकेत और मजबूत होंगे।’’

‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 जून को 507.6 अरब डॉलर का हो गया। वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में 73.45 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है जो पिछले साल के मुकाबले 18.5 प्रतिशत अधिक है। वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि सभी संबंध पक्षों के सामूहिक प्रयासों से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को मजबूत किया जायेगा, जिसका एक गतिशील मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान होगा।

 

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